स्कूल बैग : थैला बन गया बैग बोझ में दब गए बच्चे और परिजन। School Bag

स्कूल बैग : थैला बन गया बैग बोझ में दब गए बच्चे और परिजन। School Bag

थैला अब पुराना हो गया है, ना.... ना। थैला अब थैला नहीं रहा है, अब थैला बदल गया है। अब उसे उठाने के लिए कसे भी बदल गई है। इसी थैला अब हाथ में पकड़ कर चलने के दिन बीत गए हैं। अब यह हाथ और कांख ने निकल पीट पर लद गया है। यह बच्चे के साथ परिवार पर भी भारी भरकम बोझ बन गया है। 

स्कूल बैग : थैला बन गया बैग बोझ में सब गए बच्चे और परिजन। School Bag

थैला जब से बैग बना है, तब से कुछ ज्यादा ही भारी हो गया है। इसने बच्चों की कमर को झुका दिया है और परिजनों के धैर्य को। परिजनों द्वारा इसे भरने में अपनी जेब को ढीला करते-करते शरीर टूटने लगा है। इसे भरना और उठाना दोनों ही बड़े बोझ बने हुए हैं, आज के परिजनों और बच्चों पर।

स्कूल बैग -


बच्चे जिस थैले में अपनी किताबे और कॉपियां भरकर स्कूल लेकर जाते हैं, उसे स्कूल बैग कहा जाता है। इस बैग में पुस्तक पुस्तिकाओं के अतिरिक्त स्कूल में काम आने वाला आवश्यक सामान भरकर बच्चे प्रतिदिन स्कूल लेकर जाते हैं। यह अब थैला ना रहकर जब बैग हो गया है तो इसमे आले (किताब कॉपी और अन्य सामग्री को अलग-अलग रखने के लिए डिवीजन) भी बना दिए गए हैं। बैग में अब हाथ में पकड़ने वाली कसे गायब हो पीठ पर लादने की कसे आ गई।

स्कूल बैग का समय के साथ स्वरूप बदलता गया, आज यह बैग बच्चों के लिए स्कूल की पूरी दुनिया बन गई है। बच्चे की हर चीज़ बोतल से टिफिन तक को इसी में रखने के लिये आले बना दिए गए हैं। बच्चे की हर चीज़ इसी में डाली जाने लगी है। आजकल स्कूलों द्वारा छोटी-छोटी कक्षाओं के लिए जितनी किताबे लगा दी जाती है, वो कहाँ उन थैले में समा जाती जो बरसों पहले हमारे पिताजी और दादाजी स्कूल लेकर जाया करते थे।

थैला कैसे बन गया स्कूल बैग? 


जब से थैला, बैग बना है तब से यह बहुत भारी हो गया है। यह महज शब्दों का बदलाव नहीं है, बहुत कुछ बदल गया है। बच्चों के कंधे बोझ तले दब गए हैं और परिजनों की जेबे इनको भरने में खाली हो रही है। बैग ने विद्यालय को स्कूल बना दिया है और माट सहाब को सर। अब स्कूल में बाल सभा की जगह प्रोग्राम होते हैं, और प्रति प्रोग्राम फीस के साथ उसमे भाग लेने के लिए तैयार होने हेतु बड़ी राशि चुकानी होती है।

विद्यालय। अरे नहीं। स्कूल.. अब विकास शुल्क नहीं ट्यूशन फीस लेते हैं। कभी-कभी तो मन में आता है, विद्यालय ही ठीक थे, कहाँ पड़ गए स्कूल और बैग के चक्कर में। बैग खुद ही थैले के मुकाबले ज्यादा महँगा हो गया। अब खुला नहीं चैन से बंद होने लगा। थैला तो फटने के बाद भी काम आ जाता था, लेकिन बैग। इसका क्या? चैन टूट गई बैग गया काम से। इसके बाद कोई काम का नहीं। 

खैर आप सोच रहे होंगे यह इतना ही बेकार है तो फिर खरीदा ही क्यों? क्या करे भाई फैशन जो हैं। आज बच्चे ना थैला उठाना पसंद करते और ना ही अभिभावक अपने बच्चे को विद्यालय भेजना। दोनों भार उठा बस रेस को जीतने में लगे हुए हैं। यह ऐसी रेस है, जिसमें एथलीट को बिना परखे ही उतार दिया जाता है। कई बार तो बीच में ही बेहोश हो जाते, बोझ के तले। लेकिन सामाजिक स्तर भी कोई चीज़ होती है, उससे कैसे निपटा जाए विद्यालय और थैला से। 

स्कूल बैग डिजायन -


स्कूल बैग कोई थैला नहीं, यह बैग है। इसके बाजार में कई डिजायन है, यह बच्चों से लेकर बड़ो के लिए अलग-अलग साइज के साथ अलग-अलग डिजायन भी उपलब्ध होती है, बाजार में। आइए कुछ ऐसी डिजायन से आपको परिचित कराते हैं, जो आजकल के बच्चों के लिए पहली पसंद बनी हुई है।

  • पीट पर लादने वाले - इस प्रकार के बैग में पीछे की तरफ दो कसे इस तरीके से बनी हुई होती है, जिससे इसे आसानी से कंधों मे डालकर पीट पर लटकाया जा सकता है। आजकल शहरो में 90% बच्चे ऐसी डिजायन के बैग को बहुत अधिक पसंद करते हैं। इसे लाना ले जाना बहुत आसान होता है। साथ ही इसमे सभी चीजे भी सुरक्षित रहती है, खो जाने या गिर जाने का नाममात्र का भी डर नहीं रहता है। 
  • कंधे में लटकाने के साथ पीट पर लादना - यह पुरानी स्टाइल के बैग हैं। इसमे ऊपर एक बड़ी कस होती है, जिससे इसे गले या कंधे से लटकाया जा सकता है। इसमे पीछे की तरफ दो कसे लगी हुई है जिससे इसे पीट पर भी आसानी से लादा जा सकता है। 
  • डिविजन वाले - इस तरह के बैग में कई डीवीजन बने हुए होते हैं। जिसके कारण इसमे किताबे और कॉपियां अलग-अलग रखी जा सकती है। इस तरह के बैग सामन्यतः कंधे से पीट पर लादने के ही होते हैं। 
  • टिफिन बॉक्स वाले - यह छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त होता है। जो ऊपर बताई गई किसी भी डिजायन का हो सकता है। इसमे ऊपर बताई गई डिजायन से विभेद टिफिन रखने के खाँचे से होता है। 
  • बोटल वाले - ऐसे बैग भी छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त होते हैं, इसमे बोटल रखने की जगह होती है। आजकल टिफिन और बोटल दोनों रखने के खाँचे बनाये जाने लगे हैं। 
  • चैन वाले - ऐसे बैग में ऊपर की तरफ एक या एक से अधिक चैन लगी हुई होती है। आजकल चैन के साथ हुक भी आने लगे हैं, जिसे कसकर बैग की साईज को घटाया-बढ़ाया जा सकता है। ऐसे बैग पर्यटन की दृष्टि से उपयुक्त होते हैं, साथ ही ट्यूशन की दृष्टि से भी उपयुक्त होते हैं क्योंकि आवश्यकता के अनुसार साईज परिवर्तन किया जा सकता है। 
  • बटन वाले - इस तरह के बैग में चैन की बजाय बटन लगे हुए होते हैं। इस तरह के बैग में चैन खराब होने का डर नहीं रहता है। 
उपर्युक्त सभी के अतिरिक्त उम्र के हिसाब से भी बैग की डिजायन बाजार में उपलब्ध है। उम्र के अनुसार बच्चे बैग की डिजायन को प्राथमिकता देते हैं। 

कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए डिजायन - 


आजकल लगभग सभी बच्चे स्कूल और कॉलेज जाने वाले एक ही तरह के बैग उपयोग ले रहे हैं। फिर भी कॉलेज जाने वाले बच्चों को लैपटॉप आदि की आवश्यकता होती है, जिसके कारण वो ऐसे बैग काम में लेते हैं जिसमें लैपटॉप रखा जा सके। लैपटॉप रखने की दृष्टि से बैग को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए फॉर्म से डिजायन किया जाता है। ऐसे बैग थोड़े महंगे होते हैं। 

इनके अतिरिक्त कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए लंबी कसो वाले बैग भी उपयुक्त होते हैं, जिन्हें एक तरफ लटकाते हुए दूसरे कंधे पर बाँध दिया जाता है। 

छोटे बच्चे के लिए डिजायन -


छोटे बच्चों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भी कई प्रकार के बैग डिजायन किए जाते हैं। ऐसे बैग पर विभिन्न प्रकार के चित्र बने हुए होते हैं। यह चित्र सामन्यतः बच्चों के पसन्दीदा कार्टून बने हुए होते हैं। ये छोटे बैग होते हैं, जिसमें बोटल भी लगी हुई हो सकती है।

लड़कियों के लिए स्कूल बैग की डिजायन -


गूगल पर अक्सर लड़कियों के बैग की डिजायन के बारे में पूछा जाता रहता है। लेकिन लड़कियों के लिए अलग से किसी प्रकार के बैग नहीं होते हैं। लड़कियां भी कंधे में कसे पहन कर पीट पर लादने वाले बैग से सबसे अधिक पसंद करती हैं।

यह सब समान्य बैग ही होते हैं। हां, इतना अवश्य है कि लड़के और लड़कियों के बैग को अलग करने के उदेश्य से बैग निर्माता इनके रंग में विभेद करने लगे हैं। ऑनलाइन में ल़डकियों के लिए बैग सर्च करने पर हल्के रंग के बैग दिखाये जाते हैं तो लड़कों के लिए गहरे रंग के।

स्कूल बैग खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बाते - 


अगर आप अपने बच्चों के लिए स्कूल बैग खरीदने जा रहे हैं, तो इसे खरीदते समय कुछ बातों को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। आपके द्वारा ऐसा करने से बच्चों को सुविधा मिले। अन्यथा आपकी एक छोटी सी भूल बच्चों के लिए दुविधा बन सकती है, इसलिए इन बातों को ध्यान में रखे - 
  1. बैग खरीदते समय उसकी मजबूती को डिजायन के मुकाबले में अधिक महत्व दे, अन्यथा सत्र पूरा होने से पहले बैग फट सकता है। 
  2. स्कूल बैग में चैन की मजबूती खासकर देख लेनी चहिये, इसके खराब होने से पूरा बैग ही खराब हो जाता है। 
  3. बैग आवश्यकता से बड़ा ना खरीदे अन्यथा बच्चा स्कूल में काम नहीं आने वाली पुस्तके भी बैग में डाल अधिक भार उठाने लग जाएगा। 
  4. बच्चा टैक्सी से जा रहा है तो बैग को टांगने के लिए कसे देख लीजिए। 
  5. बैग में बटन है तो इन्हें देख लीजिए। 
  6. सिलाई-कटाई को भी देख लेना चाहिए। देख लीजिए कहीं से सिलाई होने से जगह रह तो नहीं गई। 
  7. डिविजन की दशा में, इसके लिए काम में लिए गए कपड़े की गुणवत्ता को भी ध्यान से देख लेना चाहिए। 
इसके अतिरिक्त भी आप अपनी आवश्यकता के anusar बोटल टिफिन आदि के खाँचे देख कर खरीदे। स्कूल बैग का सामन्यतः रंग खराब होने लगता है, ऐसे में उस पर बने चित्र खराब होने लगते हैं, जिससे बैग भद्दा दिखने लगता है। इस बात पर भी ज़रूर गौर किया जाना चाहिए। 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ