पिछले दो तीन दिन से एक मोबाइल फोन में दो सिम कार्ड उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के बीच हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल भारतीय मीडिया द्वारा फैलाई गई जुर्माने की अफवाह ने डुअल सिम मोबाइल का उपयोग करने वाले मोबाइल उपभोक्ताओं की सांसे रोक दी।
पहले से ही उपभोक्ता इस बात से नाराज है कि आने वाले कुछ वक़्त में मोबाइल कंपनियां टैरीफ चार्ज बढ़ाने वाली है और कॉलिंग महंगी होने वाली है, इसी बीच खबर आई कि आने वाले समय में डुअल सिम उपयोगकर्ताओं पर सरकार जुर्माना लगाने जा रही है।
कहाँ से शुरु हुई यह अफवाह -
लगभग सभी अखबार और टीवी चैनल पर डुअल सिम उपयोगकर्ताओं पर जुर्माना लगाए जाने की खबर छापी गई। जो एक अफवाह थी। इस अफवाह की शुरुआत इकनॉमिक टाइम्स में छपे एक लेख के बाद से शुरु हुई। इकनॉमिक टाइम्स ने लिखा "सरकार और ट्राई (Telephone Regulatory Authority of India) एक फोन में दो सिम कार्ड का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर जुर्माना लगाने की योजना बना रही है। आगे रिपोर्ट में बताता गया कि भारतीय दूरसंचार नियामक अधिकरण (ट्राई) ने इस योजना पर एक प्रस्ताव तैयार कर रही है। नियामक चाहता है कि नंबरों के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस तरह का फैसला लिया जाना जरूरी है।
इसके बाद खबरों की मानो बाढ़ ही आ गई। प्रमुख समाचार पत्रों के साथ टीवी चैनल भी बिना किसी प्रकार की जानकारी को जुटाए ऐसी खबरों का प्रसारण करने लगे। कई समाचार पत्रों और टीवी चैनल ने इकनॉमिक टाइम्स में छापे गए आलेख का हवाला दिया तो कई ने इसे नियामक का फैसला बताकर खबर प्रसारित की। राजस्थान पत्रिका ने भी इसे नियामक का फैसला बता खबर प्रसारित की। ऐसे ही कई टीवी चैनल ने बिना सत्यता की जांच के ट्वीट किए जो कई चैनल ने तो बाद में डिलीट भी कर दिए।
किस आधार पर इकनॉमिक टाइम्स ने यह लेख लिखा -
इकनॉमिक टाइम्स ने ट्राई द्वारा 6 जून, 2024 को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति को तोड़-मरोड़ कर इस तरह की अफवाह को हवा दी। इकनॉमिक टाइम्स द्वारा लिखा गया आलेख कोई कयास या हवाले पर आधारित नहीं था, यह आलेख पूरी तरह से अफवाह था। ट्राई द्वारा 6 जून की प्रेस विज्ञप्ति को सात जून को ट्वीट कर सामने रखा, जिसमें प्रेस विज्ञप्ति भी सम्मिलित थी, इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं।
प्रेस विज्ञप्ति संख्या 27/2024 - राष्ट्रीय नंबरिंग योजना के संशोधन पर परामर्श पत्र के संबंध में ।
— TRAI (@TRAI) June 7, 2024
Press Release No. 27/2024 regarding Consultation Paper on Revision of National Numbering Plan.https://t.co/AQC11neBSr
ट्राई द्वारा अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बटाया था कि मोबाइल नंबर के साथ लैंडलाइन की नीति 21 साल पहले बनी, जिसमें अब बदलाव आवश्यक है। इसके साथ ही कुछ अन्य बिंदु भी इसमे उल्लिखित थे, जो निम्न है -
- भारत में 5G नेटवर्क के साथ ही टेलीफोन सेवा में विस्तार हुआ है। दूरसंचार पहचानकर्ता (नम्बर) उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं।
- राष्ट्रीय नंबरिंग योजना नंबर की कमी ना हो, यह सुनिश्चित करती हैं।
- 21 वर्ष पूर्व जितने (750 मिलियन) नंबर की अपेक्षा की गई, उसके मुकाबले में नंबर आबंटन अधिक (1199.28 मिलियन हुआ है।
- वर्तमान में ट्राई नंबरिंग योजना पर सिफारिश की मांग करता हैं।
- नम्बर आवंटन को प्रभावित करने वाले कारकों का आंकलन।
इस विज्ञप्ति को आप स्वयं देख सकते हैं, ट्राई द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति नीचे दे रखी है जिसे आप चित्र में देख सकते हैं।
उपर्युक्त विज्ञप्ति के हवाले से इकनॉमिक टाइम्स ने एक सनसनी खबर लिख डाली, जिसमें पेनल्टी या मौद्रिक लेनदेन तक की बात भी नहीं हुई।
कैसे पता चला अफवाह हैं?
जब यह खबर भारतीय मीडिया मे हर तरफ से आने लगी और लोग सोशल मीडिया साईट्स पर सरकार के निर्णय की आलोचना करने लगे तब ट्राई ने ट्वीट कर इसे निराधार बताया ट्राई के ट्वीट को आप देख सकते हैं।
ट्राई द्वारा किए गए ट्वीट में लिखा गया कि "यह अटकलें हैं कि ट्राई एक से अधिक सिम कार्ड रखने वालों पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है, यह स्पष्ट रुप से गलत है। ऐसे दावे निराधार है और जनता को गुमराह करने का कार्य करते हैं।"The speculation that TRAI intends to impose charges on customers for holding multiple SIMs/ numbering resources is unequivocally false. Such claims are unfounded and serve only to mislead the public.
— TRAI (@TRAI) June 14, 2024
ट्राई ने अपने ट्वीट में स्पष्ट किया कि दो सिम कार्ड रखने वाले ग्राहको पर किसी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया जाना हैं। इतना ही नहीं झूठा दावा करने वाले मीडिया के दावों को निराधार बताते हुए गुमराह करने का प्रयास तक कह दिया।
ट्राई का गुस्सा जायज है, मीडिया द्वारा फैलाया गया ऐसा भ्रम समाज और लोगों में सरकार और सरकारी एजेंसी के प्रति रोस पैदा करता है। मीडिया द्वारा बिना किसी सबूत के किसी सरकारी एजेंसी का नाम लिखकर ऐसा दावा किया जाना उसके गैर-जिम्मेदाराना रवैये और समाज को गुमराह करने के प्रयास में आता है।
भारतीय मीडिया की भेड़चाल -
एक अखबार द्वारा गलत आलेख लिखे जाने के बाद लगभग सभी समाचार पत्रों और टीवी चैनल ने ऐसी ही ख़बरों की बहार ला दी। किसी भी समाचार पत्र या टीवी चैनल द्वारा इसकी सत्यता को जांचने का प्रयास तक नहीं किया गया। टीआरपी के दौर में पूरा मीडिया या तो अफवाह का हिस्सा बना या मौन रहकर इसे देखता रहा। मीडिया द्वारा इसकी सच्चाई और स्त्रोत पर किसी प्रकार का सवाल नहीं उठाया।
मीडिया द्वारा ऐसी खबर पर पड़ताल नहीं किए जाना और सनसनी का हिस्सा बनना दुखदायी है। बिना पड़ताल किए ही अफवाह को तूल दे दिया गया। मीडिया के इस तरह के व्यावहार से मीडिया द्वारा दिए जाने वाले समाचारों और स्त्रोत पर संदेह उत्पन्न होता है। यह संदेह इसलिए अधिक गहरा हो जाता है क्योंकि इस तरह की खबर को यूं छाप देना और दूसरों द्वारा इसे सत्य की तरह प्रकट करना। अगर ऐसी खबर में कयास या संभावना तक व्यक्त ना करते हुए पूरी तरह से तोड़ मोड़ देना दुखदायी है।
मीडिया भारतीय 'सूचना प्रौद्योगिकी और प्रसारण मंत्रालय' के दिशानिर्देश के अनुसार पंजीयन करा लोगों को सूचना देने का काम करता हैं, अगर मीडिया सूचना देने में विफल है तो इसका अर्थ है वो काम नहीं कर रहा है। अगर मीडिया भ्रम फैलाने और भेड़चाल से काम कर रहा है तो इसका अर्थ है कि मीडिया किसी प्रकार के काम को करना ही नहीं चाहता।
जब इस तरह की अफवाह बाजार में आई तो भारतीय मीडिया ने साहस कर ट्राई की वेबसाइट और ट्राई के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट तक को देखे बिना भेड़चाल का हिस्सा बन खबरे लिखना शुरु कर दी। इसके बाद जब ट्राई की तरफ से इस मुद्दे पर सफाई दी गई तो कई मीडिया हाउस से ऑनलाइन खबरों और ट्वीट को डिलीट करने में ही भलाई समझी। किसी भी मीडिया हाउस द्वारा अपने से फैलाए गए भ्रम पर माफी नहीं मांगी। मीडिया का ऐसा रवैय्या मीडिया की छवि को बट्टा लगाने के साथ ही उसके गैर-जिम्मेदाराना रवैये और अपनी जिम्मेदारी से भागने के स्पष्ट सबूत देता है।
क्या एक मोबाइल फोन में दो सिम कार्ड रखने वालों पर सरकार जुर्माना लगाने जा रही है?
भारतीय मीडिया द्वारा इस प्रकार का दावा किया गया। मीडिया द्वारा किए गए ऐसे दावे में लिखा गया कि ट्राई अब डुअल-सीएम सिम कार्ड ग्राहको से जुर्माना वसूल करेगी। लेकिन ट्राई ने ऐसे किसी दावे को ना सिर्फ गलत बताया ब्लकि इसे गुमराह करने का प्रयास भी बताया। ट्राई द्वारा दी गई सफाई से स्पष्ट है कि सरकार और ट्राई एक मोबाइल में दो सिम कार्ड उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर किसी भी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाना चाहती है। मीडिया द्वारा किया गया दावा 100% गलत हैं।
मीडिया द्वारा फैलाए जाने वाले भ्रम से खुद को कैसे बचाया जा सकता है?
मीडिया सूचना प्रौद्योगिकी और प्रसारण मंत्रालय के दिशानिर्देशों पर काम करता हैं लेकिन यह कई बार सही सूचना देने में ना सिर्फ विफल रहा बल्कि भ्रम भी फैलाने का भागीदार भी बना। कई बार मीडिया ने पुरानी और दूसरे देशों की तस्वीरों को भारतीय तस्वीरे बता भ्रम जाल को मजबूत किया। ऐसे में यह स्पष्ट है कि मीडिया द्वारा किए जाने वाले दावे 100% झूठ भी हो सकते हैं। ऐसे में मीडिया के दावों की सत्यता को जांचने के लिए खासतौर से सरकारी एजेंसी के प्रति दावा है तो आपको उस एजेंसी की वेबसाइट को देखना चाहिए और सत्यता का पता करना चाहिए।
कैसे पता चल सकता है कि यह खबर गलत है?
किसी खबर के सही या गलत होने का पता तब चल सकता है जब आप मीडिया द्वारा किए गए दावे की सत्यता की जांच करे। बिना सत्यता की जांच किए पता नहीं चल सकता है। मीडिया द्वारा किए दावे पर तत्काल विश्वास करने की बजाय आपको 1-2 दिन तक इंतजार करना चाहिए। अगले 1-2 दिन में कोई स्वतंत्र एजेंसी मीडिया के दावे का स्पष्टीकरण सामने रख देगी। ऐसे ही किसी एजेंसी के खिलाफ दावा किया गया है तो एजेंसी भी जरूर स्पष्टीकरण देगी।
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