जोधपुर पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा शहर होने के साथ देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान का जयपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है। जोधपुर शहर अपनी विरासत और ऐतिहासिक महत्व से अपनी पहचान रखता है। जोधपुर का पर्यटन और धार्मिक महत्व है।
मसूरिया पहाड़ी जोधपुर शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर शिरोमणि वीर दुर्गा दास की अश्वारोही मूर्ति विद्यमान है। पहाड़ी पर 20 सदी का एक ऊंचा टीवी टॉवर बना हुआ होने के साथ एक हिल गार्डन (पार्क) भी है। मसूरिया पहाड़ी बाबा रामदेव को समर्पित पहाड़ी है, जो धार्मिक रुप से अपना महत्व रखती है।
बाबा रामदेव मंदिर, मसूरिया -
जोधपुर शहर के बीचोबीच, जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर (सड़क मार्ग से) दूर पश्चिम में एक पहाड़ी पर बाबा रामदेव का मंदिर है। यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से दशमी तक मेला भरता है। बाबा रामदेव का भव्य मंदिर, मसूरिया पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पत्थर से कृत्रिम सिढियां बनी हुई है। इनसे मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस मंदिर में बाबा रामदेव जी के आध्यात्मिक गुरु गुसांई बालीनाथ की समाधी है। बाबा बालीनाथ ने अपना आखिरी समय इसी पहाड़ी पर गुजारा था। इसी पहाड़ी पर उन्होंने तपस्या की थी। बाबा रामदेव कि समाधि और जोधपुर की स्थापना दोनों ही एक ही वर्ष सन 1459 ईस्वी में हुए। कहा जाता है कि राव जोधा (जोधपुर के संस्थापक) मेहरानगढ़ की स्थापना मसूरिया पहाड़ी पर करना चाहते थे, लेकिन बाबा बालीनाथ की सलाह पर उन्होंने अपना इरादा बदल इसकी स्थापना चिड़ियाटुगनाथ की पहाड़ी पर की।
बाबा बालीनाथ की समाधि के बाद यहां एक मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर में बाबा बालीनाथ के साथ ही उनके शिष्य और द्वारकाधीश अवतार बाबा रामदेव की भी मूर्ति की स्थापना की गई। इसी के कारण इसे बाबा रामदेव मंदिर मसूरिया कहा जाता है। इस मंदिर में जोधपुर के साथ दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि बाबा रामदेव मंदिर रामदेवरा (बाबा का दरबार) में हाजिरी लगाने से पूर्व मसूरिया में बाबा और उनके गुरु के दर्शन करने से मन्नत जल्द पूरी होती है।
मसूरिया पहाड़ी और बाबा के मंदिर का धार्मिक महत्व -
यह बाबा रामदेव के गुरु गुसांई बालीनाथ की तपोस्थली हैं। यहां उन्होंने बरसों तक तपस्या की और अंत में यहां ही समाधि ली। यहां बाबा रामदेव के साथ उनके गुरु का मंदिर है। इस मंदिर, समाधि और मसूरिया पहाड़ी के लिए जोधपुर और आसपास के लोगों के साथ ही बाबा रामदेव के भक्तों में मन में बड़ी श्रद्धा हैं। भाद्रपद में महीने में लाखो लोग प्रतिदिन बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। भाद्रपद में यहां विशाल मेला भी भरता है।
मसूरिया मंदिर के लिए मान्यता है कि रामदेवरा में बाबा के दर्शन करने से पूर्व मसूरिया में बाबा के दर्शन करने से मन्नत जल्द पूर्ण होती है। ऐसे में भाद्रपद महीने में प्रतिदिन लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में मंदिर कमेटी के साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क खाने से रहने ठहरने तक कि व्यवस्था की जाती है, यह सब व्यवस्था बाबा के प्रति सच्ची श्रद्धा और धार्मिक विश्वास के कारण है। यह विश्वास ही उन्हें त्याग और समर्पण का पाठ पढ़ाते हैं।
क्यों बनाया गया मसूरिया पहाड़ी पर मंदिर -
मसूरिया पहाड़ी पर एक अलौकिक गुफा हैं। इस गुफा में बाबा रामदेव के गुरु गुसांई बालीनाथ ने कई बरसों तक तपस्या की। इसके बाद उन्होंने यहां पर समाधि ले ली। उनकी समाधि के कारण इस पहाड़ी का महत्व बढ़ गया। उनकी समाधि के बाद कालांतर में यहां पहाड़ी पर बाबा रामदेव का मंदिर बनाया गया। इस मंदिर में बाबा रामदेव के साथ उनके गुरु की भी मूर्ति है।
कहा जाता है 'गुरु बिन घोर अंधेरा....'
इस कहावत को सही शब्दों में चरितार्थ करता हैं, मसूरिया का बाबा रामदेव का मंदिर। मान्यता के अनुसार बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर बने रामदेवरा मंदिर के दर्शन करने के पूर्व उनके गुरु की समाधि के दर्शन करने से मन्नत पूरी होती है। मान्यता से गुरू की महिमा को सिद्ध करता हुआ यह मंदिर अपने आप में अनोखा होने के साथ दुर्गम पहाड़ी पर स्थित है।
मंदिर के पास ही गुफा है, कई लोग गुफा के दर्शन के लिए भी जाते हैं। गुफा का रास्ता दुर्गम होने के कारण इसे मेले के समय बंद भी कर दिया जाता है। लेकिन आपको इस बात पर भी ध्यान देना आवश्यक है कि नव रामदेवरा में बाबा के दर्शन करने के पूर्व आपको मसूरिया मंदिर में दर्शन कर मन्नत मांगनी चाहिए ना कि गुफा में।
बाबा बालीनाथ जोधपुर क्यों आ गए?
बाबा रामदेव जी के गुरु बाबा बालीनाथ का शुरुआती आश्रम पोखरण में था। इसी पोखरण आश्रम में बाबा रामदेव ने शिक्षा प्राप्त की थी। उस समय पूरा पोखरण भैरव राक्षस से खौफ खाता था। इसी राक्षस से बाबा रामदेव को उनके गुरु बालीनाथ ने बिस्तर में छुपा दिया था। कहा जाता है कि बाबा रामदेव, द्वारकाधीश के अवतार होने के कारण उनकी गुदड़ी (ओढ़ने का कंबल) द्रोपदी की साड़ी की तरह बढ़ने लगा, इसे खिंचते-खिंचते राक्षस थक गया, तब बाबा रामदेव ने भैरव राक्षस का वध इसी आश्रम में कर दिया था।
कहा जाता है कि बाबा रामदेव जी कि बहन सुगणा का पुत्र बहुत ही चंचल और शरारती था। बाबा रामदेव के इस भांजे (सुगणा के पुत्र) ने बाबा बालीनाथ के धूणे में मरा हुआ हिरण डाल दिया। बाबा बालीनाथ इस बात से इतने नाराज हो गए कि वो पोखरण छोड़कर मसूरिया पहाड़ी, जोधपुर आ गए। बाबा रामदेव उन्हें मनानय के लिए कई बार जोधपुर आए लेकिन अपने गुरु को मनाने में असफल रहे। बाबा बालीनाथ यहां आने के बाद मसूरिया पहाड़ी पर एक गुफा में तपस्या करने लगे। उन्होंने कई बरस तक यहाँ तपस्या की और अंत में यहां पर उन्होंने समाधि ले ली।
मसूरिया मेला -
मसूरिया पहाड़ी पर लगने वाला बाबा रामदेव का मेला जोधपुर का सबसे बड़ा मेला है, आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और दिनों की संख्या से सबसे बड़ा मेला है। अपनी अनोखी छटा के साथ भक्ति रस के कारण भी यह मेला अपने आप में अनुपम और अद्वितीय है। यह मेला भक्ति के साथ ही त्याग, समर्पण और सेवा का प्रतीक है। यहां राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों से लाखो की संख्या में बाबा के भक्त पहुंचते हैं। यहां पहुंचने वाले अधिकांश भक्त कोसों (गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से) पैदल चलकर मेले में पहुंचते हैं।
इस मेले में कोसों दूरी से पैदल चलकर आने वाले बाबा के भक्तों का मंदिर कमेटी के साथ बाबा के स्थानीय भक्तों द्वारा जोधपुर की अपणायत की परंपरा से आवभगत की जाती है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरे शहर क्या? जिले के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग पर निःशुल्क भोजन की व्यवस्था के लिए राम रसोड़े खोले जाते हैं। मंदिर के आसपास भी निःशुल्क भोजन की व्यवस्था स्थानीय बाबा के भक्तों द्वारा भाद्रपद मास की शुरुआत से ही कर दी जाती है, जो एक महीने तक निर्बाध रूप से चलती है।
बाबा का मंदिर पहाड़ी पर होने से सीढियों से मंदिर तक पहुंचा जाता है। यहां किसी प्रकार की दुर्घटना ना हो इसके लिए पुलिस प्रशासन के साथ विभिन्न सेवा संगठनों के कार्यकर्ता, एनसीसी और स्काउट के गाईड भी अपनी सेवा देते हैं। मेले के समय भक्तों को कतारों में लंबे समय तक इंतजार ना करना पड़े इसे ध्यान में रखते हुए सवेरे 4:30 बजे आरती के साथ दर्शन के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए रात्रि में 10 बजे तक खुला रहता है।
बाबा रामदेव मेला, मसूरिया की आधिकारिक शुरुआत भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को होती है। मेले की आधिकारिक शुरुआत जिला कलेक्टर द्वारा ध्वज को फहरा कर की जाती है। इस द्वितीया को स्कूल कॉलेज के साथ विभिन्न सरकारी संस्थाओं की छुट्टी रहती है। स्थानीय लोग 'बाबा की बीज' के नाम से पुकारते हैं। इस दिन, दिन के समय में मेला भरता है। रात के समय में जागरण (बाबा का जम्मा) और भजन संध्या होती है। यह भजन संध्या मेले के आसपास रामलीला मैदान (रावण का चबूतरा) और बॉम्बे मोटर्स चौराहे तक विभिन्न स्थानो पर होती है। इस भजन संध्या में मे भी 20-50 हजार तक (मौसम के अनुसार) श्रद्धालू सम्मिलित होते हैं।
बाबा के मेले के कारण मसूरिया और बलदेव नगर की सड़कों पर चारो और श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ नजर आता है। मेले में धार्मिक श्रद्धा के साथ ही स्थानीय भक्तों का समर्पण और सेवा भाव नजर आता है। पुलिस प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी महत्वपूर्ण मार्गों पर विशेष व्यवस्था की जाती है।
सच कहें तो यह मेला जोधपुर के लोगों में भक्ति भाव के साथ ही सेवा के भाव को भर देता है। शहर क्या? पूरे जिले के नागरिक श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता है। सरकार द्वारा जोधपुर रेलवे स्टेशन से रामदेवरा तक विशेष ट्रेन चलाई जाती हैं तो रोडवेज द्वारा भी यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
परचा नाडी, मसूरिया -
बाबा रामदेव मेला स्थल पर पहाड़ी के नीचे एक पवित्र नाडी (तालाब, सरोवर, बावङी) है। कहा जाता है यह नाडी बाबा रामदेव ने अपने परचे द्वारा खोदी थी। यहां स्नान करने से शरीर के कष्ट दूर होते हैं। जोधपुर शहर प्रशासन और नगर निगम द्वारा इसे स्वच्छ बनाये रखने के लिए सालभर प्रयास किया जाता है। इसी का परिणाम है कि शहर के मध्य होने के बावज़ूद इसमे स्वच्छ और शुद्ध जल भरा हुआ मिलता है।
मान्यता के अनुसार इस नाडी में डुबकी लगाने से शरीर के कष्ट दूर होते हैं। मेले के दौरान कई श्रद्धालु इसमे डूबकी लगाते हैं। यह नाडी प्रवेश द्वार के दांयी और स्थित है। डुबकी लगाने से पूर्व सावधानी रखना जरूरी होती है।
अन्य प्रश्न -
प्रश्न - जोधपुर में बाबा रामदेव का मेला कहाँ लगता है?
उत्तर - जोधपुर में बाबा रामदेव जी का मेला मसूरिया पहाड़ी पर लगता है।
प्रश्न - जोधपुर में बाबा रामदेव का मेला कब लगता है?
उत्तर - जोधपुर में बाबा रामदेव जी का मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को लगता है।
प्रश्न - बाबा रामदेव जी के गुरु का नाम क्या था?
उत्तर - बाबा रामदेव जी के गुरु का नाम गुरु गुसांई बालीनाथ था।
प्रश्न - जोधपुर में बाबा रामदेव मेला के दिन भजन संध्या कहाँ होती है?
उत्तर - लगभग शहर के सभी मुख्य स्थल पर होती है, लेकिन सबसे आकर्षक भजन संध्या रामलीला मैदान (रावण का चबूतरा) में होती है।
प्रश्न - जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मेला कौनसा है?
उत्तर - जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मेला, बाबा रामदेव मेला, मसूरिया जोधपुर है।
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