भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान : परिचय, कार्य और उदेश्य। ICAI

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान : परिचय, कार्य और उदेश्य। ICAI

आधुनिक युग कॉर्पोरेट युग है। जिस देश में जितने अधिक कॉर्पोरेट है, वह देश उतना ही आगे हैं। देश के विकास में कोर्पोरेट (उद्योग-धंधों) का बड़ा हाथ होता है। सर्वाधिक उत्पादन और निर्यात वाले सभी देश विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़े देश हैं। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान : परिचय, कार्य और उदेश्य। ICAI

कॉर्पोरेट से देश को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है कॉर्पोरेट में किसी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी ना हो इसके लिए कॉर्पोरेट चार्टर्ड एकाउंटेंट की आवश्यकता होती है। चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा वेरीफाई किए गए खाते शुद्ध और किसी प्रकार की गलती से मुक्त माने जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है यह चार्टर्ड एकाउंटेंट कौन होते हैं? और इनके द्वारा वेरीफाई खाते गलती से मुक्त क्यों माने जाते हैं? 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान - 


भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (The Institute of Chartered Accountant of India - ICAI) एक भारतीय राष्ट्रीय स्तर का पेशेवर लेखा निकाय है। सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949 के अंतर्गत इसकी स्थापना की गई। यह निगमित लेखाकार संगठन के रूप में भरत में कार्य करता है। इस संस्थान के सदस्य (चार्टर्ड एकाउंटेंट - सीए) सम्पूर्ण भारत में मान्य और पेशेवर लेखाकार के रूप में निजी और सरकारी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इस संघठन द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर सदस्य (सीए) ना सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कार्य कर रहे हैं। इस निकाय की पहचान अपनी गुणवत्ता के लिए है। इसी गुणवत्ता के बलबूते पर इस निकाय के सदस्य वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान रखते हैं। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान, अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट्स (American Institute of Certified Public Accountants) के बाद दूसरा सबसे बड़ा पेशेवर लेखा संस्थान है। ICAI भारतीय कंपनियों और अन्य संस्थानों पर लागू होने वाले लेखा मानको और नियमो की सिफारिश 'लेखाकंन मानकों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (National Advisory Committee on Accounting Standard) को करती है। इसके साथ ही अन्य सभी प्रकार के लाभकारी और गैर-लाभकारी संगठनों पर लागू होने वाले लेखा नियमो और मानकों का निर्धारण करती है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्रतीक - 


भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम के अंतर्गत हुई है। यह 1 जुलाई, 1949 को एक वैधानिक निकाय के रूप में मे स्थापित हुआ। वर्तमान में यह भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलात मंत्रालय के अधीन कार्यरत हैं। यह अपनी स्थापना 'भारतीय सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949' (के अंतर्गत संसद द्वारा अधिनियमित) से लेकर अब तक कार्य कर रहा है। इसकी पहचान के लिए अपना प्रतीक और आदर्श वाक्य भी है। 
प्रतीक चिह्न - गरुड़। 
आदर्श वाक्य - 'या एष सुप्तेशु जागृति'
इसके आदर्श वाक्य का अर्थ है - एक व्यक्ति जो सोने वालों में भी जागता है। ऐसे में इसका गहन अर्थ है कि यह संस्थान सरकार द्वारा करो के निर्धारण से लेकर कराधान (उगाई) तक का कार्य सजगता से करता है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के उदेश्य - 


भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना तत्कालीन संसद द्वारा पारित अधिनियम के अंतर्गत हुई है। इसकी स्थापना कुछ उद्येश्यों की प्राप्ति के लिए हुई है। इसके उदेश्य भारतीय लेखाकंन प्रणाली से सम्बन्धित है। इसके उद्देश्यों को आप संक्षिप्त में इस प्रकार से जान सकते हैं। 
  • भारत में लेखाकंन पेशे को विनियमित करना।
  • सनदी लेखाकार (CA) की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम निर्धारण और परीक्षाओं का आयोजन करना। 
  • पहले से परिक्षा उत्तीर्ण कर सदस्य बन चुके सदस्यों की व्यावसायिक और पेशेवर शिक्षा को जारी रखना। 
  • सदस्यता प्राप्ति के उपरांत शिक्षा और योग्यता पाठ्यक्रमों का संचालन कर उनकी पेशेवर योग्यता में सकारात्मक परिवर्तन लाना। 
  • भारत में लेखाकंन मानक बनाना और लागू कराना। 
  • लेखापरीक्षा अथवा अंकेक्षण (ऑडिट) के मानक निर्धारित करना और इसके लिए एक मानक और प्रक्रिया को निर्धारित किया जाना। 
  • लेखांकन को अधिक उपयोग बनाने के उदेश्य से इसके नैतिक मानक स्थापित करना। 
  • लेखांकन की गुणवत्ता की निगरानी बनाये रखना। 
  • अपने सदस्यों का मानक प्रदर्शन सुनिश्चित करना। 
  • अनुशासनात्मक क्षेत्राधिकार का उपयोग करना। 
  • वित्तीय रिपोर्टिंग और समीक्षा के मानक निर्धारित करना। 
  • सरकार के लेखाकंन नीतिगत निर्णयों पर अपने सुझाव देना। 
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के उदेश्य लेखाकंन मानकों को बनाने, स्थापित करने और इन्हें उचित तरीके से लागू किए जाने से सम्बन्धित है। लेखाकंन और अंकेक्षण कार्य को बेहतर बनाने के उदेश्य से संस्थान को स्थापित किया गया। संस्थान इसे बेहतर और पारदर्शी बनाने में अहम भूमिका निभाता है और इसके लिए समय-समय पर अपने सदस्यों के लिए दिशा निर्देश भी जारी करता रहता है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के सदस्य - 


भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के सदस्य को 'चार्टर्ड एकाउंटेंट' कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति जो भारत में यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय से स्नातक है या समकक्ष योग्यता रखता है (हालांकि 12 वीं के बाद सीपीटी उत्तीर्ण को भी प्रवेश के लिए योग्य माना जाता है) वे संस्थान द्वारा निर्धारित की गई परीक्षाओं मे भाग ले कर (उत्तीर्ण करना अनिवार्य)  और तीन साल के व्यावहारिक प्रशिक्षण (किसी सदस्य के निर्देशन में) ले कर ICAI का सदस्य बन सकता है। इस संस्थान द्वारा प्रवेश दिए जाने के लिए स्नातक के विषय के अनुसार योग्यता निर्धारित की हुई है। निर्धारित योग्यता रखने वाले इच्छुक आवेदन कर सकते हैं। 

संस्थान की सदस्यता की परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में मानी जाती है। संस्थान द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को कठोर मानकों के साथ पारदर्शीता के लिए जानी जाती है। इस संस्थान की परीक्षाओं का आयोजन वर्ष में दो बार - मई-जून और नवंबर-दिसंबर माह में होता है। संस्थान द्वारा परीक्षाओं का आयोजन करने के साथ ही पाठ्यक्रम का निर्धारण और पाठ्य सामग्री के वितरण का कार्य भी किया जाता है। संस्थान भारत सरकार, सम्बन्धित मंत्रालय और एजेंसी के साथ वार्ता (बैठक) कर पाठ्यक्रम और अन्य दिशानिर्देश जारी करता है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्रबंधन मंडल पारिषद सदस्य - 


भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान प्रबंधन मंडल में 40 सदस्य होते हैं। सदस्य संख्या भारतीय सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949 और सनदी लेखाकार विनिमय, 1988 द्वारा निर्धारित की गई है। पारिषद के सदस्यों का चुनाव विशेष प्रक्रिया से होता है। पारिषद के कुल 40 सदस्यों में से 32 सदस्यों का चुनाव चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा किया जाता है। शेष 8 सदस्य सरकार द्वारा नामित होते हैं। नामित सदस्यों में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) कोर्पोरेट मामलात मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) और अन्य हितधारक के सदस्य होते हैं। सदस्यों में से एक व्यक्ति को अध्यक्ष और एक को उपाध्याय चुना जाता है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संस्थान होने के नाते इसकी 164 शाखाएं, 44 विदेशी अध्याय (Chapters) और 29 प्रतिनिधि कार्यालय है। संस्थान के 25 क्षेत्रीय कार्यालय भी है। यह कार्यालय क्षेत्रवार स्थापित किए गए हैं। 
  • पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय - कोलकाता, 
  • पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय - मुंबई, 
  • मध्य क्षेत्रीय कार्यालय - कानपुर, 
  • उत्तरी क्षेत्रीय कार्यालय - नई दिल्ली, 
  • दक्षिणी क्षेत्रीय कार्यालय - चेन्नई। 
सभी क्षेत्रीय कार्यालयों का अपना प्रबंधन मंडल होता है। इसमे उस क्षेत्र के सीए सदस्य होते हैं, जो इसे नियमित करते हैं। क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना इसके कार्यो को बेहतर बनाने के साथ ही सदस्यों और अभ्यर्थियों की सुगम पहुंच के उदेश्य से की गई है। 

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के क्षेत्रीय कार्यालय नव सदस्य चयन के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के सफल संचालन में अपनी महती भूमिका का निर्वाह करते हैं। 


चार्टर्ड एकाउंटेंट - 


चार्टर्ड एकाउंटेंट को हिन्दी में सनदी लेखाकार कहा जाता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) एक वित्तीय और लेखा पेशेवर व्यक्ति होता है, इसका मुख्य कार्य लेखाकंन कार्यो को निष्पादित करने का होता है। सीए मुख्यतः चार क्षेत्रों में काम करते हैं, जिनमे वित्त, वित्तीय लेखांकन और रिपोर्टिंग, प्रबंधन लेखांकन एवं कराधान शामिल हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंट की जिम्मेदारियों में कोर्पोरेट(नियोक्ता) या अपने मुवक्किल का कर दाखिल करना और उनके वित्तीय विवरणों का ऑडिट करना भी शामिल होता है। सीए द्वारा ऑडिट कर वेरीफाई किए गए लेखा कार्यो को शुद्ध माना जाता है।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि 'चार्टर्ड अकाउंटेंट' लेखाकार होते हैं, जो निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में संगठनों, व्यवसायों, सरकारों और व्यक्तियों के लिए काम करते हैं। ये अपने नियोक्ता अथवा मुवक्किल की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने में उनकी मदद करते हैं। वर्तमान में, भारत में कर योग्य आय वाले व्यक्तियों और बढ़ते हुए कॉर्पोरेट के कारण सीए की मांग भी बढ़ी है। इसी के कारण विद्यार्थियों में भी सीए बनने का क्रेज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

चार्टर्ड एकाउंटेंट अथवा सनदी लेखाकार संस्थान के सदस्य द्वारा वेरीफाई किए गए लेखा को शुद्ध माना जाता है। इनके द्वारा निर्धारित किए गए कर (मुवक्किल की आय से कर की राशि) को उचित माना जाता है। वर्तमान में, कई संस्थान व्यक्ति की शुद्ध आय की गणना के लिए सनदी लेखाकार से प्रमाणित प्रमाण पत्र की मांग भी करते हैं। 

अन्य प्रश्न -


प्रश्न - भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान का प्रतीक चिह्न क्या है?

उत्तर भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान का प्रतीक चिह्न गरुड़ हैं।

प्रश्न - सनदी लेखाकार क्या होता है?

उत्तर - चार्टर्ड एकाउंटेंट को हिन्दी में 'सनदी लेखाकार' कहा जाता है। चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) बनने के लिए भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के साथ ही संस्थान द्वारा निर्धारित किए गए व्यावहारिक प्रशिक्षण को लेना आवश्यक होता है। संस्थान द्वारा निर्धारित योग्यता को पूरा करने के बाद आवेदक को सदस्य के रूप में मान्यता दी जाती है, इसलिए चार्टर्ड एकाउंटेंट को सनदी लेखाकार कहा जाता है। 

प्रश्न - भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान को अँग्रेजी में क्या कहते हैं? Bhartiya sanadi lekhakar sansthan in english?

उत्तर - भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान को अँग्रेजी में 'The Institute of Chartered Accountants of India' कहा जाता है। इसे संक्षिप्त में ICAI कहा जाता है। 

प्रश्न - सनदी लेखाकार means in english?

उत्तर - सनदी लेखाकार को अंग्रेजी में Chartered Accountant कहा जाता है। इसे संक्षिप्त में CA कहा जाता है। 

प्रश्न - भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान का मुख्य कार्यालय कहाँ हैं?

उत्तर - भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान का मुख्य कार्यालय राजधानी नई दिल्ली में हैं। 

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