एलोवेरा : अर्थ उपयोग के फायदे और नुकसान। Alovera

एलोवेरा : अर्थ उपयोग के फायदे और नुकसान। Alovera

एलोवेरा अथवा घृत कुमारी एक औषधीय पौधा है। यह शुष्क क्षेत्रो के साथ उबड़-खाबड़ और पठारी भागों में भी आसानी से पनपने वाला पौधा है। शुष्क क्षेत्रो में होने के कारण इसका रस गाढ़ा और औषधीय गुणों को अपने में समाया हुआ होता है। 

एलोवेरा : अर्थ उपयोग के फायदे और नुकसान। Alovera

एलोवेरा एक शुष्कीय पौधा होने से कंटीला जरूर होता है, लेकिन इसके गुण पुष्प के समान हृदयस्पर्शी और मधुर होते हैं। इसके रस से आयुर्वेदिक दवाओं के साथ कई कॉस्मेटिक आइटम्स बनाने के काम में आता है। इसके रस से होने वाले फायदों का उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में भी मिलने से स्पष्ट है कि सदियों से इसका उपयोग आयुर्वेद की दवा बनाने में किया जाता रहा हैं। 

वैज्ञानिक वर्गीकरण - 


तथ्य  स्पष्टीकरण 
जगत  पादप (Plant) 
वंश  एलो (Alo) 
जाति  वेरा (Vera) 
वैज्ञानिक नाम  एलोवेरा (Alovera) 

एलोवेरा क्या होता है? 


एलोवेरा आयुर्वेद के अनुसार एक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग प्राचीन काल से ही औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता रहा है। यह छोटे तने का लंबी और चौड़ी पत्तियों वाला पौधा है। इसकी पत्तियों की लंबाई 70-100 सेमी. (27-39 इंच) तक की होती है। पत्तियाँ गहरी हरी होती है, इनके गुदेदार होने के कारण इनमे गाढ़ा रस भरा हुआ होता है। पत्तियों के किनारों पर छोटे-छोटे कांटे लगे हुए होते हैं। पत्तियाँ शुरुआत में काफी हद तक सीधी होती है लेकिन भारी होने पर जमीन की तरफ झुक जाती है। 

असली एलोवेरा की पत्तियाँ हमेशा पौधे के बीच से निकलती है। जब पौधे पर नई पत्तियाँ निकलती है, तब इनमे सफेद दाग होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे यह लंबी और मोटी होने लगती है तब यह गहरी हरी और कांटेदार हो जाती और दाग समाप्त हो जाते हैं। इनके पकने पर इनमे रस भर जाता है। इसी रस का उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों को बनाने के उपयोग में लिया जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर रस निकाला जाता है, इस रस से विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों के साथ त्वचा और मधुमेह से सम्बन्धित औषधियाँ बनाई जाती है। 

एलोवेरा एक पौधा है, जिसे आयुर्वेद की भाषा में घृत कुमारी और स्थानीय भाषा में ग्वारपाटा कहा जाता है। ग्वारपाटा की आजकल उन्नत तरीकों से खेती की जाती है। इसकी बढ़ती हुई बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए इसकी खेती किए जाने के तरीकों को भी बढावा मिला है। आजकल शहरो में भी इसके उपयोग को देखते हुए गमलों में इसे उगाया जाता है। घरों में उगाये जाने वाले पौधों का उपयोग त्वचा सम्बन्धित विकारों के निदान के लिए किया जाता है, तो कई लोग घर में सजावट के उदेश्य से भी इस प्रकार के पौधे लगा देते हैं ताकि समय पर पानी ना देने के बावज़ूद जिंदा रह सके। 

एलोवेरा के घटक - 


किसी भी तत्व, उपज और सामग्री के घटकों पर उसका उपयोग और लाभ निर्भर करता हैं। सामग्री में विद्यमान तत्वों और घटकों से उसका लाभ और फायदा उपयोग और उपभोग करने वाले व्यक्ति को प्राप्त होता है ऐसे में एलोवेरा के घटकों को भी एक बार जान लेना जरूरी है। एलोवेरा में निम्नलिखित घटक विद्यमान होते हैं - 

तत्व 
लाभ 
विटामिन 
ए, सी और ई। एंटी ऑक्सीडेंट। 
एंजाइम 
8 प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं, जो सूजन को कम करते हैं। 
खनिज 
मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक, मैंगनीज, तांबा और क्रोमियम के साथ कई एंटी ऑक्सीडेंट। 
शर्करा 
ग्लूकोज और फ्रूक्टोज के साथ जलन को कम करने वाले तत्व। 
एसिड 
सिसोस्टेरोल और ल्यूपोल इनमे सूजनरोधी गुण विद्यमान होते हैं। 
एंथ्राक्विनोन
बुखार से राहत देने में कारगर ह
हार्मोन 
ऑक्सिन और जिबरेलिन ये दोनों घाव भरने में कारगर होते हैं। 
अमीनो एसिड
सूजन और जीवाणु रोधी तत्व। 
लिग्निन
त्वचा की सुरक्षा। 
सैपोनिन
साबुन और सफाई के गुण। 

सभी गुण एलोवेरा के जूस अथवा रस में विद्यमान होते हैं। इसी के कारण इसके रस को निकाल कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसके रस को निकालने के लिए आधुनिक मशीनों को उपयोग में लिया जाता है। रस को सूखने से बचाने के लिए इसे इस प्रकार से सुरक्षित किया जाता है, जिससे ना तो इसके घटकों को नुकसान पहुंचे और ना ही इसकी गुणवत्ता पर किसी प्रकार का कोई विपरित असर हो। 

एलोवेरा का उपयोग 


आपको शुरू से ही बताया जा रहा है कि एलोवेरा अथवा गवारपाटा एक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति 'आयुर्वेद' में किया जाता रहा है। इसके कुछ संक्षिप्त उपयोग को आप इस तरीके से समझ सकते हैं। 
  • औषधि - एलोवेरा से सदियों से विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियाँ बनाने का प्रमाण है। आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में इसका उल्लेख है। वर्तमान समय में भी कब्ज, मधुमेह और हृदय रोग से सम्बन्धित बीमारी की दवा बनाई जाती है। एलोवेरा का उपयोग खासतौर से आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियां करती है। 
  • सब्जी का भण्डारण - सब्जी और फलों को लंबे समय तक भंडारित करने और उन्हें सड़ने गलने से बचाने के साथ किटाणुओं से सुरक्षित करने के लिए उन पर एलोवेरा का लेप किया जाता है। इस प्रकार का लेप किए जाने से सब्जियां लंबे समय तक सुरक्षित रहती है। इस प्रकार का लेप स्वस्थ्य पर किसी प्रकार के विपरित प्रभाव नहीं करता हैं, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षो से काफी प्रचलित हुआ है। 
  • माउथ फ्रेशनर - यह एक आयुर्वेदिक औषधि बनाने का कच्चा माल होने के साथ कीटाणुरोधी भी है। इसके गुणों के कारण इसका उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है। सुपारी और अन्य मीठे पदार्थ के साथ मिला इससे चॉकलेट भी बनाई जाती है। 
  • सौंदर्य प्रसाधन - वर्तमान समय में, एलोवेरा का सर्वाधिक उपयोग सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जा रहा है। साबुन, तेल के साथ त्वचा को तेज सूरज की किरणों से सुरक्षा देने वाली क्रीम का निर्माण इसके उपयोग द्वारा किया जा रहा है। मुँह की त्वचा से लेकर बालो की सुरक्षा के लिए एलोवेरा का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। 
  • त्वचा के लिए - एलोवेरा के पौधे की पत्तियों से निकाले गए गाढ़े रस का उपयोग लोग सीधे ही त्वचा की सुरक्षा के लिए कर रहे हैं। ऐसा पहले भी किया जाता था। फोड़े-फुंसी और अन्य त्वचा सम्बन्धित विकार का भी निदान करने के लिए लोग घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे आजमा रहे हैं, जो फायदेमंद भी साबित हो रहा है। 
इनके अतिरिक्त एलोवेरा भी इसका उपयोग बुखार को कम करने और सरदर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। 

एलोवेरा के फायदे - 


एलोवेरा के गूदे और रस के उपयोग से मानव को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इसके उपयोग से मानव स्वास्थ्य को निरोगी बनाये रखने के लाभ प्राप्त होते हैं। इसके कुछ लाभ निम्नलिखित है - 

  1. सिरदर्द - एलोवेरा के गूदे या इसके रस का लेप ललाट और सिर पर करने से सिरदर्द में लाभ होता है
  2. आँखों दर्द से लाभ - आँखों पर लालिमा आने या किसी प्रकार का दर्द होने पर इसके गुदा को लगाने से राहत मिलती है। 
  3. खांसी-जुकाम से लाभ - रस का सेवन करने से पुरानी खांसी खुल जाती है, इसमे थोड़ा काला नमक मिला देना चाहिए। 
  4. खूनी बवासीर से राहत - इसके गूदे को पीसकर मस्सो पर लगाने से दर्द कम होने के साथ खून की समस्या कम होती है। 
  5. कान का दर्द - जिस कान में दर्द हो रहा है, उसमे ना डालकर दूसरे कान में गर्म रस को डालने से राहत मिलती है। 
  6. लिवर को मजबूत करना - इसके रस में शहद मिलाकर इसे खाने से लिवर को मजबूती मिलती है। 
  7. मूत्र रोग का निदान - 10 ग्राम गूदे में चीनी मिला सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है। 
  8. कब्ज से राहत - गाय के घी में मिलाकर रस का सेवन करने से कब्ज और वात की समस्या दूर हो जाती है। 
  9. घाव भरना - रस अथवा गुदा लगाने से घाव तुरंत भर जाता है। 
  10. बुखार उतारना - गुदा का लेप लगाने के साथ ही काढ़ा पिलाने से बुखार उतर जाता है। 
  11. चर्म समस्या - पत्ता खरोंच कर समस्या वाले स्थान पर हल्का रगड़ने से राहत मिलती है। 
उपर्युक्त के अतिरिक्त हृदय, मधुमेह और मोटापा के लिए भी एलोवेरा का उपयोग किया जाता है लेकिन ऐसी समस्या के समय इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से किया जाना चाहिए।

चेहरे पर मुहांसों के होने पर और किसी प्रकार के घाव होने की दशा में इसका रस लगाने से राहत मिलती है। 


एलोवेरा के नुकसान - 


यूँ देखा जाए तो वैसे एलोवेरा एक लाभकारी पौधा हैं। इससे किसी प्रकार के घातक विकार उत्पन्न नहीं होते हैं, बाह्य उपयोग की दशा में। लेकिन अधिक समय तक इसके सेवन से घातक रोग होने के संकेत विभिन्न शोध के द्वारा दावा किए गए है। ऐसे में आपको उन सम्भावित नुकसान को भी अवश्य जान लेना चाहिए जो विभिन्न चिकित्सकीय शोध के द्वारा प्रकाश में लाए गए हैं। ऐसे कुछ नुकसान इस प्रकार से है - 
  1. एलर्जी - जिन लोगों को लहसून, प्याज और हल्दी से एलर्जी होती है, उन्हें एलोवेरा से भी एलर्जी हो सकती है। ऐसे में अगर किसी को इस प्रकार के संकेत प्रतीत होते हैं तो उन्हें इसके आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के उपयोग से बचना चाहिए। 
  2. दस्त - इसके अधिक प्रयोग से व्यक्ति को दस्त की समस्या हो सकती है। ऐसे में इसका सेवन करने से पूर्व इसे एक निश्चित मात्रा मे लेना आवश्यक है। अगर आप पहली बार इसे लेने जा रहे हैं तो वयस्क व्यक्ति के लिए 5-10 ग्राम तक ही सेवन किया जाना चाहिए। 
  3. गर्भवती महिलाएं - एलोवेरा में लेटेक्स अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह गर्भ गिराने में सहायक होता है। 
  4. कैंसर - अत्यधिक सेवन करने पर यह आंतों में जम जाता है। इस जमाव से कैंसर जैसे भीषण रोग की उत्पत्ति हो सकती है। 
  5. एलोपैथी दवा के साथ - अगर आप किसी प्रकार की एलोपैथिक दवा का उपयोग कर रहे हैं तो इसके सेवन से बचा जाना चाहिए। इसके सेवन से गंभीर प्रतिक्रिया उस समय हो सकती है, जब आप एलोपैथिक दवा के साथ इसका भी सेवन करते हैं। 
उपर्युक्त सभी नुकसान विभिन्न प्रकार की शोध पर निर्भर है। ऐसे में आप अपनी जोखिम को समझने के साथ एक बार चिकित्सक से अवश्य सलाह ले। चिकित्सक द्वारा दी जानेवाली सलाह के पूर्व आप अपनी जोखिम को एक बार चिकित्सक के साथ अवश्य शेयर करे। 

अन्य प्रश्न - 


प्रश्न - एलोवेरा को कच्चा खाने से क्या होता है?

उत्तर - एलोवेरा के पत्ते को आप खा सकते हैं। लेकिन आपको ध्यान दे रखना होगा कि अधिक मात्रा में ना खाए। अधिक मात्रा में इसे खाने से दस्त हो सकते हैं।

प्रश्न - क्या एलोवेरा से कोई खाद्य पदार्थ बनते है?

उत्तर - हाँ। ऐलोवेरा से कैंडी और जेली बनती है। आजकल इसका उपयोग चॉकलेट बनाने में भी किया जाने लगा है।

प्रश्न - एलोवेरा से किस प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन बनते है?

उत्तर - एलोवेरा से क्रीम, साबुन, धूप से बचने की क्रीम और मॉईस्जराईजर आदि बनाने के लिए उपयोग लिया जाता है।

प्रश्न - क्या भूखे पेट एलोवेरा का सेवन करना उपयोगी होता है?

उत्तर - एलोवेरा के रस का भूखे पेट सेवन करने से मोटापा घटने के साथ, कब्ज से निजात और पाचन शक्ति को मजबूती प्राप्त होती है। इसके सवेरे सेवन करने से सिरदर्द से राहत और पुरानी खांसी भी ठीक हो सकती है। लेकिन सेवन करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए, कि अधिक मात्रा मे सेवन ना करे। ऐसा करने पर दस्त के साथ अन्य शारीरिक समस्याओं की उत्पत्ति हो सकती है। साथ ही लम्बे समय तक सेवन करने से जटिल बीमारियां भी हो सकती है।

प्रश्न - एक दिन में कितना एलोवेरा रस पीना उपयुक्त होता  है?

उत्तर - एक दिन में अधिकतम 10 ग्राम रस का सेवन किया जाना चाहिए। अगर चिकित्सक द्वारा अधिक मात्रा में सेवन की अनुमति दे रखी है तो उनकी सलाह पर अधिक मात्रा का भी सेवन कर सकते हैं। बिना चिकित्सक की अनुमति के 5-10 ग्राम के बीच सेवन की मात्रा उपयुक्त है।

प्रश्न - एलोवेरा की तासीर कैसी होती है?

उत्तर - एलोवेरा की तासीर ठण्डी होती है, जो धूप और गर्मी से बचाती है। 

प्रश्न - एलोवेरा को मुहांसों पर लगाने से क्या होता है?

उत्तर - एलोवेरा में कई प्रकार के ऑक्सीडेंट होते हैं, जिसके कारण मुहांसों से राहत मिलती है। 

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