सोशल मीडिया पर इतनी नकारात्मकता क्यों? क्या इसका असर? Social Media

सोशल मीडिया पर इतनी नकारात्मकता क्यों? क्या इसका असर? Social Media

सोशल मीडिया को खोलते ही नकारात्मकता से भरी हुई पोस्ट, वीडियो, कमेन्ट्स और मीम दिखना एक आम बात है। सोशल मीडिया पर जितनी पोस्ट सकारात्मक भाव से होती है, उसके कई गुना नकारात्मकता से भरी हुई होती है। इस नकारात्मक पोस्ट को करने में युवा वर्ग ने सभी को कई गुना पीछे छोड़ दिया है। युवा दिनभर जितनी पोस्ट करता हैं, उसमे आधी नकारात्मक पोस्ट ही करता हैं। 

सोशल मीडिया पर इतनी नकारात्मकता क्यों? क्या इसका असर? Social Media

नकारात्मकता का मानो कोई दौर ही चल पड़ा है, हर कोई आलोचक बना बैठा है, मनुष्य से प्रकृति टक का। हर किसी के पास अपना विशलेषण है पर सभी के विश्लेषण में एक समानता है, नकारात्मकता की। 

नकारात्मकता का अर्थ - 


नकारात्मक भाव ऐसे भाव है जो किसी व्यक्ति को विशिष्ट वस्तु, विचार या तथ्य को स्वीकार करने में बाधा उत्पन्न कर उसे नकारने के लिए विवश करते हैं। यह विश्लेषक के मन में एक शंका पैदा कर उससे दूर रहने के लिए गलत तरीकों से विवश करते हैं। मन में एक संदिग्धता पैदा कर संदेह की उत्पत्ति करते हैं। ऐसे भाव का कारण कोई पूर्वाग्रह भी हो सकता है। यह एक निराशावादी सोच है जो व्यक्ति के जीवन को निराश और निरस कर देती है। 

नकारात्मकता मन की नकारा मनोदशा है, जो सभी तथ्यों की पारख किए बिना ही उन्हें नकारने के लिए विवश करती है। व्यक्ति की सोच और मन के दायरे को एक सीमित भाग में ही सीमित रखने के लिए बाध्य कर देती है। ऐसे भाव व्यक्ति को कुछ नया या अलग करने नहीं देते हैं। नकारात्मकता की अधिक जानकारी के लिए - नकारात्मकता का अर्थ और बचाव के उपाय को पढ़े। 

नकारात्मकता के प्रकार - 


नकारात्मकता कई प्रकार की होती है। इसके कुछ प्रकार निम्न है। 
  1. दोषारोपण - इस प्रकार की नकारात्मकता में व्यक्ति दूसरों पर केवल दोष मढता रहता है। 
  2. अन्याय - हर तथ्य में उसे अन्याय ही नजर आता है। ऐसी नकारात्मकता के कारण आदमी सड़क बनने पर चोर आने का संदेह करता हैं। 
  3. चिंता - इस प्रकार की नकारात्मकता में व्यक्ति को बेमतलब की चिंता होती रहती है। इससे उसके स्वास्थ्य को नुकसान होने के सर्वाधिक चांस होते हैं। 
  4. गलत विचार - व्यक्ति अकारण ही गलत विश्लेषण करता हैं। इसके परिणामस्वरूप उसके मन में गलत विचारो की उत्पत्ति हो मन में अशांति पैदा होती है। 
  5. भावना - व्यक्ति किसी प्रकार की भावना में बहते हुए गलत विचारधारा का समर्थन करने लगता है। जिन लोगों की इस प्रकार की नकारात्मकता होती है, उनका माइंड वॉच करके क्राइम में भी आसानी से धकेला जा सकता हैं।
  6. दुश्मनी - ऐसी नकारात्मकता में व्यक्ति, किसी भी व्यक्ति या विचार को दुश्मनी ही समझता है। ऐसी नकारात्मकता की भावना वालों के साथ गलती से भी मज़ाक़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो इसका गलत अर्थ ही निकालते हैं। 
  7. भ्रम - ऐसी नकारात्मकता अच्छी से अच्छी गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं, व्यक्ति और विचारो से भ्रमित हो उनका गलत अर्थ लगाते हैं। 
इसके अतिरिक्त दूसरों पर अपना आधिपत्य ज़माना, नियन्त्रण करना आदि प्रकार की भी नकारात्मकता होती है। नकारात्मकता से ओतप्रोत व्यक्ति किसी दूसरे की बात को सुनने के लिए तैयार भी नहीं होता है। 

सोशल मीडिया में कैसी नकारात्मकता - 


पहले हमने नकारात्मकता के प्रकार बताये है। सोशल मीडिया में उपर्युक्त सभी प्रकार की नकारात्मकता उपलब्ध है, जिन्हें नहीं लेनी है उन्हें भी भर-भर कर परोसी जा रही है। यह तक जानने की कोशिश नहीं की जाती है कि किसे क्या जरूरत है। जैसे ही किसी भी एप को खोलते हैं, बस नकारा पोस्ट ही नजर आती है। जिनसे ना कुछ सीखा जा सकता है और ना ही कुछ संवारा जा सकता है। ऐसी पोस्ट को देखते-देखते से आदमी औरों की तो छोड़ो खुद से ही नफरत कर बैठता है। 

सोशल मीडिया सभी से नफरत, दुश्मनी और बैर भाव वाली पोस्ट को बहुत ज्यादा दिखाता है। तथ्यों को तोड़ मोड़ कर गलत तरीके से विश्लेषण कर लोगों को इस तरीके से परोसा जाता है, जिससे सत्य प्रतीत हो। ऐसी पोस्ट से लोगों का विश्लेषण और विचार भ्रमित होने लगता है। जब विचार और विश्लेषण दोनों भ्रमित हो जाए तो उसे नकारात्मकता में डूबने से कोई बचा नहीं सकता है। 

दरअसल सोशल मीडिया नकारात्मकता को फैलाने से अधिक, नकारात्मकता को सिखाने में अधिक विश्वास करता हैं। कुछ लोग कमाने के चक्कर में ऐसी पोस्ट करते हैं क्योंकि यह विवाद से अधिक लोगों का ध्यान खींचती है। ऐसी पोस्ट को निरंतर देखने और पढ़ने वाले भावुक इस मे बह जाते हैं। ऐसे में यह एक प्रशिक्षण केंद्र बन गया है। ऐसी पोस्ट पर बढ़ते हुए व्यू को देख दूसरे भी ऐसी पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। ऐसी पोस्ट देखने, पढने और शेयर करने वालों का व्यावहार भी धीरे-धीरे इस तरीके का हो जाता है। 

सोशल मीडिया में नकारात्मकता के कारण - 


आजकल युवाओ में नकारात्मक विचार फैलाने का सबसे अधिक काम कर रहा है, सोशल मीडिया। सोशल मीडिया नकारात्मकता से भरा हुआ है। युवा वर्ग बिना समझ और जान बूझकर दोनों तरीकों से नकारात्मकता को बढावा दे रहा है। इसके कारण इस प्रकार है - 
  • विवाद - नकारात्मकत पोस्ट विवाद को जन्म देती है। विवाद अधिक लोगों को आकर्षित करता हैं, ऐसी पोस्ट पर समान्य पोस्ट के मुकाबले में अधिक कमेन्ट आते हैं। कई बार तो लोग ग्रुप बनाकर कमेन्ट करने लगते हैं, पक्ष-विपक्ष में। ऐसे में विवाद पैदा करने के लिए ऐसी पोस्ट होती है। 
  • अधिक लायक - जब विवाद होता रहता है है किसी पोस्ट पर तो वो अधिक लोगों तक पहुंचती है। जब अधिक लोगों तक पहुंचती है तो सामान्य पोस्ट की तुलना में अधिक लाइक बटोरने में कामयाब होती है। सोशल मीडिया का पूरा खेल ही लाइक का ही है। 
  • अधिक व्यू - विवाद और अधिक लाइक्स पोस्ट पर कुल व्यू को बढावा देते हैं। 
  • बूस्ट - विवाद से जब लाइक और व्यू बढ़ने लगते हैं तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का एल्गोरिदम पोस्ट को बूस्ट करने लगता है। इससे पोस्ट की रीच और बढ़ जाती है और व्यू बढ़ने लगते हैं। 
  • धन अर्जन - यह सब जानबूझकर किया जाता है, जितनी रीच, व्यू बढ़ते हैं, उतनी ही इंकम बढ़ती है। जिन्हें इंकम नहीं मिल रही वो व्यू बढ़ा मोनेटाइज करने के उदेश्य से ऐसी पोस्ट करते हैं। 
सोशल मीडिया की नकारात्मकता व्यू बढाऩे की नकारात्मकता है, यह धन अर्जन के लिए इस प्रकार से फैलाई जा रही है कि इसमे कब कोई कैसे डूब जाता है? डूबने वाले को अहसास तक नहीं होता है। इनके फॉलोवर ऐसे महान हो जाते हैं, उन्हें लगता है यह सही है। यह नकारात्मकता ऐसे फैलाई जाती है कि आदमी, आदमी में ही दोष निकालने लगता है। हर बात का उल्टा जबाब सिखाया जाता है। 

कैसे बचे सोशल मीडिया की नकारात्मकता से? 


सोशल मीडिया के जरिए जंगल कि आग कि भांति फैल रही नकारात्मकता से खुद और अपने परिवार का बचाव करना जरूरी है। अगर आज ऐसा नहीं किया गया तो कल बहुत दुखदायी, पीड़ादायक और कष्टकारी हो सकता है। इस नकारात्मकता से भरी पोस्ट करने वालों का खुद का हाल देख लीजिए, उन्हें ना परिवार में जगह है और ना ही उनके पास उनके कार्यस्थल पर जगह बची हुई है। अधिकांश बेरोजगार अपने व्यवसाय के लिए जगह तलाशते सोशल मीडिया को बेहतर समझ यहां ही डट गए हैं। ऐसे लोग कुछ लोगों को भावनात्मक रूप से अपने साथ मिला समाज का बंटाधार करने में लगे हुए हैं, इनसे बचने के लिए निम्न उपाय किए जाने चाहिए। 
  1. ऐसे लोगों को ब्लॉक करे, जो निरंतर नकारात्मकता से भरी हुई पोस्ट करते हैं। 
  2. कोई खास व्यक्ति ऐसा करता है तो ऐसी पोस्ट पर कमेन्ट और लाइक ना करे। 
  3. ऐसी पोस्ट पर होने वाले विवाद का हिस्सा ना बने। 
  4. ऐसी पोस्ट को रिपोर्ट भी करे ताकि रीच कम हो सके। 
  5. ऐसी पोस्ट पर कम देखे अधिक देखे का चयन करते समय कम देखे का चयन करे।
सोशल मीडिया में फैल रही नकारात्मकता से बचने के लिए जरूरी है कि आप कम और अच्छे लोगों को ही फॉलो करे। जो फालतू की पोस्ट करने की बजाय ज्ञानवर्धन पोस्ट करे उन्हें ही फॉलो करे। 

नकारा और फालतू की पोस्ट करने वाले दीमक की तरह होते हैं, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को चाट जाते हैं। इनसे बचने के लिए समय-समय पर ज़बरदस्ती दिखाई जाने वाली पोस्ट को छुपाते रहे ताकि ऐसी पोस्ट आप तक कम से कम पहुंचे। 

सोशल मीडिया की नकारात्मकता से बचाव क्यों? 


सोशल मीडिया पर आने वाली नकारात्मकता से भरी हुई पोस्ट को देखने और पढ़ने से व्यक्ति भ्रमित होने लगता है। ऐसी पोस्ट को लगातार पढने और देखने से व्यक्ति का विवेक कम होने लगता है, जिससे नकारात्मकता उसे ही घेर लेती है। किसी ने ठीक ही कहा है 'जो जैसे माहौल में रहता है, उस माहौल के लक्षण उसमे साफ दिखते हैं।' यह बात सोशल मीडिया में भी लागू होती है। आप जैसे लोगों को फॉलो करते हैं, उनके द्वारा बताई गई बाते आपके जीवन के दैनिक कार्यो में अपने आप उतरने लगती है। नकारात्मकता से भरी हुई बाते और साहित्य को देखने पढने से व्यक्ति निराशावादी हो, जिन्दगी से ही ऊब जाता है। 

दूसरी ओर, सोशल मीडिया में नकारात्मक पोस्ट को रिपोर्ट करने के लिए कोई ऑप्शन नहीं होता है। आपके द्वारा देखी जाने वाली पोस्ट आपके मित्रों को भी फॉरवर्ड कर दी जाती है, जिससे माहौल और बिगड़ जाता है। वो आपके द्वारा देखी गई या लाइक की गई पोस्ट को देखकर अपने मन में आपके लिए एक दृष्टिकोण को बना देते हैं। उन्हें यह पोस्ट लगातार ही मिलने लगती है और ऐसे नकारा लोगों की रीच भी बढ़ती है। 

मजे वाली बात तो यह भी है कि ऐसी पोस्ट को रिपोर्ट करने पर प्लेटफॉर्म द्वारा हटाई नहीं जाती है। प्लेटफॉर्म भी किसी की छवि को बिगाड़ने के लिए जैसे उत्सुक ही हो। ऐसी पोस्ट की पहचान करने और इन्हें विशेष चिह्न द्वारा सुरक्षित ना किया जाना भी अपने आप में एक बड़ी समस्या है। ऐसे में आप स्वयं को सजग रहकर ऐसी पोस्ट को ना देखने के लिए कदम उठाने होते हैं। 

तो क्या छोड़ दे सोशल मीडिया? 


सोशल मीडिया द्वारा सकारात्मक पोस्ट की तुलना में नकारात्मक पोस्ट अधिक दिखाई जा रही है। इसे लेकर बुद्धिजीवी (वास्तविक तर्कशील और बुद्धिजीवी, स्वघोषित बुद्धिजीवियों द्वारा ही इसे तूल दिया जा रहा है) समाज को समय-समय पर सचेत करते रहते हैं। फिर ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे प्लेटफॉर्म को छोड़ देने में भलाई है? क्या सोशल मीडिया को छोड़ देना चाहिए?

जी नहीं, सोशल मीडिया को छोड़ नहीं सकते। यह तकनीकी के हिसाब से हमारा नया साथी बन गया है, इसके बिना रहना सम्भव नहीं है इस दौर में। इसे छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। इसे छोड़ने की बजाय आपको नकारात्मकता को छोड़ना है, उसके लिए ऐसे लोगों से दूरी बना लीजिए जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं है।

अतिरिक्त प्रश्न - 


प्रश्न - सोशल मीडिया पर किस तरह की पोस्ट को सर्वाधिक व्यू मिलते हैं?

उत्तर - सोशल मीडिया पर नकारात्मक भाव से भरी हुई गलत विश्लेषण से जानबूझकर सजगता से की गई पोस्ट पर सर्वाधिक व्यू मिलते हैं।

प्रश्न - नकारात्मक पोस्ट पर अधिक व्यू मिलने के कारण क्या है?

उत्तर - नकारात्मकता व्यक्ति को अधिक आकर्षित करती है। व्यक्ति इसमे जल्दी हिस्सा लेने लगता है। यह ठीक ऐसा ही है, कि कहीं लड़ाई होती है तो सैंकड़ों की भीड़ जमा हो जाती है। ऐसा ही हाल नकारात्मकता का है, क्योंकि यह भी लोगों को लड़ाई (नकारात्मकता का परिणाम) की तरह ही आकर्षित कर लोगों को विवाद के लिए आमंत्रित करती है।

प्रश्न - अधिक नकारात्मकता को देखने और पढने से क्या होता है?

उत्तर - अधिक नकारात्मकता को देखने और पढने से व्यक्ति स्वयं नकारा हो जाता है। व्यक्ति कि सोच विनाशकारी हो जाती है और कभी-कभी स्वयं को चोट पहुंचाने का भी काम कर देता है।

प्रश्न - सोशल मीडिया में नकारात्मकता से दूरी कैसे बनाई जा सकती है?

उत्तर - ऐसी पोस्ट करने वालों को ब्लॉक करके आसानी से दूरी बनाई जा सकती है।

प्रश्न - क्रांति और नकारात्मकता में क्या अन्तर है?

उत्तर - क्रांति का एक विशिष्ट उदेश्य होता है। क्रांति करने वाले लोगों के पास तर्क होते हैं, जो हर कसौटी पर खरे उतरते हैं, लेकिन नकारात्मकता में सिर्फ भावना से खेल लोगों को मिला दिया जाता है। 

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