जिस तरह देखो रुपये पैसे की मोह-माया हैं। हर कोई इसी के पीछे भाग रहा है। बच्चे हो या बूढे सब की दौड़ इसी की है। कामकाजी लोग धन कमाने के लिए सूर्योदय होते ही निकल पड़ते हैं। बच्चे जो धन नहीं कमाते वो अपने पास खूब सारे रुपये होने के ख्वाब देखते हैं।
समय के साथ धन का अस्तित्व बदल गया है। इस दौर में सबसे तरल, सर्वव्यापी और आमतौर पर स्वीकार्य धन विशेष बैंक द्वारा जारी किए गए नोट है। जब बाजार में खरीदी और बेची जाने वाली प्रत्येक वस्तु का एक मूल्य होता है, जिसका मापन भी इन्हीं नोट के जरिए होता है।
बैंक के नोट -
यह एक निश्चित बैंक द्वारा निश्चित मानकों को ध्यान में रखकर जारी किया गया वचन पत्र हैं, जो इस नोट के धारक को मांग पर बिना किसी प्रकार के ब्याज के देय होता है तथा धन के रूप में स्वीकार्य होता है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो बैंक के नोट या नोट बैंक द्वारा की गई एक वैधानिक घोषणा हैं। यहां बैंक द्वारा एक छुपी हुई घोषणा की जाती है कि मांगे जाने पर बैंक उस नोट के धारक को उस नोट के मूल्य के समान धनराशि देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बैंक के नोट से तात्पर्य उन सभी नोट से भी है, जो हम दिन प्रतिदिन दैनिक जीवन के उपयोग मे आने वाली वस्तुओं से लेकर विलासिता की वस्तुओं को खरीदने के उपयोग में ली जाती है। हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यो के पारितोषिक के रुप में मिलते हैं। बैंक नोट एक वैधानिक मुद्रा है। इसे बैंक द्वारा जारी किए जाने के कारण बैंक नोट कहा जाता है। भारत में बैंक नोट छापने, वितरण करने से लेकर नियमन करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हैं।
भारत में बैंक के नोट -
भारत में समान्य स्वीकृति वाले नोट छापने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास सुरक्षित है। आरबीआई निर्धारित मानकों के तहत निर्धारित मूल्य (2, 5, 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये) के नोट छापता है। आरबीआई द्वारा जारी किए गए सभी नोट बाजारों में बिना किसी प्रकार की रोक-टोक के स्वीकार किए जाते हैं। आरबीआई द्वारा जारी किए गए नोट और उनके मूल्य के आधार पर ही भारत (भौगोलिक और राजनैतिक सीमाओं के भीतर) में वस्तुओं का मूल्य तय होता है।
आरबीआई द्वारा जारी की गई मुद्रा अथवा नोट भारत की समृद्ध तथा विविध संस्कृति, देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष तथा भारत को एक राष्ट्र के रूप में अपने गर्व, त्याग और बलिदान की उपलब्धियों की गौरव गाथा को चित्रों के रुप में को दर्शाता है। देश की सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक उपलब्धियों को दर्शाने के लिए नोटो की समय के साथ नई शृंखला जारी करता रहा है, यह प्रयास वर्तमान में भी जारी है। यह शृंखला देश की गौरव गाथा को मजबूत करने के उदेश्य से विभिन्न चित्रो का सहारा ले इसे मजबूत कर रही है।
नोट के मानकों को बनाये रखने और समय के साथ इसे अधिक सुरक्षित करने की दृष्टि से आरबीआई ने नए डिजाइन के नोट जारी करते रहता है। वर्तमान में, आरबीआई द्वारा जारी की गई नई शृंखला के नोटों की विषय वस्तु भारत की विरासत को महत्वपूर्ण स्थान देने के उदेश्य से विभिन्न महत्वपूर्ण स्थलों के चित्रों को नोट पर छापा जा रहा है। विरासत स्थलों के साथ ही नई शृंखला के नोटों में देवनागरी में अंक और 'स्वच्छ भारत मिशन' का लोगो भी हैं। ऐसे में बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले नोट ना सिर्फ अपने में एक मूल्य को समेटे हुए है बल्कि देश की धरोहर और विरासत को भी समेटे हुए है।
यद्यपि वर्तमान बैंक नोट की सुरक्षा को मजबूत करने और बाजारों में नकली मुद्रा को रोकने के लिए इसमे कुछ विशेषताएँ जैसे वाटरमार्क (सफेद घेरे में गांधी जी का चित्र), सुरक्षा धागा, (आरबीआई लिखी हुई तार) मूल्यवर्ग अंक की लेटेंट इमेज, कलर शिफ्टिंग स्याही में मूल्यवर्ग अंक, संख्या पैनल, सी थ्रू रजिस्टर, इलेक्ट्रो टाईप, ब्लीड लाईने आदि इसमें यथावत रखी गई है।
भारत में आरबीआई कितने नोट छाप सकता है?
हम सभी को पता है कि भारत में बैंक नोट छापने अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास है। लेकिन आरबीआई सरकार की अनुमति के बगैर नोट नहीं छाप सकता, इसलिए आरबीआई को लगता है कि अब मुद्रा की आपूर्ति बढ़ाई जानी जरूरी है, उस समय आरबीआई भारत की केंद्र सरकार को एक अर्जी भेजता है।
सरकार को जब आरबीआई का पत्र मिलता है तो सरकार आरबीआई के वरिष्ट अर्थशास्त्रियों के एक बोर्ड का गठन कर मंथन किया जाता है। इस मंथन में हुए निर्णय के आधार पर सरकार आरबीआई को नोट छापने की मंजूरी देती है।
यहां इस बात को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है कि किस मूल्य के और कितने नोट छापने है, यह अधिकार भारत सरकार के पास ही सुरक्षित है। आरबीआई द्वारा छापे जाने वाले नोट की डिजायन और सुरक्षा मानक सरकार द्वारा तय किए जाते हैं। इसके अलावा किसी भी प्रकार का परिवर्तन आरबीआई स्वयं नहीं कर सकता है। आरबीआई के पास ₹ 10000 मूल्य के नोट छापने का अधिकार है, इससे बड़ा नोट सरकार की अनुमति के बिना नहीं छापा जा सकता है।
बैंक नोट जारी किए जाने के मानक -
आरबीआई द्वारा सरकार की अनुमति से नोट छापे जाते हैं। लेकिन सभी के मन में एक प्रश्न अवश्य आता है कि नोट छापने की संख्या और मूल्य का निर्धारण सरकार किस आधार पर करती है। आइए आपको बता देते हैं कि किस आधार पर नोट की संख्या और मूल्य निर्धारित किया जाता है। आइए निम्न मानकों की चर्चा करते हैं, जो इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते हैं -
- जीडीपी - जब देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ती है तो अतिरिक्त मुद्रा की आवश्यकता होती है। ऐसे में सामन्यतः बढ़ती हुई जीडीपी के अनुसार विभिन्न देशों द्वारा अपनी मुद्रा को बढ़ा दिया जाता है। इसका कोई आनुपातिक मानक नहीं है, इसलिए ही सरकार द्वारा आरबीआई के अर्थशास्त्रियों के साथ मंथन होता है।
- विकास दर - पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में राष्ट्र का सकल घरेलू उत्पाद जिस दर से बढ़ता है, उसे विकास दर कहा जाता है। ऊंची विकास दर की दशा में मुद्रा की आपूर्ति को बढावा दिया जाना एक समान्य प्रक्रिया हैं।
- राजकोषीय घाटा - जब सरकार की आय की तुलना में व्यय अधिक होते हैं तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। कई बार सरकारे अपने राजकोषीय घाटा को पूरा करने के लिए अतिरिक्त मुद्रा की छपाई कर देती है।
वर्तमान में आरबीआई द्वारा उपर्युक्त सभी मानकों का उपयोग न्यूनतम आरक्षित प्रणाली, 1956 के आधार पर किया जा रहा है। यह प्रणाली आरबीआई द्वारा 1957 में लागू की गई। इस प्रणाली के अंतर्गत आरबीआई न्यूनतम ₹ 200 करोड़ की संपत्ति अपने पास रखता है। इसमे 115 करोड़ रुपये का सोना और शेष 85 करोड़ की विदेशी मुद्रा। इस रिजर्व को रखे जाने का उदेश्य डिफ़ॉल्ट होने से बचाव किया जाना।
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