तिल का तेल : पोषक तत्व और उपभोग के फायदे। Til

तिल का तेल : पोषक तत्व और उपभोग के फायदे। Til

मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ना सिर्फ खाने की आवश्यकता मात्र है, बल्कि एक स्वस्थ खाने की आवश्यकता होती है। मानव को ऐसे खाने की आवश्यकता होती है जो शरीर के लिए आवश्यकता के सभी पोषक तत्व उसे प्रदान कर सके। बिना आवश्यकता के पोषक तत्वों की आपूर्ति के मनुष्य खाना खाने के बावज़ूद भी बीमार हो सकता है। 

तिल का तेल : पोषक तत्व और उपभोग के फायदे। Til

मानव शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वो की आवश्यकता होती है। सभी को मानव सीधा नहीं निगल सकता है, इन्हें एक विशेष प्रकार का स्वाद देकर इन्हें निगलता है। ऐसे तत्वों को स्वाद देने के लिए मसालों और खाद्य तेल की आवश्यकता होती है। यह स्वाद देने के लिए मानव खाद्य तेल की इतनी ही आवश्यकता होती है, जितनी खाने की। खाद्य तेल में एक तेल होता है, तिल का तेल।

तिल क्या होते हैं?


तिल अफ्रीकी मूल की भारत में पाई जाने वाली एक खाद्य तेल की फसल है। इसकी बुवाई खरीफ के समय की जाती है। इसका पौधा 3-5 फीट तक की ऊंचाई का होता है। पौधे पर कई डालिया होती है तथा इसके पत्ते बड़े होते हैं। इसके पत्ते 6 इंच तक लंबे और 3-4 इंच तक चौड़े होते हैं, पत्तियों का किनारा टेढा-मेढा होता है। पत्तियों के किनारे त्रिभुजाकार भी हो सकते हैं। इसका डंटल (तना) भूरे रंग का होता है। पत्तियाँ एकदम हरे रंग की होती है। एक पौधे से कई टहनियां निकलती है। इस तिलहनी फसल के फूल पीले रंग के होते हैं, लेकिन अंदर से हल्के बैंगनी रंग के नजर आते हैं। गिलास के आकार के ये फूल एक इंच तक लंबे होते हैं, इस पर लगने वाली एक फली (बीज कोष) में 15-25 तक तिल हो सकते हैं।

तिल एक अफ्रीकी मूल की फसल होने के कारण इसे कम पानी की आवश्यकता होती है। तिल की खेती राजस्थान में होती है। देश में लगभग 20% तिल की बुआई राजस्थान में होती है। तिल के तेल को स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। तिल के बीज का आकार और रंग उसकी किस्म पर निर्भर करता हैं, इसी के कारण तिल सफेद और काले रंग के होते हैं। तिल के बीज छोटे आकार के होते हैं इनका वजन लगभग एक ग्राम होता है। इनके आकार के कारण इनकी मिशाल छोटी चीजों के लिए दी जाती है। उदाहरणार्थ तिल तिल ऊंचाई का बढ़ना और ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि तिल रखने की जगह ना थी आदि। 

तिल का वैज्ञानिक वर्गीकरण - 


तथ्य  स्पष्टीकरण 
जगत  पादप (Plant) 
कुल  पेडालिआसी (Pedaliaceae) 
वंश  सेसमम (Sesamum) 
जाति  इंडिकम (Indicum) 
वैज्ञानिक नाम  सेसमम इंडिकम (Sesamum indium) 

तिल की पहचान - 


तिल एक तिलहन फसल है। इसके छोटे-छोटे बीज होते हैं, इन्हीं बीजों को तिल कहा जाता है। इनका आकार अंडाकार जैसा देखने में प्रतीत होता है, किनारों से नुकीले बीच में से फैले हुआ। तिल के बीज चपटे होते हैं और उपरी भाग बिल्कुल नुकीला होता है। यह देखने के तरबूज के बीज के समान दिख सकता है, जो बिल्कुल छोटा होता है, इसका वजन लगभग 1 ग्राम ही होता है। बीज में ऊपर एक छिलका होता है, अंदर ग्रीवा होती है। इसकी ग्रीवा में तेल पाया जाता है। 

तिल के बीज को तोड़ने या रगड़ने पर तेल निकलता है और चिकनाई निकलने लगती है। तिल के बीज का स्वाद मूँगफली के समान ही होता है, तैलीय होने के कारण। यहां ध्यान रखना चाहिए कि तिल का रंग काला और सफेद कोई भी हो सकता है। 

तिल के पोषक तत्व - 


तिल से उत्तम गुणवत्ता का तेल प्राप्त होता है। तिल का तेल स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। तिल के उत्तम माने जाने का कारण उसमे पाए जाने वाले पोषक तत्व होते हैं। ऐसे में एक बार तिल के बीज और तेल में पाए जाने वाले पोषक तत्वो पर नज़र अवश्य डाल देनी चाहिए। 

तत्व (प्रति 100 ग्राम)  मात्रा 
कैलोरी  572 कैलोरी 
वसा (कुल)  59 gm 
वसा (संतृप्त)  07 gm 
कोलेस्ट्राल  00
पोटेशियम  468 gm 
सोडियम  11 gm 
कार्बोहाइड्रेट  23 gm 
फायबर 12 gm 
शर्करा  0.3 gm
प्रोटीन  18 gm
आयरन  14.6 gm 
मैग्नीशियम  351 mg
कैल्शियम  975 mg
विटामिन बी 6 0.8 mg
विटामिन बी 12, विटामिन सी, विटामिन डी  -

उल्लेखित सभी पोषक तत्व तिल के बीज में पाए जाते हैं। तिल का तेल निकालने पर रेशा अथवा फायबर नहीं पाया जाता है। इसके सम्पूर्ण लाभ को उठाने के लिए साबूत तिल का सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। 

तिल का उपयोग -


तिल एक तिलहन फसल है, ऐसे में तिल का महत्वपूर्ण उपयोग तेल निकालने में किया जाता है। तिल मे कई पोषक तत्व पाए जाने के कारण तिल के तेल के स्थान पर का उपयोग किया जाना फायदेमंद होता है। किंतु तिलहन फसल होने के नाते तिल का सर्वाधिक उपयोग तेल निकालने में ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी तिल के कई उपयोग है, कुछ निम्नलिखित है - 
  • खाद्य तेल - तिल का सर्वाधिक उपयोग खाद्य तेल में किया जाता है। इसका स्वाद अन्य तिलहन फसलों से अलग होता है। तिल की तासीर ज्यादा गर्म होने के कारण इसका उपयोग सर्दियों के मौसम में सर्वाधिक किया जाता है। कई घरों में बच्चे सर्दी के मौसम में तिल के तेल में बाजरा की रोटी का चूरमा बनाकर उसमे गुड़ डालकर खाना बहुत पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त तिल के तेल से कई व्यंजन भी बनाये जाते हैं। तिल का तेल सम्पूर्ण रुप से खाद्य तेल है, किन्तु अपने गुणों के कारण अन्य तेल से थोड़ा महँगा होने के कारण आजकल बहुत कम घरो मे इसका उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जा रहा है। 
  • तिल के लड्डू - तिल के बीज के शानदार लड्डू बनते हैं। गुड़, काजू, बादाम, पिस्ता और अन्य सूखे मेवे मिलाकर शानदार लड्डू बनाये जा सकते हैं। तिल के लड्डू बच्चों को बहुत पसंद होते हैं। आजकल तिल के लड्डू दुकानों पर भी आसानी से मिल जाते हैं। भारत वर्ष में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के पर्व पर तिल के लड्डू लगभग सभी घरों में बनाये जाते हैं। 
  • तिल पापड़ी - तिल पापड़ी जिसे 'गजक' कहा जाता है यह तिल से बनती है। ग़ज़क बनाने के लिए काले और सफेद दोनों प्रकार के तिल उपयोग मे लिये जा सकते हैं। इसके लिए गुड़ को गर्म कर उसमे तिल और अन्य सूखे मेवे डालकर किसी थाली या प्लेट में सूखा दिया जाता है। इसके सूखने पर इसे चाव से खाया जा सकता है। आजकल तिल की पापड़ी सर्दी के मौसम में रेल्वे स्टेशन से बस स्टैंड पर नाश्ते का सामान बेचने वाले हॉकर के पास भी आसानी से मिल जाती है। यह पापड़ी मूँगफली से बनी हुई पापड़ी से अधिक स्वादिष्ट होती है। 
  • पुलाव - चावल के साथ तिल और अन्य मेवे और पुलाव की सामग्री मिलाकर उत्तम और स्वादिष्ट पुलाव बनता है। कई लोग तिल के पोषक तत्वों का लाभ उठाने के लिये इसका पुलाव बनाकर खाते हैं तो कई लोग पुलाव को स्वादिष्ट बनाने के लिए तिल डालते हैं। 
  • चॉकलेट और आइस क्रीम - तिल से बनी हुई सामग्री बच्चों को बहुत प्रिय होती है, यही कारण है कि आजकल तिल का उपयोग आइसक्रीम और चॉकलेट बनाने में किया जाने लगा है। तिल के तेल का भी उपयोग किया जाता है तो तिल का भी। 
अब तक जितने भी उपयोग बताये गये वो सभी मनुष्य के लिए थे। तिल के बीज मे से तेल निकालने से जो छिलका और ग्रीवा बच जाती है, उसे खल कहा जाता है। यह जानवरों के लिए बहुत उपयोगी होती है। दुधारू जानवरों को तिल की खल दूध की मात्रा को बढाने के लिए दी जाती है तो कृषि कार्य में उपयोग लिए जाने वाले जानवरों को उन्हें मजबूत और शक्तिशाली बनाने के लिए खल खिलाई जाती है। 

तिल के सेवन से फायदे -

तिल में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। तिल या इसके तेल का सेवन करने से मनुष्य को निम्नलिखित लाभ होते हैं। 
  1. हड्डियाँ मजबूत -  तिल में कैल्शियम पाया जाता है, आपको पता होगा ही की कैल्शियम मानव की हड्डियों को मजबूती देने के लिए कितना उपयोगी है? कैल्शियम के अतिरिक्त तिल में जस्ता भी पाया जाता है। जस्ता के कारण तिल का सेवन करने से मनुष्य की हड्डियां मजबूत होती है। 
  2. एंटी ऑक्सीडेंट - तिल की तासीर गर्म होने से यह शरीर में बैक्टीरिया को जड़ से समाप्त करने के लिए असरदार होता है। खासतौर से तिल में पाया जाने वाला 'सेलेनियम' पुरानी बीमारी की जोखिम को कम करने में कारगर होता है। 
  3. कोलेस्ट्राल घटाना -  तिल में पाई जाने वाली पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोअनसेचुरेटेड वसा कोलेस्ट्रोल को कम करती है। कोलेस्ट्रोल के कम होने से मनुष्य का हृदय मजबूत होता है। हृदय से सम्बन्धित जोखिम में भी कमी आती है। 
  4. वजन घटाना - तिल में वसा कम होती है और जो होती है वो कोलेस्ट्रोल को घटाने में सहायक होती है। ऐसे में वजन को घटाने के गुण तिल में विद्यमान होते हैं। तिल के नियमित सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्राल की कमी और फायबर की अधिकता होती है, जिससे मनुष्य का वजन कम होता है। 
  5. सूजन घटाना - तिल में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट के गुण शरीर में होने वाले दर्द और सूजन दोनों को कम करने में सहायक होते हैं। 
  6. रक्त शर्करा का नियंत्रण - तिल में कार्बोहाइड्रेट कम होता है, साथ ही इसमे शर्करा भी नाम मात्र की पायी जाती है। इसके कारण यह मधुमेह रोग के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। किंतु मधुमेह के रोगी इसका सेवन आयुर्वेद के डाक्टर की सलाह से करे। साथ ही मधुमेह के रोगियों को गजक और तिल पापड़ी के सेवन ना करना चाहिए। 
  7. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढावा- तिल में पाया जाने वाला जिंक, सेलेनियम, तांबा, , आयरन, विटामिन बी 6 और विटामिन ई आदि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढावा देने में सहायक होता है। 
इनके अतिरिक्त भी तिल के सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है और दांत मजबूत होते हैं। तिल का सेवन करने से आँखों की रोशनी भी तेज होती है। यह बाजार में मिलने वाले अन्य तेल से अधिक उपयोगी होता है। 

अस्वीकारण - कई लोगों को तिल से एलर्जी होती है, जो उन्हें भी पता नहीं होती है। ऐसे में उन्हें तिल का सेवन नहीं करना चाहिए जिन्हें इसका सेवन सूट नहीं होता है। इसका सेवन करने पर अपने स्वास्थ्य का परिक्षण अवश्य करते रहना चाहिए। किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को तिल का सेवन करने से पूर्व अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। 

अन्य प्रश्न - 


प्रश्न - क्या तिल के बीज उपवास में खाए जा सकते हैं? 

उत्तर - तिल से तेल निकलता है, तिल एक तिलहन फसल है। तिलहन फसल होने के नाते तिल अनाज नहीं होता है। तिल के अनाज नहीं होने के कारण इसका सेवन आप उपवास के दौरान भी कर सकते हैं। उपवास में तिल का सेवन करने से आपका उपवास टूटता नहीं है। किंतु इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि तिल में बहुत अधिक कैलोरी पाई जाती है, ऐसे में अगर आप कम कैलोरी पाने के लिए उपवास कर रहे हैं तो तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। किंतु हम आपको एक बार पुनः बता देते हैं कि तिल अनाज नहीं होने से आपका उपवास टूटने का खतरा नहीं रहता है। 

प्रश्न - क्या तिल अनाज होते हैं? 

उत्तर - नहीं तिल एक तिलहन फसल है। तिलहन फ़सल होने के नाते यह अनाज नहीं है। ऐसे में अगर आप उपवास के दौरान तिल का सेवन करने के लिए सोच रहे हैं तो यह आपके उपवास को नहीं तोड़ सकता है। 

प्रश्न - गजक किससे बनता है? 

उत्तर - गजक तिल और गुड़ से बनता है। गुड़ को गर्म करके इसमे तिल मिलाया जाता है। इसे बेहतर स्वाद देने के लिए अन्य सूखे मेवे भी मिलाए जा सकते हैं, ऐसे ही इसे खुशबू देने के लिए आप खुशबूदार सामग्री भी मिला सकते हैं। 

प्रश्न - तिल की तासीर कैसी होती है? 

उत्तर - तिल गर्म प्रदेशों की फसल है, साथ ही यह खरीफ की फ़सल है। ऐसे में तिल की तासीर गर्म होती है। 

प्रश्न - तिल किसके साथ खाना चाहिए? 

उत्तर - तिल का सेवन गुड़ के साथ किया जाना चाहिए। आप चाहे तो इसे गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू या गजक भी बना सकते हैं। 

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