सिस्टम हमारा है: ट्रक ड्राइवर हड़ताल

सिस्टम हमारा है: ट्रक ड्राइवर हड़ताल

जी आपने चर्चित फिल्म "कश्मीर फाइल्स" देखी होगी, ना देखी तो नाम तो सुना ही होगा। इस चर्चित फिल्म का एक डायलॉग है, "सरकार उनकी है तो क्या हुआ सिस्टम तो हमारा है। इसके बाद तो सिस्टम हमारा है, डायलॉग इतना प्रसिद्ध हुआ कि आजकल सोशल मीडिया पर इसे ट्रेंड होते भी देखा जा सकता है। आप सोच रहे होंगे कि उस फिल्म के डायलॉग से ट्रक ड्राइवर हड़ताल का क्या संबंध है? खैर आप सही सोच रहे हैं, फिल्म का ट्रक ड्राइवर हड़ताल से कोई सम्बंध नहीं है, लेकिन इस डायलॉग से इसके गहरा संबंध है, आइए जानते हैं, क्या है? सिस्टम हमारा है।


ट्रक ड्राइवर असोसिएशन कि हड़ताल ने सरकार को दो दिन में ही बैक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया और सरकार नें हिट और रन कानून दो दिन कि हड़ताल के बाद वापस ले लिया। देश के विपक्ष समेत कई पत्रकारों कि सेना के साथ बुद्धिजीवियों कि बड़ी सेना ने इसे लोकतंत्र कि जीत घोषित किया। तो एक बड़े तबके ने इसे ट्रक ड्राइवर असोसिएशन कि जीत घोषित किया।

जीत किसकी हुई या किसकी नहीं, इसकी घोषणा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि हम कुछ पहलू प्रस्तुत कर रहे हैं। यह हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि आखिर दो दिन में ही सरकार ट्रक ड्राइवरों के सामने विवश क्यों हो गई? आखिर ऐसा क्या खास है ट्रक ड्राइवरों में?

ट्रक ड्राइवर -


भारतीय ट्रक ड्राइवरों कि बात कि जाए तो यह देश के सबसे शोषित ग़ैर-संस्थागत संगठनों में से एक संगठन के सदस्य हैं। दिन के 24 घण्टों में से 18 घण्टे ट्रक खिंचने वाले ये लोग एक ही लक्ष्य कि प्राप्ति को मन मे संजोए हाथ में स्टेयरिंग पकड़े, अपनी नींद भरी आँखों कि पलकों (18 घण्टे ट्रक चलाने से अपनी नींद पूरी नहीं कर सकते हैं) को खिंचकर बड़ी करते हुए अपने गंतव्य कि ओर बढ़ते जाते हैं, और इनका लक्ष्य सामान समय से पहुंच जाये। समय के प्रबंध का क्या महत्व है? यह इनसे बेहतर कौन जानता है? महज 5 मिनट कि देरी एक सप्ताह कि मेहनत पर पानी फ़ेर देती है, यह ट्रक ड्राइवर से बेहतर कोई नहीं जानता? समय पर इनके गंतव्य पर नहीं पहुँचने पर पूरा किराया नहीं मिलता ऐसे इनकी पूरी मेहनत बेकार चली जाती है।

हालाँकि समय से पहुंचना इनके बस में नहीं होता क्योंकि सड़क पर लगने वाले जाम से सड़क कि विपरीत परिस्थितियों (टूटी सड़के, सड़क को डाइवर्ट कर देना और लूट) को झुझते हुए, समय पर पहुंच ही जाते हैं। महज अपने लक्ष्य प्राप्ति के दृढ़ निश्चय के कारण।

बड़ी कठिन जिंदगी जीते हैं, ट्रक ड्राइवर 


आपको पहले ही बता दिया कि रात-दिन मेहनत कर विपरीत सड़क परिस्थिति से झुझते हुए समय पर माल पहुंचाने वाले माल वितरण और सुपुर्दगी सेवक स्वयं सड़क प्रबंध कर, बड़ी जनसेवा कर रहे हैं। 18 घण्टे कि कड़ी मेहनत, उस दिन गौण नजर आती है, जिस दिन यह अपनी तनख्वाह लेने के लिए ट्रक ड्राइवर के पास जाते हैं। ट्रक ड्राइवर इन्हें लाख उलाहने देता है, तुम झूठ बोल रहे हों इतना डीज़ल नहीं जला, इतना मार्ग में खर्च नहीं हुआ फ़लां फ़लां। इसके बाद बड़े भारी मन से उन्हें उनका मेहनताना देता है। कई बार पैसे भी काट लेता है। हालाँकि उलाहना इनके लिए कोई नहीं बात नहीं है, य़ह तो जैसे बने ही ताने और उलाहने के लिए है, जैसा है इनके लिए। सड़क पर अन्य वाहन वाले, रोज मार्ग में बदलते नए चेहरे, पुलिस और जहां सामान पहुंचाना है, वहाँ के कर्मचारी और सेठ सब इन्हें उलाहने ही देते हैं। इसके बावजूद पापी पेट और परिवार के पालन कि मजबूरी इन्हें 18 घण्टे जगाकर अंधेरी और अकेली रातों में सड़क पर दौड़ने को मजबूर करती हैं।

कभी-कभी तो जाम में फस जाते हैं तो कभी ऐसी सड़कों पर दौड़ लगाते हैं कि इन्हें पूरे दिन खाना छोड़ चाय भी नहीं मिलती। रास्ते में ट्रक खराब होने और लूट से बचने के लिए इन्हें क्या प्रयास करने होते हैं? यही जाने! कभी ऐसे फंस जाते हैं सुरक्षा कारण से ट्रक से हिल नहीं सकते और दिनों भोजन नहीं मिलता। दो मिनट के देरी के लिए भाड़े कि कटौती से बचने के लिए भी भूखे पेट सड़क को ताकती नजरे सर्दी, गर्मी और बरसात को भूल बस अपने पेट कि चिंता मे ही लगी रहती है। कई बार तो घंटों काम करने से थक जाते हैं, इस कारण नशा करने लगते हैं, ताकि नशे से शरीर को सुन्न कर घण्टों गाड़ी चलाकर अपने गंतव्य स्थल पहुंच सके और अपने शरीर को भी दर्द से राहत दे सके। 

ट्रक ड्राइवर क्यों उतरें हड़ताल पर? -


पहले सड़क दुर्घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता, 1860 धारा 279 जल्दबाजी से वाहन चलाने के लिए 6 महीने कि सजा, 304A लापरवाही से वाहन चलाने के लिए अधिकतम दो वर्ष कि सजा हो सकती थी। वर्तमान में सरकार द्वारा जो संशोधन किया गया उसके मुताबिक 10 साल कि सजा और साथ ही सात लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया। 

ट्रक ड्राइवर असोसिएशन ने संशोधन को 1 जनवरी, 2024 से लागू किए जाने के विरोध में हड़ताल का ऐलान कर, कानून के विरोध में हड़ताल पर उतर गए। 


क्या है, सिस्टम है हमारा? 


कानून के लागू होने के बाद ट्रक चालक सावधान हो जाते, जिससे ट्रक ड्राइवरों को सम्भावित कुछ बदलाव देखने को मिलते जिससे उन्हें हाथ धोना पड़ गया। कानून संशोधन का प्रभाव उनकी जिंदगी पर भी पड़ता, यह बदलाव इस प्रकार होते - 

  • सुरक्षा को बढावा - सड़क दुर्घटना में बड़े जुर्माने के कारण, ट्रक मालिक सुरक्षा को महत्व देते। इससे ड्राइवर कि भी सुरक्षा बढ़ जाती; समय से रखरखाव, स्पीड का ध्यान रखना और ब्रेक, टायर बेहतर गुणवत्ता के लगाना। ऐसा होने से ड्राइवर का जीवन पहले कि अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और सुगम होता। 
  • बीमा अनिवार्य - जुर्माने कि बढ़ी राशि को ध्यान में रखते हुए ट्रक ड्राइवर बिना बीमा कराए गाड़ी चलाने को तैयार नहीं होते ऐसे में उन्हें और तृतीय पक्ष को अनिवार्य बीमा मिल जाता। लेकिन संशोधन लागू नहीं होने से यह वर्तमान ढर्रे पर जाना लाजिमी लगता है। 
  • ड्राइविंग घण्टों में कटौती - सड़क दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए ट्रक ड्राइवर, दुर्घटना से बचने के लिए निश्चित घण्टे तक ही ड्राइविंग करते। ऊंघते हुए ड्राइविंग कि आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे उनके जीवन पर अनुकूल प्रभाव आते। 
  • अधिक सैलरी - सजा और भारी जुर्माने को ध्यान रखते हुए अधिक लोग इस व्यवसाय कि तरफ आकर्षित नहीं होते परिणामस्वरूप उनके वेतन में वृद्धि होना एक बड़ा सम्भावित कारण था। 
  • पेशेवर जीवन - उपर्युक्त सभी कारणों से ट्रक ड्राइविंग महज मजदूरी और मजबूरी ही नहीं रह जाती बल्कि एक पेशा बन जाता। लेकिन वर्तमान रवैय्या ड्राइवर को लाइसेंस तो देता है लेकिन पेशे कि गारंटी नहीं। 

सिस्टम हमारा है के लोग ही ज्यादा उत्साहित नजर आए इस हड़ताल के दौरान। ये ऐसे लोग हैं, जो यह नहीं देखते कि इससे क्या बदलाव होगा, किसे क्या फायदा होगा? इनका एक ही लक्ष्य है कोई परिवर्तन नहीं, जो चल रहा है, उसे उसी हाल में रखा जाए। अगर कुछ परिवर्तन किया तो हम लागू नहीं होने देंगे क्योंकि सिस्टम हमारा है और हम तुम्हारा दाना पानी समाप्त कर देंगे। 

ट्रक ड्राइवर असोसिएशन के साथ उतरें अन्य लोगों ने ही सड़के जाम कर पूरे देश में चक्काजाम करा दिया। यही सिस्टम है और इस सिस्टम के सामने सरकार भी बेबस है। 

वर्तमान परिस्थिति में नशे के शिकार ट्रक ड्राइवर - 


वर्तमान में ट्रक ड्राइवरों पर ट्रक को समय से ट्रक को पहुंचाने की एक बड़ी चुनौती है। अधिकांश ट्रक ड्राइवर इस चुनौती से निपटने के लिए 18 घंटे ड्राइविंग करते हैं। इतने समय ड्राइविंग करने से शरीर में भयंकर दर्द उठता है। लगातार नींद आती है, हाथ पैर कांपने लगते हैं। ऐसी चुनौती से निपटने के लिए ट्रक ड्राइवर नशे कि लत में फंसे जा रहे हैं। आजकल अधिकांश ड्राइवर खुद को तरोताजा रखने और नींद से बचने के लिए नशे कि डोज लेजर घंटों ट्रक को खिंच रहे हैं। 

सरकार को चाहिए कि कानून में ऐसे नियम भी बनाए जाए जिससे ड्राइवर कि 18 घण्टे कि ड्राइविंग से राहत दे सके। नशे में वह सड़क पर ट्रक नहीं मौत को दौड़ा रहा है। कब ट्रक किससे भिड़ जाए कोई पता नहीं। दूसरी तरफ उनका परिवार इस आस में रहता है कि उनका कमाऊ पूत आएगा और परिवार के लिए खाने-पीने कि व्यवस्था करेगा। हां, जब तक वो ट्रक चलाता है तबतक अपना और परिवार का जुगाड़ कर लेता है, नशे में अधिक घंटे ट्रक को सड़क पर दौड़कर। किंतु जब वो ड्राइविंग कि हालत में नहीं रहता तब परिवार पर बोझ बन जाता है। ऐसे में इन्हें नशे से निकालने के उपाय किए जाने चाहिए। 

 आपके मन में उठने वाले कुछ प्रश्न:


प्रश्न: भारतीय दंड संहिता कि धारा 204A कब लागू हुई? 

उत्तर: वर्ष 1870 में भारतीय दंड संहिता में धारा 204A और धारा 204B जोड़ी गई। उस समय किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक संशोधन यह भी था। 

प्रश्न: क्या संशोधित मोटर वाहन अधिनियम लागू हो सकता है? 

उत्तर: सरकार ट्रक ड्राइवर असोसिएशन और अन्य सभी पक्षों से बातचीत कर उनकी मांग के अनुरुप संशोधित कर लागू कर सकती है। वर्तमान संशोधन को पूर्णतः लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि ट्रक ड्राइवर के साथ अन्य लोग भी हड़ताल पर आ सकते हैं। 


प्रश्न: सभी ट्रक ड्राइवर हड़ताल कर दे तो क्या होगा? 

उत्तर: सभी ट्रक ड्राइवर हड़ताल कर दे तो माल का आवागमन बंद हो जाएगा, जिससे बाजार में अतिआवश्यक वस्तुए सब्जी, दवा, खाने-पीने कि चीजे इत्यादि कि कमी हो जाएगी। 


प्रश्न: ट्रक ड्राइवर कि सैलरी/वेतन कितना होता है? 

उत्तर: ट्रक डाइवर का वेतन 10000 से 20000 के बीच होता है, लंबी दूरी और अधिक भार क्षमता वाले ड्राइवरों का वेतन 20000 के आसपास होता है। 


प्रश्न: हिट एंड रन कानून क्या है? 

उत्तर: तेज लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर भाग जाने वाले ड्राइवर के विरुद्ध जिस कानून में केस दर्ज किया जाता है या जिस कानून के अंतर्गत कारवाई कि जाती है, जिसे हिट एंड रन कानून कहा जाता है। 





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