लहसून का उपयोग हर घर में होता है। हर घर में सब्जी में तड़का देने के लिए लहसून का उपयोग होता है। लहसून का उपयोग महक तड़के तक सीमित नहीं है, इसका उपयोग इसमे पाए जाने वाले गुणों के कारण किया जाता है। लहसून में पाए जाने वाले गुणों और इसके स्वाद के कारण कई लोग इसकी चटनी बनाकर बड़े चाव से खाते हैं।
शुरु से ही घर से शिक्षा मिली है कि लहसून स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। लहसून का उपयोग जिन घरों में होता है, वहाँ एक समान्य सी बात होती है कि लहसून खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पाचनतंत्र में सुधार होता है, ऐसे कई सारे इसके फायदे बताए जाते हैं, जो सच भी है।
लहसून (Lahsun) -
लहसुन एक जमीकन्द (जमीन के अंदर होने वाली) वाली मसाला फसल है। लहसून का हरा पौधा जमीन के बाहर होता है, किन्तु लहसून जमीन में पनप बड़ा होता है, जैसे प्याज। लहसून में पाया जाने वाला एलसिन नामक तत्व इसे खास बनाता हैं। इसी तत्व के कारण इसमें एक खास गंध आती है और इसके स्वाद को तीखा बनाता है। लहसुन का पौधा हरा, हरी प्याज के समान ही प्रतीत होता है, इसकी जड़ में गांठ में लहसून कई कलियों में पनपता है। इसका उपभोग करने के लिए कलियों को छीलकर सफेद छिलके को अलग किया जाता है। इसे कच्चा एवं पकाकर स्वाद एवं औषधीय तथा मसाला प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
लहसून तीखा होने के कारण इसका उपयोग आचार, चटनी, मसाले तथा सब्जियों में किया जाता है। सब्जी में लहसून का उपयोग किए जाने से इसकी सुगन्ध सब्जी में आती है, तथा सब्जी को स्वादिष्ट बनाती है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में लहसून खाने के उपयोग में लिया जाता है। लहसून ना सिर्फ सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि इसमे पाए जाने वाले औषधीय गुण व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर करते हैं। लहसून की कली को पीसकर किसी घाव पर लगा देने से घाव भर जाता है, ऐसे में इसके रोग प्रतिरोधक क्षमता के गुणों के कारण इसे बीमारियों में उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
लहसून की खेती भारत के विभिन्न हिस्सों में होती है। भारत में लहसून की खेती अक्तूबर नवंबर में होती है। इसकी खेती के लिए बीज की बजाय लहसून की कलियों को ही उगाया जाता है। इन्हीं कलियों से पौधा निकल आता है। भारत में लहसून की खेती गुजरात उत्तर प्रदेश, राजस्थान मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में होती हैं। लहसून एक तरीके से गिली फसल है, इसका भंडारण सही तरीके से नहीं किए जाने से कलियों के सूखने का भय बना रहता है।
लहसून में पाए जाने वाले तत्व -
लहसून के फायदों की बात करे उससे पहले यह जान लेना उपयुक्त होगा कि लहसून में क्या-क्या तत्व पाए जाते हैं? इन्हीं तत्वों के आधार पर लहसून के उपयोग के फायदों की चर्चा कर सकते हैं, तो जानिए इसमे पाए जाने वाले तत्व -
तत्व (50 ग्राम कच्चा लहसून) |
मात्रा (वैल्यू) |
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कैलोरी | 75 kl |
कार्बोहाइड्रेट | 16.6 ग्राम |
प्रोटीन | 3.2 ग्राम |
वसा | 0.25 ग्राम |
मैंगनीज | 0.9 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 90 मिलीग्राम |
सेलेनियम | 7.2माइक्रो ग्राम |
कॉपर | 0.15 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 76 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 200 मिलीग्राम |
फायबर | 1.1 ग्राम |
विटामिन B6 | 0.6 मिलीग्राम |
विटामिन सी | 15.6 मिलीग्राम |
थायमीन | 0.1 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.05 मिलीग्राम |
आयरन | 9 मिलीग्राम |
विटामिन ए, ई, के, नियासिन, फोलेट, पैंटोथेनिक एसिड और कोलीन |
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जिंक, मैग्नीशियम और सोडियम | - |
उपर्युक्त सभी तत्व लहसून में पाए जाते हैं। इन्हीं तत्वो के कारण लहसून का उपयोग किया जाता है।
लहसून के फायदे -
लहसून का नियमित सेवन करने से कई लाभ होते हैं। सामन्यतः कच्चे लहसून का उपयोग करने से अधिक लाभ होता है, पक्के हुए लहसून की तुलना में। इसके कुछ लाभ निम्नलिखित हैं -
- पाचनतंत्र में सुधार - कच्चे लहसुन का उपयोग करने से पाचन से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। यह मानव शरीर में आंतों को फायदा पहुंचाता है और उसमे होने वाली जलन को कम करता है। कच्चे लहसुन (गार्लिक) का नियमित सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। लहसून में खराब बैक्टीरिया को नष्ट करने के गुण होते हैं और आंत के लिए उपयोगी अच्छे बैक्टीरिया की रक्षा भी करता है।
- खांसी और जुकाम से बचाव - कच्चे लहसुन का उपयोग करने से गले सम्बन्धित समस्या दूर होती है। इसमें पाए जाने वाले तीखे स्वाद से खांसी और जुकाम के इंफेक्शन दूर होता है। सवेरे खाली पेट लहसुन की दो कली का पानी के साथ सेवन करने से सर्वाधिक फायदा होता है।
- ब्लड शुगर को नियमित करना - लहसून में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को नियमित करता हैं और इसमे पाए जाने वाले फायबर से डायबिटीज से पीड़ित लोगों को राहत प्राप्त होती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढावा - लहसून मे शरीर के लिए हानिकारक बैक्टीरिया को समाप्त करने की क्षमता होती है। साथ ही इसमे पाए जाने वाले जिंक से इम्यूनिटी बढ़ती है और विटामिन सी इन्फेक्शन को रोकता है। ऐसे में लहसुन के सेवन करने वालों को आसानी से की इन्फेक्शन नहीं होता है।
- दिल की बीमारी से रक्षा - लहसून में पाया जाने वाला एलिसीन कोलेस्ट्रोल के लेवल को नियमित करता हैं। साथ ही लहसून में वसा की मात्रा कम होती है, जिससे कोलेस्ट्रोल नियंत्रित होता है। इसके अतिरिक्त लहसून के नियमित सेवन से खून के थक्के नहीं जमते है, जिससे दिल का काम नियमित होता है।
- दिमाग की कार्य प्रणाली बेहतर करना - लहसून में एंटी ऑक्सीडेन्ट के साथ ही जलन रोधी गुण पाए जाते हैं। ये गुण दिमाग की हालत को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त खून के थक्के बनने से रोके जाने से दिमाग की सेहत में सुधार होता है।
- खून की विषाक्तता को कम करना - लहसून उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी होता है, जिनके रक्त में शीशे की मात्रा अधिक होती है। लहसून के खाली पेट कच्ची कलियों को चबाने से यह एलोपैथिक दवा से अधिक काम करता हैं।
- हार्ट ब्लॉकेज से बचाव - लहसून खून के थक्के जमने से रोकता है, जब मानव शरीर में खून के धक्के नहीं जमते है तो हार्ट ब्लॉकेज की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है।
- वजन घटाना - लहसून में मैंगनीज, विटामिन B6, विटामिन, सेलेनियम, फाइबर, कैल्शियम, कॉपर, पोटेशियम, आयरन आदि। तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही मानव शरीर में मौजूद टॉक्सिक को बाहर निकालने में भी कारगर होता है। इससे व्यक्ति को वजन घटाने में मदद मिलती है।
- स्किन की सेहत में सुधार - लहसून शरीर मे मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालता है। टॉक्सिक को बाहर निकालने से चेहरे और अन्य अंगों पर कील - मुँहासे नहीं होते हैं। ऐसे में यह स्कीन की सेहत के लिए लाभदायक होता है।
इनके अतिरिक्त लहसून के नियमित सेवन करने से व्यक्ति को होने वाला मूत्र इन्फेक्शन कम हो जाता है। महिलाओं में होने वाली एस्ट्रोजन की कमी को पूरा करने में भी लहसून सहायक सिद्ध उपचार है।
चीनी लहसून स्वास्थ्य के लिए घातक -
चीन में भी लहसून की खेती होती है। चीन से लहसून के आयात पर भारत से रोक लगा रखी है। भारत सरकार ने चीन से आने वाले लहसून से फंगस के मामले आने के बाद आयात को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। चीन से आने वाले लहसून से फंगस और अन्य संक्रमण फैलने के साक्ष्य मिलने के बाद यह रोक लगाई है। चीन में पैदा होने वाले लहसून पर भारत द्वारा प्रतिबंध के बाद अमेरिका ने भी इस पर चिंता जताई। अमेरिका के सीनेटर ने चीन से आने वाली लहसून की खेप को मानव स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की।
चीन से आने वाले लहसून का स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने का कारण इसकी गलत तरीके से खेती किया जाना है। चीन में लहसून की खेती के लिए कई प्रकार के केमिकल का उपयोग किया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इतना ही नहीं चीन में लहसून की खेती गंदे पानी से भी की जाती और मल के बीच में लहसून उगा दिया जाता है। चीन विश्व के बड़े लहसून निर्यातकों में से एक होने के कारण इसकी खेती पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है और बहुत कम दाम में अंतराष्ट्रीय बाजारो में विक्रय करता हैं। चीन के किसान अपनी उपज को बढ़ाने के लिए मेटल, लेड और क्लोरीन तक का उपयोग कर देते हैं।
भारत सरकार ने वर्ष 2014 में ही चीन के लहसून से फैलने वाली संक्रमण और हल्की गुणवत्ता के चलते आयात पर रोक लगा दी। रोक के बावज़ूद बिहार और नेपाल के रास्ते भारत में इसकी तस्करी होती रही। तस्करी के जरिए से पहुंच रहा यह लहसून भारतीय बाजारो में धड़ल्ले से बिक रहा है। यह लहसून इतना घातक है कि इसकी खेप पकड़े जाने के बाद प्रयोगशाला में जांच के दौरान इसमे कैंसर को फैलाने वाले विषाणु पाए गए। इसके बावज़ूद कई तस्कर स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर ही इसकी तस्करी कर इसे भारत की विभिन्न मंडियों में बेच रहे हैं।
हालांकि भारत में विभिन्न किसान यूनियन भी समय-समय पर चीन से लहसून आयात करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाते रहे हैं। किसान यूनियन द्वारा इसके आयात पर रोक लगाए जाने का कारण गुणवत्ता के साथ कम मूल्य होना है। चीन में असुरक्षित तरीके से और ज्यादा कीटनाशकों और दवा से लहसून की अन्धाधुन्ध खेती होने से इसकी कीमत काफी कम होती है। कई बार चीनी लहसून की कीमत भारतीय लहसुन के मुकाबले में आधी ही रह जाती है। चीन के लहसून की कीमत कम होना इसकी घटिया गुणवत्ता को दर्शाता है, इसी के कारण और देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसके सैंपल फैल होने के बाद भारत सरकार के कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन खाद्य पदार्थों पर लगाया जाने वाला एगमार्क विभाग विपणन एंव निरिक्षण विभाग भी इसके दोषों को उजागर कर एगमार्क से हटा चुका है और भविष्य में एगमार्क नहीं दिए जाने की चेतावनी जारी कर चुका है।
असली लहसून की पहचान -
चीन से आने वाला लहसून नकली होता है और यह संक्रमण के साथ विभिन्न घातक बीमारियों को आमंत्रित करता हैं। कई लोग चीन से आने वाले नकली लहसून को नहीं खरीदना चाहते लेकिन धोखे से खरीद रहे हैं, ऐसे में आप स्वयं असली और नकली लहसून की पहचान कर नकली खरीदने से बच सकते हैं, ऐसे में असली लहसून की पहचान निम्न तरीके से कर सकते हैं -
आधार | असली लहसून | नकली लहसून |
---|---|---|
रंग | असली लहसून एकदम सफेद नहीं होता है, इसमे हल्के दाग होते हैं। | नकली लहसून एकदम सफेद होता है। इसमे कोई दाग नहीं होता है। |
कलियां | असली लहसून की कलियाँ छोटी होती है। | नकली लहसून की कलियां असली के मुकाबले बड़ी और मोटी होती है। |
निचला हिस्सा | असली लहसून का निचला हिस्सा दागदार होता है। | नकली लहसून का निचला हिस्सा साफ होता है। |
छीलना | असली लहसून को छीलना मुश्किल होता है क्योंकि छिलका चिपका हुआ होता है | नकली लहसून को छीलना काफी आसान होता है। |
चिपचिपा | असली लहसून की कलियों में चिपचिप होती है। | असली लहसून के मुकाबले में बहुत कम या ना के बराबर चिपचिप होती है। |
उपर्युक्त सभी अन्तर विभिन्न रिपोर्ट में हुए खुलासे के आधार पर है। आप इसकी सही पहचान करने में समर्थ नहीं है तो ऐसे में एगमार्क को असली की पहचान मानकर खरीफ सकते हैं।
खाली पेट लहसून का सेवन -
लहसून की कच्ची कली को सवेरे खाली पेट खाने से ज्यादा फायदा होता है। सवेरे उठते ही चाय पीने से पूर्व अगर लहसून की कलियां खाई जाए तो आपको डॉक्टर से दूर कर सकती है। यानी किसी प्रकार का संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता है। लहसून में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसके बावजूद कई लोग अपनी परम्परा के कारण लहसून का सेवन नहीं करते हैं। ऐसा करने वाले मानते हैं कि लहसून तामसिक होता है, जो शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है, साथ ही उनकी धार्मिक मान्यता भी इससे जुड़ी हुई होती है।
खाली पेट लहसून का सेवन करने जा रहे हैं तो इस बात को पक्का करे कि आपके द्वारा सेवन किया जाने वाला लहसून असली है। असली लहसून तीखा होता है, ऐसे में आप गुनगुने या सादे पानी के साथ भी कच्ची कली का सेवन कर सकते हैं।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - खाली पेट लहसून की कितनी कली खानी चाहिए?
उत्तर - खाली पेट लहसून की 1-2 कली खानी चाहिए। अधिक कलियां खाने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है।
प्रश्न - रात को सोने से पहले लहसून खाने से क्या होता है?
उत्तर - सोते समय लहसून का सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
प्रश्न - लहसून से एसिडिटी हो तो क्या करे?
उत्तर - लहसून से एसिडिटी होती है तो इसका सेवन शहद के साथ किया जाना चाहिए।
प्रश्न - क्या लहसून से मर्यादापुरु शक्ति आती है?
उत्तर - लहसून के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से शुक्राणुओं का क्षय नहीं होता है, जिसका असर सकारात्मक होता है, मर्यादा शक्ति पर।
प्रश्न - लहसून के सेवन से आँखों की रोशनी पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर - लहसून में पाया जाने वाला विटामिन सी आँखों की रोशनी को तेज करता है।
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