एगमार्क : कृषि एंव खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता का चिन्ह। AGMARK

एगमार्क : कृषि एंव खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता का चिन्ह। AGMARK

अक्सर जब भी हम कोई खाने पीने की चीजे खरीदते हैं तो उस पर अलग-अलग निशान बने हुए देखते हैं। सभी निशान का कोई ना कोई अर्थ होता है, लेकिन हम बहुत ही कम बार ऐसे निशान पर ध्यान देते हैं। ऐसे निशान के बीच एक निशान (चिह्न) होता है, एगमार्क का।

एगमार्क : कृषि एंव खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता का चिन्ह। AGMARK

एगमार्क कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता हैं। यह चिह्न जिन खाद्य उत्पादों पर लगा हुआ होता है, उनसे उम्मीद की जाती है कि खाद्य पदार्थ निर्धारित मानकों की गुणवत्ता पर खरे उतरते हैं। यह चिन्ह दाल, खाद्य तेल, फल और सब्जियां इत्यादि पर लगाया जाता है। 

एगमार्क क्या है? 


एगमार्क दो शब्दों का एक संक्षिप्त फॉर्म है। यह दो शब्द एग्रीकल्चर (Agriculture) और मार्केटिंग (Marketing) (कृषि विपणन) के संयोजन से बना बना हुआ है। यह एक प्रमाणन चिह्न है जो भारत में उत्पादित किए गए कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित कर इस बात की गारंटी देता है कि जिन उत्पादों पर यह चिन्ह लगा हुआ है, वो सरकार और कृषि मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए गुणवत्ता के पैमाने पर खरे उतरते हैं। ऐसे में यह मात्र एक चिन्ह नहीं गुणवत्ता और उत्पाद में किसी प्रकार की हेर-फेर ना होने का सबूत हैं। 

यह खाद्य पदार्थों का विज्ञान आधारित मानकों पर खरा उतरने की प्रमाणिकता देता है। इसकी शुरुआत भारत में ब्रिटिश काल के दौरान 1937 में हो गई। जिसे समय के साथ संशोधित भी किया गया। वर्तमान में मानक कृषि उत्पाद अधिनियम, 1986 के अनुच्छेद से कार्य कर रहा है। एगमार्क के मानक खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSSAI अधिनियम 2006) पर आधारित हैं। कृषि उत्पादो का श्रेणियन कर एगमार्क कृषि उत्पादों के लिए भारत सरकार के विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा प्रदान किया जाता है।

एगमार्क की शुरुआत कैसे हुई - 


भारत में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उदेश्य से 'एगमार्क' की शुरुआत आजादी से पूर्व ही हो गई। इसकी आवश्यकता उस समय महसूस की गई जब सन्न 1935 में कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग/श्रेणीकरण और मार्किंग) अधिनियम, 1935 को पारित किया गया। अधिनियम पारित किए जाने के बाद मानक पर खरे उतरने वाले उत्पादों पर विशेष चिन्ह की आवश्यकता महसूस की गई। इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए 1937 में मूँगफली तेल के लिए पहला एगमार्क उपयोग में लिया गया। हालांकि कुछ जगह कॉटन भी लिखा हुआ मिलता है, जो खाद्य नहीं है। ऐसे में भारत में एगमार्क की शुरुआत 1937 से हुई।

समय के साथ इसमे बदलाव करते हुए कृषि उत्पाद (संशोधित) अधिनियम, 1986 लागू किया गया। वर्तमान समय में दाल, खाद्य तेल, अनाज, फल और सब्जियों के 224 उत्पादों पर उपयोग में लिया जा रहा है।

एगमार्क (AGMARK) से सम्बन्धित मुख्य बाते - 


कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा देखरेख - एगमार्क खाद्य प्रदार्थो पर कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाले विपणन एंव निरीक्षक निदेशालय द्वारा जारी किया जाता है। इसे जारी करने से पूर्व उत्पाद की गुणवत्ता की जांच की जाती है। पैमाने पर खरा उतरने के बाद मार्क लगाया जाता है। 
  • उत्पाद - वर्तमान समय में खाद्य सामग्री और उत्पादों पर उपयोग मे लिया जाता है। इस समय कुल 224 उत्पादों की गुणवत्ता को निर्धारित करने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जा रहा है। 
  • कार्यालय एंव प्रयोगशाला - एगमार्क का मुख्य कार्यालय फरीदाबाद (हरियाणा) में है। इसकी गुणवत्ता जांच की प्रयोगशाला नागपुर में है। इसके अतिरिक्त 10 अन्य नोडल प्रयोगशाला केंद्र भी है। 
  • अधिनियम - जब भारत में पहली बार एगमार्क का उपयोग किया गया तब ब्रिटिश काल था। उस समय कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग और मार्किंग) अधिनियम, 1937 लागू किया गया। समय के साथ इसे संशोधित कर कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग और मार्किंग) संशोधित अधिनियम, 1986 लागू किया गया। 
  • खाद्य सुरक्षा - अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक पर खरा उतरने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार मानक तैयार किए गए। इन अंतर्राष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर खरा उतरने वाले उत्पादों को ही एगमार्क दिया जाता है। 
  • आवेदन - जिन्हें कृषि उत्पादों के लिए एगमार्क लेना है, वो राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा बनाए गए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सभी निर्धारित प्रमाणपत्र जमा कराने होते हैं। 
खाद्य उत्पाद जिन पर एगमार्क का उपयोग किया जाता है, समय के साथ बढ़ते गए हैं। शुरुआत में महज एक उत्पाद था जो अब बढ़कर 224 हो गए हैं। आने वाले समय अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार कुछ खाद्य पदार्थों को बढ़ाया भी जा सकता है। 

एगमार्क के उदेश्य - 


एगमार्क को कुछ विशिष्ट उद्येश्यों को प्राप्त करने के लिए लागू किया गया। कुछ उदेश्य निम्नलिखित है - 
  • गुणवत्ता - एगमार्क की शुरुआत गुणवत्ता के निर्धारण के लिए की गई। आज की स्थिति में अगर किसी खाद्य वस्तु पर एगमार्क का चिन्ह है तो इसका अर्थ है कि खाद्य पदार्थों में आवश्यक गुणवत्ता हैं। 
  • मानकीकरणएगमार्क प्रदान करने से पूर्व प्रयोगशाला में उत्पाद की गुणवत्ता की जांच होती है। जांच के लिए कुछ मानक निर्धारित है। मानकों का उपयोग गुणवत्ता के लिए है। ऐसे में एगमार्क की शुरुआत से ही मानकीकरण शुरु हुआ। ताकि पता लगाया जा सके कि खाद्य पदार्थों में निर्धारित कैलोरी और अन्य तत्व है या नहीं। 
  • प्रामाणीकरण - मानकों पर किसी उत्पाद के खरा उतरने के बाद उस पर एगमार्क का चिन्ह इस बात का प्रमाण है कि वस्तु खाद्य योग्य है और उस पर लगा हुआ चिन्ह इसका प्रमाण हैं। 
  • श्रेणीयनएगमार्क सभी उत्पाद पर समान गुणवत्ता नहीं देता, क्योंकि यह ग्रेडिंग भी करता हैं। अक्सर आपने फल के मामले में देखा होगा (केटेगरी A और केटेगरी B जो आम बोलचाल में बोला जाता है) की एक ही उत्पाद की अलग अलग गुणवत्ता होती है। यह सब एगमार्क की ही देन है, जो गुणवत्ता के आधार पर श्रेणी निर्धारित करती है। 
  • गारंटीएगमार्क इस बात की गारंटी है, उत्पाद में आवश्यक गुणवत्ता है। यह ग्राहक को गारंटी देता है कि आप जो वस्तु खरीदने जा रहे हैं वो गुणवत्ता वाली वस्तु हैं 
जब भी हम बाजार में कोई वस्तु खरीदने जाते हैं तो उस पर मार्क देखते हैं कि वस्तु में गुणवत्ता है या नहीं। ऐसे में एगमार्क को लागू किए जाने का उदेश्य खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता निर्धारित किया जाना था। इससे बाजार में आने वाली खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए कदम उठाए जाने लगे। 

एगमार्क किन वस्तुओ को प्रमाणित करता हैं?


एगमार्क खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता हैं। इसमे निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को प्रामाणित किया जाता है - 
  • अनाज
  • दालें 
  • तिलहन 
  • फाइबर फसलें 
  • फल 
  • सब्जियाँ 
  • मसाले 
  • सूखे मेवे 
  • पेय पदार्थ 
  • ड्रग और नारकोटिक्स
  • वन उत्पाद 
  • लाइव स्टॉक, पोल्ट्री, मत्स्य पालन 
  • फूल 
  • तेल और वसा। 
एगमार्क उपर्युक्त सभी खाद्य पदार्थों की कई किस्मों और श्रेणियों की गुणवत्ता को निर्धारित करता हैं। 

एगमार्क के लाभ - 


एगमार्क का उपयोग किए जाने से किसानो, व्यापरियों और ग्राहको सभी को लाभ हुआ है। सरकार को भी निर्यात किए जाने भी आसानी हुई है। ऐसे मे सभी पक्षकारों के अपने-अपने लाभ है। इसके लाभ को संक्षिप्त में इस प्रकार से समझ सकते हैं - 

  1. किसानो को सब्सिडी - सरकार उच्च गुणवत्ता के बीज और खाद्य पदार्थों की खेती करने वालों को बीज से लेकर विपणन तक सब्सिडी देती है। इससे किसानो की आय में सकारात्मक प्रभाव आए हैं। साथ ही किसानो को लागत से अधिक मूल्य भी मिलने लगा है। 
  2. आसान विपणन - किसान और व्यापारी सब के लिए एगमार्क के आने से वस्तुओ का विपणन आसान हुआ है। उच्च गुणवत्ता की वस्तुओं का विपणन निम्न गुणवत्ता वाली वस्तुओं के मुकाबले में आसान है तो दूसरी तरफ निम्न गुणवत्ता वाले भी समझते हैं कि इसके मूल्य कम होंगे, जिससे विपणन आसान हुआ है। 
  3. गुणवत्ता निर्धारण - एगमार्क नहीं होता तो गुणवत्ता का निर्धारण नहीं होता। गुणवत्ता का निर्धारण एगमार्क के कारण शुरु हुआ। ऐसे में कृषि उत्पाद क्रय करने वाले ग्राहकों को इसका लाभ मिला है। साथ ही उन्हें इस बात का आश्वासन भी की उनके द्वारा खरीदी गई वस्तु की गुणवत्ता उच्च है या निम्न। 
  4. मूल्य निर्धारण - जब वस्तु की गुणवत्ता निर्धारित है तो उसका मूल्य निर्धारण आसान हो जाता है। उच्च गुणवत्ता की वस्तुओं का मूल्य अधिक तो निम्न गुणवत्ता की वस्तुओ का मूल्य निम्न होता है। ऐसे में गुणवत्ता के आधार पर मूल्य निर्धारण आसान हुआ है। 
  5. निर्यात - उच्च स्तरीय और गुणवत्ता की वस्तुओ का मूल्य निर्धारण आसान होने के साथ ही निर्यात भी आसान हुआ है। निर्यात की गुणवत्ता हमेशा उन्नत होती है, जिसे प्रयोगशाला में टेस्ट के उपरांत पहचान किया जाना और ग्राहक की मांग के अनुरुप पैकेजिंग किया जाना आसान हुआ है। 
जरा सोचिए जहाँ उत्पादों पर किसी प्रकार की मार्किंग नहीं की जाती है, वहाँ वस्तु की गुणवत्ता का पता लगाना कितना मुश्किल भरा काम होता है? जब गुणवत्ता की पहचान शुरु हो जाती है तो ग्राहक गुणवत्ता के लिए बेफिक्र होकर क्रय करता हैं। 

एगमार्क के लिए आवेदन प्रक्रिया - 


एगमार्क प्राप्त करने के लिए कोई कंपनी या फर्म सूचना केंद्र द्वारा बनाए गए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर इसे प्राप्त कर सकती हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरते समय आवेदक का नाम, पता कंपनी का नाम पंजीयन क्रमांक इत्यादि की जानकारी देनी होती है। इसके अतिरिक्त उन्हें आवश्यक दस्तावेज जमा कराने होते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए निम्न दस्तावेज की आवश्यकता होती है - 
  • कंपनी के रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट। 
  • उत्पादों की सूची जिसके लिए कंपनी मानकीकरण करना चाहती है। 
  • उत्पादों की एगमार्क की मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से परिक्षण की रिपोर्ट। 
  • अगर साझेदारी फर्म है तो साझेदारी विलेख। 
  • कंपनी अथवा फर्म का कुल उत्पाद रिपोर्ट। 
  • कम्पनी अथवा फर्म का पिछले वर्ष का टर्नओवर। 
  • उत्पादों का नमूना। 
आवेदनकर्ता को निम्नलिखित मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है, जो निम्न है - 
  • आवश्क साफ और भवन एवं गोदाम। 
  • पेकिंग के लिए आवश्यकता के संसाधन। 
  • प्रयोगशाला तक पहुंच। 
  • योग्य और अनुभवी कर्मचारी। 
  • गुणवत्ता जांच की सामग्री। 
एगमार्क का उदेश्य गुणवत्ता को बनाये रखना है, ऐसे में गुणवत्ता की रिपोर्ट प्रमुख मानी जाती है। यही कारण होता है कि अधिकांश कंपनियां बड़े शहरो में होती है, ताकि गुणवत्ता की जांच आसानी से करायी जा सके और प्रमाण पत्र लिया जा सके।

एगमार्क (AGMARK) और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) मे अन्तर - 


एगमार्क का सम्बंध कृषि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से है तो खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का सम्बन्ध खाद्य सुरक्षा को बनाये रखने से है, जो उत्पाद को खाद्य योग्य बनाये रखने का लाइसेंस देती है। दोनों के संक्षिप्त अन्तर निम्न है - 

आधार  एगमार्क  एफएसएसएआई
मानदंड  एगमार्क प्रमाणपत्र  एफएसएसएआई पंजीकरण 
नियामक  कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन विपणन एंव निरीक्षण निदेशालय  भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण 
पक्षकार  कृषि उत्पादों का निर्यात करने का लक्ष्य रखने वाले खाद्य उत्पाद निर्माता।  सभी खुदरा व्यापारी, निर्माता और वितरण करने वाले कोई भी। 
प्रमाण  प्रमाणन कराना  लाइसेंस प्राप्त करना 
क्षेत्र  गुणवत्ता मानकों का अनुपालन  खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और गुणवत्ता निर्धारण 
वैधता  एक बैच या खेप  1 से पांच वर्ष तक। 
दायरा  मुख्य रूप से कृषि और खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता का निर्धारण।  खाद्य सुरक्षा मानकों, गुणवत्ता और विनियमन सुनिश्चित किया जाना। 


अन्य प्रश्न - 


प्रश्न - एगमार्क (AGMARK) का फुल फॉर्म क्या होता है?

उत्तर - एगमार्क दो शब्दों का संयोजन है, AG + MARK जिसका फुल फॉर्म है Agriculture Marketing यानी कृषि विपणन।

प्रश्न - एगमार्क क्या होता है?

उत्तर - एगमार्क कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को निधारित करने जा बैंचमार्क हैं, जो कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता हैं।यह Agriculture और Marketing दो शब्दों का संक्षिप्त फॉर्म है।

प्रश्न - एगमार्क किन वस्तुओं के लिए प्रामाणिक चिन्ह है।

उत्तर - एगमार्क अनाज, दालें, तिलहन, फाइबर फसलें, फल, सब्जियाँ, मसाले, सूखे मेवे, पेय पदार्थ, ड्रग और नारकोटिक्स, वन उत्पाद, लाइव स्टॉक, पोल्ट्री, मत्स्य पालन, फूल, तेल और वसा आदि उत्पादों की गुणवत्ता को निर्धारित करने के लिए उपयोग में लिया जाता है।

प्रश्न - एगमार्क की शुरुआत कब हुई?

उत्तर - भारत में पहली बार एगमार्क का उपयोग सन्न 1937 में किया गया।

प्रश्न - एगमार्क का संबंध किससे हैं?

उत्तर - एगमार्क का सम्बंध कृषि एवं खाद्य पदार्थों से हैं। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ