कोचिंग सेंटर का बेरोजगारी में योगदान। Coaching Unemployment

कोचिंग सेंटर का बेरोजगारी में योगदान। Coaching Unemployment

वर्तमान दौर में प्रत्येक युवा की चाहत सरकारी नौकरी तक तेजी से सीमित होती जा रही है। इस दौर में हर कोई सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए घण्टों किताबों में खोया रहता है। घण्टों अध्ययन कर जिंदगी में कभी काम न आने वाली चीजों को पचासों बार पढ़ता है। 
कोचिंग सेंटर का बेरोजगारी में योगदान। Coaching Unemployment

अब तो यह चाहत केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गई है। अब युवा किताबों के साथ कोचिंग सेंटर में ऊंचे अरमान के साथ कदम रख अपने सरकारी नौकरी पाने के सपने को सच करना चाहता है। युवा को लगता है कि कोचिंग सेंटर वो जगह है, जिस पर चढावा चढ़ा देते ही नौकरी उसके कदमों में होगी। 

कोचिंग सेंटर का अर्थ - 


कोचिंग सेंटर का अभिप्राय एक ऐसे संस्थान से है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के अनुरुप तैयारी करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शैक्षणिक कक्षाओं का आयोजन करते हैं। कक्षाओं का आयोजन करने के लिए विषय के विशेषज्ञ शिक्षको द्वारा प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम से सम्बन्धित शिक्षा के साथ ही परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए टिप्स दिए जाते हैं। 

कोचिंग सेंटर कक्षाओं के आयोजन के अतिरिक्त पाठ्यक्रम से सम्बन्धित पाठ्य सामग्री वितरण से और मॉक टेस्ट का का आयोजन करने के कार्य करते हैं। यह इस प्रकार का वातावरण प्रदान करते हैं, जिसमें प्रतियोगी को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए एक अनुकूल और आदर्श वातावरण प्रदान किया जा सके। सभी विद्यार्थियों (प्रतियोगियों) का एक लक्ष्य होने से इस तरह का वातावरण उत्पन्न होता है, जिससे प्रतियोगी एक-दूसरे के ज्ञान से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। 

कोचिंग संस्थान किसी बोर्ड या विश्वविद्यालय से सम्बन्धित नहीं होते हैं और ना ही इनका स्वयं का बोर्ड और विश्वविद्यालय की भांति कोई निश्चित पाठ्यक्रम होता है। इस प्रकार के संस्थान विभिन्न भर्ती एजेंसी द्वारा जारी की जाने वाली भर्ती परीक्षा की तैयारी करवाते हैं। इस प्रकार के संस्थानों द्वारा भर्ती एजेंसी के पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षा दी जाती है। 

सरकारी नौकरी की भर्ती के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी कोचिंग संस्थान होते हैं लेकिन हमारा लक्ष्य सरकारी नौकरी की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों से उत्पन्न बेरोजगारी से पर्दा उठाने का हैं। हमारा लक्ष्य ऐसे कोचिंग संस्थानों के साथ फैली हुई समाज में बेरोजगारी को उजागर करने के साथ ही कोचिंग संस्थानों द्वारा दी जाने वाली नकारात्मक शिक्षा को भी उजागर करना हैं। 

कोचिंग संस्थान की सेवायें - 


कोचिंग संस्थान विभिन्न प्रकार की सेवाओं को देते हैं, जिससे एक प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण हो सके। इसके लिए निम्नलिखित प्रकार की सेवायें एक कोचिंग संस्थान द्वारा दी जाती है - 
  • प्रतियोगी परीक्षा पाठ्यक्रम की शिक्षा - देशभर में फैले हुए सभी कोचिंग संस्थान विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। इसके लिए विभिन्न भर्ती एजेंसियों के पाठ्यक्रम से तैयारी कराने के विषय के विशेषज्ञ शिक्षको को नियुक्त करते हैं। विशेषज्ञों द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं के माध्यम से तैयारी कराई जाती है। 
  • पाठ्य सामग्री का वितरण - विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को उनकी परीक्षा के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित पाठ्य सामग्री - नोट्स, किताबे और अन्य सामग्री का अध्ययन के लिए वितरण किया जाता है। यह सभी कोचिंग संस्थान द्वारा अनिवार्य और ऐच्छिक रुप से वितरित की जाती है। अनिवार्य सामग्री का शुल्क फीस साथ ही वसूल किया जाता है और ऐच्छिक का शुल्क फीस के अतिरिक्त होता है। 
  • उपयुक्त वातावरण - प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए ऐसे वातावरण को बनाया जाता है, जहां वो ऐसी शिक्षा प्राप्त कर सके, जो उन्हें परीक्षा में सफलता दिला सके। सभी विद्यार्थी (प्रतियोगी) एक ही लक्ष्य से जुड़े हुए होने से ऐसा वातावरण बन जाता है जो प्रतियोगी परीक्षा में आने वाले पाठ्यक्रम से सम्बन्धित प्रश्नोत्तरी और ज्ञान के आदान-प्रदान में सहायक बन जाता है। 
  • मॉक टेस्ट - प्रतियोगी परीक्षा के समान ही परीक्षा का आयोजन कर प्रतियोगियों को परीक्षा कैसे दी जाती है? कितने प्रश्न होंगे? कितना समय होगा? इत्यादि की जानकारी दी जाती है। इससे प्रतियोगी परीक्षा में किस प्रकार से प्रश्नो को हल करना है। इससे वो को आसानी से परीक्षा देना सीख सके। 
  • मॉक इंटरव्यू - प्रतियोगी परीक्षा में लिखित परीक्षाओं के बाद इंटरव्यू भी लिए जाते हैं। यह इंटरव्यू की तैयारी भी करायी जाती है। 
उपर्युक्त सभी के अतिरिक्त कोचिंग संस्थाओ द्वारा प्रतियोगियों को प्रेरित करने के लिए बड़ी हस्तियाँ बुलाई जाती है। ये विद्यार्थियों को प्रेरित करने के साथ उन्हें महत्वपूर्ण टिप्स भी देते हैं। वर्तमान में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी ले साथ समय में सारे प्रश्न हल करने और तरीका आदि सिखाया जाता है।

कोचिंग संस्थान का बेरोजगारी में योगदान - 


वर्तमान समय में खासतौर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान भारत में तेजी से बेरोजगारी बढ़ा रहे हैं। ऐसा कहने वालों के कुछ तर्क निम्नलिखित है - 
  • काम करने की उम्र में तैयारी - कोचिंग सेंटर उस उम्र में शिक्षा देते हैं, जो उम्र सामन्यतः काम करने की होती है। जब इस उम्र में काम नहीं किया जाता है तो बेरोजगारी की दर स्वतः ही बढ़ जाती है। जो उम्र किसी काम को सीखने की होती है उस उम्र में पीठ पर किताबे लाद सड़कों पर घूमे तो जिन्दगी में कभी भी कोई काम सीखना मुश्किल हो जाता है। 
  • कार्य कुशलता का कोई शिक्षण नहीं - कोचिंग सेंटर द्वारा दी जाने वाली शिक्षा प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित शिक्षा देती है, जिसका वास्तविक शिक्षा के साथ कोई लेनदेन नहीं होता है। इस प्रकार की शिक्षा बेरोजगारी के सिवा कुछ नहीं देती है। यहां ना तो कुछ प्रायोगिक होता है और ना ही कुछ इस प्रकार की शिक्षा दी जाती है, जिसके दम पर किसी प्रकार से सरकारी नौकरी के बिना रोजगार की प्राप्ति की जा सके। 
  • सरकारी नौकरी मिलने का कोई भरोसा नहीं - कोचिंग संस्थान से शिक्षा लेने के बाद सरकारी नौकरी मिल जाती है, इसकी कोई गारंटी नहीं है। अगर कोई गारंटी नहीं मिलती है, तब यह सिर्फ बेरोजगारी को बढावा देने के सिवा कुछ काम की नहीं होती है। सरकार द्वारा फॉर्म भरे जाने की संख्या से देखा जाए तो इसके कई गुना कम भर्तियां होती है, जिसमें भी कई बार धांधली होने की खबरे आयी है। जब धांधली हो जाती है तो सभी विद्यार्थियों को नौकरी नहीं मिल पाती है, जो कोचिंग सेंटर में अपनी आँखों की रोशनी को बर्बाद कर रहे होते हैं। 
  • खुद को बेरोजगार कहने की सीख से वास्तविकता में लाना - आजकल कोचिंग संस्थान अपने विद्यार्थियों के सफल नहीं होने पर एक नई कहानी बनाने के लिए किसी को नौकरी मिलती है, सब को नहीं क्योंकि सरकार नौकरी नहीं देती। बेरोजगारी बढ़ रही है। ऐसे कई हथकंडे अपना विद्यार्थियों में बेरोजगारी भी एक स्टैटस है कि भावना बना देते हैं। इस तरह की भावना विद्यार्थियो में इतनी गहरी हो जाती है कि वो सोशल मीडिया पर बेरोजगार हूं का स्टैटस लगाते-लगाते, हकीकत में बेरोजगारी में जीने लगते हैं। उन्हें लगने लगता है कि उन्हें कोई रोजगार मिल ही नहीं सकता है। 
  • आन्दोलन - कई कोचिंग संस्थान आजकल अपने विद्यार्थियों को दिनोदिन आंदोलन में धकेल रहे हैं। किसी को रोजगार प्राप्त करने या काम धंधा करने के लिए प्रेरित करने की बजाय आंदोलन के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे में ये आंदोलन उन्हें बेरोजगार बनाने के साथ उद्योग धंधों को प्रभावित कर समाज पर भी विपरित प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पिछले कुछ वर्षो में मे कोचिंग सेंटर की शत प्रतिशत विफलता (किसी भी विद्यार्थी का चयन किसी भी परीक्षा में नहीं होने से) से ऐसा रुझान तेजी से बढ़ा है। 
  • भ्रमित करना - कोचिंग संस्थान कई बार भ्रम पैदा करने का कार्य करते हैं, 100% गारंटी। जल्द आ रही है वैकेंची। लेकिन भर्ती अगले कई वर्ष तक आती नहीं है तो युवा वर्ग का समय बर्बाद कर एक सामयिक बेरोजगारी की उत्पत्ति करते हैं। इसके साथ ही कोचिंग संस्थानों द्वारा अनुत्तीर्ण रहे विद्यार्थियों का आंकड़ा जारी नहीं किया जाता है, जो अपने आप मे सबसे बड़ी चालाकी है और भ्रम की उत्पत्ति करने का कोण भी। 
  • रोजगार की गारंटी नहीं - कोचिंग सेंटर एक ऐसी शैक्षिक संस्था है, जो किसी भी प्रकार के रोजगार की गारंटी नहीं देते हैं। अगर किसी विद्यार्थी की कोचिंग के बाद सरकारी नौकरी नही लगती है तो वह कुशलता के अभाव में बेरोजगार बनकर रह जाता है। 
उपर्युक्त सभी कारणों पर गहराई से सोचा जाए तो कोचिंग सेंटर समाज पर भारी बोझ बन गए हैं। यह भारी फीस की वसूली के बाद भी किसी प्रकार का ना तो कौशल विकसित कर रहे हैं और ना ही रोजगार की कोई गारंटी दे पा रहे हैं। इनका योगदान सफ़लता के स्थान पर बेरोजगारी में सर्वाधिक है। 

कई बार कोचिंग सेंटर सफल होने वाले विद्यार्थियों को लेकर भी भ्रामक विज्ञापन भी करते हैं। किसी दूसरे संस्थान या घर पर रहकर पढ़ने वाले विद्यार्थी को भी अपना विद्यार्थी बता देते हैं। इससे दूसरे बच्चे इनके जाल में फंस जाते हैं, उन्हें एक के बाद एक नया-नया कोर्स ऑफर करते रहते हैं। 

कोचिंग बेरोजगारी का निदान - 


कोचिंग संस्थान से उत्पन्न हुई बेरोजगारी से निपटने के लिए समाज को सामने आना होगा। सरकार और कोचिंग सेंटर के प्रयास ना के बराबर हैं। ऐसे में समाज निम्नलिखित कदम उठाकर इस समस्या से निजात पा सकता है - 
  1. बच्चों को अनावश्यक रूप से से कोचिंग सेंटर नहीं भेजा जाना चाहिए।
  2. जो बच्चे अधिक अंक कक्षा दस से निरंतर ला रहे हैं, उन्हें ही भेजा जाना चाहिए। 
  3. ऑफलाइन कोचिंग के स्थान पर ऑनलाइन कोचिंग को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। 
  4. मॉक टेस्ट के अनुसार कोचिंग को जारी रखना ना ना रखने का फैसला किया जाना चाहिए। 
  5. प्रत्येक कोर्स के लिए एक निर्धारित समय होना चाहिए। 
  6. एक साल या उससे भी अधिक समय के कोर्स नहीं लिए जाने चाहिए। 
  7. जिस भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ हो उसकी तैयारी ना करायी जाए। 
  8. प्रत्येक विद्यार्थी का एक यूनिक कोड होना चाहिए, जिससे उसके द्वारा ली गई शिक्षा की जांच की जा सके और भ्रामक जानकारी ना मिले। 
  9. प्रत्येक कोचिंग संस्थान को अनुत्तीर्ण रहे विद्यार्थियों का आंकड़ा भी जारी करना चाहिए, किसी भी भर्ती परीक्षा का अंतिम परिणाम आने के बाद।
  10. कोचिंग सेंटर द्बारा दी जाने वाली शिक्षा में बेरोजगारी और नेतागिरी ना हो।
  11. आंदोलन के लिए उकसाने वाले कोचिंग संस्थान के साथ अवैध गतिविधि भ्रामक विज्ञापन से पेपर लीक कराने वाले संस्थानों में अपने बच्चों को नहीं भेजा जाना चाहिए। 
अगर समाज मजबूती से अपनी मांग करता है तो सभी कोचिंग संस्थान को यह मांग स्वीकार करनी ही होगी। फैशन बन रहे कोचिंग से समाज को मुक्ति मिलने के साथ ही बेरोजगारी से भी निजात मिल सकता है। 

निष्कर्ष - 


कोचिंग संस्थान की शुरुआत में स्थापना विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के उदेश्य से हुई जो आगे चलते हुए इस तैयारी के साथ कई प्रकार के कार्य करने लगे जिनमे भ्रामक विज्ञापन से लेकर बिना किसी भर्ती की घोषणा के अपनी मर्जी से भर्ती की घोषणा करने तक शामिल हैं। विभिन्न कोचिंग संस्थान द्वारा युवाओं में गर्व से बेरोजगार हूँ कि भावना भी भरी जा रही है। यह युवको को मानसिक रूप से बेरोजगार बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है, जो किसी भी दृष्टि से उपयुक्त नहीं कही जा सकती है। 

इतना ही नहीं पीछले कुछ समय से विभिन्न भर्ती एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करने में भी कोचिंग सेंटर की भूमिका सामने आई है। इसके अतिरिक्त किसी अभ्यर्थी के स्थान पर दूसरा अभ्यर्थी भी इन संस्थानों द्वारा बिठाए जाने के मामले भी सामने आये हैं। 

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