चप्पल : अर्थ, प्रकार, फायदे और नुकसान। कोल्हापुरी चप्पल Chappal

चप्पल : अर्थ, प्रकार, फायदे और नुकसान। कोल्हापुरी चप्पल Chappal

मनुष्य दुनिया के अन्य जीवों से विशेष और अलग प्रकार का जीव हैं। दुनिया के सभी जीवों में एकमात्र मनुष्य ही है, जो शरीर को ढंकने से लेकर अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहता है। मनुष्य पैर के नख से सिर के बाल तक को ढंक कर रखता है। मानव अपने पैरों को सुरक्षित रखने के लिए जुते और चप्पल का उपयोग करता हैं। 

चप्पल : अर्थ, प्रकार, फायदे और नुकसान। कोल्हापुरी चप्पल Chappal

मनुष्य द्वारा पैर में पहनी जानी वाली चप्पल से हर कोई वाकिफ हैं। चप्पल की महत्ता को हर कोई जानता है। चप्पल मनुष्य को सर्दी, गर्मी के साथ ही कांटों से भी बचाती है। 

चप्पल का अर्थ - 


चप्पल जूते से भिन्न होती है। यह खुली एड़ी की होने के साथ ही पंजा भी खुला रहता है। यह व्यक्ति के पैर के तलवे को पूरी तरह से सुरक्षित करती है, जिससे पैर में कोई कांटा ना चुभ सके और पैर को पूरी तरह से हवा मिलती रहे। इसका तला (पैर के तलवे के नीचे रहने वाला भाग) चमड़े या रबर का बना हुआ होता है। जिस पर ऊपर की ओर पट्टियां लगी हुई होती है। यह पट्टियां आगे से एक और पीछे से दो कील या हुक से जुड़ी हुई होती है। इस हुक में मनुष्य अपने पैर के पंजे को फँसा देता है। 

चप्पल को पहनने का स्टाइल जूते से भिन्न होता है। चप्पल में तले के साथ एक या दो पट्टी होती है। जिसके कारण पूरा पैर ही खुला रहता है। यह पट्टी ही चप्पल को पैर से जोड़ कर रखती है। पट्टी में व्यक्ति पैर डालता है। पैर का अंगूठा पट्टी को तले से जोड़ने वाले हुक के एक तरफ रहता है तो दूसरी ओर बाकी चार उंगली। पैर के अनूठे और उसके पास वाली उंगली की ग्रिप से चप्पल पैर में बनी रहती है। ऐसे ही कई बार चप्पल को मज़बूत ग्रिप देने के लिए टखने के ऊपर से बेल्ट लगा दी जाती है, जो पैर पर चप्पल की ग्रिप को मजबूत बना लेती है। 

चप्पल के प्रकार - 


चप्पल के बाजार में कई प्रकार देखने को मिलते हैं। हम कुछ ही प्रकार पर प्रकाश डाल सकते हैं क्योंकि यह ब्लॉग चप्पल के प्रकार से सम्बन्धित नहीं है, इसलिए हम कुछ प्रचलित प्रकारों पर ही प्रकाश डालना चाहेंगे। ऐसे कुछ प्रकार जो समान्य रूप से सभी जगह अक्सर देखने को मिल जाते हैं। ये कुछ विशेष प्रकार निम्न है - 

हवाई चप्पल - 


हवाई चप्पल सबसे ज्यादा बिकने वाला चप्पल का एक प्रकार है।यह सबसे सस्ते प्रकार की चप्पल है। आमतौर पर इस प्रकार की चप्पल भारी काम करने वाले या घर की चारदीवारी में काम करते वक्त पहनी जाती है। यह बेहद आरामदायक होती है। इसके तले पर बस एक पट्टी लगी हुई होती है। ऐसी चप्पल का नाम अमेरीका के हवाई आईलैंड के नाम से पड़ा। सबसे पहले जापानी मज़दूरों द्वारा इस आईलैंड पर मिलने वाले रबर से ऐसी चप्पल बनाई, यह रबर वहाँ पाए जाने वाले टी नामक पेड़ से लिया गया। आज ये दुनिया भर में लोगों द्वारा पहनी जाती है। भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों के ग्रामीण क्षेत्रो में इसे सर्वाधिक पसंद किया जाता है। इस प्रकार की चप्पल के भी विभिन्न प्रकार हैं। 

पुरुषों की - पुरुषों की चप्पल में पट्टियां कम चौड़ी होती है तथा इनका रंग गहरा होता है। पुरुषों की चप्पल में अंगूठा और अंगुली को अलग करने का हुक अवश्य होता है। ऐसी चप्पल एकदम फ्लैट होती है। 
महिलाओं की - महिलाओं की चप्पल की पट्टी कम पतली होती है ये सामन्यतः चौड़ी होती है। कई बार इनमे अंगूठा और अंगुली को अलग करने का हुक नहीं होता है। ऐसी चप्पल की ऐड़ी आगे के हिस्से से थोड़ी ऊंची होती है। 
दोनों की - ऐसी चप्पल की पट्टी मध्यम आकार की होती है। ऐसे चप्पल फ्लैट ही होते हैं। 

हवाई चप्पलों में सभी प्रकार और साइज उपलब्ध होती है। सस्ती होने के कारण इन्हें घर में स्लीपर के तौर पर उपयोग लिया जाता है तो वही पैरों में पसीना आने जैसे भारी काम करते समय भी ऐसी चप्पल को आमतौर पर पहना जाता है। 

टखने की बेल्ट वाली चप्पल - 


हवाई चप्पल हुक ऐसी चप्पल की वज़ह से पैर में ग्रीप बनाती है। अगर कोई ऐसा कार्य किया जा रहा है, तब चप्पल को अधिक मजबूती से पहनना है या इसे स्टाइल देने के उदेश्य से पट्टी के साथ एक ऐसी पट्टी जोड़ दी जाती है, जो व्यक्ति के पैर के टखने से बंधी जाती है। ऐसी चप्पल को बेल्ट वाली चप्पल कहा जाता है। कई लोग इसे सेंडल भी कहते हैं। इसमे भी महिला और पुरुष के चप्पल का विभेद होता है। किंतु इस प्रकार की चप्पल आमतौर पर पुरुषों द्वारा अधिक पसंद की जाती है। 

हाई हील - 


ये महिलाओं की चप्पल होती है। इसकी हील अग्रभाग के मुकाबले में काफी ऊंची होती है। इस प्रकार की चप्पल को महिलाओ द्वारा खासतौर से सामाजिक या अन्य विशेष कार्यक्रमों के दौरान पहना जाता है। कई महिलाएं घर से बाहर जाती है, तब भी इस प्रकार की चप्पल पहनती है। ऐसी चप्पल की वज़ह से महिला की ऊँचाई समान्य से अधिक प्रतीत होती है। 

हाई हील चप्पल महिलाओ द्वारा बहुत अधिक पसंद की जाती है। इस प्रकार की चप्पल को विशेष प्रकार से बनाया जाता है। ये अधिक आरामदायक नहीं होती है। ऐसी चप्पल पहनकर चलने पर गिरने का खतरा बना रहता है। साथ ही ऐसी चप्पल को अधिक समय तक पहनने से पैरों की नसों में तनाव भी आ सकता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होती है। इस प्रकार की चप्पल लंबे समय पहनने से पैर और घुटनों में दर्द हो सकता है। 

क्रिस क्रॉस - 


इस प्रकार की चप्पल की पट्टी को क्रिस क्रॉस में गुंथा हुआ होता है। पट्टी को गूंथकर जाली बना दी जाती है। ऐसा अक्सर महिलाओ की चप्पल में देखने को मिलता है। यह जाली जूते के लेस की भांति नजर आती है। कई बार यह जाली चिपकी हुई होती है तो कई बार यह लूज होती है, जिससे इसे टाइट कर ग्रिप को मजबूत किया जा सके। 

क्रिस क्रॉस चप्पल अन्य पट्टी वाली चप्पल से थोड़ी मजबूत होती है क्योंकि पट्टी के टूटने पर भी यह पहनने योग्य रह जाती है। जबकि एक पट्टी वाली चप्पल की पट्टी टूट जाने पर बिना मरम्मत किए इसे पहना नहीं जा सकता है। एक पट्टी के मुकाबले में इसी गुण के कारण इसे महिलाओ द्वारा अधिक पसंद किया जाता है। 

अन्य - 


उपर्युक्त के अलावा भी कई प्रकार की चप्पल बाजार में आसानी से मिल जाती है। ये प्रकार स्टाइल और व्यक्ति की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाये जाते हैं। इनमे फ्लिप, पैर के अंगूठे के लिए रिंग, स्लाइड, कढ़ाई, बेल बूटे वाली आदि प्रमुख प्रकार हैं। इस प्रकार की चप्पल का उपयोग व्यक्ति द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। 

कोल्हापुरी चप्पल - 


महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर में बनने वाली चप्पल के आकार और डिजायन के कारण इनका नाम कोल्हापुरी चप्पल पड़ा। यह जी आई टैग प्राप्त भारत की एकमात्र चप्पल होती है। यह टैग इसके उत्कृष्ट डिजायन, आकार, कला और हस्त निर्मित होने के कारण मिला है। 

कोल्हापुरी चप्पल दो पट्टी वाली समान्य चप्पल होती है। इसकी तल गाय, भैंस, भेड़ या बकरी किसी जानवर के चमड़े से बना हुआ होता है। इस पर हाथ से चमड़े की पट्टी लगाई जाती है। विशेष रूप से इसमे हुक की बजाय अंगूठे के लिए रिंग बनी हुई होती है। इसको वानस्पतिक (प्राकृतिक) रंग से रंग दिया जाता है। यह रंग एकदम पक्का होता है, जो आसानी से नहीं जाता है। इसकी पट्टियों पर हाथ से कशीदाकारी भी की जाती है। 

चप्पल : अर्थ, प्रकार, फायदे और नुकसान। कोल्हापुरी चप्पल Chappal

कोल्हापुरी चप्पल भारत के ग्रामीण इलाकों में अधिक पसंद किया जाता है। इसका तल चमड़े का होने के कारण भयंकर गर्मी में भी गर्म नहीं होता है। रबर की चप्पल का तल गर्मी में गर्म हो जाता है, जिससे ये गर्मी के दिनों में पहनने योग्य तक नहीं रहती है। लेकिन कोल्हापुरी ना गर्म होती है और ना ही इसमें खुली होने के कारण जूते की तरह पसीना आता है। 

इस प्रकार की चप्पल को अधिक पसंद किए जाने के कारण निम्नलिखित है - 
  1. ये वजन में काफी हल्के होते हैं। 
  2. ये देखने में सुन्दर होते हैं। 
  3. समान्य चप्पल के मुकाबले में इनकी पैर पर ग्रिप मजबूत होती है, अंगूठे की रिंग के कारण। 
  4. ये असली चमड़े के बने हुए होने से मजबूत होते हैं। 
  5. ये हस्तशिल्प होने के कारण इनमे किसी प्रकार के नुक्स की संभावना शून्य होती है। 
  6. इन्हें प्राकृतिक रंग से रंगा जाता है। 
  7. खुली होने से अधिक आरामदायक होती है। 
  8. चमड़े की होने के कारण अधिक टिकाऊ होती है। 
  9. गर्मी में भी गर्म नहीं होती है। 
  10. हस्त निर्मित होने से विभिन्न डिजायन आसानी से मिल जाती है।
  11. यह देशी होने से आयात करो से मुक्त होने से सस्ती दरों पर मिल जाती है। 
उपर्युक्त सभी कारणों से इस प्रकार की कोल्हापुरी चप्पल को अधिक पसंद किया जाता है। इनकी पसंद और बाजार मांग को देखते हुए यह कोल्हापुर से दूर भी बनने लगी है। इनका उत्पादन महाराष्ट्र राज्य के बाहर कर्नाटक में भी होता है। 

चप्पल के फायदे - 


चप्पल पहने जाने के कारण इसके कुछ फायदे भी है। इन्हीं फायदों को ध्यान में रखते हुए खरीदे और पहने जाते हैं। ये फायदे जेब से लेकर स्वास्थ्य तक के है। तो आइये आपको बताते हैं चप्पल पहनने के कुछ फायदे - 
  • आरामदायक - चप्पल खुली होने के कारण जूते की अपेक्षा में अधिक आरामदायक होती है। इसके कारण इसे घर और भारी कार्य करते समय पहना जाता है। 
  • सस्ती - चप्पल सस्ती होती है, ऐसे में इसे अधिक खरीदा जाता है। जूते अधिक महंगे होते हैं। 
  • खून का थक्का नहीं जमना - जूते पहनने से पैरों में खून के थक्के बन जाते हैं। लेकिन चप्पल खुली हुई होती है, जिससे पैर ना अधिक तनाव महसूस करते हैं और ना ही बंधे हुए रहते हैं। इसकी इसी विशेषता के कारण खून के थक्के बनने की संभावना शून्य हो जाती हैं। खुली और आरामदायक होने के कारण ही इसे शल्य चिकित्सा या दुर्घटना के बाद व्यक्ति जूते की बजाय चप्पल पहनते हैं। 
  • पसीना नहीं होना - चप्पल खुली हुई होती है। इस कारण पैरों में पसीना कम होता है। जिन लोगों को अधिक पसीना आता है, वो जूते की बजाय चप्पल पहनना अधिक पसंद करते हैं। 
  • गर्मी में फायदेमंद - इसके खुलेपन के कारण यह गर्मी के मौसम में अधिक उपयुक्त होती है। इसकी इसी विशेषता के कारण इसे घर में सभी भारतीय पहनना पसंद करते हैं।
उपर्युक्त सभी विशेषता के कारण लोग चप्पल पहनना पसंद करते हैं। चप्पल हल्की और आरामदायक होने के कारण इसे हम स्लीपर के तौर पर उपयोग करते हैं। 

चप्पल पहनने के नुकसान -


एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। चप्पल पहनने के कई फायदे होते हैं, ऐसे ही कई नुकसान भी होते हैं। इसके नुकसान निम्नलिखित है - 
  • सर्दी और गर्मी लगना - चप्पल खुली हुई होती है, जिससे सर्दी के दिनों में सर्दी और गर्मी के दिनों में गर्मी लगने की संभावना अधिक होती है। खासतौर से गर्मी के दिनों मे चमड़ी के खराब होने या फटने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे ही गर्मी में खुली होने से पैर गर्म होने लगते हैं। 
  • पैरों की बनावट खराब होना - चप्पल लगातार पहनने से पैरों की बनावट अजीब हो जाती है। अधिक चप्पल पहनने से पैर चौड़े हो जाते हैं। अंगुलियां संतुलित नहीं रह पाती है। 
  • कीड़े मकोड़े काटने की संभावना - पैर का अधिक भाग खुला रहने से कीड़े मकोड़े काटने की संभावना बढ़ जाती है। इसी वज़ह से जंगल में जाते समय लोग जूते पहनना अधिक पसंद करते हैं। 
  • कांटे चुभना - पैर के खुले हिस्से में कांटे चुभने की संभावना रहती है। इसी के कारण लोग घर में चप्पल पहनना अधिक पसंद करते हैं। 
  • छाले पड़ जाना - जिन लोगों को चप्पल पहनने का अनुभव नहीं होता है है, उनके द्वारा चप्पल पहनने पर पैरों में छाले पड़ जाते हैं। 

चप्पल में थोड़ी बहुत कमियां जरूर है लेकिन इसकी खूबियां इसकी कमियों पर कई गुना भारी है। इनकी पहचान इनकी खूबियों के कारण है। 

चप्पल ऐसी कई खास विशेषताओं को अपने में समेटे हुए है, जिसके कारण इसकी मांग दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। इसकी मांग को ध्यान में रखते हुए इसकी डिजायन भी दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। 

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