विद्युत विभाग जुझ रहा है, अकुशल कर्माचारियों से। VidyutVibhag

विद्युत विभाग जुझ रहा है, अकुशल कर्माचारियों से। VidyutVibhag

राजस्थान। प्रदेश में ना तो बिजली का संकट है और ना ही विद्युत के उत्पादन के लिए संसाधनो की कोई कमी। सरकार 24 घण्टे बिजली आपूर्ति के लिए प्रयासरत है। लंबे समय से विद्युत आपूर्ति और उत्पादन में किसी भी प्रकार की कमी को लेकर प्रदेश के मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग के बीच कोई खबर नहीं है।

विद्युत विभाग जुझ रहा है, अकुशल कर्माचारियों से। VidyutVibhag

इसके बावजूद प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को तो छोड़ो, शहरी इलाक़ों में भी विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है। शहरी क्षेत्रों की कई कॉलोनी में घंटों विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है। कई बीजलीघर के क्षेत्रो में तो कई बार 24 घण्टे तक विद्युत आपूर्ति बाधित रहना कोई बड़ी बात नहीं है। इतना ही नहीं, एक बार बिजली कुछ घण्टे गायब होने के बाद घंटों नहीं बल्कि दिनों सतत आपूर्ति नहीं हो पाती हैं।

बार-बार फॉल्ट - 


अगर आप राजस्थान के निवासी हैं और आपने अगर इस बात पर गौर किया हो कि विद्युत आपूर्ति सप्ताह या महीना में फॉल्ट की वज़ह से कितनी बार गायब हुई है। अगर आपने इस बात का गौर किया हो तो आप कहेंगे शायद पिछले दो दशक में फॉल्ट की वज़ह से विद्युत आपूर्ति के गायब होने का कुल समय और संख्या इस वर्ष सर्वाधिक हैं। इस वर्ष हर दिन हर कॉलोनी में फॉल्ट की वज़ह से सप्ताह में 2-3 बार घण्टों विद्युत आपूर्ति ना होना आम बात है। कहीं-कहीं तो फॉल्ट की वज़ह से सप्ताह में प्रतिदिन ही विद्युत आपूर्ति नदारद हो जाती है। 

वर्षा, आँधी या अन्य प्राकृतिक आपदा के समय तो 24 घण्टे के लिए भी विद्युत आपूर्ति गायब हो जाए तो आम बात है, इस साल। महज ट्रांसफॉर्मर पर फ्यूज उड़ जाए तो उसे वापस जोड़ने में घण्टे लग जाना और जोड़ने के कुछ समय बाद पुनः फ्यूज का उड़ जाना इतना आम है, जैसे फटाके की लड़ी में तिल्ली लगाने के बाद धमाका का होना निश्चित है, वैसे ही एक बार फ्यूज जुड़ने के कुछ समय बाद धमाका निश्चित हैं। कोई बड़ा फॉल्ट हो जाए तो अगले कई दिनों तक कई फॉल्ट और बार-बार विद्युत आपूर्ति बाधित होने के लिए तैयार रहना पड़ता है। 

घण्टों विद्युत अपूर्ति में बाधा का कारण - 


इस वक़्त कोई मानने को तैयार रहें या नहीं। लेकिन यह सत्य है कि इस वक्त विद्युत विभाग और विद्युत कंपनियां अकुशल कर्मचारियों और अधिकारियों के भरोसे चल रही है। विभाग के पास इतने अकुशल कर्मचारी और अधिकारी है, जिन्हें कुछ निश्चित काम के अतिरिक्त अन्य काम की जानकारी तक नहीं हैं। ये लोग कुछ ऐसे काम ही कर सकते हैं, जो बहुत ही नियमित और घरों में काम करने वाले कामचलाऊ या सीखने वाले भी आसानी से कर सकते हैं। कुछ बड़ा काम हो जाए तो ऐसे बड़े काम को कर देना इनके वश की बात ही नहीं है। 

कई बार ये कर्मचारी किसी काम को बीच में छोड़कर भी लौट जाते हैं। फिर कोई दूसरी टीम पहुंचकर काम को करती है। कई बार ये काम कर निकल जाते हैं, इतने में पुनः फॉल्ट हो जाता है। फॉल्ट पर फॉल्ट विद्युत आपूर्ति को इस तरीके से बाधित कर रहा है, ऐसा तो पहले कभी होता ही नहीं था। 

आजकल एक बड़ी समस्या फीडर फॉल्ट हैं। जब विद्युत आपूर्ति बाधित होती है ग्राहक हेल्पलाइन पर कॉल कर पूछता है, क्या समस्या है? जबाब मिलता है, फीडर फॉल्ट है। यह क्या समस्या है, इस बारे में नहीं कह सकते हैं? लेकिन इतना हम स्पष्ट तौर से कह सकते हैं कि वर्तमान समय में आपको फीडर फॉल्ट रात के समय बताया जा रहा है तो अपने बिस्तर छत पर लगा देने में भलाई है। इस समस्या का समाधान इन कर्मचारियों से रात भर नहीं होता है, अगर कैसे ही करके निदान कर दे तो कुछ समय बाद फॉल्ट होना तय रहता है। यह विद्युत आपूर्ति के घण्टों रुकने का सबसे बड़ा कारण है। 

कर्मचारी अयोग्य होने के सबूत - 


आपको लग रहा होगा कि यह समान्य समस्या है जो सदैव बनी रहती है। इसमे कर्मचारियों के अयोग्य होने जैसी कोई बात नहीं है तो हम आपके सामने सबूत के रूप में कुछ तथ्य अवश्य रखना चाहेंगे जो सपष्ट रुप से इशारा करते हैं कि विद्युत विभाग पूरी तरह से अयोग्य कर्मचारियों से जुझ रहा है। इन लोगों की वज़ह से प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ता भी परेशान हो रहे हैं। जो निम्न है - 
  • समय से फॉल्ट ठीक नहीं होना - राजस्थान में विद्युत आपूर्ति से सम्बन्धित शिकायत के लिए हेल्पलाइन एक दशक से अधिक समय से कार्य कर रही है। जब हेल्पलाइन की शुरुआत हुई तब कोई भी शिकायत की जाती थी, तो काम को पूरा करने के लिए एक निश्चित समय होता था। उस समय कस्टमर केयर द्वारा काम पूरा होने के लिए जो समय बताया जाता था, उस समय तक शत-प्रतिशत रुप से काम पूरा कर दिया जाता था। अब दौर बदल गया है, कोई भी काम समय कस्टमर केयर द्वारा दिए गए समय से नहीं होता है। उदाहरणार्थ अगर शिकायत 9 बजे की है और टीम मौके पर 10 बजे आती है तब एक घण्टे का समय मांगती है। लेकिन एक घंटे के बाद एक घंटा और ऐसे 4-5 बार एक-एक घन्टा बढ़ता जाता है। जबकि शुरुआत में एक घण्टे का अर्थ एक घन्टा ही होता था। काम वही है लेकिन समय अयोग्यता के कारण लगता है। पहले कर्मचारी योग्य थे जो समय से काम पूरा कर देते, अब वह दौर नहीं है। 
  • फॉल्ट ठीक करने के बाद पुनः फॉल्ट होना - घंटों का समय व्यतित कर कर्मचारी किसी फॉल्ट को ठीक करते हैं, तो वो खुद भी नहीं कह सकते हैं कि उनके द्वारा ठीक किया गया फॉल्ट कितने समय तक चल सकेगा? कई बार तो फॉल्ट ठीक कर निकलते नहीं तब तक पुनः फॉल्ट हो जाता है। ऐसे में, वर्तमान कर्माचारियों की कार्यक्षमता और कुशलता दोनों पर प्रश्न चिह्न लगाती हैं। यही कारण स्पष्ट रूप से सिद्ध करता हैं कि कर्मचारियों की कार्य कुशलता निम्न स्तर की है। पहले के कर्मचारियों से तुलना की जाए तो कहीं टिकते तक नहीं है। 
  • फॉल्ट ठीक किए बिना ही निकल जाना - कई बार किसी फॉल्ट को ठीक करने आई हुई टीम उपकरण या आवश्यकता की सामग्री ना होने का बहाना कर निकल जाती है। फिर दूसरी टीम या कोई नया व्यक्ति अपने साथ ला फॉल्ट ठीक किया जाता है। कर्मचारियों का ऐसा व्यावहार उनकी कार्यकुशलता पर प्रश्न अवश्य खड़े करता हैं। 
  • आधुनिक उपकरणों के बावज़ूद नए कार्य ढंग से ना होना - वर्तमान समय में, विद्युत विभाग के कर्मचारियों के पास आवश्यकता के सभी आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। ऐसे उपकरण पहले के कर्मचारियों ने शायद देखे तक नहीं थे। किंतु ऐसे उपकरणों के बावज़ूद वो ऐसा काम नहीं कर सकते, जो पहले के कर्मचारी बिना किसी उपकरणों के भी कर देते थे। 
  • संसाधनो का दुरुपयोग - आधुनिक समय में भले विद्युत की आपूर्ति हो या विद्युत विभाग के उपकरण और अन्य संसाधन जिसमें तार से फॉल्ट निकालने तक के संसाधनों को शामिल कर सकते हैं। सभी का दुरुपयोग ही हो रहा है। कई बार जहां कम पॉवर की आवश्यकता होती वहाँ अधिक और जहां अधिक की आवश्यकता होती वहाँ कम पॉवर दिया जा रहा है। यह भी उनकी कार्यकुशलता पर प्रश्न खड़े करता हैं। 
उपर्युक्त सभी कारण स्पष्ट रुप से सिद्ध करते हैं कि वर्तमान समय में कर्मचारियों की कार्यकुशलता संदेहजनक हैं। उनकी कार्यकुशलता ऐसी नहीं है कि किसी भी प्रकार की त्रुटि को पूर्व कर्मचारियों की भांति उचित समय में उचित तरीके से सही कर सके। 

अयोग्य कर्मचारियों से नुकसान - 

विद्युत विभाग और सरकार दोनों को ऐसे अयोग्य कर्मचारियों से नुकसान हो रहा है। उन्हें जो नुकसान हो रहे हैं, उन सभी पर प्रकाश नहीं डाला जा सकता है। ऐसे में हम संक्षिप्त में कुछ कारण अवश्य स्पष्ट करना चाहेंगे जो निम्न हैं - 
  • पॉवर का नुकसान - जब फॉल्ट से विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब भी विद्युत का उत्पादन होता रहता है। लेकिन इस पॉवर का कोई उपयोग नहीं होता है, यह व्यर्थ ही खराब हो जाता है। ऐसे मामलों में अधिक वृद्धि होने का मतलब है कि विद्युत उत्पादन महँगा हो जाता है। 
  • संसाधनो का दुरुपयोग - जब विद्युत की आपूर्ति बार-बार बाधित होती है, तो पॉवर का नुकसान होता है। विद्युत के उपयोग से होने वाला उत्पादन कम होने लगता है। ऐसे में संसाधनो का नुकसान होता है। यह ठीक उसी तरह से है, जैसे किसी उद्योग में उत्पादन होता है लेकिन विक्रय योग्य नहीं। ऐसा उत्पादन कच्चे माल के साथ मशीनों के दुरूपयोग को भी बढ़ावा देता है। 
  • साख पर विपरित प्रभाव - जब बार-बार विद्युत आपूर्ति बाधित होती है तो सरकार और विभाग दोनों की साख पर प्रभाव होता है। आज भले ही विद्युत विभाग सरकारी है, लेकिन यह हाल इसे अधिक दिन तक सरकार के नियंत्रण वाले एकाधिकारवादी व्यवसाय के रुप में टिकने नहीं देगा। कुछ समय बाद कोई निजी कंपनी खड़ी हो इसे टक्कर दे देगी या लोग अपने स्तर पर उत्पादन शुरु कर देंगे। 
  • विद्युत उत्पादन की लागत में वृद्धि - जब विद्युत की आपूर्ति बार-बार बाधित होती है, तो पॉवर का नुकसान होता है। विद्युत के उपयोग से होने वाला उत्पादन और विद्युत का उपभोग दोनों घटने लगते हैं। ऐसे में विद्युत उत्पादन की दर बढ़ने लगती हैं। किसी ने ठीक ही कहा है, जिस उद्योग में उत्पादन के मुकाबले में वेस्टेज ज्यादा होता है, वहाँ लागत अधिक आती है। 
  • अधिक हादसे - जब विभाग के कर्मचारी अयोग्य होते हैं तो हादसे बढ़ने लगते हैं। यह हादसे विभाग के कर्मचारियों और राहगीरों किसी के भी साथ हो सकते हैं। पिछले कुछ समय से सड़क के बीच खंबे से लेकर तार गिरने तक के हादसों में बढावा हुआ है। 
यह सभी नुकसान अयोग्य कर्मचारियों के कारण होते हैं। ऐसे में विभाग को अपने अयोग्य कर्मचारियों से निपटने के लिए एक मजबूत प्लान के साथ उपयुक्त कदम उठाने होंगे। ताकि ऐसे नुकसान से बचा जा सके। 


क्या हो सकता है सुधार? 


आधुनिक युग प्रतिस्पर्धा का युग है। तकनीकि का युग है। माना विद्युत विभाग को प्रतिस्पर्धा से कोई मतलब नहीं। लेकिन तकनीकी के दौर में अयोग्य कर्मचारियों का होना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे में विभाग को इस चुनौती से निपटने के लिए निम्न कार्य करने चाहिए। 
  • प्रशिक्षण - विद्युत विभाग अपने कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दे। प्रशिक्षण से उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होगी। तकनीकी से सम्बन्धित प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। 
  • पेशे के प्रति भावनात्मक भाव पैदा करना - वर्तमान में विद्युत विभाग के कर्मचारी विभाग में नोकरी कर रहे हैं, इससे अधिक कुछ नहीं। यह नोकरी केवल वेतन पाने के लिए की जा रही है। कर्मचारियों का विभाग से भावनात्मक सम्बन्ध नहीं है। ऐसे में विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें पेशे प्रति भावनात्मक रूप से जोड़े। 
  • सजा और प्रोत्साहन - बिना डर के काम सम्भव नहीं होता है। ऐसे में विभाग अयोग्य कर्मचारियों को आर्थिक या कोई अन्य तरीकों की सजा देनी चाहिए और समय पर सही काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
ऐसा करना जरूरी है, अन्यथा विद्युत विभाग कि साख गिरने के साथ विद्युत उत्पादन भी महँगा होता चला जाएगा और संसाधनो का दुरुपयोग भी जारी रहेगा। 

क्यों जरूरी है समय से विद्युत आपूर्ति? 


कोयला भी है, जल भी है। बस नहीं है तो लाइट नहीं है। 
आज वैसी नहीं, जो कल थी। बस योग्य कर्मचारी नहीं हैं।। 
सब कुछ होते हुए भी विद्युत आपूर्ति नहीं होना शर्म की बात है, साथ ही नुकसान भी हो रहा है। ऐसे में निम्न कारण से विद्युत की आपूर्ति निर्बाध रूप से होनी चाहिए, बिना किसी प्रकार की रुकावट के - 
  1. समय से उचित विद्युत आपूर्ति होती रहे तो विद्युत विभाग पॉवर के नुकसान से बच सकता है। 
  2. विद्युत आपूर्ति के नहीं होने से विद्युत विभाग के उपभोक्ताओं को नुकसान होता है। इस नुकसान से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए विद्युत आपूर्ति को निर्बाध किया जाना अति आवश्यक हैं। 
  3. बार-बार विद्युत आपूर्ति रुकने से विभाग की साख को बट्टा लगता है। विभाग की साख को बचाने के लिए विद्युत आपूर्ति को निर्बाध किया जाना आवश्यक है। 
  4. निर्बाध आपूर्ति और संसाधनो के दुरुपयोग को रोकने से विद्युत लागत में कमी आएगी। 
  5. विद्युत विभाग और इसके ढुलमुल रवैये से होने वाले नुकसान मे कमी होगी। 
प्रदेश में विद्युत आपूर्ति को निर्बाध करने की जिम्मेदारी सरकार की है। प्रदेश में सरकारी कंपनियां विद्युत उत्पादन से लेकर वितरण तक का काम कर रही है। ऐसे में सरकार द्वारा विभाग को आगे कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती है। सरकार को भी सामने आना होगा। इसे निर्बाध करने के लिए। 

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