भारत कृषि प्रधान देश है। भारत कि आधी आबादी आज भी कृषि से जुड़ी हुई है। यहां हमेशा से ही खेती बाड़ी को तव्वजो दी जाती रही है। अपनी कृषि के बल पर भारत सदियों पहले भी एक मजबूत अर्थव्यवस्था थी, इसे सोने की चिड़ियां कहा जाता था। हमारा व्यापार दुनिया में फैला हुआ था।
आजादी के बाद कृषि का तेजी से विकास हुआ। आज भारत अपनी खपत को पूरा कर लेने के बाद कई व्यापारिक फसलों के उत्पाद खासतौर से मसाले और तेल का निर्यात कर रहा है। कृषि का जितना आधुनिक दौर में विकास हुआ, उतना ही कृषक का महत्व भी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने से लेकर उसे रफ्तार से आगे ले जाने में बढ़ता गया। किसानो को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को सरकारों द्वारा धरातल पर उतारा गया। जो किसानो के लिए योजनाए बनाई गई उनमे से एक है, आसान ऋण।
किसानो को ऋण -
भारत में किसानो को सरकार आसान शर्तों और कम ब्याज दरों पर ऋण देने के लिए प्रयास करती रही है। किसानो को कम दरों पर लोन देने के लिए नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development) राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की गई। यह राज्य स्तरीय सहकारी बैंकों और ग्राम स्तरीय सहकारी संस्थाओ को वित्त प्रदान करता है, जिससे ये बैंक किसानो को लोन दे सके। नाबार्ड बेहद कम दरों पर किसानो को कर्ज देने के साथ ही अगले वर्ष के लिए भी बड़ी आसानी से इसे पुनः दे देता है।
नाबार्ड के अतिरिक्त विभिन्न व्यापारिक बैंक भी किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानो को उचित दरों पर ब्याज देते हैं। ऐसे बैंक द्वारा किसानो को उनकी भूमि के क्षेत्रफ़ल, सिंचाई की स्थिति और फसल के आधार पर प्रदान करते हैं। बैंक द्वारा दिए जाने वाले लोन पर सरकार ब्याज राशि में अनुदान देने के साथ ही दरों को नियंत्रित भी करती हैं। व्यापारिक बैंक किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए सस्ती दरों पर भूमि को बंधक रखकर लोन देते हैं।
सामन्यतः भारत में किसानो को सस्ती दरों पर दिया जाने वाला कर्ज सरकारी योजनाओं की भांति विभिन्न राजनैतिक दलों का मत भी है। चुनाव पूर्व विभिन्न राजनैतिक दल सस्ती दरों के साथ सुगम शर्तों पर कर्ज देने की घोषणा अपने घोषणापत्र में करते हैं। साथ ही इन दलों द्वारा लगाई गई कर्ज की सीमा को भी पहले से अधिक किए जाने के वादे किए जाते हैं। विभिन्न दलों के वादों से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में किसानो को कर्ज देने की योजना सरकारी ना होकर राजनैतिक होती हैं।
कर्ज माफी -
जब से सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानो को कृषि कार्यो के लिए ऋण देने की योजना का संचालन किया जाना शुरु किया है, तब से भारत में कर्ज माफी के लिए समय-समय पर मांग उठती रही है। विभिन्न किसान संगठनों द्वारा किसानो के कर्ज माफ करने के लिए समय-समय पर आन्दोलन भी किए हैं। समय-समय पर किसान संघठन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के पूर्व घोषणा करते रहे हैं कि अगर किसी पार्टी को किसानो के मत चाहिए तो पहले किसानो का कर्ज माफ किया जाएं।
नाबार्ड और व्यापारिक बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज के माफ किए जाने के कुछ उदाहरण भी हैं। कई बार विभिन्न दलों की राज्य सरकारों ने विभिन्न राज्यों में किसानो के कर्ज माफ भी किए हैं। राज्य सरकारों ने किसानो के कर्ज माफ कर कर्ज माफी के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इस प्रकार की कर्ज माफी या तो राज्य सरकारों द्वारा केवल सहकारी बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋणों की एक सीमा तक माफ किए जाने के उदाहरण हैं। व्यापारिक बैंक द्वारा दिए गए कर्ज को माफ किए जाने के उदाहरण नहीं मिले हैं।
भारत में क्यों होती है, कर्ज माफी?
जैसा कि आपको पहले ही बता दिया कि भारत में विभिन्न राज्यों में राज्य सरकारों ने सहकारी बैंक के कर्ज माफ किए हैं। कुछ लोगों के मन में सवाल आता है, आखिर सरकार किसानो का कर्ज माफ क्यों करती है? सरकार द्वारा ऐसा किए जाने का सरकारों को किस प्रकार से लाभान्वित करता है। ऐसे में कर्ज माफी के कुछ कारण निम्नलिखित हैं -
- राजनैतिक फायदा - भारत में विभिन्न राजनैतिक दल चुनाव पूर्व कर्ज माफी की घोषणा करते हैं। यह घोषणा दलों द्वारा राजनैतिक अवसरों का लाभ प्राप्त करने के लिए की जाती है। जो पार्टी सत्ता में होती है, वो चुनाव से पहले किसानो का कर्ज माफ कर अपने पक्ष में करने का दावा करती है। दूसरी ओर, विपक्षी दल जीतने पर कर्ज माफी का वादा करते हैं। यह कर्ज माफी का कार्य पांच साल में केवल चुनावी साल में ही होता है, ऐसे में भारत में कर्ज माफी पूरी तरह से राजनैतिक है।
- किसानों को वित्तीय सहायता - कई बार सरकार द्वारा किसानो को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उदेश्य से सहकारी बैंक द्वारा लिए गए कर्ज को माफ कर दिया जाता है। किसान भी तो देश के नागरिक हैं, उनका भी हक है, संसाधनो में यह सोचकर कर्ज माफ किया जाता है।
- कृषि को बढावा - सहकारी बैंक द्वारा उन किसानों को लोन दिया जाता है, जो कृषि कार्य कार्य करते हैं। ऐसे में किसानो द्वारा खेती को करने के लिए खाद बीज खरीदने और उन्नत बनाने के लिए कर्ज को माफ कर दिया जाता है। कर्ज माफ करने पर वह यह राशि खेत को उन्नत बनाने में खर्च करता है, जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
- किसानों को सरकारी सहायता के लिए बढावा - किसानो के कर्ज माफ किया जाना, उन्हें सरकारी वित्तीय सहायता प्रदान करना है। किसानो के कर्ज माफ करने से उन्हें सरकारी सहायता प्राप्त होती है।
- महाजनी चंगुल से निकालना - भारतीय किसान बैंक से कर्ज लेने के बाद उसे कई बार परिवार पर आई आपदा में खर्च कर देते हैं। फिर बैंक का कर्ज चुकाने के लिए महाजनो से कर्ज लेते हैं, जिससे वो कर्ज के कुचक्र में फंस जाते हैं। ऐसे में सरकार उनका कर्ज माफ कर उन्हें कर्ज के कुचक्र में निकालती है।
उपर्युक्त सभी कारण किसानो को दिए जाने वाले कर्ज माफ करने की पद्धतियों के विश्लेषण से लिए गए हैं।
कर्ज माफी के नुकसान -
भारत सरकार के साथ विभिन्न राज्यों सरकारों द्वारा किए जाने वाले कर्ज माफ, हमेशा बुद्धिजीवियों के निशाने पर रहते हैं। बुद्धिजीवी के साथ आम आदमी भी इस पर सवाल करता है। आखिर किसानो के कर्ज माफ क्यों किए जाते हैं? वो कर्ज माफी पर सवाल खड़े करते हुए, इससे अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के साथ अन्य संभावित नुकसान की बात करते हैं। किसानो की कर्ज माफी का विरोध करने वाले इससे होने वाले नुकसान के लिए निम्नलिखित तर्क देते हैं -
- सरकारी खजाने पर भार - सरकार द्वारा किसानो का कर्ज माफ करने से सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इस पर खर्च हो जाता है। सरकारी खजाने में विभिन्न प्रकार के करो से इकट्ठी की गई आय मुफ्त में बांट दी जाती है, इससे सरकारी खजाने पर विपरित प्रभाव होता है।
- सार्वजनिक संपत्ति का निर्माण ना होना - किसानो के कर्ज सरकार द्वारा माफ़ किए जाने से सरकार का व्यय बढ़ता है किन्तु इससे किसी भी प्रकार की संपत्ति का निर्माण नहीं होता है। इस तरह के खर्च से सरकार को किसी भी प्रकार से राजस्व लाभ नहीं होता है। दूसरी तरफ सरकार अगर इसे किसी ऐसे प्रोजेक्ट में खर्च करे जहां से लाभ होने की संभावना हो तो उसके साथ ही सरकारी संपत्ति का भी निर्माण होता है और लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है।
- किसानो को आंदोलन के लिए उकसावा - किसी एक राज्य द्वारा किसानो का कर्ज माफ करने से दूसरे राज्यों के किसान आन्दोलन पर उतर आते हैं, ऐसे में यह किसानो को उस समय उकसावा देता है, जब राज्य या देश में चुनाव हो। नित आंदोलन होने से अव्यवस्था होने के साथ ही राज्यों में अशांति के माहौल की उत्पति होती है। यह ऐसा माहौल बना देता है, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है।
- आम आदमी पर भार - राज्य या देश के सभी नागरिक किसान नहीं होते हैं, ऐसे में आम आदमी जो किसान नहीं है वो सरकार से सवाल करते हैं आखिर किसानो के ही कर्ज माफ क्यों?
- महँगाई को आमंत्रित करना - किसानों का कर्ज माफ करने से सरकार का राजस्व घाटा बढ़ जाता है। कई बार घाटे की आपूर्ति करने के लिए नई मुद्रा जारी कर दी जाती है, इससे महंगाई बढ़ती है। दूसरी तरफ किसानो की वास्तविक आय बढ़ जाने से पूर्ति की तुलना में मांग बढ़ जाती है, जिसके कारण भी महँगाई बढ़ जाती है।
सभी कारण विभिन्न रिपोर्ट और विशेषज्ञों के विशलेषण पर आधारित है।
किसानो को कर्ज माफी से राष्ट्र को फायदा -
भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होने के कारण कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में बड़ा योगदान है। किसान भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। एक तरफ किसान खाद्यान्नों का उत्पादन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भारतीय उद्योगों को उत्पादन को जारी रखने के लिए कच्चा माल दे रहे हैं। भारत के कई कृषि उत्पाद निर्यात होते हैं, जिससे देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। किसान खेती के माध्यम से ग्रामीण इलाक़ों से होने वाले प्रवास को रोकने में कारगर कदम उठा रहे हैं।
किसानो का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान होने के बावज़ूद उन्हें अपनी आय के रूप में बहुत कम मिलता है। कई किसानो की आय जीविकोपार्जन के लिए भी पर्याप्त नहीं होती है, जिसके चलते कई किसान खेती तक नहीं करते हैं, तो कई मॉनसून के अतिरिक्त अन्य समय में खेती नहीं करते हैं। कुछ खेती करते है तो आवश्यकता के खाद बीज खरीदने में सक्षम नहीं होने के कारण खेती छोड़ दूसरे कार्य में जुट रहे हैं। कई किसान परिवार रोजगार की तलाश में गॉव छोडकर शहरो की तरफ पलायन कर रहे हैं।
भारत सरकार को कृषि और कृषि आधारित उद्योगों को जिंदा रखने के लिए किसानो को संबल देना जरूरी है। अगर किसानो को संबल नहीं दिया तो आने वाले समय में किसानी के प्रति बेरुखी से खाद्यान्न संकट की उत्पत्ति हो सकती है। इस संकट से निपटने के लिए किसानो का प्रोत्साहन आवश्यक हो गया है। सरकार का दायित्व यह भी बनता है कि वो किसानो को कर्ज से मुक्ति दिलाए ताकि उनकी जमीनों पर पूंजीपतियों का आधिपत्य स्थापित ना हो।
सरकार जब किसानो के कर्ज माफ करे तब इस बात का विशेष ध्यान रखे कि जिसका कर्ज माफ किया जा रहा है, उनका कृषि का कितना योगदान है? उसके द्वारा कितना नवाचार किया गया? उस व्यक्ति अथवा किसान द्वारा कितना उत्पादन किया गया? क्या वाकई उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है? यह सब इसलिए ध्यान में रखा जाए ताकि किसी गलत व्यक्ति का कर्ज माफ ना हो और सरकारी खजाना अनावश्यक रूप से लुटाया ना जा सके।
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