थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या होता है? तृतीय-पक्ष बीमा। Third Party

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या होता है? तृतीय-पक्ष बीमा। Third Party

बीमा आज की आवश्यकता है। आजकल बढ़ते हुई तकनीकी के साथ सम्पति और मानव जीवन की जोखिम भी तेजी से बढ़ी है। इस जोखिम से निपटने के लिए बीमा अति आवश्यक होता जा रहा है। बिना बीमा के आज के दौर की जोखिम से निपटा जाना असंभव सा प्रतीत हो रहा है। 

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्या होता है? तृतीय-पक्ष बीमा। Third Party Insurance

वर्तमान में सम्पति बीमा के साथ कार और अन्य वाहन से किसी अन्य पक्षकार को नुकसान हो जाए तो इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने सभी वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य कर दिया है। इसके अभाव में मोटर गाड़ी को सड़क पर चलाना दण्डनीय अपराध होता है। 

बीमा क्या होता है? 


बीमा एक प्रकार का अनुबंध है। इसमे दो पक्षकार होते हैं एक बीमित (जो बीमा लेता है) तथा दूसरा बीमाकर्ता (बीमा कम्पनी)। इस अनुबंध के अनुसार बीमाकर्ता एक निश्चित धनराशि, जिसे प्रीमियम कहा जाता है, के बदले में बीमित को इस बात के लिए आश्वासन देता है कि उसे भविष्य में होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति करेगा। 

बीमा अनिश्चित घटनाओं के लिए होता है। ऐसे में मोटर वाहन का भी बीमा कराया जा सकता है। मोटर वाहन की दुर्घटना की कोई निश्चितता नहीं होती है। ऐसी दुर्घटना अनिश्चितता से भरी हुई होती है। सड़क दुर्घटना में बीमित के वाहन के साथ सामने वाले पक्षकार को भी नुकसान हो सकता है, ऐसे में बीमा कंपनियां सामने वाले व्यक्ति को होने वाले नुकसान को कवर करने के लिए भी बीमा देती है। बीमा कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले इस बीमा को 'तृतीय-पक्ष' बीमा कहा जाता है। 

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का अर्थ - 


थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (बीमा), जिसे कभी-कभी 'एक्ट-ओनली' बीमा भी कहा जाता है, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 के अनुसार, भारतीय सड़कों पर चलने वाले सभी वाहनों के लिए अनिवार्य रूप से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का होना आवश्यक हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मोटर मालिकों को आवश्यक रुप से इस प्रकार का बीमा खरीदना होता है। इस प्रकार के बीमा कवर में बीमित (मोटर मालिक) को बीमाकर्ता (बीमा कंपनी) थर्ड पार्टी वाहन, व्यक्तिगत संपत्ति और शारीरिक चोट के नुकसान के विरुद्ध सुरक्षा कवर प्रदान करता है। इस पॉलिसी में बीमाकर्ता, बीमित को कोई कवरेज प्रदान नहीं करता है।

इस प्रकार के बीमा को हिन्दी में 'तृतीय-पक्ष बीमा' कहा जाता है। इस प्रकार के बीमा में अगर बीमित की गाड़ी (मोटर वाहन) से किसी को नुकसान (सड़क दुर्घटना) होती है, तो बीमाकर्ता तीसरे पक्ष (पीड़ित) की संपत्ति की मरम्मत, शारीरिक चोट की लागत और मृत्यु पर मुहावजा इत्यादि की लागत का भुगतान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार, तृतीय पक्ष बीमा पॉलिसीधारक (मोटर मालिक) के लिए दुर्घटना के समय वित्तीय बोझ को कम करता है। दुर्घटना की स्थिति में, बीमाधारक को दावा दायर करने से पहले बीमा कंपनी को तुरंत दुर्घटना की सूचना देनी चाहिए।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस एक ऐसा बीमा है, जिसमें बीमित की गाड़ी से द्वारा हुई किसी दुर्घटना का क्लेम (दावा राशि) बीमित को नहीं मिलता बल्कि तृतीय-पक्ष (जिससे दुर्घटना हुई) को मिलता है। उदहारण के लिए - मान लीजिए रमेश की बाइक या कार (जो तृतीय-पक्ष बीमा से सुरक्षित है) किसी दूसरी बाइक या कार से टकरा जाती है, तो रमेश की बायक या कार की दुर्घटना से तृतीय-पक्ष को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति रमेश की इंश्योरेंस कंपनी तृतीय-पक्ष को देगी। 

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की विशेषताएं - 


थर्ड पार्टी इंश्योरेंस वाहन का बीमा है, किंतु यह सम्पूर्ण वाहन बीमा नहीं है। यह व्यापक वाहन बीमा से कुछ अलग है, क्योंकि इसमे उस प्रकार के सभी लाभ नहीं मिलते हैं। थर्ड पार्टी बीमा की विशेषताएं इसे व्यापक वाहन बीमा से अलग करती है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित है - 
  • तीसरे पक्ष की मृत्यु या चोट - थर्ड पार्टी बीमा में क्षतिपूर्ति दावा तीसरे पक्ष को ही किया जाता है, उस दशा में जब उसकी (तीसरे पक्ष) की मृत्यु हो जाए या उसे कोई शारीरिक चोट पहुंचे। बीमित के वाहन से दुर्घटना होने की शर्त हमेशा बनी रहती है, दावों के लिए। 
  • तीसरे पक्ष की प्रॉपर्टी को नुकसान - इस प्रकार के बीमा के भुगतान उस दशा में किया जाता है, जब तीसरे पक्ष की प्रॉपर्टी को कोई नुकसान बीमित के वाहन से पहुंचा हो। बीमित के वाहन से दुर्घटना होने से तीसरे पक्ष को अधिकतम प्रॉपर्टी नुकसान की भरपाई के लिए ₹ 7.5 लाख का भुगतान बीमाकर्ता द्वारा तृतीय पक्ष को किया जाता है। 
  • मालिक ड्राइवर बीमा -  थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में अतिरिक्त राइडर (मूल प्रीमियम के अतिरिक्त भुगतान करके) 15 लाख तक का कवर वाहन के मालिक और ड्राइवर को मिल सकता है। 
  • वास्तविक लाभार्थी - इस प्रकार के बीमा में मोटर मालिक (पॉलिसीधारक) की बजाय अन्य पक्ष (तीसरा पक्ष) वास्तविक लाभार्थी होता है। बीमित के वाहन से जिसे नुकसान होता है, उसे बीमा का लाभ प्राप्त होता है। 
  • बीमित - इस प्रकार की पॉलिसी में वास्तविक बीमित वाहन का मालिक होता है, उसे उस समय तक कुछ नहीं मिलता जब तक वह अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर अतिरिक्त राइडर ना ले। 
उपर्युक्त सभी विशेषताएं विभिन्न बीमा पॉलिसी के समावेश के आधार पर है। किसी खास एक पॉलिसी में सभी विशेषताओं का समावेश हो, यह आवश्यक नहीं है। 

थर्ड पार्टी बीमा में कवर होने वाले जोखिम - 


थर्ड पार्टी इंश्योरेंस मे निम्नलिखित प्रकार के नुकसान पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। 
  1. तृतीय पक्ष (जिसे बीमित के वाहन से नुकसान हुआ हो) की प्रोपर्टी का नुकसान, 
  2. तीसरे पक्ष को वाहन दुर्घटना से शारीरिक चोट या मृत्यु, 
  3. बीमित वाहन के मालिक को शारीरिक विकलांगता (अतिरिक्त राइडर लेने की दशा में) 
  4. बीमित वाहन के मालिक या ड्राइवर की मृत्यु होने पर हर्जाना। 
बीमित वाहन के मालिक तौर ड्राइवर को उस दशा में लाभ मिलता है, जब उसने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर अन्य राइडर लिए हो। 

थर्ड पार्टी बीमा के फायदे - 


थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य बीमा है। सरकार द्वारा इसे अनिवार्य इससे होने वाले लाभ ध्यान मे रखते किया था। ऐसे में इस प्रकार के बीमा से होने वाले लाभ या फायदों पर चर्चा करना जरूरी है। तो आइये इसके फायदों पर विचार करते हैं - 
  • वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना - जब वाहन की दुर्घटना हो जाती है, तो तीसरे पक्ष को हुए नुकसान के प्रति मोटर मालिक की जिम्मेदारी होती है, किंतु तृतीय-पक्ष मोटर बीमा की दशा में क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की बन जाती है। 
  • वैधानिक दायित्व कवर करना - तृतीय-पक्ष बीमा किसी भी प्रकार के वाहन के लिए वैधानिक आवश्यकता है, जो आपको पहले ही बता दिया गया है। ऐसे में मोटर मालिक ऐसा बीमा लेकर अपने वैधानिक दायित्व की पूर्ति कर सकता है। 
  • वैधानिक शर्तों की पूर्ति - बीमा एक वैधानिक दायित्व है। इसे लेने के लिए वैधानिक शर्त है, इसकी पूर्ति के लिए बीमा ले पूरा किया जा सकता है। 
  • लागत प्रभावी नीति - वाहन के व्यापक बीमा के मुकाबले में यह सस्ता है। इस प्रकार का बीमा लेकर कानूनी शर्तें पूरी कर मोटर मालिक द्वारा कुछ पैसे बचाए जा सकते हैं।
  • मानसिक शांति - थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य है, ऐसे में इस प्रकार का बीमा ले कानूनी रूप से से सजा होने के डर से मुक्त हुआ जा सकता है। कम लागत में ऐसा बीमा लेकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। 
वाहन के लिए बीमा लेना वैधानिक आवश्यकता है, ऐसे में थर्ड पार्टी बीमा लेकर इस आवश्यकता को पूरा कर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। 

तृतीय-पक्ष बीमा के नुकसान - 


थर्ड पार्टी बीमा लेना आवश्यक हैं। यह एक वैधानिक आवश्यकता है, किंतु व्यापक वाहन बीमा की बजाय इस प्रकार का बीमा लेने के निम्नलिखित नुकसान हैं - 
  • स्वयं के वाहन के नुकसान - बीमित के स्वयँ के वाहन को नुकसान होने पर अतिरिक्त शर्तों और राइडर को अतिरिक्त प्रीमियम देकर नहीं लिया गया हो तो बीमा कम्पनी किसी प्रकार का क्षतिपूर्ति दावा स्वीकार नहीं करती है। 
  • चोरी/आग से क्षति का कवर नहीं - थर्ड पार्टी बीमा में वाहन को चोरी या आग से होने वाले नुकसान के खिलाफ किसी प्रकार का कोई कवर प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में इस बीमा का कोई अर्थ नहीं रह जाता है, इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो व्यापक बीमा सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं। 
  • कोई एड-ऑन नहीं - ऐसे बीमा से वाहन के मूल्य या मोटर मालिक की प्रॉपर्टी में किसी प्रकार का कोई फायदा नहीं होता है। यह पूरी तरह से एक प्रीमियम राशि का नुकसान हैं। 
यहां ध्यान रखे थर्ड पार्टी बीमा भारत में प्रत्येक वाहन के लिए एक वैधानिक आवश्यकता है। इसके अभाव में सजा भी हो सकती है। यहां जिन नुकसान की बात हो रही है, वो व्यापक वाहन बीमा से तुलना करके लिखे गए हैं। व्यापक वाहन बीमा थर्ड पार्टी बीमा के मुकाबले में महँगा होता है। 

तृतीय-पक्ष बीमा दावा की प्रक्रिया - 

तृतीय-पक्ष बीमा पॉलिसी से बीमित वाहन की अन्य वाहन से दुर्घटना होने पर बीमित द्वारा, बीमाकर्ता से क्षतिपूर्ति के लिए दावा किया जाता है, दावा करने की प्रक्रिया निम्नानुसार है - 

Step - 1. आवेदन -

बीमित वाहन से कोई दुर्घटना होने के के बाद बीमित (मोटर मालिक अथवा ड्राइवर) को बीमा कंपनी में क्षतिपूर्ति की राशि का दावा करने के लिए आवेदन कर देना चाहिए। दुर्घटनाग्रस्त होने के तुरंत बाद बीमा कम्पनी को कॉल से जानकारी देना काफी नहीं होता है। बीमा कंपनी की प्रक्रिया के अनुसार आवेदन किया जाना चाहिए। 

Step -2. प्राथमिकी दर्ज कराना - 

बीमित वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आवेदन करते ही दुर्घटना जहां हुई है, उस क्षेत्र के पुलिस थाना में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करा देनी चाहिए। बिना प्राथमिकी के बीमा कंपनी दावे का सत्यापन कर क्षतिपूर्ति नहीं करेगी। यह दोनों कार्य पॉलिसी में दी गई समय अवधि के भीतर कर लिया जाना चाहिए।

Step - 3. क्षतिपूर्ति अधिकरण से सम्पर्क - 

उपर्युक्त दोनों प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद बीमा कंपनी के क्षतिपूर्ति विभाग अथवा अधिकरण से सम्पर्क किया जाना चाहिए। यह विभाग नुकसान की राशि का अनुमान लगाकर बीमित (मोटर मालिक) के दावे का सत्यापन कर क्षतिपूर्ति के लिए सहमति प्रदान करता है। 

Step - 4. कवर राशि प्राप्त करना - 

अधिकरण द्वारा सहमति प्रदान करने के बाद बीमा कंपनियां दावे की राशि का भुगतान करती है। सम्पति नुकसान के लिए अधिकतम ₹ 7.5 लाख और मृत्यु होने पर कुल बीमा राशि के समान भुगतान किया जाता है। 

किन परिस्थितियों में दावा मान्य नहीं होता - 


बीमित के वाहन की दुर्घटना होने की स्थिति में बीमा कंपनियों को बीमित द्वारा किए गए क्षतिपूर्ति के दावे निम्नलिखित परिस्थितियों में स्वीकृत नहीं होते हैं और बीमित को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति बीमा कंपनियों द्वारा नहीं की जाती है। 
  1. शराब पीकर गाड़ी चलाना - अगर दुर्घटना के समय ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाता हुआ पाया जाता है और यह साबित हो जाता है तो बीमा कंपनी किसी प्रकार के दावे की क्षतिपूर्ति करने के लिए बाध्य नहीं होती है। ऐसे दावे बीमा कंपनियां स्वीकृत कर देती है। 
  2. ड्राइविंग लाइसेंस ना होना - दुर्घटना के समय जिस व्यक्ति द्वारा गाड़ी चलाई जा रही है, उस वक्त अगर ड्राइवर के पास लाइसेंस ना हो (आरटीओ द्वारा उसे कभी जारी भी नहीं किया गया।) हो बीमा दावे को आस्वीकृत कर दिया जाता है। 
  3. भौगोलिक सीमा के बाहर - सभी वाहन को परिवहन विभाग द्वारा परमिट दिया जाता है। उस क्षेत्र में ही दुर्घटना होने पर बीमा कवर दिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर आपकी गाड़ी का परमिट राजस्थान का है, आप किसी कारण से गाड़ी गुजरात ले जाए और वहाँ दुर्घटना हो जाए, तो बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के दावे को ठुकरा देगी। 
  4. अनावश्यक वाहन का उपयोग - वाहन का वर्जित उपयोग किया जा रहा है उस वक़्त दुर्घटना दावा योग्य नहीं होती है। उदाहरणार्थ माल वाहक वाहन का सवारी में उपयोग या रेस और अन्य प्रतियोगिता में उपयोग। 
  5. चालक के पास उचित लाइसेंस ना होना - अगर चालक के पास विमान चालान के लिए उपयोग में लिया जाने वाला लाइसेंस ना हो तो दावा निरस्त कर दिया जाता है। इसका अर्थ यह है कि अगर आपके पास दोपहिया वाहन का लाइसेंस है, किन्तु आप चार पहिया वाहन चला रहे हैं और दुर्घटना हो गई तो बीमा कंपनी दावा अस्वीकर कर देगी। 
  6. जानबूझकर नुकसान - अगर बीमित जानबूझकर किसी दुर्घटना को अंजाम देता है तो बीमा दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता है। 
  7. युद्ध या न्यूक्लीयर हथियार से वार - युद्ध या परमाणु हथियार से नुकसान होने की दशा में बीमा कवर नहीं दिया जाता है। 
उपर्युक्त सभी कारण व्यापक बीमा के आधार पर लिए गए हैं। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्लेम की इसके अतिरिक्त भी सीमा है, जो आपको थर्ड पार्टी बीमा के नुकसान में बता दी गई है। 

थर्ड पार्टी बीमा नहीं कराने पर क्या होता है? - 


थर्ड पार्टी बीमा सभी मोटर वाहन के लिए होना अनिवार्य है। बिना थर्ड पार्टी बीमा के मोटर वाहन को सड़क चलाना दण्डनीय अपराध है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 196 के अंतर्गत बिना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के वाहन चलाने पर ड्राइवर को दंडित किया जा सकता है :-
  • पहली बार अपराध करने पर : - तीन महीने तक का कारावास, या 2,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनो,
  • दूसरी या अगली बार पुनः अपराध : - तीन महीने तक का कारावास, या 4,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों।
वाहन मालिक के साथ ही वाहन के ड्राइवर द्वारा वाहन के थर्ड पार्टी बीमा को चेक कर लेना चाहिए। इसके अभाव में वाहन चलाना दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। 

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