बालेसर : रंग बिरंगे पत्थरों की नगरी। Balesar

बालेसर : रंग बिरंगे पत्थरों की नगरी। Balesar

राजस्थान राज्य की पहचान देशभर के साथ दुनिया भर में इमारती पत्थरों के लिए है। देश ही नहीं बल्कि दुनिया के बेशकीमती इमारती पत्थर राजस्थान में मिलते हैं। प्रदेश में पाए जाने वाले पत्थरों की मांग ना सिर्फ प्रदेश, देश बल्कि पूरी दुनिया में है। प्रदेश में मिलने वाले पत्थरों की गुणवत्ता इसी से समझी जा सकती है कि दुनिया के अजूबो में शामिल ताजमहल, प्रदेश के पत्थर से बना हुआ है।

बालेसर : रंग बिरंगे पत्थरों की नगरी। Balesar

प्रदेश में संगमरमर के साथ अन्य बेशकीमती इमारती पत्थर भी निकलते हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में निकलने वाले पत्थरों से देशभर में सदियों से नामी किले और दुर्ग बने हैं। भले दिल्ली का लाल किला हो या अयोध्या का राम मंदिर। प्रदेश में बने सभी दुर्ग उन्हीं स्थलों के पत्थर से बने हुए हैं, जहां दुर्ग बना हुआ है। 

बालेसर - 


जोधपुर जिले की एक तहसील है, यह जोधपुर शहर और जिला मुख्यालय से पश्चिम में 70 किलोमीटर दूर स्थित है। वर्तमान में, बालेसर नगर पालिका और पंचायत समिति मुख्यालय है। यह कस्बा जोधपुर - जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। यह राजमार्ग इसे सीधा जोधपुर और जैसलमेर से जोड़ता है। कस्बा उपखण्ड मुख्यालय के साथ तहसील भी है। शेरगढ़ विधानसभा का सबसे बड़ा कस्बा होने से यहां राजकीय अस्पताल और महाविद्यालय भी है। 

रेतिले धोरों की धरती के बीच बसे हुए बालेसर कस्बा की पहचान पत्थरों से हैं। इमारती पत्थरों का जोधपुर जिले का सबसे बड़ा कस्बा है। यहां निकलने वाले पत्थर दूर-दूर तक मकान और महल बनाने के लिए उपयोग मे लिए जाते हैं। बालेसर में निकलने वाले पत्थर इमारत बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। यही कारण है कि इनकी मांग दूर-दूर तक है और इन्ही से इस कस्बे की पहचान भी। 

बालेसर के पत्थर - 


बालेसर कस्बे में इमारती और उच्च गुणवत्ता के पत्थर मिलते हैं। इन पत्थरों का घनत्व बहुत अधिक होता है। कैसी भी बारिश ना पत्थर का भिगा सजती है और ना ही कोई नुकसान पहुंचा सकती है। इस पत्थर का दाना बहुत छोटा होने के कारण ही पत्थर की गुणवत्ता श्रेष्ठ है। इसी गुणवत्ता के कारण पत्थर पर शानदार घड़ाई (वास्तुकला) की जा सकती हैं। पत्थर पर विभिन्न प्रकार की डिजायन आसानी से बनाई जा सकती हैं। 

बालेसर में मिलने वाले पत्थरों से इमारत बनाने के साथ बाड़ भी बनाई जा सकती है। इमारतों और मकानों की मजबूत दिवारें बनाने के लिए खंडा (ईंटनुमा पत्थर), छत बनाने के लिए पट्टियां और बरामदा के लिए पत्थर के पिलर मिल जाते हैं। आजकल मजबूत पत्थरों से बनाई जाने वाली सीढियों के लिए भी यह पत्थर उपयुक्त माना जाता है। यहां मकान की नींव भरने से छत डालने तक के पत्थर मिल जाते हैं। साधारण भाषा में कहें तो बालेसर मकान के पत्थरों के लिए पूरा बाजार और खनन करने वाला कस्बा है। 

बालेसर के पत्थर का रंग - 


बालेसर 
  1. सफेद - यह बालेसर में मिलने वाला सबसे उन्नत किस्म का इमारती पत्थर है। उन्नत किस्म होने के कारण महँगा भी है। इस रंग के पत्थर नींव भरने से छत डालने तक का मिल जाता है। इस रंग के खंडा, पट्टी, पिलर और छाप के साथ आँगन डालने तक के पत्थर मिल जाते हैं। इस रंग के पत्थर पर सभी प्रकार की वास्तुकला भी की जाती है। इस रंग के पत्थर आसपास के पत्थर आरा (जहां पत्थर की कटिंग और फिनिशिंग होती है) पर पूरी तरह से तैयार किए हुए मिल जाते हैं। अगर आप शानदार घड़ाई का मकान बनाने की सोच रहे हैं तो इस रंग के बालेसर के पत्थर सबसे उन्नत है। 
  2. गेंहूआ - सफेद के बाद गेंहुआ दूसरा सबसे महंगा रंग है। इस रंग के पत्थर की कीमत सफेद रंग से थोड़ी कम होती है। इस रंग में भी मकान निर्माण में उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के कार्यो के लिए उपयुक्त होते हैं। इन्हें भी सफेद की तरह ही बेहतर फिनिशिंग (घड़ाई) दी जा सकती है। ऐसे पत्थर भी आरा पर फिनिश किए हुए मिल जाते हैं।
  3. लाल - यह रंग ऊपर के दोनों रंग के मुकाबले में सस्ता है। इस रंग के पत्थर पर शानदार घड़ाई संभव नहीं होती है। इन्हें ऐसी फिनिशिंग नहीं दी जा सकती किन्तु इस रंग के पत्थर मजबूत होने के साथ ही सभी प्रकार के उपयोग के लिए उपलब्ध है। अगर आप मकान बनाने के बाद प्लास्टर करने की सोच रहे हैं तो यह रंग सबसे उपयुक्त हो सकता है। 
  4. हल्का पीला - इस रंग के पत्थरों के लिए जैसलमेर प्रसिद्ध है, किंतु हल्के पीले पत्थर बालेसर के आसपास के क्षेत्र में मिल जाते हैं। इन पत्थरों की गुणवत्ता जैसलमेर के पत्थर के समान नहीं होती है। ऐसे पत्थर बालेसर से जैसलमेर की ओर जाने वाली सड़क के किनारे खदानों में मिल जाते हैं। 
  5. हल्का गुलाबी - बालेसर के आगे सेतरावा में हल्के गुलाबी रंग के पत्थर मिलते हैं। यहां सफेद, गेंहुआ और लाल पत्थर की भांति पट्टियां नहीं मिलती है। इस रंग के खंडा और छाप के साथ बाड़ में काम लेने के लिए पट्टी के टुकड़े 6-7 फीट की लंबाई के मिल जाते हैं। इस रंग के पत्थर आजकल चौक में आँगन में पत्थर के रंगों की डिजायन के लिए उपयोग में लिए जाने लगे हैं। 
  6. चितकबरा - यह सफेद, लाल, गेंहुआ और काला सभी रंग एक ही पत्थर मे मिल जाते हैं। यह पत्थर सफेद और गेंहुआ से सस्ता होता है। इस पर घड़ाई हो भी सकती हैं और ना भी। इस प्रकार के रंग के पत्थरों की गुणवत्ता समान नहीं होती है। 
  7. काला - इस रंग के पत्थर बहुत कठोर होते हैं। इन्हें केवल नींव भरने के काम में ही लिया जा सकता है। आजकल ऐसे पत्थर छत और सड़क बनाने में उपयोग लिए जाने वाले मूंगियां को बनाने के काम में लिया जाने लगा है। 
बालेसर में मिलने वाले पत्थर की गुणवत्ता कैसी है? यह खदान के मालिक और श्रमिक बड़ी आसानी से बता देते हैं। आजकल बालेसर से दूर कई लोग गलत गुणवत्ता बताकर भी बेच रहे हैं। यहां मिलने वाले पत्थर को खरीदने से पूर्व आप अपनी आवश्यकता को समझ उसी के अनुरुप खरीद सकते हैं। क्योंकि सभी प्रकार के रंग और गुणवत्ता के पत्थरों के मूल्य में बड़ी असमानता है।

बालेसर : स्टोन सिटी - 


बालेसर स्टोन सीटी के नाम से विख्यात है। यहां 7000 से अधिक पत्थर की खदाने है। यह सभी खदान बालेसर नगर पालिका और आसपास के क्षेत्र में है। इस क्षेत्र के पत्थर को बालेसर के पत्थर के नाम से ही जाना जाता है। इस क्षेत्र में खनन से प्राप्त होने वाले राजस्व को बालेसर का ही राजस्व कहा जाता है। आसपास के सभी गाँव के खदान और खनन से सम्बन्धित सभी कार्य बालेसर में ही होते हैं। आजकल आसपास के गांवों से निकलने वाले पत्थर बालेसर क्षेत्र के आरा पर लाकर भी बेचे जा रहे हैं। 

बालेसर के अलावा भोमिया जी का थान, सोमानाडा, सिंहांदा, चारणी भांडू, कालोर, भालू, डेरिया, मेरिया, खिरजां, केतू, सेतरावा, खुडियाला और कुई आदि जगह पर खदानों से खनन कार्य चल रहा है। 

बालेसर क्षेत्र में होने वाले खनन कार्य और पत्थर की आर्ट के कारण इसे स्टोन सिटी के नाम से पुकारा जाता है। इस क्षेत्र के लोगों का कार्य भी पत्थर से जुड़ा हुआ है। 

बालेसर की पत्थर खदानों से सरकार को राजस्व -


बालेसर क्षेत्र में पत्थरों की खदानों की बहुतायत होने से पत्थर का कार्य भी जोरों से होता है। इस क्षेत्र की खदानों में आसपास के गांवों के लगभग 35000 से 40000 श्रमिक खदानों में कार्य कर रहे हैं। कई श्रमिक स्टोन आर्ट से जुड़े हुए हैं। साथ ही पत्थर कटिंग के आरा और पत्थरों की सप्लाई करने वाले ट्रक मालिकों और ड्राइवरों को भी रोजगार मिलता है। बालेसर की अर्थव्यवस्था का मूल आधार पत्थर का कार्य है। इस कस्बे के विकास का कारण भी पत्थर की खदानों के कारण ही हुआ है।

बालेसर क्षेत्र कि पत्थर की खदानों से राजस्थान राज्य की सरकार को ₹ 100 करोड़ के लगभग राजस्व प्राप्त होता है। सर्वाधिक राजस्व खदानों ने खनन किए जाने वाले पत्थरों के विक्रय पर ली जाने वाली रॉयल्टी से प्राप्त होता है, जो लगभग ₹ 70-80 करोड़ सालाना है। रॉयल्टी के अतिरिक्त खदानों का प्रति वर्ष किराया, खदान आवंटन, विभिन्न प्रकार की पेनल्टी और खनन लाइसेंस की फीस और नीलामी से ₹ 25-30 करोड़ सालाना राजस्व की प्राप्ति होती है। 

बालेसर में स्टोन आर्ट - 


बालेसर स्टोन सिटी होने के नाते यहां पत्थर के खनन के साथ ही स्टोन आर्ट का भी काम भी होता है। यहां स्टोन आर्ट के कई कारखाने (आरा) हैं। यहां पत्थर को इमारत बनाने योग्य बनाने से लेकर उस पर विभिन्न प्रकार की आर्ट किए जाने का कार्य होता है। यहां पत्थर को चिकना किया जाने से लेकर उस पर डिजायन भी बनाई जाती है। इस कार्य के लिए मशीन और हाथ से चलाई जाने वाली छोटी-छोटी मशीनों का भी उपयोग होता है। हाथ से की जाने वाली कलाकारी वाले पत्थर मशीन से की जाने वाली वास्तु के मुकाबले में महंगे होते हैं। 

बालेसर और उसके आसपास के क्षेत्र में जोधपुर-जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग (संख्या 115) और अन्य गांवों को जोड़ने वाली सड़कों पर इस तरह के कई कारखाने है। ये कारखाने भारी मशीनों का उपयोग करते हैं। यहां पर सभी कारखानों में कार्य विद्युत से संचालित होने वाली मशीनों से किया जाता है। 

यहां इमारती पत्थरों के अलावा सड़क बनाने में उपयोग लिए जाने वाले मूंगियां के भी कई कारखाने हैं। यह कारखाने सड़क बनाने के लिए काले पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे सड़क बनाने योग्य मूंगियां बनाते है। 

यहां इमारती पत्थर के बहुतायत में पाए जाने के कारण इमारत बनाने वाले कारीगरों की संख्या भी बहुत है। ये पत्थर के कारीगर, पत्थर पर वास्तुकला करने से लेकर इसकी चुनाई (दिवारें बनाने का कार्य) और छत डालने के कार्य में महारत हासिल है। इन्हीं कारीगरों की बदौलत और खदानों में उपलब्ध होने वाले पत्थरों के कारण ही जोधपुर को पत्थरों के मकान के शहर के नाम से जाना जाता है। 

बालेसर के पत्थर की रेट - 


लोग अक्सर पूछते रहते हैं कि बालेसर में मिलने वाले पत्थर का मूल्य क्या है? खंडे, छाप, पट्टी का मूल्य क्या है? कई लोग प्रति फुट तो कई प्रति गज के हिसाब से रेट पूछते हैं? कई लोग प्रति टन तो कई प्रति टन मूल्य जानने को बेताब रहते हैं। कई बार लोग सोशल मीडिया या अन्य तरीके से मूल्य को जानकर एक दूसरे के साथ तुलना भी करते हैं। लेकिन आपको बता दे यह ठीक नहीं है। 

आपके मन में ऐसा कोई प्रश्न है तो हम आपको साफ-साफ बता देते हैं कि बालेसर मे कई प्रकार और रंग के पत्थर मिलते हैं। इसके प्रकार और रंग के अनुसार उसका मूल्य तय होता है। सफेद पत्थर किसी भी प्रकार (खंडा, छाप, पट्टी) का हो, इसका मूल्य अन्य रंग के पत्थर से अधिक होता है। ऐसे ही लाल के मुकाबले में गेहूंआ अधिक महंगा होता है। इसी के कारण सभी का मूल्य समान होता है, जिसे सोशल मीडिया या किसी साइट पर देखकर अंतिम नहीं माना जाना चाहिए। 

पत्थर का सही मूल्य जानने के लिए आप खदान या किसी आरे पर संपर्क कर सकते हैं। वहाँ आप गुणवत्ता और मूल्यों की तुलना भी कर सकते हैं। ऐसे में हम आपको एक बार पुनः सलाह देते हैं कि अगर आप बालेसर से पत्थर खरीदने जा रहे हैं तो सोशल मीडिया से मूल्य जानने की बजाय वहाँ खदान अथवा कारखाने से जानने का प्रयास करे। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ