गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से क्या मौत हो जाती है? Wrong Blood

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से क्या मौत हो जाती है? Wrong Blood

अस्पतालों में आजकल मरीजों को खून चढ़ाना बहुत आम हैं। खासतौर से किसी दुर्घटना में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के शरीर से अधिक खून बह जाने के बाद अस्पताल ले जाने पर उपचार शुरु होने के बाद उसे खून भी चढ़ाया जाता है। मरीज या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को खून आवश्यकता होने पर डॉक्टर की सलाह पर चढ़ाया जाता है।

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से क्या मौत हो जाती है? Wrong Blood

कई बार मरीज़ को अस्पताल में खून चढ़ाते समय नर्सिंग कर्मियों, लैब स्टाफ या चिकित्सक की गलती से गलत ग्रुप का ब्लड मरीज को चढ़ा दिया जाता है। किसी (चिकित्सा स्टाफ) की भी ऐसी गलती मरीज पर बहुत भारी पड़ती है। इसके बावजूद भी ऐसी गलती देखने को मिलती रहती है। 

क्या गलत ब्लड चढ़ाने से मरीज की मौत हो जाती है?


सबके दिमाग मे ऐसा प्रश्न आना आम बात है। आपके मन में जो भ्रम है उसे हम मिटाने का प्रयास करते हैं। तो हम आपको बता दें कि आमतौर पर मरीज को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा देने पर मौत हो जाती है। किंतु यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा देने के बाद मौत ही होती है, यह उचित नहीं है। गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा देने के बाद चिकित्सकों की तत्परता से मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। लेकिन मरीज की जान उस परिस्थिति में बचाई जा सकती है, जब मरीज की स्थिति थोड़ी ठीक हो। 

अक्सर गलत ब्लड चढ़ा देने के बाद मौत होने की ख़बरें सुनने में आती है। चिकित्सक भी कहते हैं कि गलत ब्लड चढ़ा देने से मरीज की मौत हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मरीज को ब्लड चढ़ाने के पूर्व ग्रुप को मैच करके ही चढ़ाया जाता है ताकि किसी प्रकार की कोई गलती ना हो। यह एक सावधानी से किया जाने वाला कार्य हैं। मरीज को ब्लड चढ़ाते समय बहुत सावधानी बरती जाती है, इसके बावजूद भी गलती हो जाती है। ऐसी गलती की खबरे हमारे सामने आती है। 

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने पर क्या होता है? 


प्रत्येक व्यक्ति का एक निश्चित ब्लड ग्रुप होता है। जब किसी व्यक्ति को ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है, तब उसे उसी के ग्रुप का ब्लड चढ़ाया जाता है। कई बार गलती से गलत ब्लड चढ़ा दिया जाता है तो निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है - 
  1. फीवर/बुखार गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के बाद जैसे ही यह व्यक्ति के शरीर में प्रतिक्रिया शुरु करता हैं, व्यक्ति की प्रतिरक्षण प्रणाली पर एक हमला होता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को तेज बुखार आ जाता है।
  2. ब्लड सर्कुलेशन का बढ़ जाना - जब व्यक्ति के शरीर में गलत ग्रुप का ब्लड जाता है तो कई बार ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है। यह सबसे घातक स्थिति होती है, अगर ऐसा होता है तो ब्लड व्यक्ति के हृदय तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे उसकी मौत भी हो सकती है। 
  3. अधिक ब्लीचिंग - शरीर में गलत ब्लड के आते ही या जो रक्त प्रतिक्रिया करता हैं उसके कारण, व्यक्ति की ब्लीडिंग तेज भी हो सकती है। ऐसा होने पर अधिक ब्लड की आवश्यकता पड़ सकती हैं। 
  4. संक्रमण का फैलना : गलत ब्लड चढ़ाए जाने कि स्थिति में व्यक्ति के शरीर में संक्रमण फैलने लगता है। इसके कारण कुछ अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं। 
  5. रक्त या ब्लड से सम्बन्धित समस्या - ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिसमें हीमोग्लोबिन प्लाजमा के साथ घुलने लगता है। 
  6. किडनी या दिल की समस्याएं - गलत ब्लड के व्यक्ति के शरीर में आते ही किडनी और हृदय पर बुरा प्रभाव होता है। इन दोनों अंगों के द्वारा काम किया जाना भी बंद हो सकता है। 
  7. हीमोग्लोबिन का घुलना - हीमोग्लोबिन के प्लाजमा में घुलने से यूरिन का रंग बदलने लगता है। व्यक्ति का मूत्र गहरा भूरा होने लगता है। 
  8. एलर्जी और असंतुलन - गलत ब्लड से व्यक्ति में एलर्जी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। खांसी, बुखार और सिर चकराने जैसी घटना होने लगती है। 
  9. शरीर का पीला पड़ना - गलत खून चढ़ा देने से व्यक्ति का शरीर पीला पड़ने लगता है, इससे पीलिया भी हो सकता है। ऐसा होने से शरीर में खून की कमी हो सकती है।  
  10. इम्यून सिस्टम डैमेज होना - ऐसा होने पर व्यक्त्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो सकती है। 
  11. व्यक्ति की मौत - समय पर सही उपचार नहीं किए जाने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
इनमे से कुछ लक्षण व्यक्ति के शरीर में गलत ब्लड चढ़ाए जाने से दिखाई दे सकते हैं। 

अस्वीकारण - हमारे द्वारा दी गई जानकारी गलत ब्लड चढ़ाए जाने से हुई मौत के बाद चिकित्सकों द्वारा बताए गए लक्षणों के आधार पर है। इसे अंतिम ना माना जावे।

गलत ब्लड चढ़ाए जाने से मौत - 


मई, 2024 मे राजस्थान के नीमकाथाना में एक गर्भवती महिला को गलत खून चढ़ाए जाने से उसकी मौत हो गई। इस मौत के बाद मीडिया में विभिन्न प्रकार की खबरे पोस्ट हुई। विभिन्न मीडिया हाउस ने इसे प्रमुखता से छापा। इसे छापने में हमे कोई बुराई नजर नहीं आती। ऐसी खबरे चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ के लिए एक सबक की तरह थी, ताकि वो इस घटना से सीख ले सके। 

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से क्या मौत हो जाती है? Wrong Blood

गलत ब्लड चढ़ाने के बाद महिला की मौत के बाद अधिकांश मीडिया हाउस से जो खबर पोस्ट हुई, उनमे एक ही बात लिखी गई कि गलत खून चढ़ा देने का अर्थ है मौत। हालांकि यह पूरी तरह से सत्य नहीं है, इसका कारण भी हम बता रहे हैं। 

गलत ब्लड चढ़ाने से भी नहीं होती मौत - 


हमने शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया था कि गलत ब्लड चढ़ाने से व्यक्ति की मौत होती है, यह सत्य नहीं है। अगर गलती से गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया जाए, उस वक्त अगर परिजन और चिकित्सक सचेत रहे तो मौत का खतरा टाला जा सकता है। 

गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से क्या मौत हो जाती है? Wrong Blood

हाल ही में कोटा, राजस्थान में एक महिला को गलत ब्लड चढ़ा दिया गया। गलत ब्लड के शरीर में प्रतिक्रिया करते ही महिला की तबीयत खराब होने लगी। इसके प्रभाव किडनी पर भी दिखने लगे। मरीज को तेज बुखार होने पर परिजनों ने जब शिकायत की तो पता चला गलत ब्लड चढ़ा दिया है। 

इस मामले में चिकित्सकों ने तत्परता दिखाते हुए महिला के खून को डायलिसिस (खूब को शरीर से निकाल कर, दूसरा खून को साफ कर पुनः चढ़ाना) किया गया। इससे महिला की जान बच गई। लेकिन उसे मूत्र सम्बन्धित समस्या के चलते डॉक्टर की टीम की निगरानी में रखा गया। 

यहां महिला कि जान बचने का कारण मामले में तत्परता दिखाया जाना रहा। हीमोग्लोबिन प्लाजमा में पूरी तरह से घुल नहीं पाया था। अगर चिकित्सक तत्परता नहीं दिखाते तो महिला की जान बचाना आसान नहीं होता। इसे आसानी से बचा लेने का कारण तत्परता दिखाया जाना हैं। 

ब्लड चढ़ाते समय ध्यान रखने योग्य बाते - 


किसी भी मरीज़ को ब्लड चढ़ाने का फैसला चिकित्सकों द्वारा लिया जाता है। चिकित्सको की सलाह पर यह कार्य अस्पताल के प्रशिक्षित और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ द्वारा किया जाता है। इस मामले में अस्पताल मरीज़ के परिजनों की दखलंदाजी स्वीकार नहीं करता हैं।परिजनों को भी मामले की गंभीरता को समझते हुए दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए। परिजनों की दखलंदाजी और चिकित्सको की थोड़ी सी लापरवाही या गलती मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है। इसकी कीमत मरीज की जान भी हो सकती है। ऐसे में ब्लड चढ़ाते समय चिकित्सक, नर्सिंग कर्मी और परिजनों को निम्न बाते ध्यान में रखनी चाहिए। 

चिकित्सक - 


मरीज को ब्लड चढ़ाने का फैसला चिकित्सक द्वारा लिया जाता है। ऐसे में चिकित्सक को ब्लड चढ़ाने का फैसला करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है, जो निम्न हैं - 
  • सही से ब्लड ग्रुप की जांच करे। 
  • जिस मरीज को ब्लड चढ़ाना है, उस मरीज की फाइल के सबसे ऊपरी पन्ने पर साफ और स्पष्ट रूप से मरीज का ब्लड ग्रुप लिखे। 
  • अनुभवी नर्सिंग कर्मियों को यह कार्य सौंपे। 

नर्सिंग कर्मी - 


डॉक्टर द्वारा दी गई परामर्श से नर्सिंग कर्मी मरीज को खून चढ़ाते है। डॉक्टर की सलाह को ध्यान में रखते हुए यह कार्य उन्हेंसावधानी से करना होता है। अक्सर इस तरह के मामलों में नर्सिंग कर्मियों की लापरवाही सामने आती है। ऐसे में उन्हें ब्लड चढ़ाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है, ये सावधानियां निम्न हैं - 
  • ब्लड की बोतल लगाने से पूर्व मरीज के ब्लड ग्रुप से दो बार मिलान करे ताकि गलती की संभावना ना रहे।
  • ब्लड की बोतल में ब्लड के ग्रुप का भी डबल मिलान करना चाहिए, क्योंकि कई बार लैब से भी गलत बोटल दी जा सकती है। 
  • मिलान के बाद सीधे ही बोटल लगा देनी चाहिए, रखनी नहीं चाहिए। रखने पर किसी दूसरे मरीज की बोतल के साथ बदलने की संभावना उत्पन्न हो सकती है। 
  • ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान मरीज की तबीयत का नियमित चेक अप करते रहना चाहिए। 
  • मरीज में कोई ऐसे लक्षण दिखे जो उन्हें संदिग्ध लगते हैं तो तुरंत चिकित्सक को सूचित करे। 

परिजन/ केयर टेकर - 


परिजनों को अक्सर इस तरह के मामलों से दूर रखा जाता है किन्तु कई बार लैब से खून लाने और मरीज की निगरानी की जिम्मेवारी दे दी जाती है। ऐसे में परिजनों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए - 
  • अगर परिजन को लैब से ब्लड लेकर आना है तो उन्हें मरीज के ब्लड ग्रुप की दी गई पर्ची को सम्भाल कर लैब में देना चाहिए। 
  • ब्लड ग्रुप को ध्यान रखना चाहिए और लैब से लेते समय उन्हें भी ब्लड ग्रुप का मिलान करना चाहिए। 
  • लैब से लिया गया ब्लड चिकित्सक को दे देना चाहिए, ना कि अस्पताल में मरीज के बेड पर रखना चाहिए। 
  • ब्लड चढ़ाते समय उसे एक बार ग्रुप देख लेना चाहिए। 
  • ब्लड चढ़ाते समय या बाद में मरीज की स्थिति ठीक ना लगे तो तत्काल चिकित्सक को सूचित करे। 
  • कैसी भी परिस्थिति में चिकित्सकों और अस्पताल के स्टाफ से ना उलझे। 
  • स्टाफ और चिकित्सको द्वारा दिए गए दिशानिर्देश को पूरी तरह (अंशरश) से पालन करे। 
सभी पक्षों द्वारा सावधानी बरतने से गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने की समस्या की उत्पत्ति नहीं होती है। अगर गलती से गलत ब्लड चढ़ा दिया जाए तो तुरंत इसे बदलने (डायलिसिस) की प्रक्रिया को शुरु कर देना चाहिए।

गलत ब्लड चढ़ा देना एक बहुत बड़ी लापरवाही होती है। यह मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है, इसलिए ब्लड चढ़ाते समय सभी पक्षों को सावधानी बरतना जरूरी होता है। 

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