कृषि के लिए किसानो ने अपने खेत तैयार कर लिए हैं अब खरीफ की फसल की बुआई के लिए किसान इंतजार कर रहे हैं। खेतों में उगे झाड़ और अन्य वनस्पतियों को काटने का कार्य (सूङ) पूरा हो चुका है, अब कुछ कमी रह गई है तो वह है बरसात की।
बुजुर्ग कह गए हैं कि अगर आर्द्रा नक्षत्र में बुवाई की जाए तो किसानो की कोठियां धान से भर जाती है। आर्द्रा नक्षत्र में जो भी दाना भूमि पर गिरता है वो ना सिर्फ अंकुरित होता है, बल्कि वो शानदार उपज भी देता है। खरीफ की फसल के लिए आर्द्रा नक्षत्र श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है।
आर्द्रा नक्षत्र -
आर्द्रा सताईश नक्षत्रों में से एक है। यह आकाश मंडल ने छठा नक्षत्र है। इसका स्वामी राहु है। संस्कृत भाषा में आद्रा का अर्थ आर्द्र यानी नम से होता है। ऐसी ऋतु को धरती और मौसम में नमी को ले आए वही आर्द्रा है।
आर्द्रा को बारिश के लिए उत्तम नक्षत्र माना जाता है। कृषक रोहिणी के तपते दिनों में खेतों को कृषि योग्य बनाने के लिए जुट जाते हैं। मृगशिरा में तेज हवा चलने से खेतो में भूमि का कटाव ना जो हो इसका प्रबंध करते हैं। इसके बाद जब आर्द्रा की शुरुआत होती है तो किसान बरसात का इंतजार करने लगते हैं। इस समय गर्मी और आँधी दोनों कम होने लगती है और बरसात होने के आसार शुरु हो जाते हैं।
आर्द्रा नक्षत्र कब है, 2024
कृषि के लिए उपयुक्त माना जाने वाला आर्द्रा नक्षत्र वर्ष 2024 में 22 जून को मध्यरात्रि से शुरु होने जा रहा है, जो 5 जुलाई तक रहेगा। इस समय किसानो द्वारा खेतों के बुआई करने का श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है।
हालाँकि कई लोग इसे अलग-अलग तारिक को बता रहे हैं लेकिन हम बता रहे हैं खेती के लिए उपयुक्त माना जाने वाला आद्रा नक्षत्र। जिसे राजस्थान में सामन्यतः आदरा कहा जाता है।
आर्द्रा नक्षत्र का महत्व -
बुजुर्ग कह गए हैं कि आर्द्रा नक्षत्र, जिसे हम आद्रा कहेंगे कि बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय है। किसानो द्वारा इस नक्षत्र में खेतों में बुआई की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। किसानो का मानना होता है कि इस समय मॉनसून का आगमन शुभ संकेत लेकर आता है, जो ना तो समय से पूर्व होता है और ना ही समय के पश्चात। इसलिए राजस्थान में कहा जाता है कि -
गरज बरसे आद्रा, किसान खेतों बीजे बाजरा,धन धान री कमी ना होए, जब आए भादरा।।
जब आद्रा की शुरुआत होती है, तब घनघोर घटा आ बरसने लगती है और किसान खेतों में बाजरा की बुआई शरू कर देते हैं। उन किसानो के घरों में भाद्रपद के महीने में धन धान्य की कमी नहीं होती है। क्योंकि समय और रुत की खेती ही फसल देती हैं।
ऐसे में स्पष्ट है कि आर्द्रा नक्षत्र का महत्व वर्षा ऋतु के लिए हैं। आर्द्रा में अच्छी बारिश होती है, जिससे किसानो के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है। साथ ही खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय भी माना जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्द्रा का महत्व -
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और कृषि ग्रामीण क्षेत्रों मे ही होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आर्द्रा नक्षत्र का इंतजार त्योहार की भांति करते हैं जब आर्द्रा में बारिश हो जाती है, भले कम ही हो खेत जोत दिए जाते हैं। किसान मानते हैं कि इस नक्षत्र में धरती के पेट में गिरा बीज अंकुरित होता ही है। इस समय के बुआई करने पर फसल से पूरा लाभ मिलने की प्राययिकता सौ प्रतिशत होती है।
ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग कहते हैं कि आर्द्रा के बाद खादरा शुरु हो जाते हैं, इस समय अगर बुआई की जाती है तो पूरा बीज जमीन अंकुरित नहीं करती है। कुछ बीज नष्ट हो जाता है अर्थात् जमीन खा जाती है। इसी के कारण इसे खादरा कहा जाता है।
आर्द्रा में खेती उपयुक्त क्यों मानी जाती है?
आर्द्रा नक्षत्र के समय धरती की तपत कम हो जाती है। गर्मी के मौसम में चलने वाली गर्म और तेज हवा भी अपेक्षाकृत कम हो जाती है। मॉनसून के आगमन का उचित समय होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि यह खेती के लिए उपयुक्त समय है। इस समय में खेती करने पर पौधों को पनपने का पूरा समय मिलता है। इसके बाद बरसात अधिक भी हो सकती है, जिससे खेत पानी से भर जाते जिससे बीज सड़ने लगता है, ऐसे में इससे बेहतर खेती के लिए समय नहीं हो सकता है।
आर्द्रा का नाम ही जमीन और वातावरण की आर्द्र बना रहता है। जमीन की पहली नमी फसल के लिए उपयुक्त होती है। ईन सभी कारण से ही बुजुर्ग कहते हैं कि इससे उपयुक्त समय नहीं होता है, खेती के लिए।
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