बाजरा एक मोटा अनाज है, जो उच्च तापमान वाले क्षेत्रो में आसानी से उग और पक जाता है। बाजरा की फसल गेंहूं के समान ही नजर आती है, किंतु इसकी ऊंचाई 7 फीट तक होती है। बाजरा एक खाद्य फसल है, इसके दाने ज्वार के समान ही होते हैं, लेकिन थोड़े छोटे-छोटे होते हैं।
बाजरा उच्च तापमान वाली फसल होने के कारण पश्चिमी राजस्थान में बहुतायत होती है। यह राजस्थान के साथ भारत के अन्य उच्च तापमान वाले भागों में होता है। भारत के अलावा अफ्रीका में भी बाजरा का उत्पादन होता है, और लोग इसे चाव से खाते है।
बाजरा का वैज्ञानिक वर्गीकरण -
तथ्य | स्पष्टीकरण |
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जगत | पादप (Plant) |
वंश | पेन्निसेटम (Pennisetum) |
जाति | टाइफ़ोइड्स (Typhoids) |
वैज्ञानिक नाम | पेन्निसेटम टाइफ़ोइड्स (Pennisetum Typhoids) |
बाजरा का दाना -
बाजरा के दाने को बाजरा ही कहा जाता है। यह हल्के पीले रंग का होता। कई किस्म का बाजरा का सफेद मटमैला भी होता है। इसका आकार बिल्कुल छोटा होता है, जिसका वजन लगभग 1 ग्राम का होता है। इसका आकार बैतरतीब होता है, जिसे कोई नाम नहीं दिया जा सकता है। यह देखने में गोल ज्वार के जैसा होता है। इसका पिछला हिस्सा देखने में गोल दिखाई देता है, लेकिन इसका मुँह (बुआई के समय जो भाग अंकुरित होता है) नुकीला होता है। इसके मुँह पर एक हल्का काला निशान होता है।
बाजरा का दाना ऊपर से मटमैलला या हल्का पीला इसके छिलके की वज़ह से दिखता है। इसका छिलका हटाने पर यह सफेद नजर आता है। इसके कारण इसका आटा गेंहूं के समान सफेद नहीं होता है लेकिन हल्का पीला या मटमैला सफेद होता है। लेकिन इससे बनने वाली रोटी गेंहू के समान सफेद बिल्कुल भी नहीं होती और ना ही इसमे कोई सफेद आभा होती है, क्योंकि बाजरा की रोटी कच्ची सफेद नजर आती है, लेकिन पकने पर यह बिल्कुल ही मटमैली आभा की नहीं ब्लकि रंग की हो जाती है।
बाजरा के पौधे की पहचान -
बजरा घासनुमा फसल हैं। बाजरा के डंठल (कली या शाखा), जिसे राजस्थान में 'डोका' कहा जाता है, घास से लंबे और मोटे होते हैं। इसे आप समान्य भाषा में तिनका कह सकते हैं, लेकिन 7 फीट का तिनका तो ठोका कहना ही उपयुक्त रहेगा। इसका उपयोग चारे के लिए किया जाता है। जब तक बाजरा का पौधा हरा होता है तब तक यह डंठल भी हरा रहता और इस पर लंबे हरे पत्ते लगे होते हैं। सामन्यतः बाजरे के पत्ते 18-20 इंच लंबे और 2-3 इंच चौड़े होते हैं। जब बाजरा सूखने लगता है तो यह सफेद होने लगता है।
बाजरा का पौधा लंबा होने के साथ ही काफी बड़ा होता है। इस पौधे से कई शाखाएं निकलती है। कई शाखा निकलने से इसे 'बूंटा' कहा जाता है। एक पौधे में समान्य रूप से 8-10 डंठल होते हैं, जिसके कारण इस पर इतनी ही बालियां आती है। बाजरा की बाली को 'सिट्टा' कहा जाता है। बाजरे का सिट्टा 14-18 इंच लंबा होता है। इसी सिट्टा से भूसी को अलग कर बाजरा निकाला जाता है। बाजरा की फसल के पकने की अवधि 2 महीने की होती है। अगर इसे दो महीने आवश्यकता का पानी मिल जाए तो उन्नत उपज हो सकती है।
बाजरा में पोषक तत्व -
बाजरा में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। बाजरा मे गेंहूं और मक्का के मुकाबले में अधिक कैलोरी होती है। इसी कारण से कई लोग बाजरा को भारी अनाज भी कहते हैं। बाजरा उच्च कोटि का खाद्य प्रदार्थ होने के कारण इसमे पाए जाने वाले पोषक तत्व है, जो निम्नलिखित है -
- प्रोटीन
- कैल्शियम
- अमीनो एसिड
- विटामिन ए
- विटामिन बी
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- पोटैशियम
- एंटीऑक्सीडेंट
- फोलेट
- नियासिन
- आयरन
लगभग 25 ग्राम बाजरे में निम्नानुसार पोषक तत्वों की मात्रा पाई जाती है ह
- कैलोरी - 189 kl
- प्रोटीन - 5 gm
- वसा - 02 gm
- कार्बोहाइड्रेट - 36 gm
- फाइबर - 4.5 gm
- चीनी - >1 gm
- सोडियम - 2.5 mg
बाजरे में पाए जाने सभी पोषक तत्व और इनकी मात्रा गुणवत्ता के अनुसार कम अधिक हो सकती है। ऐसे में आप इसे आदर्श गुणवत्ता के बाजरे के पोषक तत्व कह सकते हैं।
बाजरा की खेती -
बाजरा की खेती करने का उपयुक्त समय खरीफ का मौसम होता है। बाजरा की खेती उच्च तापमान वाली फसल है, इसके लिए जल की आवश्यकता भी कम होती है। ऐसे में कम बरसात वाले इलाक़ों में मॉनसून के समय बाजरा की खेती की जाती है। बाजरा की खेती के लिए 15 जून से 15 जुलाई के मध्य बुआई किया जाना उपयुक्त होता है। इस समय तापमान उच्च बना रहता है जिससे फसल/पौधे आसानी से पनप जाते हैं। बाजरा की बुआई किए जाने के चार दिन बाद इसका बीज अंकुरित हो पौधा निकल आता है।
बाजरा की फसल में उगने वाले खर-पतवार की सफाई 20-25 दिन बाद शुरू हो जाती है। एक महीने के बाद बाजरा के पौधे से कई कलियां निकल आती हैं और पौधे का बूंटा बनने लगता है। अगले 15 दिन मे ये यह तेजी से बढ़ने लगता है और बरसात अच्छी होने पर बाली भी निकल आती हैं। 2 महीने के पाश्चात् बाली में दाने लगने शुरु हो जाते हैं। फसल के पूरी तरह से पक जाने पर पौधा सूखने लगता और पौधे का हरा रंग सफेद होने लगता है।
बाजरे का उत्पादन अधिक हो इसके लिए गोबर की खाद ही सबसे उत्तम होती है। कई बार बाजरे के पौधे को कोई बीमारी लग जाती है। बाजरा मे सामन्यतः पत्तियों का पीला पड़ जाना और बाली में दाने नहीं लगने की बीमारी ही होती है। इसके लिए बाजार में दवा उपलब्ध होती है। जिसके छिड़काव से इसका बचाव सम्भव है।
बाजरा की रोटी -
बाजरा एक खाद्य फसल है, इसके दाना यानी बाजरा के कई व्यंजन बनते हैं। जैसे गेंहू से रोटी बनती हैं, ठीक वैसे ही बाजरा की भी रोटी बनती है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और आंध्रप्रदेश समेत देश के जिस हिस्से में बाजरा की पैदावार होती है, वहाँ के लोग बाजरा की रोटी खाते हैं। बाजरा में अनेकों गुण होने के कारण वर्तमान में इसके कई उपयोग बढ़े हैं। वीसी वर्तमान समय में चॉकलेट से भुजिया तक में उपयोग किया जाने लगा है। किंतु आज भी बाजरा का सर्वाधिक उपयोग रोटी बनाने के लिए ही होता है।
बाजरा की रोटी गोल और गेंहूं की रोटी के मुकाबले में थोड़ी बड़ी होती है। बाजरा के आटे की रोटी बनाने के लिए बेलन और चकले की आवश्यकता नहीं होती है। बाजरा की रोटी हाथ से ही बनाई जाती है। गुड़ और घी में चूर कर खाने से बड़ी स्वादिष्ट लगती है। राजस्थान में बाजरा की रोटी को लेकर कहावत है -
बेटी म्हारै बाप री, आ ज़मीन है राज री।जीणी खाऊँ बाजरी, ऊणी बजाऊ हाजरी।।
इसका अर्थ है कि एक महिला से किसी ने पूछा क्या नाम है और क्या करती हो? उस महिला ने तत्परता से जबाब दिया मैं मेरे बाप यानी पिता की बेटी हूं, जहां खड़ी हूं यह जमीन राज यानी सरकार की हैं। जिसकी बाजरी खाती हूँ अर्थात् जो मुझे रोजगार देता है, उसकी सेवा करती हूँ। यह हिंदी की उस कहावत के समान ही है जिसमें कोई पूछता है कि कितना कमा लेते हो? तो उत्तर दिया जाता है, बस दाल रोटी वाला हो जाता है। वैसे ही यहां भी कहावत है कि बस को बाजरे का प्रबंध कर दे, उसकी सेवा कर सकते हैं। जिसे आप कह सकते हैं, पापी पेट के लिए काम करना पड़ता है। वैसे ही राजस्थान में कहावत है जब मजदूरी पर जाएंगे तब बाजरे की बोरी घर आएगी।
यह सब कहावत आपको इसलिए बता रहे हैं जिससे आप यह समझ सके कि जिस प्रदेश में बाजरा का उत्पादन होता है। वहाँ बाजरे की कितनी महिमा हैं? राजस्थान प्रदेश के लोग बाजरे को ही सबसे उत्तम खाद्य मानते हैं क्योंकि यहाँ होने वाली सब्जियां और वातावरण से बाजरा सबसे उत्तम खाद्य माना जाता है।
बाजरा की रोटी के फायदे -
बाजरा मोटा अनाज है। इसे पीसकर आटा से रोटी बनाई जाती है। बाजरा की रोटी बनाने के लिए आटा को छानकर उतना आटा गीला किया जाता है, जिससे एक रोटी बन सके। आटा को गीला कर इसे थोड़ा सा ओस कर हाथ की थाप से गोल रोटी बना तवे पर सेका जाता है। बाजरा की रोटी खाने में गेंहू की रोटी के मुकाबले में मुलायम होती है तथा ज्यादा सेंकने पर कुरकुरे की तरह कुरकुरी हो जाती है। इसे दही के साथ खाने का मजा ही अलग है। खैर हम इसके फायदे की बात कर रहे हैं, इसलिए इसके फायदे जान लीजिए -
- मधुमेह को नियंत्रित करना - बाजरे में भरपूर मात्रा में फायबर पाया जाता है। इसमे गैर-स्टार्ची पॉलीसेकेराइड पाया जाता है। इनके अतिरिक्त यह कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाला खाद्य अनाज है, जिसमें शर्करा की मात्रा नाममात्र की होती है। इसके उच्च कैलोरी वाले गुण इसमे पाए जाने वाले ऐसे कार्बोहाइड्रेट की वज़ह से है, जिनका पाचन सम्भव नहीं होता है। पाचन नहीं होने से शर्करा का स्त्रोत नहीं रहता। ऐसे में यह खासतौर से मधुमेह 2 के नियंत्रण में सहायता करता हैं।
- हृदय के लिए लाभदायक - बाजरा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो हृदय को मजबूत बनाता है। इसके अतिरिक्त बाजरा में पाए जाने वाले फायबर अधिक घुलनशील होते हैं जो वसा को कम करते हैं और कोलेस्ट्राल की मात्रा को नियमित करने में सहायता करते हैं, जिसके कारण हृदय मजबूत होता है।
- पाचनतंत्र में सुधार - बाजरा में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फायबर पाए जाते हैं। साथ ही प्रोटीन की उपयुक्त मात्रा के कारण इसका पाचन आसान हो जाता है, जिससे व्यक्ति के पाचन तंत्र को मजबूती प्राप्त होती है।
- स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण - बाजरा में पाया जाने वाला फोलेट और विटामिन बी शरीर में नई रक्त कणिकाओ का निर्माण करता हैं।
- ब्लड प्रेशर नियमित करना - बाजरे में कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने की शक्ति होती हैं। इसके साथ ही हृदय की गति को नियंत्रित करने वाले गुणों के कारण इसके नियमित सेवन किए जाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है।
- इम्यूनीटी बढ़ाना - बाजरा में एंटी ऑक्सीडेंट की उपस्थिति होती है, जो मानव शरीर की इम्यूनीटी को बूस्ट करता हैं।
- कैंसर को रोकना - बाजरे में पाए जाने वाले फायबर कैंसर को उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के निर्माण को नियंत्रित करती हैं। इसके सेवन से खासतौर से कोलन और स्तन कैंसर नहीं होता है।
बाजरे के सेवन से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे शरीर को मजबूती प्राप्त होती है। बाजरा ठंड के मौसम में शरीर को गर्मी देने वाला होता है, इसकी तासीर गर्म होती है। इसी कारण सर्दियों के मौसम में बाजरा की मांग बढ़ जाती है।
बाजरा के सेवन से नुकसान -
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। बाजरे में कई गुण पाए जाते हैं, जो मानव के लिए लाभदायक होते हैं। ठीक इसी तरह बाजरे के सेवन से कुछ नुकसान नहीं सम्भव है। इसलिए कई बार आयुर्वेदिक चिकित्सक बाजरे के सेवन से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए इसका सेवन ना करने की सलाह देते हैं। ऐसे कुछ नुकसान निम्न है -
- गैस और कब्ज - बाजरा में फायबर की उपयुक्त मात्रा पायी जाती है। लेकिन बाजरा में अन्य कई अनाज के मुकाबले में अधिक कैलोरी पायी जाती है। अत्यधिक बाजरा का सेवन करने से या जिन्हें बाजरा का अनुभव नहीं होता है, वो जब इसका सेवन करते हैं तो गैस की समस्या हो जाती है। इससे पेट का फूलना और दस्त की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।
- थायरॉइड - बाजरा में पाए जाने वाले तत्व आयोडीन को सोखते है, जिससे शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है। ऐसे में बाजरा का अत्यधिक सेवन करने से गले में दर्द या घोंघा रोग हो सकता है, जिसे आप थायरॉइड के नाम से जानते हैं।
- एलर्जी - कुछ लोगों को कुछ खाद्य प्रदार्थो से भी एलर्जी होती है। ऐसे में बाजरा के सेवन से भी एलर्जी हो सकती है। जिसके कारण खांसी, बुखार या लाल चकते हो जाते हैं।
हालांकि आप कह सकते हैं कि बाजरा से नुकसान किसी-किसी को ही हो सकता है। इसके नुकसान के मुकाबले में फायदे अधिक है, इसी कारण राजस्थान में सर्वाधिक रुप से बाजरा का सेवन होता है।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - बाजरा को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
उत्तर - बाजरा को अंग्रेजी में 'Millet' कहा जाता है।
प्रश्न - बाजरा की रोटी का सेवन कब करना चाहिए?
उत्तर - बाजरा की रोटी का सेवन सर्दी के मौसम में किया जाना उपयुक्त होता है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।
प्रश्न - किन लोगों को बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए?
उत्तर - बाजरे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका सेवन नुकसानदेह नहीं है लेकिन कुछ लोगों के लिए बाजरे का सेवन वर्जित है। जिन्हें पाचन सम्बन्धित समस्या है, थायरॉइड है या बाजरा से एलर्जी है, उन्हें बाजरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रश्न - बाजरा की रोटी किसके साथ खाना चाहिए?
उत्तर - राजस्थान में एक कहावत है कि बाजरा की रोटी, सांगरी का साग, बिलोना की छाछ वाह क्या ठाठ। लेकिन सर्दी के मौसम में सांगरी नहीं मिलती है, ऐसे में आप गुड़ और घी में चूर कर खा सकते हैं। अगर यह भी नहीं मिल रहा है तो किसी भी सब्जी में तराई की मात्रा को बढ़ाकर या दही के साथ खा सकते हैं।
प्रश्न - क्या बाजरा का नियमित सेवन किया जा सकता है?
उत्तर - हाँ, क्यों नहीं? राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बाजरे की रोटी का नियमित सेवन किया जाता है। लेकिन ध्यान रखे कि आपको गैस की समस्या नहीं है और गर्मी के मौसम में अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
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