पतंजलि हमेशा निशाने पर क्यों? बाबा रामदेव से नफरत क्यों? Patanjali

पतंजलि हमेशा निशाने पर क्यों? बाबा रामदेव से नफरत क्यों? Patanjali

बाबा रामदेव योग की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं। हर कोई इस नाम से वाकिफ हैं। योगगुरु के नाम से विख्यात इस शख्सियत के ना सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी चाहने वालों की बड़ी संख्या है। योग के शौकीन इन्हें एक आदर्श गुरु के रूप में मानते हुए इनके योग सम्बन्धित शिविरों में देश-विदेश में बड़ी संख्या में सम्मिलित हो योग सीखने का लाभ उठाते हैं।

पतंजलि हमेशा निशाने पर क्यों? बाबा रामदेव से नफरत क्यों? Patanjali

बाबा रामदेव के दुनियाभर में जितने चाहने वाले है, उतने ही इनके आलोचक है। इनके आलोचक हमेशा इनकी आलोचना में ही विश्वास करते हैं। हालाँकि इनके अधिकांश आलोचक, अब आलोचना से आगे बढ़ते हुए नफरत करने लगे हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आलोचना के लिए उचित कारण की आवश्यकता होती है, लेकिन नफरत मन का भाव होता है, जिसके लिए कारण की आवश्यकता नहीं होती है। बाबा के आलोचक भी इनकी आलोचना के कारणों के अभाव में नफरत को ही बेहतर तरीके से देखने लगे हुए हैं। 

बाबा रामदेव - 


बाबा रामदेव भारतीय अध्यात्म से जुड़े हुए सनातन संस्कृति के सन्यासी हैं। बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा में हुआ और बहुत ही कम उम्र में इन्होंने सांसारिक मोह माया को त्याग सन्यास ग्रहण कर लिया। सन्यास ग्रहण करने के बाद इन्होंने योग के क्षेत्र में अपना स्व अध्ययन शुरु किया। अध्ययन के साथ इन्होंने योग के क्षेत्र में खास अनुसंधान भी किए। इसी का नतीजा था कि इन्होंने सन्यास के बाद वर्ष 1995 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट की स्थापना इन्होंने अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के सहयोग और पूज्य स्वामी श्री शंकर देव महाराज के सानिध्य और आशीर्वाद से की। 

दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना का उदेश्य योग और आयुर्वेद के खोए वजूद को पुनः स्थापित कर इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना था। ट्रस्ट स्थापना के बाद से निःशुल्क योग कक्षाओं से योग सीखने वालों की संख्या में वृद्धि होने लगी। वर्ष 2003 मे,  आस्था टीवी ने बाबा रामदेव के योग की कक्षाओं का सवेरे प्रसारण शुरु किया, जिससे इनकी पहचान घर-घर तक हुई। योग और आयुर्वेद को बढावा देने के लिए 'पतंजलि योगपीठ' की स्थापना की, जिसकी शाखाएँ देशभर के साथ दुनिया के कई देशों में हैं। 

पतंजलि योगपीठ से पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड - 


योग और आयुर्वेद को बढावा देने के उदेश्य बना पतंजलि योगपीठ बहुत ही कम समय मे आसमान की ऊंचाई को छूने लगा। आज यह एक सार्वजनिक कंपनी बन गया है, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड। पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना 2006 में हुई। शुरुआत में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड अत्याधुनिक औषधि निर्माण का कार्य करती थी। कंपनी का मुख्यालय हरिद्वार, उत्तराखंड हैं। शुरुआत में कंपनी च्यवनप्राश, केश कांति, आयुर्वेद दवाओं और घी का व्यवसाय करती थी। 

धीरे-धीरे पतंजलि ने अपने व्यवसाय में विस्तार करने के उदेश्य से आयुर्वेद के साथ सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों के साथ FMCG के उत्पादों का उत्पादन और विपणन कार्य शुरु किया। कंपनी ने कांति वर्धक उत्पाद (माउथ वॉच, क्रीम, साबुन, शैम्पू लिप बाम आदि), वस्त्र धोने का पाउडर, दंत कांति, खाद्य पदार्थ आदि। कंपनी 30 अधिक खाद्य उत्पाद बनाती है और अपने स्टोर के साथ रीटेल के माध्यम से बेचती है। आजकल पतंजलि के उत्पाद ऑनलाइन के साथ किराना की दुकानों पर भी आसानी से मिल जाते हैं। 

पतंजलि का कुल वार्षिक राजस्व ₹10000 करोड़ से भी अधिक है। पतंजलि का विभिन्न संगठनों के साथ उत्पाद विक्रय का अनुबंध भी है। पतंजलि के फ्यूचर ग्रुप और बिग बाजार के साथ हुए अनुबंध के मुताबिक ये दोनों ग्रुप अपने स्टोर पर पतंजलि के उत्पाद विक्रय करते हैं। इतना ही नहीं इसका डीआरडीओ के साथ अनुबंध के मुताबिक पतंजलि सेना के जवानों के लिए पेय और खाद्य पदार्थों को तैयार कर आपूर्ति करती है। इसके अतिरिक्त बाबा रामदेव की पतंजलि योग आए आयुर्वेद के अनुसंधान पर भारी रकम खर्च कर है। 

बाबा रामदेव निशाने पर क्यों रहते हैं? - 


पतंजलि के संस्थापक और योग गुरु बाबा रामदेव हमेशा से विपक्ष, मीडिया और स्वघोषित बुद्धिजीवियों के साथ विदेशी संगठनों के निशाने पर रहते हैं। इसके पीछे कई सारे कारण है, लेकिन कई लोग यूँ ही बहकावे में आ बाबा की बुराई में लगे रहते हैं। कभी-कभी बाबा की तरक्की और उनकी बुद्धिमानी को देखते हुए किसी का कहा हुआ "जब इंसान तरक्की करता हैं, तो कई दुश्मन पैदा हो जाते हैं।' वाली कहावत सत्य लगती है। बाबा की सीधी दुश्मनी किसी से नहीं है लेकिन उनकी प्रगति के कारण कई लोग उनके दुश्मन बन गए हैं। इन्हीं की बदौलत बाबा रामदेव के बारे में ऐसे भ्रम फैलाए जाते रहते हैं कि बाबा ने यह गलत कर दिया वो गलत कर दिया आदि। 

बाबा रामदेव अक्सर कई लोगों के निशाने पर रहते हैं, इसके पीछे के कारण देखे तो वास्तविक कारण बाबा रामदेव स्वयं का व्यक्तित्व और उनकी बुद्धिमता ही सबसे बड़ा कारण है। इसी के कारण वो अक्सर लोगों का निशाना बन जाते हैं। उनकी बुद्धिमता और तर्कों से उनके खिलाफ और उनकी छवि को बिगाड़ने के लिए ना सिर्फ भारतीय बल्कि कई अंतराष्ट्रीय स्तर के संघठन और बहुराष्ट्रीय कंपनियां वित्त पोषित कार्यक्रम चला रही है, अगर ऐसा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसे में उनके निशाने पर बाबा आ ही जाते हैं, जिसके कारण निम्नलिखित है। 

कोल्ड ड्रिंक और बाबा का ब्यान - 


जब बाबा रामदेव के योग शिविर का प्रसारण 2003 में आस्था टीवी पर किया जाने लगा तब बाबा योग करने वालों को सलाह देते रहते थे, कोल्ड ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बाबा के इस ब्यान का प्रभाव ऐसा हुआ कि कोल्ड ड्रिंक का 50% से भी अधिक बाजार भारत से गायब हो गया। हज़ारों आईआईटी और आईआईएम से पास आउट प्रबंधकों और गुणवत्ता सुधार के विशेषज्ञों को एक ब्यान ने मात दे दी। कई क्रिकेटर और फिल्म जगत के सितारों से विज्ञापन कराए जाने का असर शून्य हो गया। सच कहें तो अपने आप को धुरंधर कहने वाले विदेश मे बनी विपणन की योजनाएं बाबा के ब्यान के सामने टिक ना सकीं। 

उस समय विदेशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में कोल्ड ड्रिंक का बड़ा व्यवसाय चला रही थी। उस ब्यान ने विदेशी कम्पनियों के बाजार को छिन कर भारतीय पेय छाछ, लस्सी और जूस को दे दिया। आज भी कोल्ड ड्रिंक कंपनियां उस बजार को हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई है, जो 2003 से पहले भारत में हुआ करता था। विदेशी कंपनियां बाबा के इस ब्यान के बाद से उनसे बेरुखी नहीं रखेगी तो क्या रखेगी? दूसरी ओर बाबा ने जो उत्पाद बाजार में स्थापित किए उनमे से अधिकांश असंगठित क्षेत्रो के उत्पाद हैं। 

बाबा का भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह - 


बर्ष 2011 को भारत के लोग भ्रष्टाचार के वर्ष के रुप में याद करते हैं। इस वर्ष भारत ने इतने घोटाले देखे, जितने शायद आजादी के बाद किसी एक कैलेंडर वर्ष में नहीं देखे होंगे। 2G स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला बड़े घोटालों में शुमार थे। भारत की जनता घोटालों से त्रस्त थी। अखबारो में घोटालों की खबरे ही होती थी, आज फलां एजेंसी ने फ़लां घोटाले का पर्दाफाश किया, हुआ इतने अरब का घोटाला।पहले घोटाले हुए फिर घोटालों के खिलाफ आंदोलन। अन्ना हज़ारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार के खिलाफ आमरण अनशन शुरु कर दिया, जिसे पूरे देश का का समर्थन हासिल हुआ। 

अन्ना हज़ारे के आंदोलन के बाद बाबा रामदेव ने भी आमरण अनशन की शुरुआत दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू कर दिया। दिल्ली पुलिस और सरकार के दमनकारी षडयंत्र के चलते बाबा रामदेव रात में अनशन स्थल से गायब हो हरिद्वार पहुंच गए किन्तु जनता के दिल में गहरी पैठ जमा दी। बाबा आंदोलन कॉंग्रेस समेत तमाम उसके सहयोगी दलों के लिए काल साबित हुआ। आगामी आम चुनावों में कॉंग्रेस और उसके सहयोगियों की बूरी हार हुई। 

आन्दोलन के समय से ही कॉंग्रेस और उसके साथी रहे सभी दल बाबा को बीजेपी का एजेंट कहने लगे। 2014 के आम चुनावों में कॉंग्रेस और उसके सहयोगियों की बूरी हार के बाद से वो हमेशा से बाबा को कभी व्यावसायी तो कभी राजनीतिज्ञ कहकर निशाने पर लेटे रहे हैं। आज भी उन दलों के मन में बाबा के आंदोलन और चुनाव परिणाम के सह सम्बन्ध की थ्योरी किसी बुरे छाए की तरह उनसे चिपकी हुई है। इसके चलते कॉंग्रेस और उनके सभी सहयोगी दलों के समर्थक भी बाबा से मन ही मन बैर बनाये हुए हैं। 

आयुर्वेद को अहम स्थान - 


बाबा द्वारा जिस कंपनी की नींव 2006 में रखी वो आज आयुर्वेद की दवा बनाने के साथ ही योग शिक्षा देने वाली बड़ी कंपनी है। आयुर्वेद भारत के लिए नया नहीं है। सदियों से भारत में आयुर्वेद की शिक्षा दी जाती रही है। आयुर्वेद का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में सदियों से होता रहा है। आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा के मुकाबले में सस्ता और कम खर्चीला होने के साथ पूरी तरह से घरेलू इलाज है। 

बाबा रामदेव के आयुर्वेद और योग को पुनः भारत में स्थान दिलाने के प्रयास सार्थक सिद्ध हुए। लोगों का एकबार पुनः आयुर्वेद की तरफ झुकाव हुआ। लोगों के इस झुकाव ने आयुर्विज्ञान और शल्य चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को बाबा का दुश्मन बना दिया। योग से कई बीमारियों की दवा की बिक्री में कमी आई। दूसरी ओर आयुर्वेद के प्रसार से विदेशी कंपनियों के दवा का स्थान आयुर्वेद की दवा ने ले लिया, जिससे दवा कम्पनियों द्वारा भारी भरकम निवेश को नुकसान पहुंचा। 

आयुर्वेद में आधुनिक दवा के मुकाबले में साइड इफेक्ट्स की स्थिति बेहद कम है। ऐसे में दवा कंपनियों के भावी बाजार पर बाबा के प्रसार ने गहरी चोट की। साथ ही नव उत्पादों के लिए भी द्वार बंद कर दिए। ऐसे में बाबा के खिलाफ एक बड़ा चिकित्सा माफिया खड़ा हो गया। यह माफिया अपने जमे जमाए सिस्टम से बाबा की छवि बिगाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए भारी भरकम वित्त पोषण भी किया जा रहा है। 

सस्ते और गुणवत्ता के उत्पाद - 


बाबा के खाद्य और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद अन्य FMCG उत्पादों के मुकाबले में काफी सस्ते और गुणवत्ता के हैं। इसके कारण निम्न है - 
  1. बाबा के खिलाफ एक बड़ा माफिया काम करता हैं, जिसके कारण सभी उत्पाद गुणवत्ता की कसौटी पर खरे उतार बाजार में पेश किए जाते हैं। 
  2. अधिकांश उत्पाद स्वदेशी और किसानी से जुड़े हुए हैं, जिसके कारण शुद्ध है। 
  3. स्वदेशी कच्चे माल से परिवहन शुल्क कम आता है। 
  4. रंग और डिजायन अधिक ध्यान गुणवत्ता पर। 
  5. सदियों पुराने आयुर्वेद के अनुसंधान का उपयोग। 
  6. स्वदेशी उत्पाद होने से साइड इफेक्ट की कमी। 
  7. स्थानीय श्रम बल का उपयोग। 
उपर्युक्त सभी कारणों से बाबा रामदेव के उत्पाद अन्य कंपनियों के मुकाबले में सस्ते और गुणवत्ता के है। यही कारण है कि एक बार बाबा के उत्पाद का उपयोग करने वाला पुनः प्राथमिकता से उसी उत्पाद को खरीदता है। कोई प्रयोगशाला नहीं बल्कि ग्राहक का बार-बार एक ही उत्पाद का उपभोग बताता है कि उत्पाद की गुणवत्ता कैसी है? 

हिन्दुत्व की विचारधारा - 


जरा कभी आपने सुना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) के किसी कार्यकर्ता ने पड़ौसी देश पर हमला कर दिया, नहीं ना। फिर भी पड़ौसी देश को बड़ी आपत्ति है, आरएसएस से। इतना ही नहीं भारत में भी हिन्दुत्व की विचारधारा के विपरित विचारधारा रखने वाले राजनैतिक दलों का हाल भी पड़ौसी देश जैसा ही है। यह सब किसके कारण है? उत्तर - आरएसएस हिन्दुत्व की विचारधारा का ना सिर्फ समर्थन करता है, बल्कि प्रसार-प्रचार करता हैं। 

ऐसे में बाबा भी हिन्दुत्व की विचारधारा के समर्थक और धर्मगुरु दोनों है। जिनका हाल पड़ौसी देश की तरह है, उनके विचार बाबा के प्रति कैसे होंगे? जरा एक मिनट के लिए विचार कीजिए। आपका मन खुद बता देगा। ऐसे लोगों के पास आलोचना के लिए तर्क बचे ही नहीं है, इनके पास एक ही चीज़ बची है, जो कहती हैं नाम ही मत लो मेरे सामने इनका। ऐसे घटिया विचारधारा के लोग बेवजह ही या किसी एजेंडे फंसकर बाबा को अक्सर निशाने पर लेते रहते हैं। 

पतंजलि निशाने पर क्यों? -


पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड बाबा रामदेव द्वारा स्थापित कंपनी हैं, जिसका प्रबंध बाबा स्वयं देखते हैं। कंपनी के अधिकांश अंश बाबा के अधीन है। ऐसे में जो लोग आसानी से बाबा पर निशाना साध लेते हैं, वो कंपनी पर भी निशाना साधते रहते हैं। जो बाबा के विरोधी है वो पतंजलि के भी विरोधी है। 

पूंजीपति और पतंजलि के प्रतिस्पर्धी बाबा के नाम पर कंपनी की साख को कमजोर करने के लिए भारी भरकम वित्त पोषण करते हैं। उनका मकसद सीधा सा है, बाबा की कंपनी की साख को कमजोर करते हुए अपने उत्पादों की बाजार में स्थापना। 

क्या आम आदमी पतंजलि के खिलाफ? -


आम आदमी पतंजलि के खिलाफ नहीं है। आम आदमी बाबा और पतंजलि के खिलाफ होता तो पतंजलि का बाजार में यह स्थान नहीं होता। आम आदमी के पतंजलि के खिलाफ नहीं होने के कुछ कारण निम्नलिखित है - 
  1. पतंजलि का बढ़ता हुआ बाजार, इस बात का गवाह है कि उन्हें पतंजलि में पूरा भरोसा है। 
  2. पतंजलि का सामान अब स्टोर के साथ किराना की दुकानों पर बिक रहा है, जो इस बात का सबूत है कि ग्राहक पतंजलि पर भरोसा कर रहे हैं और दुकानदारों को सामान रखने के लिए मजबूर भी। पतंजलि का सामान ना मिलने पर दूसरी दुकान का रुख कर देते हैं, इसी के कारण दुकानों पर बिक रहा है। 
  3. पतंजलि का सामान गुणवत्ता का होने के साथ ही सस्ता भी है, जिससे ग्राहक बार-बार लौटकर आता है। 
उपर्युक्त सभी कारण इस बात का साक्ष्य हैं कि आम आदमी का पतंजलि और उसके उत्पादों में पूरा भरोसा है। उन्हें क्या करना राजनीतिक और पूंजीपति बवाल से। ग्राहक को गुणवत्ता चाहिए जो कंपनी दे रही है। 

इस नफरत के बावज़ूद पतंजलि बुलंदी पर क्यों?


पतंजलि और बाबा रामदेव एक है पर उनके दुश्मन अनेक हैं। फिर भी पतंजलि और बाबा दोनों अटल खड़े हो सामना कर रहे हैं, उन पर लगने वाले प्रत्येक आरोप का। दोनों की उड़ान हौसलों की उड़ान हैं, यह उड़ान ही उन्हें आसमां की बुलंदियों पर ले जा रही है। आम आदमी का पूरा भरोसा है, पतंजलि में। आम आदमी और उसका ग्राहक पतंजलि के उत्पादों को पूरे भरोसे के साथ खरीद रहा है। 

कोई भी कंपनी का अस्तित्व इस बात पर नहीं टिका हुआ होता है कि कोई उसके बारे में क्या सोच रहा है? बल्कि कंपनी का अस्तित्व इस बात पर टिका हुआ होता है कि ग्राहक उत्पाद के बारे में क्या सोच रहा है? ग्राहक उस समय कंपनी के समर्थन में खुलकर बोलता है, जब उसे लगता है कि कोई कंपनी के खिलाफ अनायास बाते कर रहा है या अनायास इल्ज़ाम लगा रहा है। ग्राहक ही भगवान है, उसी पर कंपनी का अस्तित्व और प्रगति टिकी हुई होती है। आज पतंजलि का ग्राहक उसके साथ है, तभी कंपनी उन्नती कर रही है। 

पतंजलि का भविष्य -

पतंजलि का भविष्य शानदार है। पूंजीपति, हिन्दुत्व विचारधारा के आलोचक, राजनैतिक द्वेष रखने वाले और आयुर्वेद के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कुछ भी कह सकते हैं। लेकिन उनकी बात पर कंपनी के ग्राहक का भरोसा टूटने की बजाय अटूट होता जाता है। ग्राहक का भरोसा उत्पाद से है। पतंजलि के गुणवत्तापूर्ण उत्पाद और आलोचकों की आलोचना दोनों इसके ग्राहक के लिए किसी टॉनिक की तरह काम करते हैं। दोनों ही कंपनी के प्रसारक है।

आजतक कंपनी पर ना जाने कितने इल्जाम लगे, लेकिन साबित नहीं हो सके। किसी भी प्रयोगशाला में यह साबित नहीं हुए कि पतंजलि के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसके बावजूद कम्पनी को बार-बार कटघरे में खड़ा किया जाना ग्राहक को संदिग्ध प्रतीत होता है। ग्राहक की ऐसी संदिग्धता कंपनी के लिए पूंजी है, उसी के बल पर इसका बाजार दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है। 

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