मानव ने इस पृथ्वी पर कई आविष्कार किए हैं। जब से धरती बनी है और मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई है, तब से आज तक मनुष्य नित नए आविष्कार करने में व्यस्त हैं। मनुष्य द्वारा आविष्कार किए जाने का एकमात्र उदेश्य जीवन को सुगम बनाना था और आज भी इसी उदेश्य से उसके द्वारा नए आविष्कार किए जा रहे हैं।
मनुष्य द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में किए गए सभी आविष्कार एक से बढ़कर एक थे। सभी क्षेत्रों में मनुष्य द्वारा किए गए आविष्कारों ने मानव जीवन की राह आसान की। अगर परिवहन के क्षेत्र में मनुष्य द्वारा किए गए सर्वश्रेष्ठ आविष्कार की बात की जाए तो यह आविष्कार पहिया था। पहिये के बाद साईकिल के आविष्कार के साथ राह खुली आज के परिवहन के साधनो की।
साईकिल क्या होती है?
साईकिल मनुष्य द्वारा बनाया गया ऐसा वाहन है, जिस पर मनुष्य सवार हो पैडल घुमाकर चलाता है। साईकिल मानव-चालित एकल ट्रेक वाहन है। इसके दो पहिये होते हैं जो एक ही फ्रेम से जुड़े हुए होते हैं। फ्रेम के दोनों किनारों पर टायर लगे हुए होते हैं तथा बीच में पैडल होते हैं। पैडल से के साथ एक धुरी होती है जिस पर लोहे की चैन पिछले टायर पर लगी हुई एक छोटी सी धुरी से जुड़ी हुई होती है। साईकिल का चालन धुरी द्वारा ही नियन्त्रित होता है। साईकिल सवार जब पैर से पैडल को घुमाता है, तब पैडल के साथ धुरी भी घूमती है। धुरी के घुर्णन पर उस पर लगी हुई लोहे की चैन घूमने लगती है, जो पिछले टायर को आगे की तरफ बढ़ा देती है, जिससे साईकिल चलने लगती है। ऐसे में साईकिल कि गति सवार द्वारा प्रति मिनट किए जाने वाले पैडल के घूर्णन पर निर्भर करती हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए हैंडल होता है, जिससे इसकी दिशा का परिवर्तन किया जा सकता है और रोकने के लिए ब्रेक होते हैं। ब्रेक का नियंत्रण हैंडल में ही होता है।
साईकिल बिना ईंधन के चलने वाला ऐसा वाहन है, जिसके दोनों टायर एक ही ट्रैक पर चलते हैं। साईकिल की गति सवार द्वारा पैडल घुमाने के लिए लगाए जाने वाले बल पर निर्भर करती है। साईकिल के दोनों पहिये फ्रेम से जुड़े हुए होने से दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा शून्य बना रहता है। आजकल साईकिल को अधिक गति से चलाया जा सके इसके लिए हल्के और पतले टायर उपयोग में लिए जाने लगे हैं। वर्तमान में साईकिल वाहन होने के साथ व्यायाम का साधन और खेल बन गया है। व्यक्ति द्वारा साईकिल चलाने के लिए शारीरिक बल उपयोग में लिया जाता है, जिससे साईकिल चलाने से अच्छी कसरत हो जाती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो साईकिल ऐसा वाहन है जो व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने वाले बल से आगे बढ़ता है।
साईकिल का आविष्कार -
साईकिल का आविष्कार 19 वी सदी के शुरुआत में यूरोप में हुआ। साईकिल का आविष्कार जर्मन मूल के बैरन कार्ल वॉन ड्रैस द्वारा किया गया। उनके द्वारा बनाई गई साईकिल में हैंडल और पैडल नहीं थे। यह एक साईकिल के साथ ही ट्रॉली के समान थी। यह दो टायर एक लकड़ी से आपस में जुड़े हुए थे। सवार लकड़ी पर बैठकर अगले टायर को पुश करता था जिससे साईकिल आगे बढ़ती थी। यह साईकिल की दुनिया में पहला मॉडल होने के साथ वाहन के लिए भी पहला मॉडल था।
इसके बाद धीरे-धीरे साईकिल का विकास हुआ। आधुनिक साईकिल 19 वीं सदी के अंत में आई। आधुनिक साईकिल के आने के बाद बग्घी और अन्य सवारी गाड़ियों में कमी आई।
जब आधुनिक साईकिल बाजार में आई तब साईकिल को शान की सवारी माना जाता था। उस समय समाज के रईस लोगों द्बारा साईकिल का उपयोग किया जाता था। खासतौर से सरकारी कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी साईकिल से सरकारी कार्यालय पहुंचते थे। सुबह सड़कों पर साइकिलों का हुजूम उमड़ आता था। पिछले कुछ वर्षो में साईकिल का उपयोग नाममात्र का रह गया है। अब शहरो को छोड़ों, गांवो में भी कुछ सेवानिवृत्त कर्मचारी ही साईकिल को उपयोग में लेते देखे जा सकते हैं। ऐसे में वर्तमान में साईकिल का उपयोग घट रहा है। सरकार आज भी कर्मचारियों को साईकिल भत्ता तो देती है लेकिन साईकिल के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करने में विफल है। उसी का परिणाम है साईकिल का उपयोग दिनोदिन कम होते जाना।
भारत में उपलब्ध साईकिल के प्रकार -
आधुनिक समय में साईकिल महज वाहन मात्र नहीं है। वर्तमान में साईकिल के कई उपयोग हैं। ऐसे में उपयोग के अनुसार साईकिल के प्रकार मे बदलाव आए हैं। उपयोग के अनुसार ही इनकी कीमत भी तय होती है। उपयोग के अतिरिक्त ग्राहक विभेद के उदेश्य को ध्यान में रखते हुए साईकिल बनाने वाली कंपनियां साईकिल का उत्पादन कर रही है। आइए जानते हैं, साईकिल के कुछ महत्वपूर्ण प्रकार, जो निम्न हैं -
- रोड साईकिल/सिटी साईकिल - यह हल्की साईकिल होती है। ऐसी साईकिल का हैंडल मुड़ा हुआ होता है। इनके टायर पतले होते हैं तथा पैडल भी हल्के होते हैं। ऐसी साईकिल अक्सर रेसिंग में काम ली जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की रेस के लिए अलग साईकिल होती है। ऐसी साईकिल गड्ढे वाली सड़क पर उपयोग में नहीं ली जा सकती है। इनका अधिकतर उपयोग शहरो में होने के कारण ही इसे सिटी साईकिल कहा जाता है।
- पहाड़ी साईकिल - ऐसी साईकिल पहाड़ी इलाक़ों में उपयोग की जाती है। उबड़-खाबड़ सड़क होने के कारण टायर मोटे होते हैं और हैंडल सीधा होता है। यह साईकिल रोड साईकिल के मुकाबले मजबूत होने से भरी भी होती है। ऐसी साईकिल के आगे शॉकर लगे हुए होते हैं, जो ऊबड़-खाबड़ सड़क पर यात्रा को सुगम बनाते हैं।
- व्यायाम साईकिल - ऐसी साईकिल का उपयोग आने जाने की बजाय महज व्यायाम करने के लिए किया जाता है। इन्हें घरों या पार्क में एक जगह रख दिया जाता है, व्यक्ति उस पर सवार हो पैडल चलाता है, जिससे शरीर का व्यायाम हो जाता है।
- फोल्डिंग साईकिल - ऐसी साईकिल का उपयोग उन लोगों के लिए बेहतर होता है जिन्हें साईकिल को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना होता है अथवा बिल्डिंग में ऊपर ले जाना होता है। जैसा आप नाम से समझ ही गए हैं, इसे फ़ोल्ड किया जा सकता है, इसके कारण इसका नाम फोल्डिंग है।
उपर्युक्त चारो साईकिल के महत्वपूर्ण प्रकार है। यह सभी साइकिलों में तथ्यात्मक और विशेष अन्तर को स्पष्ट हैं। साईकिलो को उनके उपयोग और विशेषताओं के आधार पर एक दूसरे से अलग करते है। इन चार अन्तर के अतिरिक्त साइकिल के कई छोटे-मोटे और भी प्रकार है, जो साइकिल निर्माता कंपनियों द्वारा किए गए हैं। ऐसे कुछ प्रकार निम्न हैं -
- बच्चों की साईकिल - ये छोटे साइज कि साइकिल होते हैं।
- इलेक्ट्रिक - बैटरी के उपयोग से चलती है।
- हाईब्रिड - सिटी और पहाड़ी का मिक्स वर्जन।
- गियर - साईकिल में गियर का उपयोग, स्पीड के लिए।
- कार्गो - माल लाने ले जाने के लिए कैरियर का होना।
उपर्युक्त सभी प्रकार उपयोग के आधार पर है। ये साईकिल के मौलिक स्वरुप में कोई खास परिवर्तन किए बिना सुविधा के लिए कंपनियां विभेद कर देती है।
साईकिल का मूल्य -
साईकिल खरीदने के इच्छुक लोग साईकिल का मूल्य जानने के लिए हमेशा से बेताब रहते हैं। सभी साईकिल कंपनी के द्वारा अपनी साईकिल का मूल्य अन्य कंपनियों से अलग रखा जाता है। सभी कंपनी का मूल्य समान नहीं होता है, लेकिन कुछ समानता जरूर होती है ऐसे में हम प्रकार के अनुसार कुछ साईकिल का मूल्य जरूर बता देते हैं, जिसके आधार पर आपको एक अनुमान हो सकता है। साथ ही हम आपको सही मूल्य जानने के लिए विभिन्न कम्पनी की वेबसाइट को विजिट करने की सलाह देते हैं। तो आइये जानते हैं, कुछ साईकिल का आदर्श मूल्य -
प्रकार | हीरो | हरक्यूल्स | एटल्स |
---|---|---|---|
सिटी | 5500 | 5500 | 6500 |
पहाड़ी | 7300 | 7600 | - |
फोल्डिंग | 13300 | 11600 | - |
बच्चे (7 वर्ष) | 4600 | 4500 | 3500 |
इलेक्ट्रिक | 19400 | 27000 |
20000 |
गियर | 7400 | 9000 | 11000 |
हाइब्रिड | 5500 | 8000 | 7000 |
हमारे द्वारा दिया गया मूल्य मॉडल की उपलब्धता के आधार पर है, मॉडल घटायें बढ़ाए जाने के साथ मूल्य परिवर्तन सम्भव है। ऐसे में आप साइकिल कंपनी की वेबसाईट पर एक बार मूल्य की जांच अवश्य करे।
साईकिल उपयोग के फायदे -
आजकल साईकिल का उपयोग नाममात्र का हो गया है। सरकार साईकिल के उपयोग को बढावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के साथ सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को निःशुल्क वितरित करती है। सरकार का उदेश्य भी साईकिल के अधिकाधिक उपयोग को बढावा देना होता है। सरकार और व्यक्ति द्वारा आज के ज़माने में साईकिल के उपयोग को बढावा देने का कारण उनके द्वारा अपना और समाज का फायदा देखा जाना हैं। साईकिल के उपयोग से व्यक्ति विशेष और समाज को निम्नलिखित फायदे होते हैं -
- फिटनेस को बढावा - साईकिल के अधिकाधिक उपयोग किए जाने से व्यक्ति की फिटनेस बढ़ती है क्योंकि साईकिल को चलाने के लिए पैडल का घुर्णन करना होता है। शारीरिक बल के उपयोग से व्यक्ति की फिटनेस में वृद्धि होती है। वर्तमान में साईकिल का उपयोग इस उदेश्य से किए जाने के कारण कई साईकिल कंपनियां फिटनेस के उदेश्य से व्यायाम के लिए साईकिल निर्माण का कार्य कर रही है।
- जेब पर कम भार - साईकिल बिना ईंधन के मानवीय बल से चलने वाला ईंजन रहित वाहन हैं। साईकिल में ईंजन नहीं होने से ईंधन का प्रयोग नहीं होता है। ऐसे में ईंधन के खर्च की बचत होती है, जिससे साईकिल सवार के खर्च में कमी आती है। पैसे के दुरूपयोग में कमी होने से जेब खर्च में कमी अर्थात् जेब पर कम भार आता है।
- सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि - वाहन चलाने के लिए ईंधन की आवश्यकता होती है। भारत वाहनो में उपयोग लिया जाने वाला ईंधन विदेशों से आयात करता हैं, जिसके लिए सरकार को आयातक देश को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना होता है। अगर साईकिल के उपयोग को बढावा दिया जाता है तो ईंधन के आयात को कम किया जा सकता है। जब ईंधन के आयात में कमी होगी तो इसका सीधा असर सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार पर होता है। सकारात्मक प्रभाव की दशा में विदेशी मुद्रा भंडार के खर्च में कमी आएगी जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी।
- मानवीय सम्पदा का निर्माण - फिट और काम करने के योग्य मानव किसी देश के लिए संपदा होते हैं। अगर किसी देश के नागरिक फिट हैं तो इसका अर्थ है कि वो देश के लिए संपदा है। फिट व्यक्ति एक तरफ काम करने के लिए योग्य होते हैं तो दूसरी ओर इनके स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए सरकार को कम व्यय करना होता है। जब कोई कम व्यय पर अधिक उत्पादन देने में महारत हासिल हो तो उसे संपदा कहा जाता है। ऐसे ही व्यक्ति साईकिल का उपयोग कर फिटनेस को बनाये रखने में सफल होते हैं तो ऐसी मानवीय शक्ति देश के लिए संपदा बन जाती है। सरकार इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुए कई बार निःशुल्क साईकिल वितरण के कार्यक्रम आयोजित करती है, जिससे समाज को साईकिल के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- प्रदूषण में कमी - साईकिल के उपयोग से प्रदुषण में कमी होगी क्योंकि ईंधन रहित वाहन होने से ना धुआं होता है और ना ही ध्वनि। जब धुआं और ध्वनि नहीं होती है तो प्रदूषण में कमी होती है।
उपर्युक्त सभी कारणों से सरकार साईकिल के उपयोग को बढावा देना चाहती है। साईकिल के उपयोग किए जाने से फायदा सरकार और समाज दोनों को होता है। एक तरफ काम करने के लिए योग्य लोगों की संख्या में वृद्धि होने के साथ दूसरी ओर अपव्यय में कमी होती है।
साईकिल के कम होते उपयोग के कारण -
आजकल साईकिल का उपयोग नाममात्र का रह गया है। हर तरफ ईंधन से चलने वाले वाहनों का शोर हैं। कामकाजी लोगों को तो छोड़ो विद्यालय महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में अध्ययनरत युवा भी साईकिल की बजाय ईंधन से चलने वाले वाहनों को बढावा देते हैं। ऐसे में आप यह जानने के लिए इच्छुक है कि किसी दौर की शाही सवारी साईकिल आज संकट से क्यों जुझ रही है? आखिर वो क्या कारण है, जिसकी वजह से साईकिल का उपयोग नाममात्र का रह गया है? आइए जानते हैं साईकिल के घटते उपयोग के कारण, जो निम्न हैं -
- ईंधन के वाहनों का अधिक प्रसार और प्रचार - - मोटरसाइकिल कार और अन्य ईंधन के वाहन बनाने वाली कंपनियां अधिक प्रचार करती हैं। समाचार पत्रों से टीवी तक में इनके विज्ञापन भरे हुए हैं। ऐसे में विज्ञापन के चक्कर मे फंसा हुआ व्यक्ति बिना कारण के भी ऐसे वाहन खरीदने के लिए बेबस दिखाई पड़ रहा है, जो साईकिल को बढावा देने वालों के लिए सुकून भरा समाचार और संकेत नहीं है।
- स्टेट्स - ईंधन के वाहन समाज के लोगों के लिए स्टैटस बन गए हैं। आजकल साईकिल की सवारी को स्टैटस के खिलाफ माना जाता है, ऐसे में साईकिल का प्रसार और प्रचार किया जाना मुश्किल कार्य बन गया है।
- आरामदायक सवारी - साईकिल के मुकाबले में ईंधन वाहनों की सवारी आरामदायक है, किसी प्रकार के शारीरिक बल का उपयोग नहीं करना पड़ता है, ऐसे में साईकिल चलाने के लिए कौन करे शारीरिक परिश्रम? इसी के कारण आज साईकिल का उपयोग नाममात्र का रह गया है।
- गति - साईकिल के मुकाबले में ईंधन वाहन तेजी से चलते हैं, जिन लोगों को तेजी से गंतव्य स्थल पहुंचना होता है वो साईकिल की बजाय ईंधन वाहन के उपयोग को बढावा देते हैं, इसी के कारण ईंधन वाहनों के उपयोग को बढावा मिला है।
- देखादेखी - देखादेखी के चलते लोग साईकिल को खरीदने से मना करने लगे हैं। खासतौर से अध्यनरत युवा अपने मित्रों द्वारा मोटर साइकिल खरीदने के बाद मोटर साईकिल की ही जिद करने लगते हैं जो साईकिल का उपयोग बढ़ाने के प्रतिकूल है।
समाज के लोगों की सोच में जो बदलाव आया है, उसने साईकिल के उपयोग को नाममात्र का कर दिया है। अब सरकार की बजाय समाज ही अपनी इच्छाशक्ति के बल पर साईकिल के उपयोग को बढावा दे सकता है। सरकार बिना जुर्माने के साईकिल के उपयोग को बढावा नहीं दे सकती है।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - साईकिल (Bicycle) को हिन्दी में क्या कहते हैं?
उत्तर - साईकिल (Bicycle) को हिन्दी में द्विचक्र वाहिनी कहते हैं।
प्रश्न - साईकिल का जनक किसे कहा जाता है?
उत्तर - साईकिल का जनक बैरन कार्ल वॉन ड्रैस को कहा जाता है।
प्रश्न - भारत में नंबर 1 साईकिल ब्रांड कौनसा है?
उत्तर - भारत में नंबर 2 साईकिल ब्रांड हीरो हैं।
प्रश्न - सबसे सस्ती साईकिल कौनसी है?
उत्तर - सबसे सस्ती साईकिल सिटी साईकिल है।
प्रश्न - क्या ट्यूबलेस साईकिल का टायर आता है?
उत्तर - हाँ, ट्यूबलेस साईकिल का टायर आता है, जो समान्य के मुकाबले में बहुत महँगा पड़ता है, इसकी कीमत 1700 रुपये हैं।
प्रश्न - स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक दिन में कितने किलोमीटर साईकिल चलाना चाहिए?
उत्तर - स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फिटनेस के लिए एक दिन में साईकिल पांच किलोमीटर चलानी चाहिए।
प्रश्न - सरकार द्बारा फ्री साईकिल किन्हें दी जाती है?
उत्तर - सरकार विकलांग लोगों को त्रि-साईकिल और सरकारी विद्यालयों मे अध्यनरत बालिकाओं को निःशुल्क साईकिल देती है।
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