किताब : पन्ना-पन्ना बिखेर देते हैं बच्चे, ये करे उपाय। Kitab

किताब : पन्ना-पन्ना बिखेर देते हैं बच्चे, ये करे उपाय। Kitab

गर्मी के लंबे अन्तराल के बाद स्कूल फिर खुल गए हैं। नौनिहाल सजधज स्कूल जाने को तैयार है, माता-पिता भी उन्हें प्रवेश दिलाने से लेकर अन्य गतिविधियों जैसे किताबें खरीदना, ड्रेस तैयार करवाना, बैग लाना, टिफिन और बोटल के साथ आवश्यकता की सामग्री को क्रय कर रहे हैं।

किताब : पन्ना-पन्ना बिखेर देते हैं बच्चे, ये करे उपाय। Kitab

आजकल कई स्कूल ने माता-पिता को किताबों से अन्य सामग्री खरीदने के काम से निजात दे दी है। स्कूल ही सभी आवश्यकता की चीजे बेचने लगे हैं। सच कहें तो यह बेचना भी नहीं है, यह थोपना है। स्कूल ऐसी किताब देता है, जो बाजार में नहीं मिलती सिर्फ वही मिलती है। मानो किताब ना होकर कोई संजीवनी है जो निश्चित जगह पर ही मिलती हो।

किताब का अर्थ? 


किताब को पुस्तक या पोथी होती है, जो लिखित और मुद्रित हो सकती है। किताब लेखन का एक संग्रह होता है, जो किसी विषय वस्तु, लेखा-जोखा अथवा घटनाक्रम का रिकॉर्ड होता है। किताब पहले किसी पेड़ के पत्तों का संग्रह होता था, जिस पर स्याही से लिखा जाता था। वर्तमान में, पेड़ के पत्तों का स्थान फैक्ट्री में बनने वाले पन्नों ने ले लिया है। ऐसे में अब किताब अथवा पुस्तक पन्नों का संग्रह है, जिसे मशीन अथवा मुद्रण से प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया जाता है। 

किताब को पुस्तक या पोथी होती है, जो लिखित और मुद्रित हो सकती है। किताब लेखन का एक संग्रह होता है, जो किसी विषय वस्तु, लेखा-जोखा अथवा घटनाक्रम का रिकॉर्ड होता है। किताब पहले किसी पेड़ के पत्तों का संग्रह होता था, जिस पर स्याही से लिखा जाता था। वर्तमान में, पेड़ के पत्तों का स्थान फैक्ट्री में बनने वाले पन्नों ने ले लिया है। ऐसे में अब किताब अथवा पुस्तक पन्नों का संग्रह है, जिसे मशीन अथवा मुद्रण से प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया जाता है। 

वर्तमान समय में किताबों का उपयोग शिक्षा के लिए सर्वाधिक किया जा रहा है, यह शिक्षा औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। स्कूल से विश्वविद्यालय तक कि शिक्षा किताबों से जुड़ी हुई होती है। शिक्षा का एक पाठ्यक्रम होता है, उस पाठ्यक्रम की विषय वस्तु को शब्दों में पिरोकर किताबों में मुद्रित किया जाता है। ऐसे में शिक्षा प्राप्ति के लिए किताब की उतनी ही आवश्यकता है, जितनी प्यासे को पानी और भूखे को खाना। 

बच्चों की किताबें - 


स्कूल की शिक्षा के लिए किताबों की आवश्यकता होती है, ऐसे में नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चों की भी रंगीन चित्रों वाली किताबे होती है और बड़ी कक्षाओं की बड़ी-बड़ी कई किताबे। स्कूल में अध्यनरत बच्चों को किताबे हमेशा स्कूल लेकर जाना ही होता है। बच्चे हररोज स्कूल किताबों को बैग मे भरकर ले जाते हैं, छुट्टी होने पर वापस घर लेकर आओ, स्कूल में जो काम घर के लिए दिया जाता है, उसे किताब से पढ़कर घर पर करना ही होता है। ऐसे में बच्चों के लिए किताबों की इतनी आवश्यकता होती है कि सुबह से शाम उनकी किताबों में ही होती है। 

सर्दी, गर्मी और बरसात किसी भी मौसम में बच्चों को किताबे लेकर स्कूल जाना ही होता है। ये किताबे आजकल इतनी महत्वपूर्ण होती है, कि इनके बिना काम ही नहीं चलता। आजकल कई स्कूल में किताबे बाजार के चार गुना पैसे पर स्कूल खुद ही बेचता है, ऐसे प्रकाशकों की किताबे जो बाजार में आसानी से नहीं मिलती है। ऐसे में बच्चों की किताबे बड़ी महत्वपूर्ण होती है। कई बार विद्यालय इन्हें इतनी ही संख्या में खरीदते हैं, जितनी कक्षा में बच्चों की संख्या होती है। अगले वर्ष प्रकाशक बदल देते हैं। ऐसे में किताब खो जाने या फ़ट जाने के बाद बच्चे साल के शेष बचे समय के लिए बिना किताबों के ही स्कूल जाना होता है। होम वर्क के लिए दूसरे बच्चों से कॉपी या किताब माँगकर लेनी होती है। 

बच्चों की किताबे फटने के कारण - 


ऐसे में कई बार बैग को इधर-उधर रखने या किसी अन्य कारण से किताबे फ़ट जाती है। ऐसे ही कई बार स्कूल में खिंचने से या कई अन्य कारण से किताबे फट जाती है, लेकिन इसके अलावा भी कई कारण से किताब फ़ट जाती है। इसके कुछ कारण निम्नलिखित है - 
  1. लूज बाइंडिंग - कई किताबे पतले महीने धागे से बाइंडिंग (सिलाई) की हुई होती है। यह धागा पहले से ही इतना ढीला होता है, खुद ही निकल जाता है, जिससे किताब के पन्ने निकल कर बिखरने लगते हैं। कई बार यह धागा घिसने या किसी अन्य कारण निकल जाने से किताब के पन्ने बिखरने लगते हैं। ऐसे में एक पन्ना निकल जाए तो पूरी किताब ही बिखर जाती है। 
  2. पिन निकल जाना - कई बार जोर लगने से या पिन सही नहीं लगी होने के कारण निकल जाती है। इसके अलावा बच्चों द्वारा गलत तरीके से किताब को फ़ोल्ड किया जाता है, तब भी यह पिन निकल जाती है। पिन के निकलने से किताब पूरी तरह से बिखर जाती है। 
  3. छोटे बच्चों द्वारा गलत तरीके से पकड़ना - कई बार किताब को गलत तरीके से पकड़े जाने से या बच्चों द्वारा खिंचने से लूज पिन निकल जाती है या धागा टूट जाता है, जिससे किताब पूरी तरह से बिखर जाती है। छोटे बच्चों को इस बात का अनुभव नहीं होता है कि किताब पूरी पकड़ी जानी चाहिए। वो कुछ पन्ने पकड़कर खिंचते है तो पन्ने निकल हाथ में आ जाते हैं। 
  4. कवर का हट जाना - अधिकतर 90% से भी अधिक किताबों के पन्ने पिन से बंधे हुए होते हैं। इन पन्नों को एक हार्ड कवर से कवर किया हुआ होता है। कई बार कवर निकल जाता है। कवर के निकलने के बाद पन्ने बच जाते हैं। ये पन्ने मुड़कर अपने आप खराब होने लगते हैं और निकलने लगते हैं। ऐसे में 50% किताबों के फटने का प्रमुख कारण कवर का निकलना होता है। किताब पर गत्ते लगाने का भी कोई अर्थ नहीं होता है, जब किताब का कवर अलग हो जाता है। 
  5. अन्य कारणों से - कई बार गिरने से या भीग जाने से भी किताबे फ़ट जाती है। घर में छोटे बच्चों द्वारा कवर को पकड़कर खिंचने से कवर निकल जाता है। कवर के निकलते ही किताब फ़ट जाती है। 
कई बार घर के छोटे बच्चों द्वारा फाड़ देना, भीगने से भी फट सकती है। कोई भी कारण से किताब का कवर अलग होते ही किताब काम की नहीं रहती है। 

किताब को फटने से कैसे बचाए? 


किताब को फटने से बचाने के लिए लोग अक्सर गत्ता (कवर ता पुट्ठा) चढ़ाने के लिए कहते हैं। लोग मानते हैं कि कवर चढ़ा देने से किताब फटती नहीं है। जैसे ही किताब का कवर चढ़ाया किताब सुरक्षित, लेकिन ऐसा है नहीं। कवर चढ़ा देने के बाद भी किताब का कवर और पन्ने निकलने का खतरा बना ही रहता है, ऐसे में इससे बचने के लिए निम्न कार्य किए जाने जाने चाहिए - 

किताब पर कवर चढ़ाए - 


किताब को सुरक्षित रखने के लिए किताब पर कवर अथवा गत्ता चढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने से किताब के पन्ने मुड़कर खराब नहीं होते हैं। किताब के पन्ने सुरक्षित रहते हैं। साथ ही किताब पर पानी गिरने से भी किताब खराब नहीं होती है। कुछ किताबों के कवर अथवा मुख्य भाग जो किताब को सुरक्षित करता हैं, खराब नहीं होता है। ऐसे में कवर चढ़ाते समय विशेष रूप से से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कवर आसानी से खराब होने वाला नहीं होना चाहिए और अधिक दिन तक चले, इसके लिए प्लास्टिक के कवर उत्तम रहते हैं। कवर करने के बाद पिन द्वारा कवर को सुरक्षित कर देना चाहिए। 


किताब को बाइंड करे - 


किताब को बाइंड करने से पन्ने और कवर दोनों नहीं निकलते हैं। ऐसे में किताब पर गत्ता चढ़ाने से पहले उसे अच्छी तरह से बाइंड कर देना चाहिए। बाइंड करने से ना तो कवर निकल पाएगा और ना ही पन्ने। ऐसे मे आप बुक को सबसे पहले बाइंड करे फिर उस पर कवर चढ़ाए। 

किताब : पन्ना-पन्ना बिखेर देते हैं बच्चे, ये करे उपाय। Kitab

किताब अथवा बुक को आप घर पर ही बाइंड कर सकते हैं और चाहे तो बाजार से भी बाइंड करा सकते हैं। लेकिन घर पर किताब को बाइंड किया जाना अधिक उपयुक्त होता है, बाजार के मुकाबले में। बाजार से जब किताब को कवर या बाइंड कराया जाता है तो किताब में कई अक्षर दब जाते हैं अथवा किताब को इतना आगे से कवर किया जाता है, जिससे किताब को पूरी तरह से खोलना मुश्किल हो जाता है। कई बार  बाइंड करने के लिए गड्डे इस तरीके से किए जाते हैं, जिससे कई अक्षर निकल जाते हैं। ऐसे में घर पर ही  बाइंड किया जाना सबसे उपयुक्त होता है। 

किताब को घर पर बाइंड कैसे करे? 


घर पर किताब को आसानी से बाइंड किया जा सकता है। घर पर आप अपने तरीके से और आवश्यकता से बाइंड कर सकते हैं, जिसके कारण यह बाहर बाजार से किए गए बाइंड के मुकाबले में अधिक उपयोगी साबित होता है क्योंकि यह आप अपनी सावधानी और आवश्यकता से करते हैं, ऐसे में आप यूं घर पर किताब को बाइंड कर सकते हैं। 

किताब को घर पर बाइंड करने के लिए आवश्यक सामग्री - 


किताब को घर पर बाइंड करने के लिए निम्न सामग्री का आपके पास होना आवश्यक है - 
  • नुकीली मजबूत पतली कील, 
  • हथौड़ी, 
  • धागा और 
  • सुई। 
उपर्युक्त सामग्री इकट्ठा कर लीजिए। इस सामग्री के बिना किताब को घर पर बाइंड नहीं किया जा सकता है। आप किताब को अच्छा लुक देना चाहते हैं तो कुछ सामग्री को बढाया जा सकता है। लेकिन बाइंड करने के लिए न्यूनतम सामग्री की जो आवश्यकता है, वो बस इतनी ही है। 

कैसे करे बाइंड? 


घर पर बाइंड करने के लिए रद्दी के कुछ न्यूज पेपर या कोई पुरानी रफ कॉपी ले लीजिए। अब जिस किताब को बाइंड करना है, उस किताब को लीजिए। किताब को रद्दी पर रखकर देख लीजिए की मार्जिन कितना है, इसके बाद स्टेप वाइज यह काम कीजिए - 
  • स्टेप - 1 कील को पुस्तक के कॉर्नर पर सीधे पकड़ कर हथोड़े से मार कर कील से पुस्तक में गड्ढा कर लीजिए। ये गड्ढे कम से कम 4-5 हो बराबर दूरी से इसके लिए नीचे चित्र में क्रम संख्या देख लीजिए। 
किताब : पन्ना-पन्ना बिखेर देते हैं बच्चे, ये करे उपाय। Kitab


  • स्टेप - 2 गड्ढा करने के बाद धागे को सुई में पिरो लीजिए। और धागे के एक तरफ गांठ लगा दीजिए। 
  • स्टेप - 3 सुई से अब बुक को सील दीजिए। सिलाई इस तरह से हो कि धागा टूट जाने के बाद भी पूरा ना निकले। 
धागा निकले नहीं इसके लिए पहले एक बार सिलाई कर दीजिए फिर हर बार गांठ लगाकर सिलाई करे ताकि टूटने पर सिर्फ दो गड्ढे के बीच का ही धागा निकले पूरा नहीं। 

बाइंड के धागे को घिसने से कैसे बचाए? 

बाइंड के धागे भी समय के साथ घिस कर टूटने लगते हैं। इनके टूटने से किताब के पन्ने निकल कर टूटने लगते हैं। ऐसे में धागे को घिसने से बचने के लिए निम्न काम किए जा सकते हैं - 
  • धागे पर टैप लगा दीजिए जिससे धागा घिसे नहीं। 
  • रंगीन टैप लगा देने से धागा नजर भी नहीं आता है। 
  • काग़ज़ का बढ़िया कवर किताब पर लगा दीजिए। 
  • काग़ज़ के कवर पर प्लास्टिक का कवर लगा दीजिए। 
  • कवर को पिन कर दीजिए। 
उपर्युक्त तरीके से धागे को छिपा देना इसलिए भी उपयुक्त होता है, क्योंकि कई बार सीली हुई पुस्तक को देखकर बच्चे कहते हैं ऐसी किताब देखकर मेरे मित्र हंसेंगे। ऐसे में बच्चे की उलझन को कम करने के साथ ही सिलाई के धागे को मज़बूत करने के लिए ऐसा काम किया जा सकता है। 

अन्य प्रश्न - 


प्रश्न - निजी स्कूल की किताबे कहाँ मिलती है? 

उत्तर - निजी स्कूल की किताब स्कूल में ही मिलती है। 

प्रश्न - पुस्तक के पर्यायवाची शब्द बताइए। 

उत्तर - किताब, पुस्तक, पोथी, ग्रंथ आदि। 

प्रश्न - पढ़ने के लिए किताब की आवश्यकता क्यों होती है? 

उत्तर - किताब तथ्यों का लिखित संग्रह होता है, जिसे पढकर कुछ भी सीख सकते हैं। ऐसे में शिक्षा या पढ़ाई सीखने की एक क्रिया है, उसके लिए किताब की आवश्यकता होती है। 

प्रश्न - पुस्तकालय क्या होता है? 

उत्तर - जहां खूब सारी किताबे रखी हुई होती है। रखी हुई किताबों को कोई लेकर पढ़ सकते हैं और घर भी ले जा सकते हैं कुछ दिन के लिए अपना नाम लिखवाकर। ऐसी किताबों की लेनदेन वाली जगह को पुस्तकालय कहा जाता है। दूसरी ओर, पुस्तकालय दो शब्दों का मेल है पुस्तक + आलय जिसका अर्थ होता है पुस्तक यानी किताब और आलय यानी घर, कुल मिलाकर पुस्तकों का घर। 

प्रश्न - किताबों को फटने से कैसे बचाया जा सकता है? 

उत्तर - किताबों को फटने से बचाने के लिए उसे कवर करे। किताब के पन्ने निकल रहे हैं तो बाइंड कीजिए।

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