प्रादिष्ट मुद्रा अथवा फिएट मनी से आशय ऐसी मुद्रा से है, जिसका अपना कोई मूल्य (आंतरिक मूल्य) नहीं होता है। इसका मूल्य जारीकर्ता अथवा सरकारी नियमों से तय होता है। इस प्रकार कि मुद्रा का मूल्य किसी धातु (सोने या चांदी) से समर्थित नहीं होता है। इस मुद्रा का मूल्य मांग एंव पूर्ति के अतिरिक्त इसे जारी करने वाली सरकार कि स्थिरता पर निर्भर करता है। यह एक प्रकार की औपचारिक मुद्रा है, जिसे सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर जारी किया जाता है।
फिएट शब्द लेटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है 'इसे होने दे' या 'यह होगा'। जब किसी देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक कि आज्ञा, हुक्म, आदेश और आधिकारिक आदेश से जारी की गई मुद्रा 'फिएट' प्रादिष्ट मुद्रा कहलाती है। यह एक प्रकार कि कागजी मुद्रा है, जिसे किसी देश की सरकार अथवा देश के केंद्रीय बैंक द्वारा (सरकारी आदेश से) जारी किया जाता है। इसका मूल्य देश की सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा सुनिश्चित किया जाता है, जिसे किसी धातु में बदला जाना अपेक्षित नहीं होता है। इसका मूल्य बैंकिंग अर्थव्यवस्था अथवा बाजार मूल्यों पर अंकित मूल्य अथवा वचन के अनुसार होता है। इसे सरकारी आदेश से वैध मुद्रा का दर्जा प्राप्त होता है। इस प्रकार कि मुद्रा को अधिदिष्ट मुद्रा और प्रादिष्ट मुद्रा भी कहा जाता है। इसे सरकारी निविदा द्वारा नामित किया जाता है, जो सरकारी आदेश से विनिमयन के लिए अधिकृत है।
प्रथम विश्व युद्ध (1914) में इसे संकटकालीन मुद्रा के तौर पर जारी किया गया, इसलिए इसे उस समय समकालीन मुद्रा के नाम से भी पुकारा गया। विश्व युद्ध के समय बिना सोने चांदी को रखे सरकारी आदेश से मुद्रा जारी की गई, जो अब लगभग चलन में आ चुकी हैं। वर्ष 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली (Bretton woods system) को समाप्त किए जाने के तत्पश्चात् वैश्विक स्तर पर प्रादिष्ट मुद्रा को पहले की तुलना में अधिक मान्य हो गई। अब विश्व कि सबसे प्रचलित मुद्रा प्रादिष्ट मुद्रा है। वर्तमान में, यही बाजार मूल्यों की मानक है।
फिएट मनी के उदाहरण -
जैसा कि परिभाषा से स्पष्ट है कि प्रादिष्ट अथवा अधिदिष्ट मुद्रा किसी देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक (सरकारी आदेश से) द्वारा आज्ञा से जारी की जाती है। इसलिए भारत में फिएट मुद्रा का उदाहरण है - रुपया। अमेरिका में डॉलर, इंग्लैंड में पाउन्ड। ऐसे ही युरो, स्टर्लिंग, येन आदि फिएट मनी के उदाहरण है। इन सभी मुद्रा का आंतरिक मूल्य नहीं होता है। आजकल विश्व के अधिकांश देशों में फिएट मनी का ही चलन है।
फिएट मनी कि आवश्यकता -
धात्विक अथवा वस्तु मुद्रा कि जगह विश्व के लगभग सभी देशों द्वारा प्रादिष्ट मुद्रा को अपनाए जाने की आवश्यकता प्रादिष्ट मुद्रा के गुणों और धात्विक और वस्तु मुद्रा के दोषों को प्रकट करती हैं। इस प्रकार कि मुद्रा की आवश्यकता बाजारो में अधिक तरलता, ब्याज दर और ब्याज की आसान गणना के साथ ही ऋणों की आसान उगाही एवं भुगतान को देखते हुए हुआ। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा करो को आसानी से एकत्रित करने का भी प्रमुख उदेश्य हैं। सरकार की साख और सरकारों के स्थायित्व ने इसके महत्व को अधिक बढ़ा दिया।
वर्तमान समय में देखा जाए तो फिएट मनी का अस्तित्व सरकार की आज्ञा पर टिका हुआ होने के कारण सरकार इसके मूल्यों को बेहतर तरीके से नियन्त्रित करने का प्रयास करती है, जिससे इसका प्रचलन दिनोदिन प्रभावी हो रहा है।
फिएट मनी का अस्तित्व और निर्भरता -
प्रादिष्ट मुद्रा सरकार कि आज्ञा से केंद्रीय बैंक या सरकार स्वयं जारी करती है। मुद्रा का निर्गमन सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर किया जाता है। सरकार अपने देश के नागरिको को प्रादिष्ट मुद्रा पर अंकित मूल्य के समान ही बाजार मूल्य का भरोसा दिलाती है। इसका चलन सरकार और केंद्रीय बैंक में लोगों के विश्वास के आधार पर निर्भर है। मुद्रा के मूल्य का निर्धारण स्थिर होता है जो उस पर अंकित मूल्य के समान (सोने के सिक्के का मूल्य सोने की दर बढ़ने के साथ बढ़ जाता है किन्तु प्रादिष्ट मुद्रा में ऐसा संभव नहीं है) बना रहता है क्योंकि मुद्रा के मूल्य पर सरकार कि साख होती है। मुद्रा के मूल्य में गिरावट का अर्थ सरकार कि साख में कमी का होना है। इस कारण इसका मूल्य (स्थिर) सरकार बनाए रखती है।
प्रादिष्ट मुद्रा का कोई आंतरिक मूल्य नहीं होने के कारण इनकी स्वयं कि कोई उपयोगिता नहीं होती है। सोने चांदी कि भाँति फिएट मुद्रा का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होता है। यह सरकार कि आज्ञा से उपयोगी (लेनदेन योग्य) बनती हैं। बाजार में वस्तुओ और सेवाओं के क्रय-विक्रय के अतिरिक्त सरकार को देय करो का भुगतान इसी मुद्रा में होता है। इसकी विशेषताओं के कारण ही बाजार में इनका अस्तित्व होता है, जो सरकारी आदेश पर निर्भर होता है।
वर्ष 2016 में, भारत सरकार नें रुपये 500 और 1000 के नोट की वैधता समाप्त कर दी, जिसके कारण उस समय से पूर्व तक बाजार में प्रचलित रहे 500 और 1000 रुपये के नोट की बाजार में कोई वैधता और मूल्य नहीं रह गया है। उन नोट का मूल्य सरकारी आदेश द्वारा स्वीकार नहीं किए जाएंगे के साथ ही समाप्त हो गया।
फिएट मनी के फायदे -
फिएट मनी या प्रादिष्ट मुद्रा का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होने के बावजूद इसका अस्तित्व और मूल्य दोनों सरकारी आदेश द्वारा निर्मित किये जाते हैं। सरकारी आदेश द्वारा इसे केंद्रीय बैंक द्वारा निर्गमित कर बाजार में लाए जाने और बाजार में बनाये रखने के पीछे इसकी उपयोगिता और सरकार के साथ लोगों को प्राप्त होने वाले लाभ है। इस मुद्रा को बाजार में बनाये रखने के निम्नलिखित कारण है, जो इसके लाभ भी है -
- सुलभ संसाधन उपलब्धता - धातु मुद्रा या प्रत्ययी मुद्रा के मुकाबले में प्रादिष्ट मुद्रा जारी करने और मुद्रा की तरलता को बढ़ाए जाने के लिए आवश्यक संसाधन सुलभ मात्रा में उपलब्ध है तथा इसकी लागत भी अन्य मुद्रा के मुकाबले में कम आती है। सोने और चांदी की मुद्रा को जारी करने के लिए इतना धातु उपलब्ध होना कठिन है, किंतु कागजी मुद्रा के निर्गमन के लिए विपुल मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं।
- अधिक आपूर्ति और तरलता संभव - प्रादिष्ट मुद्रा जारी करने के लिए आवश्यक संसाधनो कि आसान/सुलभ उपलब्धि के कारण इसकी आवश्यकता के अनुरुप आपूर्ति कर बाजार में आसानी से और कम व्यय पर तरलता स्थापित की जा सकती हैं। ऐसी तरलता अन्य प्रकार की मुद्रा में संभव नहीं हो सकती हैं।
- बैंकिंग अर्थव्यवस्था संभव - प्रादिष्ट मूल्य कि तरलता अधिक होने के साथ ही समरूपता और अंकित मूल्य होने के कारण इसे आसानी से बैंक में जमा कराया और निकाला जा सकता है। धात्विक मुद्रा कि भाँति इसका अंतर्निहित मूल्य मापन नहीं होता है, जिससे बैंक से व्यवहार आसान हो जाता है। बैंकिंग अर्थव्यवस्था को संभव करने के लिए फिएट मनी का होना आवश्यक है क्योंकि केंद्रीय बैंक ही इसे जारी करता है और इसके मूल्य पर नियंत्रण स्थापित करती है।
- अप्रत्याशित अवमूल्यन असंभव - सोने कि खान मिल जाने से सोने कि मुद्रा अथवा सोने के मूल्य पर आधारित मुद्रा का मूल्य घट जाता है। ऐसे ही चांदी या अन्य धातु की मुद्रा का भी अवमूल्यन संभव है। लेकिन फिएट मनी बैंक द्वारा जारी की जाती है और इसका एक निश्चित मूल्य होने के कारण अप्रत्याशित रूप से अवमूल्यन होने का खतरा नहीं रहता है।
- पूर्व-निर्धारित मूल्य निर्णयन - फिएट मनी का मूल्य जारी करते समय ही निर्धारित कर दिया जाता है, जो इसके जीवनकाल तक निश्चित रहता है। इसके मूल्य में किसी प्रकार का परिवर्तन और अस्वीकार्यता नहीं होने के कारण ही यह इतनी अधिक प्रचलित हो गई कि इसे मानक के तौर पर ले लिया गया।
- स्थिर मूल्य/स्थिरता - पूर्वनिर्धारित मूल्य होने के साथ ही अप्रत्याशित अवमूल्यन की संभावना कि कमी के कारण फिएट मुद्रा का मूल्य स्थिर और समान बना रहता है।
- अधिक नियंत्रण - केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए जाने के कारण मुद्रा कि मात्रा और मूल्य निर्धारण होता है। अन्य प्रकार कि मुद्रा कि तुलना में इसका नियंत्रण आसान होता है।
सरकार द्वारा जारी कि गई वैध अथवा निविदा मुद्रा होने के कारण इसका मूल्य हमेशा अंकित मूल्य अथवा सरकार कि आज्ञा के अनुरूप बना रहता है, जिसे आसानी से बैंक में जमा कराया जा सकता है और जमाओं पर ब्याज भी प्राप्त किया जा सकता है। इसे सरकार के आदेश के अनुसार सभी जगह स्वीकार करना भी विधि-सम्मत रुप से आवश्यक होता है। इसी के कारण आज विश्व के सभी देशों में इसी प्रकार कि मुद्रा प्रचलित है।
फिएट मुद्रा के नुकसान -
इस प्रकार कि मुद्रा का मूल्य अंतर्निहित नहीं होने के कारण इसके कुछ नुकसान भी है। इसके नुकसान निम्नानुसार है -
- मूर्त संपति का अभाव - सरकार के आदेश से जारी की गई यह मुद्रा सरकार के आदेश तक ही मूल्यवान रहती है। अंतर्निहित मूल्य नहीं होने का कारण यह है कि यह कोई मूर्त संपति नहीं है। सोने-चांदी कि मुद्रा पर सरकार के आदेश का प्रभाव नहीं होता है क्योंकि वो मूर्त संपति है।
- राजकोषीय नीति और विनिमयन पर निर्भर - राजकोषीय नीति से मुद्रा आपूर्ति को निश्चित किया जाता है, मुद्रा कि मांग और आपूर्ति से मूल्य का निर्धारण होता है। विनिमयन भी मुद्रा के मूल्य को प्रभावित करते हैं। किसी समय में राजकोषीय नीति अथवा विनिमयन अनियंत्रित हो जाता है तो प्रादिष्ट मुद्रा अपना अस्तित्व खोने लगती है, भले ही सरकार द्वारा इसे वैध ही घोषित क्यों ना कर रखा हो।
- असीमित आपूर्ति - जब बाजार में फिएट मुद्रा कि असीमित आपूर्ति हो जाती है तो मूल्य समाप्त ही हो जाता है। इसे जारी करने के लिए उपलब्ध आसान संसाधनो के कारण ऐसा हो सकता है और हुआ भी है। वर्ष 2000 में जिम्बाब्वे कि सरकार द्वारा जिम्बाब्वे डॉलर (ZWL) कि अधिक मात्रा में आपूर्ति कर दी गई, जिसके चलते इसका मूल्य समाप्त ही हो गया था। ऐसी स्थिति का द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के साथ युद्ध में भाग लेने वाले कई देशों को सामना करना पड़ा था।
- अत्यधिक मुद्रास्फीति - जब स्थिति अनियंत्रित हो जाती है उस दशा में देश में अत्यधिक मुद्रा अवमूल्यन हो सकता है। ऐसी स्थिति उस समय हो सकती है जब बाजार में आपूर्ति कि अपेक्षा में मांग अधिक बढ़ जाती है इसे आप और हम महंगाई कहते हैं। महंगाई को जानने के लिए यह पढ़े
- आर्थिक तंत्र ध्वस्त होना - जब बहुत अधिक महंगाई बढ़ जाए जिसे अर्थशास्त्र कि भाषा में हाईपरइन्फ्लेशन कहा जाता है, उस समय फिएट मुद्रा के चलते आर्थिक तंत्र ध्वस्त हो सकता है। इस दशा में फिएट मनी में अंतर्निहित मूल्य नहीं होने से इसे स्वीकार किया जाना बंद भी किया जा सकता है, जिससे आर्थिक तंत्र पूर्णतः बर्बाद हो जाता है।
वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होने के कारण ऐसा भी देखने को मिलता है कि जब किन्ही दो देशों के बीच अनबन हो जाती है अथवा प्रतिस्पर्धा के चलते कोई एक देश दूसरे देश कि फिएट मनी को स्वीकार करना बंद कर देता है। इसके अतिरिक्त वह देश अपने गुट के अन्य देशों को भी किसी देश कि मुद्रा स्वीकार नहीं करने के लिए भी आग्रह कर सकता है।
आवश्यक प्रश्न और उत्तर -
प्रश्न: भारत में पहला कागजी नोट कब आया?
उत्तर: भारत में पहला कागजी नोट 1861 मे आया। जो दस रुपये का नोट था।
प्रश्न: भारत में पहला कागजी नोट किसने जारी किया गया था?
उत्तर: भारत में पहला कागजी नोट बंगाल में बैंक ऑफ हिन्दुस्तान जनरल बैंक और बैंक ऑफ बंगाल ने जारी किया।
प्रश्न: क्या फिएट मनी का अंतर्निहित मूल्य होता है?
उत्तर: नहीं। इसका अंतर्निर्मित कोई मूल्य नहीं होता है, सरकार या केंद्रीय बैंक कि आज्ञा अथवा आदेश से इसका मूल्य पूर्व निर्धारित होता है।
प्रश्न: क्या फिएट मनी ढह सकती है?
उत्तर: हाँ, जब देश में अत्यधिक महंगाई बढ़ जाए उस समय फिएट मनी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होने के कारण यह बूरी तरह से ढह सकती है।
प्रश्न: सरकार अधिक नोट क्यों नहीं छापती है?
उत्तर: सरकार अधिक मात्रा में नोट इसलिए नहीं छापती इससे मुद्रा का मूल्य समाप्त हो सकता है। सरकारी आदेश से जारी निविदा मुद्रा की अधिकता से आर्थिक तंत्र ध्वस्त हो सकता है।
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