गौ हत्या : निषेध करे सरकार, यह आस्था पर प्रहार। Gau Hatya

गौ हत्या : निषेध करे सरकार, यह आस्था पर प्रहार। Gau Hatya

गौ को वेदों और पुराणों में मां का दर्जा दिया गया है। सनातन संस्कृति में गाय का उत्तम स्थान बताया गया है। गौ सेवा को व्यक्ति का धर्म माना गया है। सनातन गाय को माता का स्थान देता है और इसकी सेवा को कल्याणकारी बताता हैं। 
गौ हत्या : निषेध करे सरकार, यह आस्था पर प्रहार। Gau Hatya

गायों की सेवा करने वालों को लेकर विष्णु पुराण में कहा गया है कि - 
नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च। 
जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥
अर्थात - गायों और ब्राह्मणों के साथ सभी प्राणियों के शुभचिंतक, हितैषी भगवान को प्रणाम करता हूं। जगत् का हित करने वाले, गोविंदा के नाम से जाने जाने वाले भगवान कृष्ण को मेरा प्रणाम है।। 

सनातन संस्कृति में गौ महिमा - 


सनातन संस्कृति में गाय को उत्तम स्थान है। इसे धर्म ग्रंथो में माता का दर्जा दिया गया है। सनातन और हिन्दू धर्म गाय को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष देने वाली देवी के रुप में स्थान देते हुए गौ सेवा को महत्वपूर्ण स्थान देता है। गाय को सनातन संस्कृति में पवित्र पशु माना जाता है। गाय के प्रत्येक अंग पर किसी न किसी हिन्दू देवी-देवता का वास माना जाता है, इस कारण गाय के प्रत्येक अंग का महत्व है। गाय की देवी के समान पूजा की जाती है और इसके बछड़े को भी भाद्रपद महीने में पूजा जाता है। शास्त्रों में कामधेनु गाय को उत्तम मानते हुए देवताओ द्वारा पूजनीय माना गया है। 
 
आधुनिक विज्ञान में भी गाय को प्रकृति की दोस्त माना जाता है. गाय से जुड़ी कई चीज़ें जैसे दूध, दही, मक्खन, घी, गोबर, गोमूत्र आदि का इस्तेमाल किया जाता है। गाय पशु होने के बावज़ूद इसे अहिंसा का जीवित उदाहरण माना जाता है। धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार गाय को सताना या उसकी हत्या करना घोर पाप माना जाता है। सनातन संस्कृति गायो को महत्वपूर्ण स्थान देते हुए इनसे सम्बन्धित कई धार्मिक व्रत और उपवास को स्थान देती हैं, जैसे गोपद्म व्रत, गोवत्स द्वादशी व्रत, गोवर्धन पूजा, गोत्रि-रात्र व्रत, गोपाष्टमी, और पयोव्रत,बछ बारस इत्यादि। 
 
सनातन संस्कृति के उपासकों के लिए गायों की सेवा करना अत्यंत पवित्र कर्म माना गया है। गायों की पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिलता है। गाय से जुड़ी कई शास्त्रों और वेदों में कथाएं बतलाई गई है। जो हिंदू शास्त्रों में बताई गई हैं, वो सभी कथाएँ गाय के महत्व को दर्शाती है। 

गाय का आर्थिक महत्व - 


गाय का धार्मिक महत्व होने के साथ आर्थिक महत्व भी है। गाय से किसानो और गौ पालकों को अच्छी आय होती है। आय के साथ ही कुछ अन्य लाभ भी होते हैं। गाय के निम्नलिखित आर्थिक महत्व हैं - 
  • दूध - गाय का दूध पोष्टिकता से भरपूर होता है। गाय के दूध में कई पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। कई पोषक तत्वो की उपलब्धता के कारण गाय का दूध काफी महँगा होता है। इसे बेचने से गौ पालकों को भारी आय होती है। अधिकांश गौ पालक गाय दूध के लिए ही पालते है। कई लोग एक से अधिक गाय का पालन दूध बेचने के लिए करते हैं। गाय का पालन घर के उपयोग के साथ ही बाजार में विक्रय किए जाने के लिए किया जाता है। 
  • दही और छाछ- गाय के दूध से उत्तम गुणवत्ता का दही और उससे छाछ बनती है। दोनों का बाजार मूल्य ऊंचा होता है। इसकी बाजार मांग काफी ऊंची होती है, ऊंची बाजार मांग के कारण इसका मूल्य काफी बढ़िया मिल जाता है। 
  • घी - गाय के दूध से दही बनाकर घी निकाला जाता है। गाय के घी का मूल्य काफी ऊंचा होता है। इसके ऊंचे मूल्य के कारण किसानो को काफी आय हो जाती है। इसे सबसे शुद्ध माना जाता है और सबसे अधिक पौष्टिक भी। इसके उपयोग से किसी प्रकार के नुकसान नहीं होते हैं। 
  • खाद - गाय का गोबर जैविक खाद के रुप में उपयोग किया जाता है। यह खाद भी अन्य चीजों की तरह एकदम शुद्ध होती है। गाय की खाद का लाभ कृषकों को दो से तीन वर्ष तक मिलता है, यह घुल भी जल्दी जाती है और इससे फसल भी बढ़िया होती है। 
  • नर का कृषि के लिए उपयोग - गाय के बछड़े का उपयोग कृषि कार्यो के लिए किया जाता है। यह जब बैल बन जाता है तो कृषि के साथ अन्य कार्यो में भी उपयोग लिया जाना शुरू कर दिया जाता है। 
इसके अतिरिक्त भी गाय के कई आर्थिक लाभ है। गाय खेतों में खुले में चरकर ही शाम को मालिक को दूध दे देती है। यह रूखा सूखा भूसा भी खा लेती है। इसे जो भी खिलाया जाता है, उसी को आसानी से खा लेती है और दूध दे देती है। गाय के लिए भैंस की तरह कोई खास इंतजाम भी नहीं करने होते हैं। 

भारत की नस्ल की देशी गाय का दूध सबसे अधिक पोष्टिक और उत्तम माना जाता है। यह बहुत कम खर्च में बहुत लाभ दे देती है।

गौ हत्या - अर्थ 


गौ हत्या से तात्पर्य गाय को मार देने से हैं। कई लोग गाय से मांस प्राप्त करने के लिए गाय की हत्या कर देते हैं। भारत में गौ हत्या पहले संस्कृति के कारण निषेध थी, आजादी के बाद गौ हत्या को निषेध करने के लिए विभिन्न राज्यों की राज्य सरकारों द्वारा कानून बनाए गए। कई कानून गाय की हत्या को निषेध करार देते हैं। भारत में गौ हत्या को सनातन संस्कृति के कारण माता के समान माना जाता है, इसी के कारण गौ हत्या किया जाने कानून बनने से पहले भी नैतिक अपराध माना जाता रहा है। 

गौ हत्या वर्तमान समय में एक अपराध है। गौ हत्या की दशा में जेल भी हो सकती है। गौ हत्या के साथ ही गाय को सताना भी नैतिक अपराध की श्रेणी में आता है। गाय की हत्या को रोका जाना वर्तमान में सरकार का दायित्व हैं। 

गौ हत्या के कारण -


गौ हत्या सनातन संस्कृति से लेकर भारतीय कानून के अनुसार दण्डनीय अपराध है। इसके बावज़ूद भी लोग इस कृत्य को अंजाम देते रहते हैं। गौ हत्या के कुछ निम्नलिखित कारण है - 
  • मांस के लिए हत्या - कई लोग गाय का मांस हासिल करने के लिए गाय का शिकार करते हैं। इसे शिकार की बजाय हत्या कहा जाना अधिक उचित है क्योंकि गाय को पकड़कर इसे मारा जाता है। जब इस तरीके से अंजाम दिया जाए तो किसे बुरा नहीं लगता है। 
  • धार्मिक भावना को आहत करने के लिए हत्या - आजकल धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए गौ हत्या की जाती है, यह सबसे बुरा कारण है। इसके कारण कई बार साम्प्रदायिक सौहार्दपूर्ण वातावरण भी अशांत हो जाता है। इस तरह की हरकत कई बार लाइव वीडियो बनाकर की जाती है, जो सबसे घातक होती है। किसी विशेष संप्रदाय द्वारा सनातन के उपासकों को नाराज करने के लिए इस तरह की घटना को अंजाम दिया जाता है। 
  • अनजाने में हत्या - कई बार गाय की हत्या अनजाने में भी कर दी जाती है। उदाहरणार्थ किसी कीटनाशक के मिले हुए अनाज को रास्ते में बिखेर देना इत्यादि। 
  • चमड़े के लिए हत्या - गाय का चमड़ा बहुत महँगा होता है। इस महंगे चमड़े को बाजारों में बेचने के लिए गौ तस्कर गाय की हत्या को अंजाम दे देते हैं। गाय की हत्या कर इसका चमड़ा निकाल इसे बाजार में बेच दिया जाता है। 
  • दवा परीक्षण के लिए - आधुनिक दौर में कई प्रकार की दवा का निर्माण दिन-प्रतिदिन किया जा रहा है। ऐसी दवा का परीक्षण करने के लिए गायों का ईस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण कई बार गाय की मृत्यु तक हो जाती है। 
उपर्युक्त सभी के अलावा कई बार खेत की बाड़ में फंसकर और करंट लगने से भी गाय की मौत हो जाती है। 

गौ हत्या को रोकने के लिए कानून - 


गौ हत्या को रोकने के लिए भारत में कई प्रकार के कानून प्रचलन में है। हालांकि सभी राज्यों के अपने-अपने कानून है। इस कार्य को केंद्र ने राज्यों को सौंप रखा है अथवा यह राज्य सूची का विषय है, ऐसे में गौ हत्या को लेकर भारत सरकार का कोई एक कानून नहीं है और ना ही विभिन्न राज्यों के कानून में किसी प्रकार की समरूपता देखने को मिलती है। 

आजाद भारत में गौ हत्या को रोकने के लिए सबसे पहले पंजाब और उत्तरप्रदेश की राज्य सरकारों ने गौ हत्या निषेध अधिनियम वर्ष 1955 में पारित किए। इस अधिनियम के तहत, गाय, बैल, सांड, बछिया, और बछड़े का वध करना कानूनन अपराध की श्रेणी में रखा गया। हालांकि, कुछ अपवादों में गाय का वध कानूनन किए जाने के नियम भी इस कानून में रखे गए। इन अपवादों में शामिल हैं: - 
  • किसी संक्रामक रोग की दशा में। 
  • किसी बीमारी या दर्द से ग्रसित गाय का। 
  • किसी अनुसंधान के उदेश्य से। 
इसके बाद विभिन्न राज्यों की राज्य सरकारों द्वारा गाय की हत्या को निषेध करने के लिए कानून पारित किए। विभिन्न राज्यों द्वारा गाय की हत्या करने वाले हत्यारों के लिए 6 महिने से 10 वर्ष तक की सजा और ₹50,000 तक का जुर्माना निश्चित किया।

हालांकि भारत के केवल दस राज्यों में ही गौ हत्या को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का कानून पारित कर रखा है। कई राज्यों में आंशिक कानून है तो कई ऐसे भी राज्य है जहां गौ हत्या को लेकर किसी प्रकार का कानून नहीं है। 

कई राज्यों में गौ हत्या से सम्बन्धित कानून नहीं होने का कारण वहाँ हिन्दू आबादी की कमी और अन्य आबादी की बहुलता का तर्क दिया जाता है जो हास्यास्पद प्रतीत होता है। 

सरकार का दायित्व - 


जिन राज्यों में गौ हत्या पर आंशिक कानून बने हुए हैं या किसी प्रकार के कानून का अस्तित्व ही नहीं है। भारत सरकार का कोई एक कानून नहीं होने के कारण गौ हत्या हमेशा विवाद का एक विषय बना रहता है। साथ ही यह कानून राज्यों तक सीमित हो जाता है। कानून की इसी कमी के चलते कई बार गौ हत्या निषेध वाले राज्यों से अन्य राज्यों को गौ तस्करी की जाती है। गौ तस्करी के चलते कई बार विवाद होने के साथ ही सामाजिक सौहार्दपूर्ण वातावरण पर भी विपरित प्रभाव उत्पन्न होते हैं। 

ऐसे में केंद्र की जिम्मेदारी बनती है कि पूरे भारत में गौ पालन और गौ हत्या पर एक कानून बनाया जाए। एक ऐसा कानून पारित किया जाए जिससे पूरे देश में हो रही गौ हत्या पर रोक लगने के साथ ही गौ तस्करी के मामलों पर भी रोक लगे। जब तक पूरे भारत में कानून में समरूपता स्थापित नहीं होगी तब तक सनातन की आस्था पर यूँ ही प्रहार होता रहेगा। इसे रोकने के लिए कई राज्यों की सरकार कुछ मतों के लालच में कभी सामने नहीं आएगी और ना ही कोई कानून बना सकेगी। 

जब भारत सरकार द्वारा पूरे देश में समरूप कानून लागू कर दिया जाएगा तो गौ तस्करी भी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके समाप्त होने से समय-समय पर विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा नहीं होगी और ना ही विभिन्न संप्रदाय के मध्य विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी। 

गौ हत्या को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए भारत सरकार चाहे तो इसे राष्ट्रीय पशु का दर्जा देकर पूरे देश में एक कानून को स्थापित कर सकती है। 

यह लेख नंदिनी चक्रवर्ती के अनुरोध पर लिखा गया, परिचय पढ़ने के लिए इसे पढ़े

अन्य प्रश्न - 


प्रश्न - भारत के किन राज्यों में गौ हत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित है? 

उत्तर - जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दो केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और दिल्ली में गौ हत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित है। 

प्रश्न - भारत के किन राज्यों में गौ हत्या पर आंशिक प्रतिबंध हैं? 

उत्तर - बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और चार केंद्र शासित राज्यों – दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह में लागू है.

प्रश्न - भारत के किन राज्यों में गौ हत्या से सम्बन्धित कोई कानून नहीं है? 

उत्तर केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

प्रश्न - क्या पूरे भारत में गौ हत्या प्रतिबंधित है?

उत्तर - नहीं, पूरे भारत में गौ हत्या प्रतिबंधित नहीं है। यह केवल दस राज्यों में ही प्रतिबंधित है। कुछ राज्यों में गौ हत्या पर आशिक प्रतिबंध है तो कई राज्यों में इसे लेकर कोई कानून नहीं है।

प्रश्न - पूरे भारत में गौ हत्या प्रतिबंधित क्यों नहीं है?

उत्तर - गौ पालन और गौ हत्या को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। यह राज्य का विषय है, कई राज्य सरकारों ने इससे सम्बन्धित कोई कानून नहीं बनाया हैं, इसलिए कई राज्यों में गौ हत्या प्रतिबंधित नहीं है। 

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