मेरा भारत महान निबंध। Mera Bharat Mahan

मेरा भारत महान निबंध। Mera Bharat Mahan

युगों युग से भारत की संस्कृति और सभ्यता अपना हिस्सा दुनिया के नक्शे पर रखती है। युगों से भारत ने विश्व को शांति, अहिंसा और धैर्य का पाठ पढ़ाया हैं। इसके गौरव की कहानियां ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के शांति प्रिय देशों के लिए आज भी किसी आदर्श विवरण से कम नहीं है। भारत का गौरवशाली इतिहास और आज दोनों ही मिलकर इस देश को महान बनाते हैं। 
मेरा भारत महान निबंध। Mera Bharat Mahan

इसकी महानता सिर्फ कहानियो तक सीमित नहीं है, समय आने पर दुनिया के सामने भारत ने ऐसे उदाहरण रखे हैं, जिससे इसकी महानता पर चार चांद लगे हैं। दुनिया में भारत ने हमेशा से ही शांति का पाठ पढ़ाने के साथ ही कई और भी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जो किसी पैड संस्थान की फेक रिपोर्ट में नहीं, धरातल पर अपना अस्तित्व रखते हैं।

मेरा भारत महान का अर्थ -


भारत हमारे देश का नाम है, जो कहा जाता है कि राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के शौर्य, बलिदान और त्याग के कारण उनके नाम पर देश का नाम भारत पड़ा। इस देश की संस्कृति, विविधता, विभिन्न भाषा और प्राकृतिक सौंदर्य के अद्वितीय मेल के कारण इसे महानता की श्रेणी में रखा। इतनी विविधता के बावजूद यहां के लोगों में अद्वितीय एकता ने इसे महानता की श्रेणी में बनाये रखा।

भारत ने कितने ही विदेशी आक्रांताओ के क्रूर प्रहार को सहन किया है। सालो ही नहीं सदियों विदेशी आक्रमणकारियों के क्रूर और तानाशाह शासन को झेला, लेकिन अपनी विरासत को अटूट बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विदेशी आक्रांताओ ने भी अपना क्रूर रुख त्याग भारत की संस्कृति में विलय कर खुद को उदारवादी बना दिया, जो खुद को उदारवादी ना बना सके उनका हश्र बुरा हुआ। ऐसे ही जो विदेशी भारत आध्यात्म की खोज में आए वो हमेशा-हमेशा के लिए यहीं के हो गए। 

ऐतिहासिक महत्व - 


भारत की संस्कृति और विरासत सदियों पुरानी है। सदियों से भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। भारत में आज भी दुनिया के अजूबे और हज़ारों साल पुराने किले और मंदिर के साथ ही पाश्चात्य सभ्यता के ऐसे अवशेष उपलब्ध है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व महत्व को उजागर करते हैं। आज भी इतिहास के शोधार्थी भारत का भ्रमण कर इतिहास से जुड़े रहस्य उजागर करते हैं। 

प्राचीनकाल में भारत का वैश्विक व्यापार में एक बड़ा हिस्सा होने के साथ ही कला और संस्कृति में भी अपनी पहचान रखता था।  सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिले अवशेषों में विदेशी मुद्रा इशारा करती है कि भारत का व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था। ऐसे ही विश्व के कई देशों में भारत में पाई जाने वाली प्राचीन मूर्तियां के समान मूर्तियां मिलने से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि भारत की कला उस जमाने में भी दूर-दूर तक फैली हुई थी। 

भारत में कला और संस्कृति को जन्म देने से इसे सम्भाल कर अगली पीढ़ी को सौंपने का हुनर सदियों पहले ही आ गया। भारत में कई ऐसे महापुरुष हुए जिनके द्वारा लिखे गए लेख और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को आज पूरा विश्व अपना रहा है। यह भले शांति का पाठ हो या मानसिक शांति के लिए योग शिक्षा। 

वैज्ञानिक सोच - 


सदियों पूर्व भी भारत के लोगों और खासतौर से में वैज्ञानिक सोच कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनके द्वारा सदियों पूर्व कई इस प्रकार की खोज कर ली गई जो कई देश आधुनिक समय में भी नहीं कर पा रहे हैं। सदियों पूर्व भारत ने गणित में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए शून्य की खोज की। आधुनिक गणित पूरी तरीके से शून्य पर टिकी हुई है। शून्य की खोज गणित के लिए एक महत्वपूर्ण खोज साबित हुई, उसी के दम पर आज अभियांत्रिकी और तकनीकी टिकी हुई है। 

अंतरिक्ष, भविष्य वाणी और खगोल शास्त्र में भारत का सदियों पुराना इतना गहरा अध्ययन और खोज है, जिसकी कल्पना आज भी पूरी दुनिया नहीं कर सकती है। भारत के ज्योतिषियों द्वारा खगोलिय घटनाओं की जानकारी बरसों पहले ही दे दी जाती है। भारत ही एकमात्र देश आज भी है, जिसका राष्ट्रीय कैलेंडर (विक्रमी संवत) सूर्य और चंद्रमा की गति पर निर्भर है। आधुनिक समय में भी विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बात की जाए तो अपना झंडा शान से चंद्रमा पर भी लहरा दिया है। भारत के वैज्ञानिक और चिकित्सक ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं। 

हाल ही में कोरोना से हुई महात्रासदी को कोई भला कैसे भूला सकता है? इसने विश्व की महाशक्तियों को झुका दिया। इस भयंकर महामारी से निपटने के लिए दुनिया की महाशक्ति नहीं कमजोर नजर आई वैक्सीन की खोज करने के लिए, लेकिन भारत ने ना सिर्फ वैक्सीन की खोज की बल्कि दुनिया का पहला सफल इलाज कर कोरोना से रोगी को रोग मुक्त करने की भी सफ़लता हासिल की। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दवा निर्माता होने के साथ ही निर्यातक भी है। यह सब इसकी महानता में उल्लेखनीय योगदान देते हैं। 

विभिन्न धर्म - 


दुनिया के सभी कोनो में पाए जाने वाले धर्मों के अनुयायी भारत में मिलते हैं। कई धर्मों की उत्पत्ति भी भारत की भूमि पर ही हुई है। भारत में सनातन संस्कृति के सर्वाधिक उपासक है, और ये पूरे विश्व के देशों में फैले हुए हैं। लेकिन भारत में जन्मा बौद्ध धर्म आज पूरे विश्व में फैला हुआ है। ऐसे ही सिख और जैन धर्म की भी उत्पत्ति भारत में ही हुई है। 

भारत वो देश है, जिसमें सर्वाधिक धर्मों को मानने वाले एक देश में रहते हैं। इसे आप यूँ भी कह सकते हैं कि जितने धर्मों के भारत में अनुयायी रहते हैं उतने किसी और देश में नहीं। विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक देश में रहने के बावजूद भारत दुनिया के शांत देशों में शुमार है। भारत में सभी नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता विरासत से मिली हुई है। विरासत से मिली इसी स्वतंत्रता के कारण ही भारत में कई धर्मों की उत्पत्ति हुई। 

भारत में जितने धर्मों की उत्पति हुई उतनी ही इसकी विरासत मजबूत होती गई और लोगों में ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास के साथ कण-कण में भगवान के निवास की महता भी पता चलती गई। ईश्वर में सच्ची श्रद्धा और कण-कण में ईश्वर के निवास के कारण ही आज भी भारत में सर्वाधिक शाकाहारी लोग हैं। भारत में जितने शाकाहारी लोगों की संख्या (कुल का 38%) है, उतनी चीन को छोड़कर किसी अन्य देश की जनसंख्या भी नहीं है। 

100 में 99 बेइमान, फिर भी मेरा भारत महान - 


हमे बहुत कुछ विरासत में मिला लेकिन विदेशी आक्रांताओ और उनके शासन के कारण भारत के लोगों में लोलुपता और लालचा की उत्पत्ति कर दी। इसके चलते आधुनिक समय में शत-प्रतिशत लोग उस रास्ते पर नहीं है, जिस रास्ते पर होना चाहिए। आजादी के बाद भारत में ना सिर्फ संस्कृति का ह्रास हुआ बल्कि भारत में उच्च पदों पर विराजमान लोगों के साथ सत्ता को चलाने वाले नेता, शासक प्रशासक और प्रशासनिक बेड़ा इसकी महानता को भूल ही गया। इनमे आलस्य, काम चोरी, लालच और लोभ की उत्पत्ति हो गई। इसका प्रभाव जनता पर भी होने लगा, आखंड भ्रष्टाचार में डूबे शासन प्रशासन के बावजूद भी कुछ है, जो भारत की महानता के लिए कार्य कर रहे हैं, अपने लोभ और लालच को त्याग कर। इन्हीं के कारण भारत का अस्तित्व बचा हुआ है। आइए एक नजर में आपको भारत के बारे में कुछ अनोखी बाते बताते हैं - 

  • सरकारी शिक्षक -  भारत में सरकारी शिक्षक अब तक ऐसा कोई विद्यालय बनाने में सफल नहीं हो सके, जहां उनके बच्चे विद्या हासिल कर सके। उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा के लिए निजी क्षेत्र के विद्यालयों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। 
  • नेता - आजादी के बाद भारत द्वारा ग्राम की सबसे छोटी इकाई वार्ड से देश के संसद में प्रतिनिधित्व करने के लिए सांसद लोकतांत्रिक व्यवस्था द्वारा चुने जाने लगे। आज देश की संसद के साथ राज्यों की विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक इस देश में कोई ऐसा विश्वविद्यालय खोलने में असफल रहे हैं, जो देश मे उनके उनके पुत्र-पुत्रियों को शिक्षा दे सके। आज भी उनकों (सांसद और विधायक पूत्र-पुत्रियों) शिक्षा के लिए विदेश जाए जाना पड़ता है। 
  • अफसर - भारत के अधिकांश अफसरों को स्वयं द्वारा निरीक्षण किए गए कार्य के सही होने का भरोसा नहीं है। उन्हें निरीक्षण से अधिक भरोसा होता है, फाइल पर पड़ने वाले भार (रिश्वत की राशि पर) पर। भारतीय अफसरों को एक फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए फाइल को अप्रूवल देने में बरस बीत जाते हैं। आजकल कई काम इसलिए शुरु नहीं हो पाते क्योंकि जब अफसर को फाइल पर हस्ताक्षर करने का समय मिलता है, तब तक वह तकनीकी बाजार से गायब हो जाती है और बाजारों में नई तकनीक आ जाती है। भारत की दूर संचार कंपनी बीएसएनएल उसकी गवाह है। उसकी 3 जी की फाइल पर तब हस्ताक्षर हुए जब निजी कंपनी 5 जी की स्थापना में जोर आजमाइश कर रही थी। 
  • कर्मचारी - भारत में सरकारी कर्मचारियों को सरकारी जंवाई कहकर संबोधित किया जाता है। इनके अपने कार्यकाल आगमन का दिवस कार्यालय के चक्कर काट रहे लोगों के लिए किसी शुभ दिवस से कम नहीं होता है। कई तो हफ्तों तक अपने कार्यालय तक नहीं आते हैं। 
  • न्याय - भारत की न्यायिक व्यवस्था से आप सभी प्रचलित है ही। भारत में न्याय उस समय प्राप्त होता है, जब अपराधी या न्याय का पात्र इस दुनिया में नहीं होता है। अक्सर देखने को मिलता है कि भारत की न्याय प्रणाली न्याय से अधिक वकीलों का अखाड़ा बनी हुई है। वकील से न्याय प्राप्त होता है, कानून से नहीं। 

उल्लिखित किए गए बिंदु इतिश्री नहीं है। भारत में कामचोरी और भ्रष्टाचार लोगों की रग-रग में है। अब आप सरकारी कर्मचारी और अफसर को छोड़कर आम जनता को ही देख लीजिए। उस जनता को देखिए जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कार्य करने वाले कितना कार्य करते हैं? इस योजना के अन्तर्गत एक ग्राम पंचायत एक तालाब की खुदाई के लिए पिछले 20 साल में करोडों ₹ खर्च कर चुकी है, लेकिन आज भी उस ग्राम पंचायत में कोई तालाब का अस्तित्व भी नहीं है। 

नियम तोड़ना और पकड़े जाने पर कानून से अधिक लक्ष्मी (मुद्रा) से न्याय प्राप्त करने की इच्छा इस देश के नागरिको में यूँ भरी हुई है जिससे आप सब वाकिफ ही है। 

लेकिन ऐसे लोगों के बीच कोई एक जरूर ऐसा होता है, जो न्याय को तवज्जो देता है। ऐसा व्यक्ति अगर छोटे पद पर भी होता है, तब भी उसके वरिष्ठ उसे डर की नजर से देखते हैं। उन्हीं लोगों के व्यक्तित्व के कारण ही मेरा देश महान है। ऐसे लोगों की संख्या कम है, लेकिन धैर्य, विश्वास, काम की लगन और ईमानदारी की भावना अंधेरे का वो दीपक है जो अंधेरे को चीरकर उजाला लाता है। इनका व्यक्तित्व भी भ्रस्टाचार और कामचोरी के बीच देश को महान बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ देता है। 

आगे बढ़ो - 


भारत के लोगों में आगे बढ़ो की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। कठिन से कठिन दौर को भूलकर आगे बढ़ने की यह भावना इस देश की संस्कृति का हिस्सा है, इस देश में घर-घर में गीता की शिक्षा आम है, जहां बच्चों को सिखाया जाता है - 
"कर्म किए जाओ, फल की इच्छा मत करो" 
जिस देश की शिक्षा नाम और काम से अधिक कर्म पर जोर देती है, उस देश के विकास को कोई कैसे रोक सकता है? उस देश की तरक्की में कोई कैसे बाधा बन सकता है? जिस देश में आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए शिक्षा दी जाती है, उसकी महानता को आप समझ सकते हैं। 

धर्म, न्याय और मानवीयता पर हमेशा से इस देश में बल दिया गया। अधर्म पर धर्म की विजय देश का पर्व हो, उस देश के साथ भला कोई कैसे बुरा कर सकता है? उस देश को महान बनने से कोई कैसे रोक सकता है। 
          - जय हिंद, 
          - जय भारत, 
          - भारत माता की जय।

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