भारत में भगदड़ की घटनाएं पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ी है। प्रतिदिन समाचारपत्रों में भगदड़ की घटनाओं का उल्लेख देखने को मिलता है। कभी किसी धार्मिक स्तर पर तो कभी रेलवे स्टेशन के अलावा राजनेताओं के भाषण के दौरान भी भगदड़ मचने दर्द के समाचार देश के कोने-कोने से आते रहते है। विभिन्न स्थानों पर मची भगदड़ के कारण होने वाली मौत की खबरें भी सामने आती रहती है, जो दिल को जब झकझोर कर रख देती है।
भारत में प्रतिवर्ष भगदड़ की एक दो खबरें सामने आ ही जाती है। भगदड़ के बाद राजनेताओं की भी अपने बयान देने के साथ एक-दूसरे पर प्रश्न उठाने की भी भगदड़ मच जाती है। किंतु इसके बीच आवश्यकता की चीजे पीछे छूटती जाती है, जिसके कारण घटनाओं से जनता सबक नहीं ले पाती है। आधी-अधूरी और तीखी बहस और बयानों के बावजूद लोगों के मन मे कई प्रकार के प्रश्न उठते हैं। लोगों के मन में भगदड़ से सम्बन्धित उठने वाले प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए हम यह लेख लिखने जा रहे हैं।
भगदड़ का अर्थ -
भगदड़ से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है, जिसमें किसी अवसर पर जानवर अथवा मनुष्य अनियंत्रित तरीके से एक ही दिशा में किसी डर अथवा भय के कारण तेजी से भागते हैं। तेजी से भागने वाले अपनी जान बचाने के लिए किसी विशेष स्थान को बिना कुछ सोचे समझे किसी निश्चित दिशा कि तरफ भागने लगते है। भागने वालों का लक्ष्य उस स्थान से दूर जाना होता है, रास्ते की उन्हें कोई फिक्र नहीं होती है। और ना ही उन्हें इस बात का पता होता है कि उन्हें भागकर कहां तक पहुंचना है। इस अनियंत्रित भागदौड़ की स्थिति को ही भगदड़ कहा जाता है।
भगदड़ एक अनियंत्रित होने के साथ ही जानलेवा और खतरनाक स्थिति भी होती है। ऐसी घटना उस स्थिति में पैदा होती है जब मनुष्य अथवा जानवरों की भीड़ एक ही समय में एक ही दिशा में आगे बढ़ने के लिए तेजी से भागती है। किसी विशेष स्थान पर भीड़ क्षमता से ज़्यादा बढ़ जाती है, तब ऐसी स्थिति पैदा होती हैं। भगदड़ के दौरान, भागते हुए लोग आपस में टकराते हैं और एक दूसरे के ऊपर या एक दूसरे से टकराकर गिर जाते है, जिसके कारण कई बार लोगों की दबने से मृत्यु तक हो जाती हैं। ऐसा होने का कारण कई बार लोग गिरे हुए लोगों के ऊपर पैर रखते हुए भी भाग जाते हैं।
भगदड़ के क्या कारण होते है?
भगदड़ मचने के कई कारण हो सकते है। इसके कारण तात्कालिक होते है, तात्कालिक कारणों से लोग अनियंत्रित होकर भागने लगते हैं । इस अनियंत्रित भागदौड़ के कारण ही भगदड़ मच जाती है। भगदड़ के होने से कुछ संभावित खतरे अथवा कारण इस प्रकार के हो सकते हैं: -
अधिक क्षमता - जब किसी स्थान विशेष पर स्थान की क्षमता से अधिक भीड़ हो जाती है, तो फिर अधिक भीड़ भगदड़ मचने का कारण बन सकती है। कोई खाली जगह नहीं होने से क्षमता से अधिक भीड़ के चलते लोग वहां से दूर हटने का प्रयास करते हैं। लोगों के दूर हटने से भीड़ को कई बार गलतफहमी हो जाती है। ऐसी गलतफहमी के चलते भगदड़ मचने की चुनौती सामने आ जाती है। यही कारण होता है की भीड़भाड़ वाले इलाकों में भगदड़ हो जाती है।
भीड़ पर खराब नियंत्रण - जब भीड़ बहुत ज्यादा होती है, और भीड़ पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता है। खराब नियंत्रण से भीड़ अनियंत्रित होकर भगदड़ में तब्दील हो जाती है। ऐसा तब होता हैं, जब नियंत्रण करने वाले लोगों द्वारा गलत तरीके से निर्देश दिए जाते हैं।
खराब तरीके से कार्यक्रम का नियोजन - कार्यक्रम स्थल का नियोजन उचित तरीके से न हो। जब नियोजन उचित नहीं होता है तो अनियोजित भीड़ इधर-उधर भागने लगती है जिसके कारण किसी भगदड़ के मच जाने का डर बना रहता है।
कोई स्पष्ट निकास मार्ग का न होना - जब कोई स्पष्ट निकास नहीं होता है, अथवा निकास का मार्ग नहीं होता है। उस समय किसी अफवाह अथवा गलतफहमी के कारण लोगों के निकलते समय पैर फिसलने या किसी और कारण से भीड़ भगदड़ में तब्दील हो सकती है।
संकीर्ण स्थान - जब जगह छोटी हो तो ऐसी जगह पर कई बार दम घुटने के कारण या किसी अन्य कारण से भगदड़ सकती है।
भारी या खतरनाक संरचनाएं - जो भारी या खतरनाक संरचना होती है तो फिर उस संरचना के चलते भी भीड़ भगदड़ में तब्दील हो सकती है। उदाहरण के तौर पर रेलवे एस्केलेटर के पास इसी कारण से भगदड़ होती है।
अफवाह - भीड़ में जब किसी प्रकार की अफवाह उड़ जाती है तो भीड़ बिना किसी कारण के इधर-उधर भागने लगती है जिसके कारण भगदड़ हो सकती है। अपवाह के कारण कोई भगदड़ को आसानी से नियंत्रित भी नहीं किया जा सकता है। अफवाह के चलते लोग तेजी से एक ही दिशा में भागने लगते हैं, जिसके कारण और नियंत्रित भीड़ जानलेवा भी साबित होती है।
भगदड़ आपदा क्यों बन जाती है?
भगदड़ को एक प्रकार से देखा जाए तो यह मानव निर्मित आपदा है। भगदड़ में लोग एक विशेष स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान की तरफ अथवा एक ही दिशा में तेजी से भागते हैं। जब लोग तेजी से भागते हैं तो धक्का लगने के कारण कई लोग गिर जाते हैं। भगदड़ की भयभीत भीड़ गिरे हुए लोगों को कुचलते हुए तेजी से आगे बढ़ती है। जब यह भीड़ तेजी से आगे बढ़ती है और गिरे हुए लोगों पर कदम रखा जाता है तो गिरे हुए लोग बुरी तरह से जख्मी होने के साथ दम घुटने के कारण मर भी जाते हैं।
भगदड़ मानव जीवन के लिए त्रासदी बन जाती है जिसके कारण यह एक आपदा भी है। हालांकि इस आपदा का पूर्व में किसी प्रकार का संकेत नहीं होता है यह क्षणिक होती है। कुछ पल में ही मानव भीड़ आपदा में तब्दील हो जाती है। वहां सिर्फ चिल्लाहट, रुद्र और करुणा के सिवा कुछ भी शेष नहीं होता है।
भगदड़ से बचाव हेतु सुरक्षित आयोजन कैसे करे?
आजकल कई जगह पर अनेकों लोगों की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में कई लोगों के मन में गहरा प्रश्न उठता है कि भगदड़ से खुद को किस प्रकार से सुरक्षित किया जा सकता है। खुद को भीड़तंत्र से दूर करने के निम्नलिखित उपाय हो सकते है।
- बड़े कार्यक्रम बड़े मैदानों में किया जाए तो फिर भगदड़ की संभावना कम हो जाती है।
- कार्यक्रम को पूर्व निर्धारित योजना से किया जाए, इसके लिए आवश्यक योजना का निर्माण किया जाएं तो फिर भगदड़ की संभावना कम हो जाती है।
- बैठक व्यवस्था या फिर लोगों के खड़े रहने की उचित व्यवस्था के अनुसार स्थान का चयन किया जाना चाहिए
- आयोजन में सुरक्षाकर्मियों द्वारा उचित समय पर सही सूचना दी जानी चाहिए और आवश्यक होने पर दिशा निर्देश देते रहना चाहिए।
- प्रवेश और निकास सुरक्षित होना चाहिए वहां भीड़ न होने दे लोगों को अनावश्यक रूप से रुकने न दे और अधिक लोगों को एक साथ बाहर निकालने की अनुमति न दे।
- आपातकालीन निकास की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि आवश्यकता होने पर लोगों को वैकल्पिक रास्ते से निकाला जा सके।
- उचित रोशनी का होना आवश्यक है और अधिक भीड़ न होने दे।
- सुरक्षा कर्मियों की उचित व्यवस्था हो आवश्यकता होने पर तीसरा निर्देश जारी किया जाए।
- किसी प्रकार की अफवाह होली की दशा में तत्काल प्रभाव से सही जानकारी मुहैया की जाएं।
आजकल उचित व्यवस्था के साथ सही तरीके से किसी भी कार्यक्रम का आयोजन किया जाना बहुत मुश्किल भरा हुआ कार्य है। इसलिए किसी भी कार्य को सही योजना के साथ क्रियान्वित किए जाने के बाद सफल कार्यक्रमों की समीक्षा करके भी भीड़ प्रबंधन तंत्र को सीखने की आवश्यकता है।
भगदड़ में सबसे अधिक असुरक्षित कौन होता हैं?
भगदड़ में सबसे अधिक असुरक्षित महिलाएं, बच्चे और वृद्ध लोग होते हैं, यह बात हर कोई जानता है। इसके अलावा भगदड़ में सबसे अधिक असुरक्षित लोग आमतौर पर ऐसे लोग होते हैं जो शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ ही असमर्थ भी होते हैं। ऐसे में भगदड़ के शिकार निम्न प्रकार के लोग आमतौर पर होते है:-
बच्चे: बच्चों का कद छोटा होने के कारण वे आसानी से भीड़ में खो जाते हैं, भागती हुई भीड़ कई बार ऊपर कदम रख देती हैं जिसके कारण बच्चे कुचले जाने का खतरा बना रहता हैं।
बुजुर्ग: वृद्ध लोगों की शारीरिक शक्ति और गतिशीलता कम होती है, जिससे वे भीड़ से किनारा नहीं कर सकते है और बचने में भी असमर्थ हो जाते हैं।
विकलांग लोग: ऐसे लोग लोग शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग हैं, वो भीड़ में सही निर्णय नहीं ले पाते हैं जिसके कारण उनका भगदड़ में बचना मुश्किल हो सकता है।
गर्भवती महिलाएँ: ऐसी महिलाएं तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंच सकती हैं जिसके कारण उन्हें और अजन्मे बच्चे को भीड़ में नुकसान पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
कमजोर स्वास्थ्य वाले लोग: ऐसे लोग जिन्हें सांस लेने की तकलीफ, दमा या हृदय रोग हो, उन्हें भीड़ के दबाव से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ बढ़ सकती हैं। किसी समस्या में सही निर्णय भी नहीं ले पाते हैं।
बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के अलावा शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोग भगदड़ की स्थिति में सबसे अधिक जोखिम में होते हैं। ऐसे लोगों का भीड़भाड़ से दूर रहना उचित होता हैं, तथा आवश्यक होने पर इनकी निगरानी की जानी जरूरी होती हैं।
भगदड़ में फंस जाएं तो खुद को सुरक्षित कैसे करे?
अगर आप किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में है और अगर वहां किसी प्रकार की भगदड़ मच जाए तो आपको विभिन्न प्रकार से खुद को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
किनारे चले जाएं - अगर कहीं भगदड़ हो जाए तो फिर खुद को सुरक्षित करने के लिए बचाव करते हुए बीच में से निकल कर किनारे चले जाना चाहिए, जिससे खुद को सुरक्षित करना आसान हो जाता हैं।
छाती का बचाव करे - अगर कोई भी व्यक्ति भीड़ में कहीं फस जाए तो फिर सबसे अधिक प्रयास अपनी छाती का बचाव करने के लिए किया जाना चाहिए। क्योंकि अगर कोई भीड़भाड़ में भगदड़ के समय गिर जाता हैं, तो फिर पसलियां टूटने का खतरा रहता है। ऐसे में व्यक्ति अचेत हो जाता है, जिससे कई बार लोग ऊपर से निकल जाते हैं और यह जानलेवा भी साबित हो सकती है।
स्लीपर पर खोल दे - भगदड़ में फस जाने वाले व्यक्ति ने अगर चप्पल अथवा स्लीपर पहन रखी है, तो फिर उसे खोल देना चाहिए। क्योंकि कई बार पीछे चलने वाला व्यक्ति इसके ऊपर पैर रख देता है, जिसके कारण गिरने की संभावना बढ़ जाती है।
किसी चीज का सहारा ले लीजिए - भगदड़ में भागते समय अगर आपको कोई चीज जैसे रेलिंग या कोई अन्य स्ट्रक्चर नजर आता है तो उसे पकड़ लेना चाहिए।
इंतजार कीजिए - अगर भगदड़ हो जाती है और आप किनारे पर है या फिर कोई चीज को पकड़ लिया है, तो फिर भगदड़ के ठहरने तक इंतजार करना चाहिए। भगदड़ के साथ भाग दौड़ नहीं करनी चाहिए।
हाथ ऊपर कर लीजिए - भगदड़ के मध्य होने की दशा में अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा दीजिए, ताकि पीछे दौड़ने वालों को आप भली भांति नजर आए।
चमकीले कपड़े - स्थान पर चमकीले कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि लोगों को आसानी से नजर आ जाएं। इसके लिए पट्टी भी बांधी जा सकती हैं।
भीड़ के साथ चले भीड़ में फंस गए हैं तो रुकने की बजाय भीड़ के साथ चलते जाओ इसी से खुद का बचाव किया जा सकता है।
गिरने से बचे - आपको गिरने से बचने का पूरा प्रयास करना चाहिए, भगदड़ में गिर जाने के बाद किसी भी परिस्थिति में वापस संभलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
उपर्युक्त सभी या किसी एक का ध्यान रखकर आप खुद को भीड़ में भी सुरक्षित कर सकते हैं। ऐसी बातों का भीड़भाड़ में जाने से पहले आवश्यक रुप से जानकारी प्राप्त की जानी चाहिए।
अन्य प्रश्न
प्रश्न: भगदड़ का अर्थ क्या होता हैं?
उत्तर: जब लोग किसी भय या डर के कारण अनियंत्रित तरीके से एक ही दिशा में भागते हैं तो इसे भगदड़ कहा जाता है।
प्रश्न: भगदड़ कैसे होती हैं?
उत्तर: भगदड़ उस दशा में होती है जब लोग अनियंत्रित होकर एक ही दिशा में तेजी से भागते हैं तो इसे भगदड़ कहा जाता है।
प्रश्न: भगदड़ के पर्यायवाची शब्द क्या हैं?
उत्तर: भागमभाग, अफरा तफरी, खलबली, घबराहट और दौड़ इत्यादि हो सकते है।
प्रश्न: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ कब और कहां हुई?
उत्तर: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ 15 फरवरी, 2025 को रात करीब 9:30 बजे के आसपास 9:55 बजे महाकुंभ जाने वाली ट्रेन को पकड़ने के चलते हुई थी।
प्रश्न: प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से कितने लोगों की मौत हुई?
उत्तर: यह मौनी अमावस्या की रात्रि को हुई थी, तिथि की बात की जाए तो 28 और 29 जनवरी, 2025 को हुई थी।
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