मिलावट : धन के लालच में छिन रहे हैं साँसे। Milawat

मिलावट : धन के लालच में छिन रहे हैं साँसे। Milawat

आजकल असली चीज़ खरीदना बहुत मुश्किल भरा काम बन गया है। असली खरीदने के चक्कर में आदमी पूरा बाजार छान मारता है, गली-गली भटकता है। कई दुकानों पर चीजों को उलट-पलट देखता है, लेकिन तब भी असली से दूर ही रहता है। अंत में थक हार कर जो मिलता है वही खरीद निकल जाता है।

मिलावट : धन के लालच में छिन रहे हैं साँसे। Milawat

आजकल बाजारों नकली के साथ मिलावटी चीजे इतने धड़ल्ले से बिक रही है, उस रफ्तार से तो असली चीजों को भी नहीं बेचा जा सकता हैं। खरीदने वाले भी नकली चीजों को जिस आसानी से खरीद लेते हैं, उससे लगता है कि अब असली और नकली का भेद ही नहीं रहा है। कुछ लोग तो कुछ पैसे बचाने के चक्कर में नकली और मिलावटी चीजे खरीद रहे हैं।

मिलावट का अर्थ -


मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शुद्ध वस्तुओ को विकृत करने के उदेश्य से अन्य चीजों को मिला दिया जाता है। मिलावट का अर्थ अपमिश्रण से है। जिसका अर्थ महज मिलाने (किसी चीज़ में अन्य वस्तु को मिलाना) तक ही सीमित नहीं है। मिलावट में कुछ मिलाना और असली वस्तु से कुछ निकालना दोनों प्रकार की क्रियाएं सम्मिलित हैं। मिलावट में असली सामग्री में घटिया अथवा नकली सामग्री मिलाने के साथ ही असली अथवा उपयुक्त गुणवत्ता की सामग्री को निकाल जाना भी शामिल है। उदाहरणार्थ मिर्च, हल्दी, धनिया के पाउडर में कुछ अन्य मसाले अथवा पदार्थ जो सस्ते होते हैं, उन्हें मिला दिया जाता है। ऐसे ही दूध में से मक्खन और घी को निकाल शुद्ध असली बताकर बेचा जाना। ऐसी दोनों प्रकार कि क्रिया मिलाना और निकालना दोनों ही मिलावट की श्रेणी में आती है।

मिलावट मिलाने और वस्तु से गुणवत्ता की सामग्री को निकालने की प्रक्रिया है, जिसमें महंगी वस्तु के साथ सस्ती मिलाना और वस्तु से महंगी को निकालना। की प्रक्रिया हैं, जो वास्तुकला मिलावट किए जाने से वस्तु की गुणवत्ता पर विपरीत असर होता है। मिलावट से वस्तु की गुणवत्ता कई बार इतनी खराब हो जाती है कि मिलावटी चीजे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विपरित असर करने लगती है। इनका सेवन करने से बीमारी तक हो सकती है। 

खाद्य पदार्थों में मिलावट - 


खाने योग्य पदार्थों में मिलावट इतनी अधिक हो गई है कि वर्तमान में बाजार में आने वाली लगभग सभी चीजों में मिलावट आम हो गई है। खाद्य पदार्थों उनके समान ही प्रतीत होने वाली वस्तुओं को इस तरीके से मिलाया जाता है, जिससे मिलावट स्पष्ट नहीं हो। लेकिन ऐसी चीजों के उपभोग से स्वास्थ्य पर प्रभाव होता है। रोजमर्रा और जीवनयापन के लिए उपयोग में ली जाने वाली कुछ खाद्य सामग्री में इस प्रकार की मिलावट होती हैं - 

सामग्री  मिलावट  प्रभाव 
आटा  चॉक पाउडर, निम्न गुणवत्ता या सस्ता आटा  पाचन और पोषण सम्बन्धित समस्या 
घी वनस्पति घई, तेल और पशु वसा  पोषण और हृदय सम्बन्धित समस्या 
दाल  खेसारी दाल, कंकड़ और अन्य दाल  पाचन समस्या और दांत दर्द 
हरी सब्जियां  कीटनाशक, रंग  तंत्रिका और पाचन समस्या 
फल  कैल्शियम कार्बाइड इफेथॉन पाचन और श्वसन समस्या 
दूध  पानी, यूरिया और स्टार्च  पोषण और पाचन समस्या 
चीनी  रेत, चॉक और चूना  पाचन और हड्डियों की समस्या 
हल्दी  लेड और लड़की का बुरादा  यकृत और त्वचा विकार 
लाल मिर्च  ईंट पाउडर और रंग  पाचन समस्या पेट में जलन
चाय पत्ती  प्रयुक्त चाय पत्ती और रंग 
गुणवत्ता और पाचन समस्या 
मसाले  चूरा, स्टार्च और बुरादा  स्वाद की कमी पाचन समस्या 

इनके अतिरिक्त शहद में चीनी का घोल, दूध में वाशिंग पाउडर, दवा में हल्की और गई हुई तारीक की दवा की मिलावट आम हैं। मिलावट का मकसद आपको पहले ही बता चुके हैं, एकमात्र मकसद धन कमाना। 

मिलावट के प्रकार - 


मिलावट कई प्रकार की होती है सभी मिलावट एक समान नहीं होती है। मिलावट में वस्तु की गुणवत्ता को विकृत करने के उदेश्य से और बिना सूझबूझ के भी किया जा सकता है। वर्तमान समय में होने वाली सभी प्रकार की मिलावट सावधानी से अथवा सोच समझकर की गई है, इस बात की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती हैं। मिलावट कई बार असावधानी और स्वाद के साथ सुरक्षित किए जाने के उदेश्य से भी हो सकती है। ऐसे में मिलावट के कुछ प्रकार निम्नलिखित है - 
  • जान बूझकर - कई बार वस्तु का विक्रेता जानबूझ कर मुनाफा कमाने के उदेश्य से मिलावट कर देता है। ऐसी मिलावट में वस्तु के साथ ऐसी वस्तु को मिला दिया जाता है जो देखने में समान प्रतीत हो और आसानी से पहचान सम्भव नहीं हो। उदाहरणार्थ दाल में कंकड़, पत्थर की मिलावट। वैसे ही धनिया में पत्तियों और लकड़ी के बुरादे की मिलावट, घी में तेल और वनस्पति (डाल्डा) घी की मिलावट आदि। 
  • आकस्मिक - इस तरह की मिलावट आकस्मिक होती है, मिलावट करने वाले को आभास भी नहीं होता है कि मिलावट हो गई है। ऐसी मिलावट लापरवाही के कारण होती है। उदाहरणार्थ दाल में आटा या अन्य चीजे मिल जाना। 
  • धातु मिलावट - खाद्य पदार्थों में आकस्मिक या जानबूझकर शीशे या अन्य धातु की मिलावट हो जाती है। इस प्रकार की मिलावट कई बार स्वाद को बढावा देने के उदेश्य से तो कई बार अच्छी चमक के लिए की जा सकती है। साथ ही इस प्रकार की मिलावट कभी-कभी असावधानी से भी हो जाती है। 
  • पैकिंग से मिलावट - सभी कंपनियां अपनी पैकिंग को सुरक्षित बताती है लेकिन सभी प्रकार की पैकिंग सुरक्षित नहीं होती है। पैकिंग करते समय कई बार प्लास्टिक और धातु गिर जाती है तो कई बार खतरनाक गैस भी भरी जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। 
  • स्टोरेज की मिलावट - कई बार खाद्य वस्तुओ को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के उदेश्य से उसमे कई प्रकार के कीटनाशक मिलाए जाते हैं तो कई बार ऐसी जगह स्टोर की जाती है जो वस्तु की प्रकृति के लिए उचित नहीं होती है। ऐसी स्थिति में अगर वस्तु की गुणवत्ता प्रभावित होती है तो यह भी एक प्रकार की मिलावट ही होती है। 
उपर्युक्त में से किसी भी प्रकार की मिलावट वस्तु की गुणवत्ता को विपरित तरीके से प्रभावित करती है। सभी प्रकार की मिलावट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य पर भी विपरित प्रभाव होता है। 

मिलावट के तरीके - 


मिलावट करने वाले इसके लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, कुछ तरीके निम्न है - 
  • अखाद्य मिश्रण - खाद्य पदार्थों में अखाद्य पदार्थों का मिश्रण कर दिया जाता है। जैसे आटे में चॉक पाउडर, दूध में यूरिया। ऐसे ही कितनी चीजों में अखाद्य पदार्थों की मिलावट कर दी जाती है। 
  • प्रतिस्थापन - खाद्य पदार्थों में से उच्च गुणवत्ता की सामग्री को निकाल निम्न गुणवत्ता की डाल दी जाती है। खासतौर से बादाम और सूखे मेवों में से तेल को निकाल बेच देते हैं। 
  • खराब खाद्य मिलाना - कई बार ऊंची गुणवत्ता के नाम पर खराब खाद्य को मिलाकर ही बेचा जाता है। खासतौर से दवा बनाने वाली कंपनियां आउट डेट दवा को मिलाकर बेच देती है। ऐसे ही पैकिंग वाले पदार्थ की तिथि गुजर जाने के बाद उसे खुला या अन्य खुली सामग्री में मिलाकर मिलावट को अंजाम दिया जाता है। मिर्च और अन्य मसालों में रंग मिला दिया जाता है। 
  • विषाक्त भोजन - भोजन को स्वाद देने और स्टोर करने के उदेश्य से विषाक्त पदार्थ मिलाए जाते हैं। ऐसे ही वर्तमान में देखा गया है कि स्वाद को बढावा देने और चमक लाने के लिए विषाक्त पदार्थ मिला दिए जाते हैं। 
  • गलत जानकारी - कई बार गलत जानकारी जैसे एक्स्पायरी डेट, बैच और गुणवत्ता से सम्बन्धित देकर भी माल को बेच दिया जाता है। 
  • उच्च गुणवत्ता को निकाल देना - की वस्तुओ में से कई बार उच्च गुणवत्ता की सामग्री को निकालकर ही बेच दिया जाता है। उदाहरणार्थ दूध में से मक्खन और घी को निकाल लेना। 
  • कृत्रिम खेती - आपने सुना होगा कि फलों और सब्जियों के पेड़, पौधे और बेलों को इंजेक्शन दे समय से पहले फलों को पका दिया जाता है। ऐसे ही सब्जी को भी बड़ा आकार दिया जाता है, और समय से पहले पका दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। 
  • भ्रांतिपूर्ण जानकारी - निम्न गुणवत्ता की वस्तुओ की पैकिंग पर उच्च गुणवत्ता का प्रदर्शन कर ऊंची दरों की वसूली भी मिलावट ही है। हाल ही में दो बड़ी घी बेचने वाली कंपनी को एगमार्क और एफएसएएआई के मार्क के बावजूद नकली सामग्री को बेचते पकड़ी गई तो मिलावट के केस का सामना करना पड़ रहा है। यह आज की सबसे बड़ी मिलावट है क्योंकि ग्राहक को गुणवत्ता का भरोसा दे मिलावटी माल बेचा जाता है। 
खाद्य पदार्थों के अतिरिक्त अखाद्य पदार्थों में भी मिलावट करने का यही तरीका होता है। उनमे भी मिलावट के लिए गुणवत्ता को निम्न कर दिया जाता है। 

मिलावट की पहचान -


मिलावट की पहचान हर किसी के लिए सम्भव नहीं है किंतु कुछ प्रयास से इसे जाना और समझा जा सकता है। इन्हीं प्रयासों से मिलावट को पहचान भी सकते हैं। कुछ पदार्थों की मिलावट को आप निम्न तरीके से पहचान सकते हैं - 

सामग्री  पहचान 
आटा  मिलावटी के रंग में भेद होता है। 
घी गर्मी में भी जमा हुआ होना 
दाल कंकड़ पत्थर देखना और रगड़ कर रंग देखना उतर रहा है तो नकली हैं 
हरी सब्जियां  कीटनाशक मिलाने से दाग लग जाते हैं, ऐसे रंग किया है तो रगड़ने से उतरने लगता है। 
फल  समय से पहले पकाने पर दाग धब्बे लगना। 
दूध  रखने पर दूध का तल में जम जाना और पानी ऊपर आना हिलाने पर अधिक झाग आना 
चीनी  हिलाने पर तल में आटा जमना 
हल्दी  रंग में भेद दिखना 
लाल मिर्च  रंग में भेद और खाने में कम तीखी 
चायपत्ती रंग में भेद और मचलने पर आटा बन जाना। 
मसाले  रंग और स्वाद से ही पहचान सम्भव। 

उपर्युक्त सभी पहचान के कारक अनुभव के आधार पर लिखे गए हैं, हालांकि जो विशेषज्ञ होते हैं वो खुशबू से ही पहचान करने मे माहिर होते हैं। ऐसे लोग मसाले, घी और अन्य खाद्य परार्थ को हथेली पर रगड़ खुशबू से पहचान लेते हैं कि माल असली है या नकली और मिलावट कितनी की गई है। 

मिलावट के दुष्परिणाम - 


मिलावटी भोजन के सेवन से कई प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है। मिलावटी भोजन के जो समस्याएं उत्पन्न होती उनमे से कुछ निम्नलिखित है - 
  1. मिलावटी हरी सब्जियों और फलों के अधिक सेवन से आँखों की रोशनी जा सकती है। 
  2. मिलावटी भोजन से व्यक्ति बीमार हो सकता है, कई बार मिलावटी भोजन तत्काल प्रभाव करता हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में मिलावट का असर दीर्घकाल में आता है। व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। 
  3. हल्दी और मसालों में की जाने वाली मिलवाट व्यक्ति की त्वचा के लिए हानिकारक होती है। खाज, खुजली और एलर्जी को आमंत्रित करती है। 
  4. विषाक्त और मिलावटी भोजन व्यक्ति के लिवर पर आघात करता हैं, जिससे लिवर खराब हो सकता है। 
  5. खासतौर से मिलावटी घी का सेवन करने से हृदय रोग हो सकता है। 
  6. विषाक्त और समय से पूर्व पकाई गई हरी सब्जियों के सेवन से तंत्रिका तंत्र खराब हो सकता है, जिससे लकवा हो सकता है। 
  7. मिलावटी आटा, दाल और मसालों के सेवन से पाचन समस्या हो सकती है, जिससे पेट से सम्बन्धित रोग हो सकते हैं। 
  8. चीनी और आटा में आने वाली मिलावट से हड्डियां खराब हो सकती है। 
  9. दाल में कंकड़ पत्थर आने से दांत खराब हो सकते और दांतों में दर्द भी हो सकता है। 
  10. समय पूर्व पकाये गए फलों के सेवन से श्वास की समस्या और दमा रोग की शिकायत हो सकती है। 
  11. मिलावटी वस्तुओ के सेवन से कैंसर रोग हो सकता है।  
उपर्युक्त सभी समस्या के अतिरिक्त समस्या की भी उत्पत्ति हो सकती है। कई बार मिलावटी भोजन के सेवन से फूड पॉइजनिंग भी हो सकती है। 

निष्कर्ष -


आधुनिक युग धन का युग है, हर किसी की तमन्ना होती है वह धन कमाये। लेकिन धन कमाने के लिए मिलावट जैसी क्रियाओं को अंजाम देना ना देश, समाज, व्यापार और स्वयं के लिए उपयोगी है और ना ही मानवता के लिए। धन कमाने के कई रास्ते है, उनमे से मानवता विरोधी ऐसे रास्ते का चयन करना दुखदायी है। व्यक्ति को ऐसे अनैतिक कार्यो से बचना चाहिए। इस तरह के कार्य दण्डनीय है।

प्रश्न - 


प्रश्न - भारत में मिलावट विरोधी कानून कौनसा है?

उत्तर - भारत में मिलावट को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 272 और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) के भाग IX में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खाद्य पदार्थों में मिलावट से संबंधित अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है।

प्रश्न - मिलावट करते पाए जाने पर कितनी सजा हो सकती है?

उत्तर - FSSAI की धारा 59 के अनुसार ऐसे सभी खाद्य पदार्थ के निर्माण, बिक्री, भंडारण, वितरण या आयात के लिए सजा का प्रावधान है जो मानव स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित है। लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है, जिसके लिए अधिकतम छह महीने की कैद और अधिकतम एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। और, जब ऐसा असुरक्षित भोजन गैर-गंभीर चोट पहुंचाता है, तो व्यक्ति को अधिकतम एक वर्ष की कैद और अधिकतम तीन लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। कुछ मामलों में 5 लाख रुपये तक के आर्थिक दंड का प्रावधान है। 

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