नारियल तो आपने देखा ही होगा। इसके कई रूप भी देखे होगे। गिला पानी वाला नारियल, श्रीफल और सूखा नारियल और खोपरा (नारियल को काटकर दो समान टुकड़े कर देने पर इसे खोपरा कहा जाता है।) आदि देखे होंगे। नारियल के प्रत्येक स्वरुप का धार्मिक और सामाजिक महत्व है।
नारियल महज एक फल मात्र नहीं है। यह शब्द शुरुआत है, शुभ की। श्रीफल अथवा नारियल वो नींव का पत्थर है, शुभ कार्यो की शुरुआत के लिए, जैसे बीज का बोना एक शुरुआत होती है एक फलदार और छायादार पेड़ के लिए।
नारियल का अर्थ -
नारियल एक फल और पेड़ दोनों है। नारियल एक खजूर के समान प्रतीत होने वाला ऊंचा पेड़ है, जो जलाशयों के किनारों पर बहुतायत पाया जाता है। इस पेड़ पर लगने वाले फल को भी नारियल कहा जाता है। फल काफी बड़ा होता है। फल रेशों से सुरक्षित रहता है। रेशे के नीचे कठोर छिलका होता है। इस कठोर छिलके कल तोड़ने के पश्चात् इसमे पाया जाने वाला गुदा निकलकर खाया जा सकता है। यह तरल प्रदार्थ (नारियल पानी) से भरा हुआ होता है।
नारियल खाद्य पदार्थों में से एक है, साथ ही यह तैलीय पदार्थ भी है। रेशे को हटाने के पश्चात् कठोर छिलके को तोड़कर इसमे से निकलने वाले गुदा को पीसकर तेल निकाला जाता है। नारियल का तेल खाद्य तेल के रुप में काम लेने के साथ इससे कई चीजें बेकरी में तैयार की जाती है। बिस्कुट से चोकलेट तक इससे बनाई जाती है।
नारियल का धार्मिक महत्व -
नारियल का सनातन संस्कृति में बहुत महत्व है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इसके जल से छिड़काव करने से सकारात्मक शक्ति उत्पन्न होती है। इसके धार्मिक महत्व और मान्यताओं को देखते हुए इसे प्रकार के धार्मिक कार्य बिना नारियल के सम्पन्न नहीं होते हैं। ऐसे में कुछ महत्व निम्न है -
- नारियल फोड़ कर मुहूर्त - सनातन संस्कृति में जब भी कोई नए कार्य का शुभारंभ किया जाता है, उस समय मुहूर्त (शुभ शुरुआत) किया जाता है। मुहूर्त के समय नारियल को फोड़कर शुरुआत की जाती है। ऐसे शुभ समय में नारियल को फोड़ जाना शुभ माना जाता है।
- देवालय में प्रसाद के रूप में चढ़ाना - मंदिरों और देवालय में प्रसाद के रूप में नारियल को बहुतायत उपयोग में लिया जाता है। प्रसाद के रूप में नारियल सूखे, पानी वाले और खोपरा सभी को उपयोग में लिया जाता है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रो में जब भी कोई शुभ कार्य की शुरुआत हो या कोई मुसीबत आती है तो व्यक्ति देवालय में नारियल को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए अपने मन में कामना करता है। उदाहरण के लिए बच्चे परीक्षा हॉल में जाने से पहले मन में कहता है कि अगर अच्छे नंबर से उत्तीर्ण हुआ तो हे भगवान, देवालय में नारियल को प्रसाद के रूप में चढ़ा दूँगा। ऐसे ही व्यापारी लाभ के लिए और किसान उत्तम खेती की कामना करते हुए नारियल को प्रसाद के रूप में चढ़ाने का ईश्वर से अपने मन में वादा करते हैं, मनोकामना के पूर्ण होने पर देवालय में नारियल चढ़ाते है।
- हवन - हवन कुंड में घी के साथ नारियल की आहुति दी जाती है। कई मंदिरों में होने वाली ज्योति को नारियल से जगाया जाता है। सनातन में नारियल को ज्योति और हवन के लिए उत्तम माना जाता है।
- मकानों के चिबना में लगाना - घर मकानों के खिड़की और दरवाजे पर लगने वाले बड़े पत्थर को चिबना कहा जाता है। जब मुख्य द्वार का चिबना लगाया जाता है, तब उस पर नारियल बाँधा जाता है। इस पर नारियल (रेशे वाला कलावा अथवा मोली से बाँधकर लटकाया जाता है। कहा जाता है, ऐसा करने से किसी प्रकार की कुदृष्टि मकान को नहीं लगती है और बिना विघ्न के मकान का कार्य जल्द पूर्ण हो जाता है।
- दान - सनातन में दान को बहुत महत्वपूर्ण और उत्तम माना गया है। सनातन में कई प्रकार के दान का जिक्र है, उसमे नारियल के दान का भी जिक्र है, इसी के कारण शनिवार के दिन नारियल और काले तिल का दान किया जाना उत्तम बताया गया है।
इनके अतिरिक्त नारियल को कई धार्मिक कार्य और टोने टोटके के लिए भी काम में लिया जाता है। नारियल का उपयोग चिट्टीयो को भोजन देने के रुप में भी किया जाता है।
नारियल का सामाजिक महत्व -
नारियल के धार्मिक के साथ सामाजिक महत्व होते हैं। इसे समाज मे संपन्न होने वाले विभिन्न सामाजिक समारोह के लिए उपयोग लिए जाते हैं। इनमे से कुछ निम्न है -
- विवाह - विवाह के समय नारियल का बड़ा उपयोग होता है, विवाह की शुरुआत नारियल की रस्म से ही शुरु होती है और विवाह का कार्यक्रम देवालय में नारियल रूपी प्रसाद चढ़ाये जाने से सम्पन्न होती है।
- ज्वारी - जब जंवाई अपने ससुराल जाता है तो सासु अपने जंवाई को नेग में जो कुछ भी देती है उसे ज्वारी कहा जाता है। इस ज्वार में नारियल भी अनिवार्य रूप से दिया जाता है, बिना नारियल के ज्वार पूर्ण नहीं मानी जाती है।
- बहन द्वारा उपहार - किसी त्यौहार खासतौर से राखी या भाई दूज के अवसर पर बहन अपने भाई को उपहार के रूप में नारियल देती है। बहन द्वारा भाई को नारियल देने से किसी की नजर ना लगने और अशुभ ना होने का माना जाता है।
- शुभ कार्य में भेंट - किसी शुभ कार्य या धार्मिक और सामाजिक कार्यो के सम्पन्न होने पर आमंत्रित अतिथियों को नारियल भेंट स्वरुप दिया जाता है। खासतौर से कई उजमणे (गणगौर, तीज, पूनम) मे आमंत्रित किए गए लोगों को खाना खिलाने के पश्चात दी जाने वाली भेंट में नारियल विशेष रूप से दिया जाता है।
- रिश्ता पक्का होना - जब कोई रिश्ता अथवा सगाई की जाती है, तब नारियल दिया जाता है। जब कोई रिश्ते की बात होती है, तब किसी एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को महज नारियल दे दिया जाए और दूसरा पक्ष स्वीकार कर ले तो रिश्ता पक्का माना जाता है।
उपर्युक्त सभी उपयोग सामाजिक रूप से नारियल के होते हैं। नारियल का उपयोग होते हैं। नारियल और विवाह का गहरा सम्बन्ध होता है।
नारियल -
नारियल विवाह की एक बड़ी रस्म होती है। विवाह का कार्यक्रम लड़की के परिवार वालों द्वारा तय किए जाने के पश्चात् नारियल लड़के के घर वालों को भेजा जाता है। यह नारियल विवाह के लिए वर को वधु के घर आमंत्रित करने के लिए भेजा जाता है। वर पक्ष के लिए यह एक आमंत्रित किए जाने का एक संदेश होता है, जिस पर सभी आवश्यकता की सूचना यथा तिथि, वार और समय लिखा हुआ होता है।
नारियल वधु पक्ष की ओर से वर पक्ष को तब भेजा जाता है, जब विवाह तय हो जाता है। विवाह की तिथि और समय तय हो जाता है। यह विवाह के लिए बारात लाने का एक निवेदन होता है। इसमे एक श्रीफल पर मोली से एक काग़ज़ बंधा हुआ होता है, जिस पर विवाह का पूरा कार्यक्रम तिथि, वार और समय लिखा हुआ होता है। वर और वधु का नाम आमंत्रण स्थल आदि की जानकारी होती है।
यह नारियल विवाह से कुछ दिन पहले भेजा जाता है। इस कारण श्रीफल पर इतनी गांठ लगा दी जाती है, जितने दिन बारात लेकर जाना होता है। दूल्हे की मां श्रीफल पर लगी हुई गांठ में से एक गांठ प्रतिदिन खोलती है। जिस दिन कोई गांठ नहीं बचती उस दिन निर्धारित समय पर बारात का प्रस्थान होता है। ऐसे में आप नारियल का महत्व समझ सकते हैं।
जिस दिन नारियल वधू के घर से भेजा जाता है, उस दिन वधु के सभी सगे सम्बन्धी इकट्ठे होते हैं उसके घर। सभी की सहमती से नारियल भेजा जाता है। ठीक इसी प्रकार वर के घर पर भी सभी करीबी इकट्ठे हो इसे स्वीकार करते हैं। और बरात ले जाने की सलाह करते हैं।
ऐसे में यह एक फल है लेकिन किसी परिवार का आधार रखता है। परिवार के पूरा होने की और वंश को आगे बढ़ाए रखने में नारियल (विवाह का आमंत्रण) का योगदान होता है। वर के घर नारियल आने से घर का वातावरण किसी उत्सव की भांति हो जाता है। यह ऐसा उत्सव होता है, जिसे शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता है।
नारियल के अन्य उपयोग -
नारियल फल के अन्य कई प्रकार के उपयोग हैं। नारियल एक खाद्य पदार्थ होने के साथ तैलीय पदार्थ भी है।
- खाद्य तेल - नारियल तेल का उपयोग खाद्य तेल के रुप में किया जाता है। इस तेल का उपयोग बेकरी में चोकलेट बनाने से लेकर बिस्कुट बनाने तक में उपयोग किया जाता है।
- नारियल पानी पीना - गिले जल से भरे हुए नारियल का उपयोग पानी पीने के लिए किया जाता है। नारियल पानी स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है। खासतौर से शरीर में पानी की कमी होने पर उसकी भरपाई करने के लिए इस तरीके के पानी का उपयोग करने के लिए चिकित्सक भी सलाह देते हैं। आजकल नारियल पानी के कई फलेवर बनाकर भी परोसा जाता है।
- जानवरों के लिए उपयोग - सूखे नारियल में से तेल निकालने के बाद जो भूसा बच जाता है, उसका उपयोग जानवरों के खल के लिए किया जाता है।
उपर्युक्त सभी के अतिरिक्त भी कई नारियल के उपयोग हैं। आजकल नारियल का तेल निर्यात भी किया जाता है।
नारियल के तेल से शरीर की मालिश करने से लेकर सिर के बालो में भी प्रयुक्त किया जाता है।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - लकड़ी वाले लड़के के घर नारियल क्यों भेजते हैं?
उत्तर - जब लकड़ी का रिश्ता पक्का हो जाता है और विवाह अथवा लग्न का समय आ जाता है, तब लड़की वाले लड़के के घर शकुन के तौर पर नारियल भेजते हैं। नारियल अथवा श्रीफल को भेजा जाना शुभ माना जाता है। नारियल में नारायण बसते है। श्रीफल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। लड़के के परिवार को विश्वास दिलाया जाता है कि आपके घर में देवी देवताओं का वास हुआ है, आपका परिवार जल्द पूर्ण होने वाला है।
प्रश्न - बहिन भाई को नारियल क्यों देती हैं?
उत्तर - नारियल को सनातन संस्कृति में शुभ माना जाता है। इसका उपयोग भी शुभ माना जाता है। बहिन भाई के नजर से बचाने और शुभ भविष्य के लिए देती है। नारियल के तीन कोनों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होने से इसका धार्मिक मह्त्व भी होता है।
प्रश्न - मंदिरों में नारियल क्यों चढाया जाता है?
उत्तर - मंदिरों और देवालयों में नारियल की धार्मिक महता को देखते हुए प्रसाद के रूप में चढाया जाता है।
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