गोटा पत्ती क्या होता है? कपड़ों पर इसे क्यों किया जाता है? GOTA Patti

गोटा पत्ती क्या होता है? कपड़ों पर इसे क्यों किया जाता है? GOTA Patti

दुनियाभर के प्राणियों में मानव एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसे सजना और संवरना उसकी खास विशेषताओं में सम्मिलित होने के साथ ही यह उसकी आदत भी हैं। मानव में भी महिलाओं में इसकी आदत अधिक होती है। महिलाएं अपनी वेषभूषा को लेकर पुरुषों की अपेक्षा में अधिक सजग होती हैं।

गोटा पत्ती क्या होता है? कपड़ों पर इसे क्यों किया जाता है? GOTA Patti


महिलाओ का अपनी वेशभूषा के प्रति अधिक सजग होने के साथ ही उनके द्वारा साज सज्जा पर भी अधिक बल दिया जाता है। महिलाएं हमेशा ऐसी वेशभूषा पर बल देती है, जो सहज और आकर्षक होने के साथ ही लंबी चल सके। इसे अधिक टिकाऊ बनाने के लिए महिलाएं कारखाने में बुने हुए कपड़े को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए प्रयास करती हैं।

गोटा पत्ती क्या होती है?


गोटा पत्ती एक पारंपरिक कढ़ाई तकनीक है, इसकी उत्पत्ति भारत के राजस्थान राज्य से मानी जाती है। यह एक प्रकार से धातु की सजावट होती थी, जो अब भी कहीं देखने को मिल जाती है, इसमे मुख्य रूप से सोने या चांदी के तार को इस तरीके से उपयोग में लिया जाता है जिससे कपड़े की सुन्दरता को बढ़ाया जा सके। कुशल और अभ्यस्त कारीगर महंगी धातु तत्वों को कपड़े में कुशलता से बुनते हैं, यह कारीगर अपनी मेहनत के बल से मंत्रमुग्ध करने वाले पैटर्न और डिज़ाइन कपड़ों पर बनाते हैं। यह प्रक्रिया एक श्रम-गहन कला है, जिसमें प्रत्येक टुकड़ा कुशल हाथों द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार किया जाता है, जो जटिलता का एक स्तर सुनिश्चित करता है जो गोटा पट्टी को अलग और अनोखा बनाता है। 

गोटा एक रिबन पर होने वाली सोने और चांदी की जरी की हुई होती है। पहले के ज़माने में यह काम सोने और चांदी जैसी क़ीमती धातुओं से किया जाता है। लेकिन समय के साथ इसमे परिवर्तन आया है, वर्तमान समय में सोना और चांदी तो छोड़ दीजिए, धातु का भी गोटा में नामोनिशान नहीं है। अब यह कपड़े से बनी हुई एक रिबन से ज्यादा कुछ है नहीं। हालांकि यहां आपको इस बात का ध्यान अवश्य रखना होगा कि यह रिबन बहुत मजबूत होने के साथ ही इसे आकर्षक बनाने के लिए इसमे प्लास्टिक और अन्य प्रकार के धागों का उपयोग किया जाने लगा है, जिससे इसकी चमक सोने या चांदी की बनी हुई तार की भांति ही नजर आती है।

गोटा एक प्रकार की रिबन है, जो सामन्यतः साड़ी, ओढ़नी और लहंगे के किनारे पर लगाई जाती है। महिलाओ की वेशभूषा को अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसे उपयोग में लिया जाता है। यह सुनहरे और चमक वाले धागे से बनती हैं। यह धागा इतना चमकीन और सुनहरा होता है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है, जैसे यह सोने या चांदी की तार से बना हुआ हो।

पत्ती की बात की जाए तो यह पेड़ के पत्तों के समान ही गोटा से बनी हुई आकृतियां होती है। गोटे का उपयोग किनारो पर किया जाता है, ठीक इसी प्रकार से पत्ती का उपयोग किनारों के साथ पल्लू और बीच में किया जाता है। अक्सर शादी विवाह के अवसर पर आपने दुल्हन के कपड़े देखे होंगे जो गोटा और पत्तियों से सजाये जाते हैं। इससे कपड़े आकर्षक बनने के साथ अधिक टिकाऊ भी हो जाते हैं। 

गोटा पत्ती का कार्य कैसे किया जाता है? 


गोटा पत्ती एक प्रकार की रिबन होती है। ऐसे में इसका कार्य कुशल कारीगरों द्वारा हाथ से सुई द्वारा किया जाता है। खासतौर से राजस्थान में इस कार्य के लिए चमकदार रिबन को उपयोग में लिया जाता है। पहले के ज़माने में यह कार्य राजघराने के लोगों की वेशभूषा के लिए होने के कारण इसमें सोने चांदी जैसी महंगी धातुओं का उपयोग होता था। समय के साथ इसे सबकी पहुंच में लाने के लिए सोने और चांदी जैसी महंगी धातु का स्थान चमकदार रेशम के धागों ने ले लिया। अब धागों दे फूल पट्टी और रिबन बुनने का कार्य किया जाने लगा है। इस रिबन के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर गोटा पत्ती के कार्य को किया जाता है। 

रेशम से धागे से बनी हुई रिबन, जिसे स्थानीय लोग तार भी कहते हैं। इसे साड़ी, ओढ़नी, लहंगा, सलवार और कुर्ता के किनारों पर सुई से लगाया जाता है। यह तार उन स्थानो पर लगाई जाती है, जो दूसरे कपड़े से ढंकते नहीं है या वो किनारा फ़ोल्ड नहीं किया जाता है, वस्त्रों को पहनते समय। किनारों के अलावा अन्य जगह पर इस तार के छोटे-छोटे टुकड़े लगाए जाते हैं। ये टुकड़े कपड़े के बाह्य भाग की तरफ लगाए जाते हैं, जिसकी सिलाई अंदर की तरफ होती है। 

गोटा पत्ती मे फूल और पत्तियाँ भी बनाई जाती है। कुछ लोग इसे कशीदाकारी के समान भाव से देखते हैं, जो सत्य नहीं है। कशीदाकारी धागे से माध्यम से होती है, जबकि गोटा पत्ती में रिबन को धागे के माध्यम से कपड़े पर सिला जाता है। 

गोटा पत्ती के फायदे - 


गोटा पत्ती एक रिबन है। इसका उपयोग कपड़े पर किया जाता है। अब गोटा पत्ती में बुनाई का काम नाम मात्र का ही रह गया है। वर्तमान में, गोटा पत्ती पूरी तरह से सिलाई आधारित हो गया है। इसे कपड़े पर सिला जाता है। कपड़े पर इस तरह की सिलाई किए जाने के निम्नलिखित फायदे होते हैं। 
  • आकर्षण - गोटा पत्ती लगाने से वेशभूषा में आकर्षण आता है। यह सुनहरी और चमकीली होने के कारण सोने और चांदी की बनी हुई तार से बुनी हुई प्रतीत होती है। इस तार से वस्त्रों में आकर्षण आता है। यह एक रिबन होने के कारण फैशन में भी इसे खरा आसानी से उतारा जा सकता है, जो किया भी। इससे फूल और पत्ती बनाकर हम आसानी से फैशन के योग्य बना सकते हैं। जो चाहे वह रुप देने के साथ ही यह रेशमी धागे से बनाए जाने के कारण सबकी पहुंच में आसानी से आ जाती है। 
  • टिकाऊ - गोटा पत्ती बहुत टिकाऊ होता है क्योंकि यह रेशम के धागे से बुना हुआ होता है। इतना ही नहीं, यह बुना हुआ होने से और भी मज़बूत हो जाता है। जब इसे कपड़ों के किनारे पर सुई धागे की सहायता से लगाया जाता है तो कपड़ों के किनारे मजबूत हो जाते हैं। पूरे कपड़े पर इसे लगाने से कपड़ा इतना मजबूत और टिकाऊ हो जाता है कि बरसों तक इसे कुछ नहीं होता है। यही कारण है कि ऐसे कपड़ों का उपयोग समान्य दिनों की अपेक्षा में शादी-विवाह और विशेष उत्सव के दिन अधिक चलन होता है। 
  • कपड़े की कम अहमियत - जब किसी कपड़े पर गोटा पत्ती लगाई जाती है, तो कपड़े का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। यहां कपड़े के अस्तित्व से तात्पर्य उसके रंग और उस पर हुई प्रिंट से है। मजबूत और पारम्परिक कपड़ो पर फैशन का अस्तित्व नहीं होता है, उन पर ऐसा कार्य कर उनकी अहमियत को बढ़ा सकते हैं। 
  • सलवटे ना आना - गोटा पत्ती एक रिबन होता है। यह रिबन मजबूत कपड़े की होने के कारण थोड़ी वजनदार होती है। वजनदार होने के कारण पहनने पर कपड़ा तना हुआ रहता है, जिसके कारण आसानी से सलवटे नहीं आती है। ऐसे में कपड़ा जल्दी फटता नहीं है और ना ही प्रेस करने की आवश्यकता पड़ती है। 
  • घर पर भी लगाया जा सकता है - गोटा एक रेशमी रिबन होने के कारण अगर आप अधिक खर्च करने के लिए उत्साहित नहीं हैं, तो गोटा का पैकेट बाजार से खरीदकर आप घर में भी अपने कपड़ों पर गोटा पत्ती लगा सकते हैं।
शादी-विवाह के अवसर पर कपड़ो को अतिरिक्त तरीके से आकर्षक बनाने के लिए गोटा लगाकर पहना जाता है। 

गोटा के विभिन्न प्रकार - 


क़ीमती धातु से लेकर रेशम के धागे से अब प्लास्टिक के धागे तक पहुंच गया है गोटा।समय की मांग के साथ इसके प्रकारो में भी परिवर्तन होता रहा है। ऐसे में इसके कुछ विशिष्ट प्रकार निम्नलिखित है। 

गोटा पत्ती क्या होता है? कपड़ों पर इसे क्यों किया जाता है? GOTA Patti

  • सीखी - यह सोने और चांदी की क़ीमती धातुओं से की जाती है। 
  • फूल - इस प्रकार की शैली में रिबन को इस आकार में मोड़ दिया जाता है जिससे पुष्प के समान प्रतीत हो। साथ ही, एक चौड़े रिबन को भी पुष्प की आकृति में काटा जा सकता है। 
  • बिजिया - यह एक तरीके की पट्टी या रिबन है। जिसमें त्रिकोण आकृति बनी हुई होती है। सामन्यतः इस प्रकार की रिबन का उपयोग किनारों के लिए किया जाता है। 
  • मोठड़ा - यह बीजिय से अपेक्षाकृत चौड़ी पट्टी होती है। इसमे जालीदार रिबन के किनारो पर आकृति बनी हुई होती है। आकृति से इसकी पहचान होती है। यह रिबन जब कपड़े के किनारे पर लगाई जाती है तो आकृति को भीतर की ओर रखा जाता है। 
  • लप्पा - यह एक प्रकार की साधारण तार होती है। इसे आप घर पर भी आसानी से लगा सकते हैं। 
इसके अलावा भी कुछ आधुनिक शैली और प्रकार हो सकते हैं। इसे अंतिम और पूरा नहीं माना जाना चाहिए। बदलते हुए फैशन के साथ इसके भी प्रकारों में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। 

घर पर कैसे लगाया जा सकता है? 


अगर आप गोटा का घर पर अपनी ओढ़नी, साड़ी या अन्य किसी कपड़े पर करना चाहते हैं तो आप आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई विशेष सामग्री या उपकरण खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप सुई और धागे की सहायता से आसानी से घर पर अपनी वेशभूषा पर गोटा पत्ती लगा सकते हैं। इसके लिए आपको निम्न कदम लेने होंगे। 
  1. अपनी साड़ी या ओढनी के दो किनारे जो बाहर की तरफ रहते हैं, उनकी लंबाई नाप लीजिए। 
  2. इस लंबाई के बराबर किसी भी फैशन की दुकान से आप रिबन, फीता अथवा गोटा खरीद लीजिए। 
  3. गोटा को किनारे पर लगाकर सुई से इसकी सिलाई कीजिए। एक किनारा बिल्कुल किनारे के बराबर हो। 
  4. अब दूसरे किनारे (गोटा का दूसरा किनारा) की भी सिलाई कर दीजिए। 
  5. अगर फूल भी है तो जगह निश्चित कर इसे भी सी सिल दे।
आजकल घर पर गोटा लगाने के लिए सुई धागा की बजाय सिलाई मशीन से भी लगाया जाता है। 

अन्य प्रश्न -


प्रश्न - गोटा क्या होता है? 

उत्तर - गोटा एक प्रकार का रिबन होता है। इसका उपयोग साड़ी और ओढ़नी के किनारों पर सजावट और एम्ब्रोडरी की जाती है। इससे ओढ़नी का आकर्षण बढ़ जाता है। इसकी शुरुआत राजस्थान राज्य से हुई। पहले यह कार्य सोने और चांदी जैसी महंगी धातुओं से किया जाता था। समय के साथ यह रंगीन रेशम के धागों में सिमट कर रह गया है। 

प्रश्न - गोटा कार्य किस पर किया जाता है? 

उत्तर - गोटा साड़ी, ओढनी, सलवार सूट और लहंगों पर लंबे समय से किया जाता रहा है। वर्तमान में इनके अलावा , कुशन कवर, तकिया कवर, इडाणी, बेडशीट, झोलेनुमा बैग, जूते, घरेलू सामान, मंदिर में उपयोग होने वाले कपड़े और कालीनों पर भी गोटा वर्क किया जाने लगा है। 

प्रश्न - राजस्थान में गोटा पत्ती के लिए कौनसा शहर प्रसिद्ध हैं? 

उत्तर - राजस्थान के सीकर जिले का खंडेला शहर गोटा पत्ती के लिए प्रसिद्ध है। यहां हाथ से गोटा बनाई जाती है। वर्तमान में, मशीनों का उपयोग होने से इस पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कहा जाता है यहां इस कार्य की शुरुआत पांच शताब्दी पूर्व से भी अधिक समय पहले शुरू हुई थी। 

प्रश्न - गोटा किससे बनाया जाता है? 

उत्तर - गोटा रेशम के धागे से बनाया जाता है। इसे विभिन्न रंग देने के लिए विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है। अगर आपका बजट अधिक है तो इस पर कांच के कुंदन लगाए जा सकते हैं। इससे भी आपका बजट अधिक है तो इसके लिए सोने और चांदी के तार उपयोग में लिए जा सकते हैं। किसी ज़माने में यह कार्य केवल सोने और चांदी के तार से ही होता था। 

प्रश्न - गोटा क्यों लगाया जाता है? 

उत्तर - गोटा पत्ती महिलाओ के परिधानों पर भारतीय फैशन में सुंदरता और परंपरा का सच्चा प्रतीक है। इसे शकुन का प्रतीक माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के अवसर पर गोटा पत्ती लगा हुआ कपड़ा ही दिया जाता है। 

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